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Tuesday, 30 May 2017

अयांध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां शुरू हो गईं है?

अयांध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां शुरू हो गईं है? यह कहना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन भारतीय जनता पार्टी और केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीति एनडीए की सरकार के संकेतों को माने तो निश्चित रूप से राम मंदिर के निर्माण की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। फिलहाल यह माहौल बनाया जा रहा है कि भाजपा और उसके नेतृत्व वाली सरकार कानून का राज स्थापित करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। अपने इसी संकल्प के लिए भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेताओं ने अगले चुनाव के लिए निर्णायक मुद्दा राम मंदिर के लिए कुर्बानी की तैयारी कर ली है। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित 12 नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामले को चला कर आवश्यक हुआ तो उन्हें सांकेतिक सजा दिलवा कर यह दिखाने की कोशिश की जाएगी कि भाजपा और उसके नेतृत्व वाली सरकार जनता जनार्दन और संविधान के प्रति पूरी तरह से वफादार है। इसके बाद ही राम मंदिर निर्माण की बारी आएगी। वह भी कोर्ट के माध्यम से आ गई तो ठीक वरना संसद के माध्यम से अगले वर्ष तक आ ही जाएगी। ऐसे में एकदम से तो सारी तैयारियां नहीं हो पाएंगी। इसलिए भाजपा ने अभी से कमर कस ली है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ दोनों ही मिलकर राम मंदिर का निर्माण का रास्ता साफ करवाएंगे। हालांकि अभी इस मुद्दे को दूसरे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। फिलहाल संकेत यह हैं कि भाजपा अपनी सधी रणनीति के मुताबिक ही राम मंदिर के कार्य को अंजाम दे रही है। वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अदालती कार्यवाही और उसके अगले दिन फायरब्रांड नेता और यूपी के सीएम का अयोध्या दौरे पर जाना राम मंदिर के निर्माण मुद्दे को गरम करना है। इस मुद्दे पर 2018 के शुरुआत में कोई न कोई अंतिम निर्णय आ जाएगा, इसके लिए जनमानस को तैयार करना हीै इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य।
बीबीसी से साभार:हालांकि अभी यह कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जिन वरिष्ठ नेताओं के विचार नहीं मिल रहे हैं उन्हें दरकिनार करने के लिए ही अदालती कार्यवाही की जा रही है,जबकि इसके पीछे कुछ और ही योजना है।
हालांकि भारतीय जनता पार्टी को लंबे समय से कवर करते आ रहे वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार कहते हैं, कि आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की चर्चा केवल मीडिया में देखने को मिली। भाजपा के अंदर जो व्यवस्था है उसके अंदर उनकी दावेदारी की चर्चा भी नहीं है। इसकी बुनियादी वजह बताते हुए वह  कहते हैं कि राष्ट्रपति तो वही बनेगा जिसके साथ मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कंफ़र्ट लेवल ठीक ठाक हो. अगर आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के दावेदारी की कई वजहें हो सकती हैं, तो कुछ वजहें तो ऐसी भी होंगी ही जो उन्हें दावेदार नहीं बनाने लायक हैं.।  कई विश्लेषक इन नेताओं की मौजूदा स्थिति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इनके उतार चढ़ाव भरे संबंधों को एक वजह मानते हैं। नरेंद्र मोदी कभी लालकृष्ण आडवाणी के भरोसेमंद हुआ करते थे. 1990 की राम रथ यात्रा में वे आडवाणी के सहयोगी की भूमिका में थे. इस यात्रा के संयोजक तो प्रमोद महाजन थे लेकिन गुजरात संयोजक की भूमिका नरेंद्र मोदी की थी। आडवाणी का मोदी पर ऐसा भरोसा था कि गुजरात दंगे के समय में उन्होंने वाजपेयी की चिंताओं को महत्व नहीं देते हुए, मोदी के राज्य के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की भूमिका तैयार कर दी।
अब आडवाणी कोप भवन में चले गए
11 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक एक बार फिर गोवा में हुई. जून, 2013 में हुई इस बैठक में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की घोषणा की जाने की तैयारी थी। आडवाणी इससे इतने अपसेट थे कि वे इस कार्यकारिणी में नहीं गए और उन्होंने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए एक चि_ी लिखी,जिसके चलते पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अगुवाई में नरेंद्र मोदी को केवल चुनावी रणनीति समिति का चेयरमैन बनाया जा सका।आडवाणी जी उस समय में एक तरह से कोप भवन में चले गए और मोदी के साथ उनके रिश्तों की जो गर्माहट थी वो समय के साथ ख़त्म होती गई.। आडवाणी के विरोध के बाद भी मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने और लालकृष्ण आडवाणी पूरे चुनाव अभियान से दूर रहे। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को अप्रत्याशित बहुमत मिला और इसके बाद लालकृष्ण आडवाणी को लोगों ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बहुत भावुक भी देखा. लेकिन इस सब के बीच मोदी अपने राजनीतिक मेंटॉर से बहुत दूर जा चुके थे।
भारतीय जनता पार्टी के अंदर कभी लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को एक खेमे में नहीं रहे लेकिन मौजूदा परिस्थितियो में दोनों नरेंद्र मोदी की उपेक्षा के शिकार हैं.
