जब हम सृष्टि के विकास की बात करते हैं तो इसका मतलब है जीव, जंतु या मानव की उत्पत्ति से होता है। सृष्टि के विकास की चर्चा ऋषि कश्यप से शुरू होती है। हालांकि सुर-असुरों के मूल पुरुष ऋषि कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहाँ वे परब्रह्म परमात्मा के ध्यान में लीन रहते थे। समस्त देव, दानव एवं मानव ऋषि कश्यप की आज्ञा का पालन करते थे। इन मूल पुरुष कश्यप ने अपने आज्ञा पालन करने वालों को अपना नाम दे दिया। इस प्रकार से कश्यप परिवार का सबसे अधिक विस्तार हुआ। सप्तर्षि गणों में से एक वैदिक ऋषि कश्यप एक ऐसे ऋषि थे जिन्होंने हमें आदित्य देवता, दैत्य-दानव,खुर वाले अश्व आदि पशु, गन्धर्व, राक्षस, वृक्ष, अप्सरा, सर्प,गौ-महिष व श्वापद हिंसक पशुओं से परिचय कराया। कश्यप ऋषि ने ही सर्वप्रथम इन सभी मानव,जीव-जंतु आदि के प्रथम पुरुषों को अपना नाम 'कश्यपÓ दिया। इसलिए कश्यप ऋषि को ब्रह्माजी के बाद सृष्टि का विकासकर्ता माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऋषि कश्यप और राजा दक्ष ने मिलकर सृष्टि के तमाम जीव-जंतुओं की खोज कर हमारा मार्गदर्शन किया। पुराणों के अनुसार एक कश्यप ऋषि ने बहुत सी स्त्रियों से विवाह कर अपने कुल का विस्तार किया था, जिसमें आदित्य देवता, दैत्य-दानव,खुर वाले अश्व आदि पशु, गन्धर्व, राक्षस, वृक्ष, अप्सरा, सर्प,गौ-महिष व श्वापद हिंसक पशु शामिल थे । यह सत्य नहीं माना जा सकता। यहां पर थोड़ा भ्रम है। दक्ष प्रजापति की विभिन्न वर्ग की 17 कन्याओं से विवाह करने वाले पुरुष कश्यप भी सत्रह ही थे। ये सभी अपने-अपने वर्ग के प्रथम पुरुष वर्ग के मानव,जीव-जन्तु, वृक्ष,लताएं आदि थे।
शतपथ ब्राह्मण में प्रजापति को कश्यप कहा गया है
स यत्कुर्मो नाम। प्रजापति: प्रजा असृजत।
यदसृजत् अकरोत् तद् यदकरोत् तस्मात् कूर्म:
कश्यपो वै कूम्र्स्तस्मादाहु: सर्वा: प्रजा: कश्यप:।
ब्रह्मा के छह मानस पुत्रों में से एक मरीचि थे जिन्होंने अपनी इच्छा से कश्यप नामक प्रजापति पुत्र उत्पन्न
किया। ऐतरेय ब्राह्मणों ने कश्यपों का सम्बन्ध विभिन्न वर्गों के जीव-जन्तुओं, मानव-दानव, देव-दैत्य, अप्सरा,गौ-महिष,हिंसक पशु आदि वर्ग के प्रथम नर से बताया है। इन सभी कश्यपों की अपनी-अपनी
बारह भार्याएँ थीं। उनके नाम हैं: अदिति, दनु, विनता, अरष्ठा, कद्रु, सुरशा, खशा, सुरभी, ताम्रा, क्रोधवशा, इरा और मुनि इन से सब सृष्टि हुई।
ऋषि कश्यप ब्रह्माजी के मानस पुत्र मरीचि के विद्वान पुत्र थे। मान्यता अनुसार इन्हें अनिष्टनेमी के नाम से भी जाना जाता है। इनकी माता कला कर्दम ऋषि की पुत्री और कपिल देव की बहन थी।
