बांग्लादेश से पहले ये पूर्वी बंगाल और पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। भारत से विभाजन से पूर्व यह क्षेत्र पूर्वी बंगाल के रूप में जाना जाता था। इस क्षेत्र में उस समय 23 प्रतिशत हिन्दू रहा करते थे। इस क्षेत्र में तब शांति थी और विकास था। ढाका की मलमल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थी। इसके बाद जैसे ही देश की आजादी के समय बंटवारा हुआ। उस समय भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय हिन्दूओं का कत्लेआम यानी दुनिया का सबसे बड़ा नरसंहार हुआ।
बांग्लादेश बनने तक दस प्रतिशत हिन्दू घटे थे
पूर्वी बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान बनने के समय इस क्षेत्र में 23 प्रतिशत हिन्दू थे, जिन पर खूलेआम अत्याचार और खदेड़ने की कार्रवाई चलती रहीं। इससे हिन्दू मजबूरी में पलायन करता रहा। इस क्षेत्र की विशाल सीमाएं भारत से लगीं थीं। जिन पर पूरी तरह से सतर्कता नहीं बरती जा सकी। इसका नतीजा यह हुआ कि मुस्लिमों के सताये गये हिन्दुओं ने अपनी जान बचाकर भारत में अवैध रूप से प्रवेश कर गये। हिन्दुओं पर यह अत्याचार लगातार चलता रहा। भारी उथल-पुथल के बीच जब यह क्षेत्र पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त होकर बांग्लादेश बना तब भारी संख्या में बांग्लादेशी हिन्दू ने भारत में डेरा डाल लिया। उसके बाद भी वहां पर 13 प्रतिशत हिन्दू था।
चार साल की शांति के बाद फिर शुरू हो गया हिन्दुओं का उत्पीड़न
बांग्लादेश के बनने के चार साल बाद तक तो शेख मुजीबुर्रहमान के शासन में हिन्दुओं को थोड़ी राहत व सम्मान मिला। 1975 में रक्त क्रांति में जब शेख मुजीबुर्रहमान के परिवार, साथी संगी तथा स्टाफ की सामूहिक हत्या के बाद सैनिक राज आया तो हिन्दुओं पर फिर कहर टूटा। उसके बाद हिन्दुओं पर अत्याचार लगातार 15 साल तक चलता रहा। चाहे जिया उर रहमान की सरकार रही हो चाहे जनरल इरशाद की सरकार रही हो हिन्दूओं पर जुल्म ढाये जाते रहे और हिन्दू लगातार भारत में आते रहे।
वर्तमान समय में केवल 8 प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं बांग्लादेश में
तख्ता पलट के बाद हाल की हिंसा में हिन्दुओं पर फिर अत्याचार किये गये। एक बार फिर लाखों हिन्दुओं ने अपना बोरिया बिस्तर समेट कर भारत की ओर रुख किया है। भले ही सीमाएं सील हों। भारत की ओर से सीमाओं पर सतर्कता बढ़ा दी गयी हो लेकिन हिन्दुओं का भारत में आने का सिलसिला अभी जारी है।
जितने हिन्दू बांग्लादेश में है, उतने ही भारत में आ चुके हैं
एक सर्वेक्षण में यह बताया जा रहा है कि बांग्लादेश से पिछले 50 साल में एक करोड़ दो लाख हिन्दु भारत में शरणार्थी या घुसपैठ करके आ चुके हैं बताया जा रहा है कि बांग्लादेश में अब इतने ही हिन्दू बचे हैं। अब सवाल उठता है कि पूर्वी बंगाल के 23 प्रतिशत हिन्दू अब बांग्लादेश के 8 प्रतिशत ही रह गये हैं। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि ये 15 प्रतिशत हिन्दू कहां गये।