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Thursday, 13 April 2017

युगपुरुष महर्षि दयानन्द का सपना और आर्य समाज का दायित्व?

ओ३म् इन्द्रं वर्धन्तोऽप्तुर: कृण्वन्तो विश्वमाय्र्यम् अपघमन्तोऽरावण:। 
महर्षि दयानन्द का यह सपना था कि सम्पूर्ण विश्व आर्य बन जाए तो मानव का कल्याण स्वत: हो जाएगा। आर्य बनने के साथ ही दुनियां की सारी बुराइयां छू मन्तर हो जाएंगी और प्रत्येक मानव मानव से वसुधैव कुटुम्बकम् का नाता मानेगा और एकदूसरे को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। परन्तु यह सुन्दर स्वप्न महर्षि दयानन्द ने जगत कल्याण के लिए देखा है। यह पूर्ण किस तरह से हो, यह यक्ष प्रश्न अभी भी हमारे सामने है। महर्षि दयानन्द की विचारधारा के मानने वालों का यह परम कत्र्तव्य बन जाता है कि वह अपने मार्गदर्शक द्वारा दर्शाए गए मार्ग में चल कर उनका सपना पूर्ण करें। अब यह सपना किस तरह से पूर्ण होगा। इस पर प्रकाश डालते हैं।
महर्षि देव दयानन्द ने वेद का मानव मात्र के लिए यह संदेश दिया है कि वह विश्व को आर्य बनाए। इतिहास साक्षी है कि वेद के इस आदेश का अनुपालन करने में प्राचीन वैदिक ऋषियों ने अपने सम्पूर्ण सुदीर्घ जीवनों को खपा दिया था और फिर भी उनकी यह लालसा सदा बनी रहती थी कि पुन: मानव की योनि में जन्म लेकर वेद के इस आदेश का पालन किया जाए। एक युग था जब अखिल विश्व वेदानुयायी था और आर्यो का सार्वभौम अखण्ड चक्रवर्ती साम्राज्य था। वेदानुयायी होने से संसार भर के मानवों के जीवन भी अति मर्यादित थे और मर्यादित जीवन होने से संसार में सर्वत्र सुख-शान्ति का साम्राज्य था। संसार स्वर्ग समान था और आर्यत्व का बोल-बाला था। संसार परिवर्तनशील है। इस परिवर्तनशील संसार में सदा किसकी बनी रही है? आर्यों के आलस्य और प्रमाद ने जब वेद विद्या लुप्त होने लगी तो संसार गहरे अंधकार में निमग्न हो गया। वेद विद्या के लोप होने से मनुष्य अपने आचरण से भी पतित हो गया और अनार्यत्व का संसार में बोलबाला हो गया। परिणामस्वरूप नीति-अनीति का विचार जाता रहा और मानवता कराह उठी।

भ्रष्टाचार बना शिष्टाचार, शिष्टाचार का हुआ बंटाधार।
नैतिकता हो गई लापता, मानवता का हुआ तार-तार।
यदि ऐसी स्थिति से उबरना है तो हमें ऐसे कार्य करने होंगे जिनसे विश्व आर्य बन सके। हमें मानव को फिर से मानवता अथवा आर्यत्व का पाठ पढ़ाना होगा। यह कार्य आर्य समाज के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं कर सकता क्योंकि वही वेद का रक्षक एवं प्रचारक है। वेद की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार एवं आज्ञाओं का अनुपालन आर्य समाज का मुख्य कर्तव्य है। वही एक मात्र मानवता का सच्चा प्रहरी, प्रतिनिधि एवं रक्षक है। वही मानवता का संदेश वाहक है। अत: आर्य समाज को ही यह सोचना है कि विश्व आर्य कैसे बने। पूर्व इसके कि इस विषय पर व्यवस्थित, क्रमबद्ध विचार किया जाए कि विश्व आर्य कैसे बने, यह जान लेना आवश्यक है कि विश्व के आर्य बनने में हमारा तात्पर्य क्या है एवं विश्व का आर्य बनना आवश्यक क्यों है। फिर विश्व के आर्य बनने में बाधक कौन-कौन से तत्व हैं एवं उनका निराकरण कैसे हो। साथ में यह भी कि आर्य कहते किसे हैं और मानव में आर्यत्व का आधान कैसे हो। इन विषयों पर विचार करने से ही हम विषय के मूल तक पहुंचने में सफल हो सकेंगे अथवा नहीं। अत: उचित यही है कि विषय को वैज्ञानिक आधार देते हुए वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार ही क्या,क्यों,कैसे आदि विभिन्न शंकायें विकसित कर उनका युक्तियुक्त वैज्ञानिक समाधान खोजा जाए। जब तक ऐसा नहीं किया जाता तब तक न तो सही समस्या उभर कर सामने आ सकती है और न ही उसका सही समाधान ही सोचा जा सकता है। तो आइए। विषय से जुड़े हुए  कतिपय अन्य गंभीर विषयों पर भी क्रमश: विचार करते चलें।
विश्व के आर्य बनने से क्या तात्पर्य है?
जब हम विश्व के आर्य बनने की बात कहते हैं तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि विश्व के आर्य बनने से क्या तात्पर्य है क्योंकि विश्व तो जड़ एवं चेतन दोनों ही प्रत्यक्ष है। किन्तु हमारे विचार का क्षेत्र जड़ नहीं चेतन जगत है और चेतन में भी केवल मनुष्य ही क्योंकि मनुष्येतर पशु-पक्षी आदि आर्य बन नहीं सकते। आर्य श्रेष्ठ मनुष्य को कहते हैं अत: मनुष्यों को श्रेष्ठ होना ही विश्व का आर्य बनना है। तात्पर्य यह है कि व्यापकता की दृष्टि से हमारे विचार का जो विषय