कश्यप को ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माना गया हैं। हम सभी उन्हीं की संतानें हैं। माना जाता है कि सृष्टि की रचना और विकास के काल में धरती पर सर्वप्रथम भगवान ब्रह्माजी प्रकट हुए। ब्रह्माजी से दक्ष प्रजापति का जन्म हुआ। ब्रह्माजी के निवेदन पर दक्ष प्रजापति ने अपनी पत्नी असिक्नी के गर्भ से 66 कन्याएँ पैदा की। मुख्यत: इन्हीं कन्याओं से सृष्टि का विकास हुआ और कश्यप सृष्टिकर्ता कहलाए। ऋषि कश्यप सप्तऋषियों में प्रमुख माने जाते हैं। सातवें मन्वन्तर में सप्तर्षि इस प्रकार रहे हैं. वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।
आदित्य वर्ग के कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से बारह आदित्यों को जन्म दिया, जिनमें भगवान नारायण का वामन अवतार भी शामिल था। माना जाता है कि चाक्षुष मन्वन्तर काल में तुषित नामक बारह श्रेष्ठगणों ने बारह आदित्यों के रूप में जन्म लिया, जो कि इस प्रकार थे, विवस्वान, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम,भगवान वामन।
सूर्यवंशी ऋषि कश्यप के पुत्र विस्वान से मनु का जन्म हुआ। महाराज मनु को इक्ष्वाकु, नृग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त,प्रान्शु, नाभाग, दिष्ट, करूष और पृषध्र नामक दस श्रेष्ठ पुत्रों की प्राप्ति हुई।
राक्षस वर्ग के ऋषि कश्यप ने दिति के गर्भ से हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष नामक दो पुत्र एवं सिंहिका नामक एक पुत्री को जन्म दिया। इन तीन संतानों के अलावा दिति के गर्भ से 49 अन्य पुत्रों का जन्म भी हुआ, जो कि मरुन्दण कहलाए। कश्यप के ये पुत्र निसंतान रहे। जबकि हिरण्यकश्यप के चार पुत्र थे, अनुहल्लाद, हल्लाद, भक्त प्रह्लाद और संहल्लाद। दैत्य वर्ग के ऋषि कश्यप को उनकी पत्नी दनु के गर्भ से द्विमुर्धा, शम्बर, अरिष्ट, हयग्रीव, विभावसु, अरुण, अनुतापन, धूम्रकेश, विरूपाक्ष, दुर्जय, अयोमुख, शंकुशिरा, कपिल, शंकर, एकचक्र, महाबाहु, तारक, महाबल, स्वर्भानु, वृषपर्वा, महाबली पुलोम और विप्रचिति आदि 61 महान पुत्रों की प्राप्ति हुई। अन्य वर्ग के कश्यपों की रानियों में से रानी काष्ठा से घोड़े आदि एक खुर वाले पशु उत्पन्न हुए। पत्नी अरिष्टा से गंधर्व पैदा हुए। सुरसा नामक रानी से यातुधान राक्षस उत्पन्न हुए। इला से वृक्ष, लता आदि पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाली वनस्पतियों का जन्म हुआ। मुनि के गर्भ से अप्सराएँ जन्मीं। कश्यप की क्रोधवशा नामक रानी ने साँप,बिच्छु आदि विषैले जन्तु पैदा किए। ताम्रा ने बाज, गिद्ध आदि शिकारी पक्षियों को अपनी संतान के रूप में जन्म दिया। सुरभि ने भैंस, गाय तथा दो खुर वाले पशुओं की उत्पत्ति की। रानी सरसा ने बाघ आदि हिंसक जीवों को पैदा किया। तिमि ने जलचर जन्तुओं को अपनी संतान के रूप में उत्पन्न किया। रानी विनता के गर्भ से गरुड़ और वरुण पैदा हुए। कद्रू की कोख से बहुत से नागों की उत्पत्ति हुई, जिनमें प्रमुख आठ नाग थे.अनंत ;शेष, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक। रानी पतंगी से पक्षियों का जन्म हुआ। यामिनी के गर्भ से शलभों यानी पतंगों का जन्म हुआ।
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