नरेंद्र मोदी का मुरली मनोहर जोशी से रिश्ता उतार चढ़ाव भरा रहा है. कभी मोदी उनके भी निकट सहयोगी हुआ करते थे. 1992 में उनकी एकता यात्रा के संयोजक नरेंद्र मोदी ही थे.
वरिष्ठ पत्रकार एक वाकया बताते हैं कि उस यात्रा में मुरली मनोहर जोशी से आगे आगे चल रहे थे मोदी, जहां जोशी का पड़ाव होता, वहां आधा घंटे पहले ही पहुंच जाते थे. और तो और जोशी की भाषण की बात अपने भाषण में बोल चुके होते थे. इससे नाराज़ होकर जोशी जी ने उन्हें साथ में चलने को कहा। 2013 में जोशी भी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ़ थे. इसके बाद 2014 में मोदी ने वाराणसी से चुनाव लडऩे का मन बनाया, वाराणसी मुरली मनोहर जोशी की सीट थी, ऐसे में इलाके में पोस्टर वार जैसी स्थिति भी देखने को मिली। बाद में मुरली मनोहर जोशी को कानपुर की सीट दी गई. हालांकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मुरली मनोहर जोशी ने संघ के रास्ते मोदी से अपने संबंध बेहतर करने की कोशिश ज़रूर की।
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए जाने से पहले उमा भारती कई बार उनके भाषण शैली पर सवाल उठा चुकी थीं.
तब उमा भारती कहा करती थीं कि मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे वक्ता नहीं हैं। इसी दौरान कांग्रेस पार्टी ने उमा भारती का एक वीडियो टेप जारी किया था जिसमें उमा भारती नरेंद्र मोदी के बारे में कह रही हैं कि वे विकास पुरुष नहीं हैं बल्कि विनाश पुरुष हैं। उमा भारती अपने विद्रोही स्वभाव के लिए मशहूर रही हैं. वे नवंबर, 2004 में पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी पर भी सवाल उठा चुकी हैं।
दूसरी ओर दो महीने पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद ऐसा माना जा रहा था और लगभग तय भी हो गया था कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या जाएंगे और रामलला के दर्शन करेंगे। लेकिन उस वक़्त वो कार्यक्रम बदल गया और उसे 31 मई को अंजाम दिया जा रहा है। योगी अयोध्या में कऱीब नौ घंटे तक रहेंगे और वहां रामलला के दर्शन करने के अलावा पार्टी पदाधिकारियों से विचार-विमर्श भी करेंगे. इसके अलावा वो महंत नृत्य गोपालदास के जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होंगे। मुक़दमे की सुनवाई की तारीख़ पहले से तय थी लेकिन योगी का कार्यक्रम बाद में तय हुआ है। एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि ये चाहे संयोग हो या फिर जानबूझकर बनाया गया कार्यक्रम हो लेकिन इसके ज़रिए बीजेपी ये संदेश ज़रूर देना चाहती है कि राम मंदिर का मुद्दा उसने छोड़ा नहीं है और वो उसके एजेंडे में बना हुआ है। योगी आदित्यनाथ का अयोध्या में रामजन्म भूमि और हनुमानगढ़ी जाने का भी कार्यक्रम है जिसके राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। मंगलवार को लखनऊ में सीबीआई कोर्ट में पेशी पर आए पूर्व सांसद रामविलास वेदांती, विनय कटियार और उमा भारती सरीखे नेताओं की बातों से भी लगता है कि योगी आदित्यनाथ की अयोध्या यात्रा किसी ख़ास उद्देश्य से हो रही है।