है वह सम्पूर्ण विश्व होते हुए भी केवल मानव समुदाय तक ही सीमित है। मनवेत्तर चेतन जगत अथवा जड़ जगत हमारे विचार का क्षेत्र नहीं। मानव ही सही, पर क्या हमें मानव मात्र को आर्यसमाजी अथवा आर्यसमाज का सदस्य बनाना अभीष्ट है? हमारा सोचा समझा और सुविचारा हुआ उत्तर ‘न’ में ही होगा। विश्व के आर्य बनने से हमारा तात्पर्य यह कदापि नहीं कि हम विश्व को आर्यसमाज का सभासद बना देना चाहते हैं। यह इसलिए नहीं कि हम आर्यसमाज का विस्तार नहीं चाहते। अपितु इसलिए कि यह व्यवहारिक नहीं। कारण कि आर्य समाज का अपना एक सुनिश्चित संगठन एवं विधान है। आर्य समाज का सदस्य तो वही होगा कि जो उस संगठन से आबद्ध होगा। पर आर्य तो संगठन से आबद्ध न रहकर भी हो सकता है। फिर जहां संगठन की आवश्यक शर्तें पूरी न होतीं हों, वहां अकेला,दुकेला व्यक्ति क्या आर्य न बने? या जो अपनी आय का शतांश न दे सके अथवा निश्चित आयु सीमा की शर्त न पूरी करता हो तो क्या उसे आर्य न बनाया जाये? ऐसा तो कोई नहीं चाहेगा। स्पष्ट है कि आर्यसमाज का विस्तार चाहते हुए भी हम यह मानने के लिए तैयार नहीं कि विश्व का एक-एक मानव आर्य समाज का सदस्य बन सकता है पर यह अवश्य मान सकते हैं कि ईश्वर की कृपा और आर्यों के पुरुषार्थ से विश्व भर का मानव आर्य तो हो सकता है। अत: स्पष्ट है कि आर्य शब्द में निहित उच्च भावनाओं के अनुसार ही विश्व के मानव का श्रेष्ठ बनना ही हमारा प्रयोजन है।
विश्व का आर्य बनना आवश्यक क्यों है?
विचारणीय विषय का क्षेत्रनिर्धारण के पश्चात् सर्वप्रथम जो प्रश्न उभर कर सम्मुख आता है, वह यह है कि विश्व के आर्य बनने की आवश्यकता ही क्या है? हम यह प्रश्न इसलिए उठा रहे हैं कि हमारा विश्वास है कि जब तक हम विश्व के आर्य बनने की आवश्यकता को अच्छी तरह से नहीं समझ पायेंगे तब तक हमारे मन में कार्य की सिद्धि की लालसा जागृति नहीं होगी। आवश्यकता की तीव्रता कार्य की सिद्धि के लिए प्रेरित किया करती है। ’’आवश्यकता अविष्कार की जननी है’’ इस सिद्धांतानुसार जब हमें किसी भी आवश्यकता की अतितीव्रता से अनुभूति होने लगती है तो उसकी पूर्त के लिए साधनों का भी अविष्कार कर ही लिया जाता है। अत: इस संदर्भ में यह जान लेना परम आवश्यक है कि विश्व का आर्य बनना आवश्यक क्यों

