ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। माहे रमजान बहुत ही बरकतों का महीना है। इस माह में खास अल्लाह की रहमत बंदो की तरफ नाजिल होती है। इस माहे मुबारक का क्या कहना, इसकी शान बहुत ही बुलंद है। इस माह में इबादत का शबाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है। अगर कोई एक पैसा खर्च करे तो अल्लाह उसको 70 का शबाब अता फरमाता है। यह कहना है सूरजपुर स्थित चांद मस्जिद के इमाम ताहिर हुसैन का।
उन्होंने फरमाया कि ये माहे मुबारक गुनाहों से तौबा करने का खास महीना है। उन्होंने कहा कि ये रोजे की बरकत है कि रोजेदार के लिए हर चीज अल्लाह की बारागाह में दुआ करती है।
मसलन जब इंसान सोया होता है और सहरी के लिए बेदार होता है तो बिस्तर भी उसके लिए दुआए मगफिरत करता है। यहां तक कि जब वो उठ जाता है और कपड़े पहनता हैतो कपड़े भी उसके लिए दुआ करते हैं, जब वो बजू के लिए बर्तन उठाता है तो वह बर्तन भी उसके लिए दुआ करता है। यहां तक कि वो सहरी करता है तो खाना भी उसके लिए दुआ करता है। रमजान शरीफ में हर तरफ से बंदे के लिए भलाई ही भलाई लिखी जाती है। यहां तक कि अगर कोई गुनाह करता है तो वह उसके अपने नब्ज की चाल है। हदीस-ए-पाक में आता है कि शैतान को कैद कर दिया जाता है, जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस माहे मुबारक में एक रात ऐसी भी आती है जिसमें इबादत करना हजार महीने से ज्यादा अफजल है। वो रात शबे कद्र है। हदीस-ए-पाक में आता है कि शबे कद्र को आखिरी ताक रातों में तलाश करो। उन्होंने कहा कि 21 वीं रात, 23 वीं रात, 25 वीं रात,27 वीं रात और 29 वीं रात में से एक शबे कद्र की रात होती है। जो इसको पा जाए उसे उस रात में अल्लाह की बारगाह में रो-रो कर, गिड़गिड़ाकर अपने गुनाहो बख्शीश चाहे तो उसे कर ले।
उन्होंने कहा कि इस रमजान शरीफ की बरकत से अल्लाह आलमे दुनिया में अमन कायम फरमाए। दिलखुशूश हमारे हिन्दुस्तान के अन्दर अमन कायम फरमाए और अल्लाहताला हमारे मुल्क हिन्दुस्तार में खुशहाली अता फरमाए। इत्तिफाक-इत्तिहाद फरमाए।
उन्होंने फरमाया कि ये माहे मुबारक गुनाहों से तौबा करने का खास महीना है। उन्होंने कहा कि ये रोजे की बरकत है कि रोजेदार के लिए हर चीज अल्लाह की बारागाह में दुआ करती है।
मसलन जब इंसान सोया होता है और सहरी के लिए बेदार होता है तो बिस्तर भी उसके लिए दुआए मगफिरत करता है। यहां तक कि जब वो उठ जाता है और कपड़े पहनता हैतो कपड़े भी उसके लिए दुआ करते हैं, जब वो बजू के लिए बर्तन उठाता है तो वह बर्तन भी उसके लिए दुआ करता है। यहां तक कि वो सहरी करता है तो खाना भी उसके लिए दुआ करता है। रमजान शरीफ में हर तरफ से बंदे के लिए भलाई ही भलाई लिखी जाती है। यहां तक कि अगर कोई गुनाह करता है तो वह उसके अपने नब्ज की चाल है। हदीस-ए-पाक में आता है कि शैतान को कैद कर दिया जाता है, जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस माहे मुबारक में एक रात ऐसी भी आती है जिसमें इबादत करना हजार महीने से ज्यादा अफजल है। वो रात शबे कद्र है। हदीस-ए-पाक में आता है कि शबे कद्र को आखिरी ताक रातों में तलाश करो। उन्होंने कहा कि 21 वीं रात, 23 वीं रात, 25 वीं रात,27 वीं रात और 29 वीं रात में से एक शबे कद्र की रात होती है। जो इसको पा जाए उसे उस रात में अल्लाह की बारगाह में रो-रो कर, गिड़गिड़ाकर अपने गुनाहो बख्शीश चाहे तो उसे कर ले।
उन्होंने कहा कि इस रमजान शरीफ की बरकत से अल्लाह आलमे दुनिया में अमन कायम फरमाए। दिलखुशूश हमारे हिन्दुस्तान के अन्दर अमन कायम फरमाए और अल्लाहताला हमारे मुल्क हिन्दुस्तार में खुशहाली अता फरमाए। इत्तिफाक-इत्तिहाद फरमाए।
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