प्रधानमंत्री मोदी के न्यू इंडिया के मिशन से उठे कई सवाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के 70 वें स्वतंत्रता दिवस पर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ ही 2022 तक न्यू इंडिया पर ज्यादा जोर देकर नया राजनीतिक पैंतरा चल रहे थे। राजनीतिज्ञों के बीच एक सवाल यह कौंध रहा है कि जब 2019 में देश में आम चुनाव होने जा रहे हैं तो पीएम मोदी 2022 पर ज्यादा जोर क्यों दे रहे हैं। क्या मोदी 2019 में नजदीकी जीत के बाद मध्यावधि चुनाव की संभावनाएं देख रहे हैं? हालांकि उन्होंने 1 जनवरी 2018 से चुनाव प्रचार करने के संकेत देते हुए कहा कि वह 18 साल के युवाओं से लेकर रोजगार व कारोबार करने वाले युवाओं को साथ लेकर चलेंगे। प्रधानमंत्री का इशारा नए वोटरों को अपने पाले में करने का था। इसके अलावा उन्होंने कश्मीर और आतंकवादियों के कांधे से भी एक तीर छोड़ा है। इस मुद्दे से हिन्दू वोटर जहां एक ओर झुकेंगे और दूसरी और मुस्लिम व अन्य धर्मों के मतों का ध्रुवीकरण हो सकता है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कश्मीरियों को कश्मीर में चली आ रही परंपरागत राजनीति से बाहर आने का संकेत दिया है और उन्हें हर तरह की सहायता देने का आश्वासन दिया है। साथ ही उन्होंने यह चेतावनी दी है कि यदि वे देश की मुख्य धारा में वापस आ जाएं वरना सरकार अपनी पूरी शक्ति से उनका दमन करने से पीछे नहीं हटेगी। साथ ही कालाधन और आयकर वंचकों को कड़ा संदेश देने के साथ ही गरीबों की हर तरह की मदद करने का भी आश्वासन दिया।
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