है?
विश्व का आर्य बनना इसलिए आवश्यक है कि इसी में विश्व का कल्याण निहित है। जब जगत में दुर्जनों का बाहुल्य होगा तो सर्वत्र अशान्ति कलह और विद्वेष का साम्राज्य होगा। विपरीत इसके जब विश्व में सज्जनों का बााहुल्य होगा तो सर्वत्र शान्ति, प्रीति और सुनीति का साम्राज्य होगा। आर्य कहते ही श्रेष्ठ एवं सज्जन को है।  जब विश्व भर के मानव सभ्य,श्रेष्ठ,कुलीन और सज्जन होंगे तो फिर अशान्ति,कलह और विद्वेष के लिए अवकाश कहां है? विश्व की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान विश्व के आर्य बनने में ही है। आज विश्व में जो अराजकता,अशान्ति, कलह,क्लेश,विद्वेष भय तथा अविश्वास का वातावरण व्याप्त है, उन सब का मूल कारण मानव में व्याप्त दानवता अथवा अनार्यत्व ही है। इसी अनार्यत्व के कारण ही आज संसार संतापो,चिन्ताओं,पीड़ाओं एवं दु:खों की दावानल में जल रहा है। आज मानव,मानव से शंकित है,त्रस्त है, भयभीत है और स्थिति यहां तक आ पहुंची कि
मानव ने छोड़ दिया मानवता का जामा। प्रेम-प्यार सब खत्म हुआ रह गया मात्र ड्रामा।।
चांद-तारों का सफर करने वाला इंसान। इंसानियत को खो कर बन गया धन का भगवान।।
इन सब समस्याओं का एकमात्र समाधान विश्व के आर्य बनने में ही निहित है। अत: विश्व का आर्य बनना अत्यन्त आवश्यक है। सत्य जानिये जितना जल्दी विश्व आर्य बनेगा उतनी जल्दी यह स्वर्ग की छटा बिखेरेगा। स्पष्ट है कि धरा को सुख शान्ति से जीवन-यापन करने के लिए विश्व का आर्य बनना अत्यन्त आवश्यक है।
विश्व का आर्य बनना इसलिए भी आवश्यक है कि यह वेद का आदेश है। वेद कृण्वन्तो विश्वमाय्र्यम् के उद्घोष द्वारा मानवमात्र को यह आदेश देता है कि विश्व को आर्य बनाता चले। अत: वेद ईश्वरीय वाणी है। वेद की आज्ञाएं ईश्वर की आज्ञाएं हैं। ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करना परम कर्तव्य एवं पुनीत धर्म है जबकि अवज्ञा महापातक एवं घोर पाप है। अत: इस महापातक एवं घोर पाप से बचने के लिए विश्व को आर्य बनाना परम आवश्यक है।
आर्य कौन?
विश्व को आर्य बनाने का कोई उपाय सुझाने से पूर्व यह बतला देना भी आवश्यक समझते

हैं कि आर्य कहते किसे हैं? यह इसलिए कि आर्य शब्द को ठीक से न समझने के कारण लोग आर्य नहीं बन रहे। आर्य बनने का अर्थ किसी धर्म,सम्प्रदाय या मत-मतान्तर को अपनाना नहीं है क्योंकि आर्य शब्द स्वयं भी किसी धर्म, जाति एवं सम्प्रदाय का बोधक नहीं है। आर्य शब्द का अर्थ श्रेष्ठ है। विस्तार में कहें तो श्रेष्ठ गुण-कर्म-स्वभाव वाले व्यक्ति को आर्य कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से ही पुनीत ‘आर्य’ शब्द श्रेष्ठ मानव के अर्थों में प्रयुक्त होता चला आया है और इसी का विलोम शब्द ‘अनार्य’ एक अपशब्द एवं अभद्रता का परिचायक है। राम कृष्ण आदि हमारे सभी महापुरुष आर्य ही थे। रावण,कंस आदि को अनार्य कहा जाता था। यह इसलिये कि वह गुण-कर्म-स्वभाव से पतित हो चुके थे। पता नहीं लोग आज भी आर्य जैसे महान व पवित्र शब्द से क्यों चिढ़ते हैं? उनसे पूछा जाय कि इसमें साम्प्रदायिकता की गंध कहां से आ गई? और तो और स्वये अपने को वेदों का अनुयायी मानने वाले हमारे सनातन धर्मी भाई भी आर्य शब्द से चिढऩे लगे हैं। हिन्दू शब्द से चिपटे ये सनातनधर्मी यह बात भूल गए कि इनके पूर्वज स्वयं को आर्य कहलवाने में अपना गौरव मानते थे। हिन्दू शब्द तो साम्प्रदायिक हो सकता है परन्तु आर्य शब्द नहीं। आर्य विशुद्ध मानवतावादी शब्द है। संकीर्ण मानसिकता से कोसों दूर आर्य को अपनाने में लोग संकोच क्यों करते हैं? इसीलिए आज हिन्दू एवं आर्य पिछड़े हुए हैं। आश्चर्य तो तब होता है कि जब हम स्वामी विवेकानन्द,महात्मा गांधी और डॉ. राधाकृष्णन जैसे महान विभूतियों द्वारा हिन्दू और हिन्दुत्व की बात करने पर उन्हें कोई भी साम्प्रदायिक नहीं कहता।
इसी तरह आधुनिक युग में मानव कल्याण की क्रांति की मशाल लिए हुए महर्षि दयानन्द प्रथम महामानव के रूप में आए जिन्होंने इस भूले बिसरे किन्तु महान आर्य शब्द की ओर संसार का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने यह उद्घोष किया ‘‘गुणभ्रष्ट तो हम हुए नाम भ्रष्ट तो न हों’’। पर महर्षि की बातों को सुन कौन रहा है। आज आर्य समाज के दिग्गज भी हिन्दू और हिन्दुत्व का राग अलापने लगे हैं जबकि योगीराज अरविन्द ने कहा था कि मानवीय भाषा के सम्पूर्ण इतिहास में इस आर्य शब्द जैसा महान और उच्च शब्द नहीं मिलता। पर इस पर ध्यान कौन दे? योगी अरविन्द ने आर्य शब्द की महिमा का बखान बढ़ चढ़ कर नहीं किया है बल्कि उसकी असलियत से लोगों को परिचित कराया है। इस आर्य शब्द में इतने गुणों का समावेश है कि

जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, फिर वर्णन करना तो दूर रहा। ‘‘अर्यते सततं चार्ते:’’ इस स्मृति वचनानुसार आर्य वह है कि जो पीडि़तों की सहायता के लिए सदैव स्वत: ही पहुंच जाया करता है और ‘‘आराद् याति इति आर्य:’’अर्थात जो जितेन्द्रिय है वह आर्य है। निरुक्त्कार ईश्वर पुत्र को आर्य कहता है तो गौतम धर्म-सूत्रकार सदाचारी को। तात्पर्य है कि वेद का यह पावन पुनीत शब्द अपने गर्भ में नाना अर्थों और गुणों को समेटे हुए हैं। फिर भी विश्व इस महान शब्द से अपरिचित रहे-यह खेद का विषय है। अत: विश्व को आर्य बनाना आवश्यक है तो विश्व को इस अलौकिक शब्द से भली-भांति परिचित ही न कराया जाए बल्कि सभी के मन में अच्छी तरह से बैठा दिया जाए।
अब बाधा कहां है?
यह प्रश्न बहुत गंभीर है एवं उचित समाधान चाहता है। सबसे पहले तो हम यह बताना चाहते हैं कि हमने चाहा ही नहीं और जब चाहा ही नहीं तो इस दिशा में कोई प्रयत्न करने का सवाल ही नहीं उठता। यहां तक कि हम लोगों को आर्य बनने का महत्व तक भी ठीक ढंग से नहीं समझा सके। आर्य, श्रेष्ठ व्यक्ति अथवा नेक इन्सान को कहते हैं। नेक इन्सान बनना बुरी बात नहीं है। वेद भी ‘‘मनुर्भव’’ के सन्देश द्वारा हमें नेक इंसान अर्थात मनुष्य अथवा आर्य बनने की बात कह रहा है। पर हम मनुष्य न बनकर हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,बौध, जैन, पारसी आदि सम्प्रदायवादी बन बैठे। और फिर अपने-अपने सम्प्रदाय को बढ़ाने और दूसरे सम्प्रदायों को मिटाने पर तुल गये। यद्यपि अल्लामा इकबाल ने कहा था ‘‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’’ पर वास्तविकता यह है कि बैर-विरोध तथा वैमनस्यता आदि सभी मजहब के कारण ही होते हैं। विश्व में जितना रक्तपात मजहब के नाम पर हुआ है उतना किसी अन्य पर नहीं हुआ। आज भी विश्वव्यापी आतंकवाद के पीछे मजहब ही तो कार्य कर रहा है। वेद ही एकमात्र ऐसा ज्ञान है जो सम्प्रदायवाद से बचा हुआ है। इसका कारण यह है कि वेद का ज्ञान सृष्टि के आदि में उस समय दिया गया जब किसी मत या पंथ का उदय ही नहीं हुआ था। यदि विश्व को साम्प्रदायिकता की अग्नि से बचाना है तो हमें सम्प्रदायों के जन्म के पूर्व की स्थिति लानी होगी अर्थात वैदिक युग में लौटना होगा। तभी विश्वबंधुत्व की भावनाएं पनप सकतीं हैं। समूचे विश्व

में शांति कायम हो सकती है और तभी सच्चा भाई-चारा पनप सकता है। आज की इस विकट समस्या को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि हमें संसार के समक्ष वैदिक काल की विशेषताओं को बड़े ही प्रभावशाली वैज्ञानिक तरीके से रखना होगा। विश्व के प्रमुख संप्रदायों में खुली बहस करानी होगी कि विश्व में शान्ति किस प्रकार से स्थापित की जा सकती है। तभी यह साबित हो सकता है कि विश्व शान्ति का संदेश केवल वैदिक विचारधारा ही दे सकती है।
समाधान ऐसे निकल सकता है?
विश्व आर्य कैसे बने? अब इस पर मनन करना चाहिए। हम यह मानकर चलते हैं कि विश्व को आर्य बनाने का कार्य बहुत ही दुष्कर एवं कठिन है किन्तु हमारी भी सुदृढ़ मान्यता है कि कठिन कार्य भी करने से ही सरल हुआ करते हैं स्वत: नहीं। यदि हम प्रयत्न नहीं करेंगे तो कार्य स्वत: तो हो नहीं जाएगा। अत: विश्व को आर्य बनाने के लिए हमें कठिनाइयों की परवाह किए बिना हमें अपने कर्तव्य पर डट जाना होगा। सबसे पहले हमें स्वयं को आर्य बनाना होगा क्योंकि हम सुधरेंगे जग सुधरेगा की कहावत चरितार्थ होगी और एक दिन कृण्वन्तो विश्वमाय्र्यम का सपना पूरा होगा। नीतिकार का कहना है:-
प्रत्यहं प्रत्यवेक्षेत नरश्चरितात्मन:। किन्नु मे पशुभिस्तुल्यं किन्नु सत्पुरुषैरति।।
अर्थात नित्य प्रति हम आत्म-निरीक्षण के द्वारा यह जांच-पड़ताल करें और देखें कि हम मानव तो ही हैं कहीं दानव तो नहीं बनते जा रहे हैं। इसके लिए अपनी आत्मा को जगाना होगा और जगाए रखना ही होगा।
आर्य समाज का दायित्व
चूंकि महर्षि दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना संसार में वैदिक धर्म की स्थापना द्वारा विश्व को आर्य बनाने के लिए की थी, अत: आर्यसमाज का यह दायित्व है कि वह अपने उद्देश्य
की पूर्ति के लिए अधिक सक्रिय हो। महर्षि को आर्यसमाज से बहुत आशायें एवं आकांक्षायें थीं। उन्होंने कहा था कि मेरे शिष्य सभी आर्यसमाजिक हैं। वे ही मेरे विश्वास और भरोसे के भव्य भवन हैं। उन्हें के पुरुषार्थ पर मेरे कार्योँ की पूर्ति और मनोरथों की सफलता अवलम्बित है। आर्य समाज सोचे कि वह महर्षि के मनोरथों की सफलता हेतु कितना प्रयत्नशील है? यदि आर्यसमाज

महर्षि के मनोरथों की सिद्धि चाहता है तो उसे संसार में वैदिक धर्म का प्रचार करना ही होगा। क्योंकि संसार भर का धर्म एक ही है और वह है वैदिक धर्म। अन्य सभी तो मत, मजहब,पंथ अथवा संप्रदाय हैं। इन्हीं के मायाजाल में फंसकर विश्व आर्य नहीं बन पा रहा है।
महर्षि इन मतों-पंथों के रगड़े-झगड़े मिटाने को आये थे। आर्य समाज को भी इन झगड़ों से ऊपर उठकर विशुद्ध मानवतावादी दृष्टिकोण के अपनाते हुए विशुद्ध धर्म का प्रचार करना चाहिए। आर्य समाज को अपना प्रचार कम,वेद का अधिक करना चाहिए जबकि हो यह रहा कि अपनी उपलब्धियों का प्रचार अधिक और वेद का प्रचार कम हो रहा है। यदि आर्य समाज वेद के प्रचार में अधिक उत्साह दिखाता है तो आज स्थिति कुछ और ही होती।
आर्य समाज की प्रचार सामग्री अपने नेताओं के चित्रों एवं उनके दौरे आदि से पटी रहतीं हैं जो असल उद्देश्य से बहुत दूर हैं। जब वे वेद की शिक्षाओं को प्रकाशित नहीं करेंगे तो वेद का प्रचार-प्रसार कैसे होगा और महर्षि दयानन्द के मनोरथ की सिद्धि कैसे हो सकेगी।
आर्य समाजी भी सभाओं पर अपना अधिकार जमाने में ही अपनी शक्ति का व्यय करते रहते हैं, वेद के प्रचार में नहीं। फिर कोरे जयघोषों से विश्व आर्य बनने से रहा। अत: आर्य समाज को चाहिए कि वह अपनी शक्ति व्यर्थ के मुकदमेबाजी में व्यय न करके महर्षि के सपने को साकार करने में लगायें। आर्य समाज को चाहिए कि वह स्थान-स्थान पर वेद विद्यालयों की स्थापना करें ओर वेद के उपदेशक तैयार करे। और फिर वेद की शिक्षाओं को जन-सामान्य तक पहुंचाने में जुट जाये। हमें विश्व-मानवता को वेद के झण्डे तले लाने के लिए कोई ठोस व्यवहारिक एवं कारगर योजना को कार्यान्वित करने के लिए अपने सम्पूर्ण मतभेद भुलाकर सर्वात्मना जुट जाना होगा। तभी हमें सफलता मिल सकती है। यह कार्य आर्य समाज के अतिरिक्त कोई भी नहंीं कर सकता। कृण्वन्तो विश्वमाय्र्यम का उद्घोष आर्य समाज का ही है तो आर्य समाज का ही दायित्व बनता है कि वह आगे बढ़ कर इस ओर प्रयत्न करे तथा विश्व को आर्य बनाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन पूर्ण जिम्मेदारी से करे।  अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करना आर्य समाज का नियम है। यदि आर्य समाज इस नियम एवं उद्देश्य की पूर्ति में लग जाावे तो विश्व आर्य बन जायेगा। 

Friday, 7 April 2017

India Moves 12 Places up in Travel and Tourism

Dr. Mahesh Sharma, Minister of State (I/C) for Tourism & Culture shared the news about the improvement in ranking of India in the Travel and Tourism Competitive Index (TTCI) of World Economic Forum released on 5th April 2017 with media persons here today.  India has moved 12 places up in this ranking from 52nd to 40th position. He acknowledged the vision, guidance and support of Prime Minister for the tourism sector of the country that is the driving force and motivation for all of us to continuously work for the growth of Tourism in India.
The tourism sector in the country has been on a growth trajectory since the present government came into power in May, 2014. India’s ranking in the Travel and Tourism Competitive Index (TTCI) of World Economic Forum moved from 65rd position to 52nd position in 2015. Now India has moved up by another 12 positions and ranked at 40th position.  In all, in last three years India has cumulatively improved its ranking by 25 places which is a significant achievement.
India continues to charm international tourists with its vast cultural and natural resources with a ranking of 9th and 24th respectively which are the USP’s of Indian Tourism product. In terms of price competitiveness advantage, we are ranked 10th.
India continues to enrich its cultural resources, protecting more cultural sites and intangible expressions through UNESCO World Heritage lists, and via a greater digital presence.
In terms of International openness,  India is ranked 55th, up by 14 places. This has been possible through stronger visa policies. Implementing both visas on arrival and e-visas, has enabled India to rise through the ranks.

जीएसटी के क्या हैं नये नियम-कानून

भारत सरकार के अलावा सभी करो (टैक्स) को समाहित कर जीएसटी में शामिल किया है। जीएसटी एक्ट 2016 के अनुसार अब यह सारे टैक्स एक बार में जमा हो जाया करेंगे। इससे व्यापारी को फालतू के झंझट से छुटकारा मिलेगा, वहीं धन की भी बचत होगी। जीएसटी मानी गुड्स सर्विस एक्ट के प्रभावी होने से अब कारोबारी चाहे छोटा हो या फिर बड़ा सभी इसके दायरे में आएंगे। जीएसटी पर प्रकाश डाल रहे हैं हमारे विशेषज्ञ सीए अतुल शर्मा। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
सवाल जीएसटी क्या है, इसमें सभी टैक्स शामिल है?
जवाब: जीएसटी का शाब्दिक अर्थ है गुड्स सर्विस टैक्स। इसमें आयकर (इनकम टैक्स) को छोडक़र सभी टैक्स शामिल किए गए हैं। एक्साइज (उत्पादन कर) सर्विस टैक्स (सेवा कर) सैल्स टैक्स (बिक्री कर) एंटरटेनमेंट टैक्स (मनोरंजन कर) और एंट्री टैक्स (प्रवेश शुल्क) मुख्यत: टैक्स जीएसटी में आते हैं।
सवाल: जीएसटी में पुराने कारोबारी किस तरह से कनवर्ट हो पाएंगे?
जवाब: ऐसे कारोबारी जिन्होंने उक्त टैक्सों एक्साइज,सर्विस,सैल्स टैक्स, एंटरटेनमेंट और एंट्री टैक्सेस में रजिस्ट्रेशन करवा रखे हैं। अब वे रजिस्ट्रेशन जीएसटी में कनवर्ट हो रहे हैं। इसके लिए जीएसटी जीओवी डॉट इन पर एनरोलमेंन्ट का प्रावधान है। रजिस्ट्रेशन कनवर्ट के लिए डिजिटल सिग्नेचर या ई साइन जरूर चाहिए।
सवाल: जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कनवर्ट होने बाद क्या स्टेज आती है?
जवार्ब: जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कनवर्ट होने के बाद एआरएन-एकनॉलेजमेंट रिस्पर नंबर प्राप्त होता है। प्रत्येक राज्य के लिए रजिस्ट्रेशन परिवर्तित कराने की समय सीमा अलग-अलग होती है। एआरएन के बाद डाक्यूमेंट अपलोड किए जाते हैं। इसमें रिटर्न का भी प्रावधान है। रिटर्न के लिए 10-15 और 20 दिन का समय भी दिया जाता है। ये जीएसटी रिटर्न है जब इनकम टैक्स रिटर्न अलग होती है जो वार्षिक होती है।
सवाल: नए कारोबारी के जीएसटी रजिस्ट्रेशन की क्या प्रक्रिया है?
जवाब: बिलकुल सही। प्रत्येक व्यक्ति,संस्था, प्रतिष्ठान अर्थात ऐसा समूह जो किसी भी काम धंधे से जुड़ा है। जीएसटी उन सब पर लागू है। जीएसटी में नया रजिस्ट्रेशन फार्म -जीएसटी आरईजी-6 संबंधित विभाग द्वारा जारी किया जाता है। विभाग का  मतलब जैसे सैल्स टैक्स, सर्विस टैक्स,एक्साइज या एंटरटेनमेंट आदि। नए रजिस्ट्रेशन के लिए पेन कार्ड, मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी ये तीनों चीजें जरूरी हैं। अपलोड करने के बाद ओ टीपी कोड फोन पर या ई-मेल पर आते हैं। इनके माध्यम से यूजर आईडी और पासवर्ड निकल कर आते हैं। इन डाक्यूमेंट्स के बाद डिपार्टमेंट वैलीडेशन की जांच करता है और फिर तीन कार्य दिवसों के दौरान पंजीयन यानी जीएसटी इन जारी कर दिया जाता है।
सवाल: अलग-अलग कार्य के लिए अलग-अलग जीएसटी इन लेना होता है?
जवाब: बिलकुल। एक जीएसटी इन से काम नहीं चलने वाला। रेस्टोरेंट के लिए अलग ड्राइक्लीन के लिए अलग तो सिक्योरिटी सर्विस और लेबर कान्ट्रेक्ट के लिए अलग-अलग जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने होंगे।
सवाल: जीएसटी रिटर्न में पैनल्टी का प्रावधान है?
जवाब: जीएसटी एक्ट-2016 के सेक्शन 42 में देरी से रिटर्न फाइल करने का 100 रुपये प्रतिदिन पैनल्टी का प्रावधान है और यह पैनल्टी 5000 रुपये तक हो सकती है।
सवाल: जीएसटी की दरें क्या हैं?
जवाब: जीएसटी की सामान्य दर 18 प्रतिशत है जबकि सरकार ने कारोबार को कई श्रेणियों में बांटा है। यदि हम कोई माल विदेशों को निर्यात करते हैं उस पर कोई टैक्स नहीं अर्थात विदेशी निर्यात पर जीएसटी की दर शून्य है जबकि मूल्यवान वस्तुओं जैसे सोना-चांदी, हीरा और जवाहरात पर जीएसटी 5 प्रतिशत लिया जाएगा। आवश्यक वस्तु खान-पान और दवाओं पर जीसटी 12 प्रतिशत लिया जाएगा। इसी प्रकार पान मसाला उत्पादों पर जीएसटी 28 प्रतिशत, शराब अल्कोहल पर 40 प्रतिशत और तंबाकू गुटखा पदार्थ पर 65 प्रतिशत जीएसटी लिया जाएगा। आटोमोबाइल्स कार पर जीएसटी 18 प्रतिशत  और लग्जरी स्पोर्ट कारों पर जीएसटी की दल 28 प्रतिशत होगी। इनके अलावा जो उत्पाद होंगे वह जीएसटी की सामान्य दर 18 प्रतिशत में आएंगे।

Monday, 3 April 2017

'Mission: Impossible 6': Tom Cruise to shoot in Mumbai

According to Mid Day,Hollywood star Tom Cruise is expected to arrive in India in October for two major schedules to shoot portions of sixth instalment of 'Mission Impossible'; a desi stunt director may call the shots
Although Hollywood megastar Tom Cruise wasn't part of the Indian schedule of 'Mission: Impossible – Ghost Protocol' in 2011, with a body double enacting his portions alongside Anil Kapoor in Mumbai and Bangalore, reports of the actor arriving here to shoot for the sixth instalment have been fast gaining credence.
A source close to the production tells mid-day, "The team will shoot in India for a month, later this year."
Also read: Henry Cavill joins Tom Cruise in 'Mission: Impossible 6'
The locations will be chosen depending on the stunts conceived. Of the cities being considered, Mumbai will be a prime location [for filming]. They're also looking at Rajasthan and Kerala, but details are yet to be finalised. From a co-ordination point of view, [shooting in Mumbai] makes work easier for the crew."
The Hollywood unit will recruit the Indian crew that was associated with the 2011 instalment, and arrive here for a month-long recce in June. Filming will kick-off in Paris, followed by a schedule in London, after which, Tom is expected to arrive in India in October for two major schedules. "The details of the Indian schedule will be finalised after the first meeting with the [Indian] crew. The [Hollywood] team is also in talks with Mumbai-based casting agents to scout for local talent for the film's supporting cast," says another source, adding that the unit will consider approaching an all-Indian art direction and styling team and a leading Indian stunt director. "With a good portion of outdoor shots, India will make more than a blink-and-miss appearance this time," the source adds.

Sunday, 2 April 2017

Now Guranteed tourism can start in Jammu & Kashmir

Inauguration of Chenani - Nashri Tunnel in Jammu & Kashmir on 02 April, 2017


This is the inauguration of the longest tunnel in India, I have done the rituals, but I want all the citizens present here today, they all meet and inaugurate this tunnel and tell me the way to inaugurate. All you have to do is take out your mobile phone, simultaneously flash your mobile phone and with the sound of Bharat Mata's jai, see all the cameras are taking your photo now! Get rid of everything that's mobile. Everyone will flash your mobile What a wonderful sight! I am looking at the amazing sight in front of me and in this true sense, this tunnel has been inaugurated by flash of your mobile. The whole of India is watching it.

Bharat Mata Ki Jay

Bharat Mata Ki Jay

Brothers, sisters, Navratri is celebrating the holy festivities and have given me this opportunity to come at the feet of the mother, this is a good fortune for me. Right now, Nitin Gadkari was telling us that this tunnel has been created in accordance with the standard of the world. He said, in some respects, we are a step forward somewhere from the standards of the world. I congratulate Nitin Gadkari on the whole team of his department, heartily congratulate him. He has succeeded in fulfilling this task in a time bound manner using modern technology. But brothers, sisters, this is not just a long tunnel. This is not the only long tunnel to reduce the distance between Jammu and Srinagar. This long tunnel is a long leap of development for Jammu and Kashmir, I am clearly watching.

Brothers, sisters, in India, this Tunnel will be discussed, but I believe that the world's environmentalists are concerned about climate change, Global Warming, discusses; The construction of this tunnel for them is a big news, a big new hope. If there were any tunnels in any other corner of India, the environmentalists were less likely to get the attention. But by hatching these tunnels in the Himalayas' kokh, we have also done the task of protecting the Himalayas, we have worked to protect the environment, India has sent a message to the troubled world with the Global Warming that by making these tunnels in the Himalaya chest An important attempt to protect the Himalaya's natural defense has been successfully completed by the Government of India today.

Brothers, sisters, these tunnels are made at the cost of thousands of crores. But today I say proudly, even if it may have taken the money of the Indian government in the construction of this tunnel, but I am happy that in the construction of this tunnel the sweat of the youth of J & K with the Indian government's money It's smelling. More than two and a half thousand youth, 90 percent of Jammu and Kashmir's jawans belong to Jammu and Kashmir; Who constructed this tunnel by working. We can predict how many opportunities of employment were present.

And the young men, sisters, J & K youth who cut these stones and made the tunnel, working hard for more than a thousand days, they kept cutting stones and building the tunnel. I want to tell the youth of the Kashmir Valley, what is the power of stone; On one side, some strayed young men are engaged in stone cutting; on the other hand, the young men of Kashmir are engaged in cutting the stone and making the fortune of Kashmir.

Brothers, sisters, these tunnels are about to play their historical role in creating a new history of tourism in the Kashmir Valley. Travelers get disturbed by the news of tourist inconveniences. There is snowfall on Patnitop, 5 days have closed way, if tourist is stuck, do not dare to visit Tourist again. But brothers, sisters, now because of this tunnel, people who want to come from the corners of the country as a passenger in the Kashmir Valley; They will not face these crises, they will be able to reach Srinagar directly.

I want to say to the people of Kashmir Valley, this tunnel may be good between Udhampur-Ramban, but this is the fate of Kashmir Valley; Do not forget this ever. This fortune line of the Kashmir Valley is because my farmer brother of Kashmir Valley sweats day and night between natural disasters, works in fields, works in the garden. According to the requirement, it has been rains, the weather has been as per requirement, the crop is very good, the fruits should be ready for sale in the Delhi market, but if it is closed for five days in the same place, more than half the fruit is ruined. Are done. After reaching Delhi, the earnings of the entire hard work gets in the water. For the farmers of the Kashmir valley, this sunshine has become a boon. When he will reach his crop, his fruits, his flowers, his vegetable market in Delhi at the appointed time; The loss that would have cost him the loss will not be there now; These benefits are to be given to the Kashmir Valley.

Brothers, sisters, every citizen of India, has a dream in his mind; Sometimes it's time to see Kashmir. He wants to come in these pledges by becoming a tourist. And the infrastructure that we have taken up, the convenience of visiting tourists from the corner of India, is going to be a guaranteed tourism, and the more tourism will grow, the economic condition of Jammu and Kashmir will be left behind all over India. Will leave; This is my faith.

Brothers, sisters, I want to say to the young people of the valley, there are two ways in front of you

Technology is playing a key role in this century,says PM

The Prime Minister Narendra Modi, today addressed the valedictory ceremony of the Sesquicentennial Celebrations of the Allahabad High Court.
Speaking on the occasion, he said the Allahabad High Court is like a place of pilgrimage for our judiciary. He said those associated with the legal profession also played a vital role in our freedom struggle, and protected our people against colonialism.
He urged people to think about the India we want to create when we mark 75 years of freedom in 2022. He said every citizen should prepare a roadmap towards it. The Prime Minister said that about 1200 obsolete laws have been scrapped by the Union Government since May 2014. He said technology is playing a key role in this century and there is a lot of scope for its use in the judiciary as well. He urged those involved in the startup sector to innovate on aspects where technology can help the judiciary.