कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पार्टी के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि वह सरल स्वभाव के मालिक हैं तथा प्रयोग पर प्रयोग कर रहे हैं लेकिन लगता है कि अभी उनके राजनीति के सितारे साथ नहीं दे रहे हैं। इसके कई कारण है जैसा कि कांग्रेस पार्टी के पुराने सिपहसालार अब काम करने को तैयार नहीं हैं वो चाहते हैं कि इंदिरा,राजीव की तरह गांधी नाम के सहारे सत्ता हासिल की जाए। वस्तुत: बात ये है कि कांग्रेस के स्वर्णिमकाल जो कि लगभग 60 वर्ष के लगभग रहा। उसने इन नेताओं को आलसी व कामचोर बना दिया है। जनता के बीच जाकर संवाद करना उन्हें समय खराब करना जैसा लगता है तथा इन सीनियर नेताओं के चक्कर में युवा पीढ़ी अधेड़ अवस्था में पहुंच चुकी है। आज कांग्रेस की काम करने वाली युवा पीढ़ी का हौसला पस्त हो चुका है। कांग्रेस सिमटती जा रही है। इसके बावजूद वो चेतने को तैयार नहीं है। राहुल को हिन्दुओं के प्रति अपनी विचारधारा में दिल से बदलाव लाना होगा क्योंकि अब वक्त बदल चुका है अब आपको गांधी टाइटल का लाभ नहीं मिलेगा। आज का युवा काम चाहता है, युवा चाहते हैं कि सिर्फ मुसलमानों को ही महत्व न दे कांग्रेस हिन्दुओं को भी जोड़कर चले। दूसरे जिस बात ने उनका सबसे ज्यादा नुकसान किया है वो है सोशल मीडिया,सोशल मीडिया ने उनकी छवि कम बुद्धि के पप्पू की बना दी है।इसका भी राहुल को कुछ इंतजाम करना होगा तथा ज्यादा से ज्यादा युवाओं के भरोसे को जीतना होगा। युवाओं को मौका देना होगा। युवाओं के प्रोग्राम लाने होंगे। कांग्रेस को अपडेट करना होगा। दूसरे जो मुद्दे कांग्रेस के नेता उठायें उनमें सच्चाई हो, तार्किक हों, सिर्फ मीडिया द्वारा बनाये माहौल से कोई निर्णय न लें। पहले मुद्दे को सही जांच करें। 1 या 2 घंटे के उपवास से काम नहीं चलने वाला है।
अगर प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को साधकर टैक्स व अन्य मदों में व्यापारी वर्ग को कुछ रिलीफ दे दिया तथा युवाओं को रोजगार देकर माहौल बना दिया तो राम मंदिर, पाकिस्तान,जम्मू-कश्मीर,हिन्दुत्व तो भाजपा की ताकत हैं ही। इसकी काट भी राहुल गांधी को ढूंढनी होगी। राहुल को समझना होगा कि भारत को युवा धर्म तथा सुरक्षा को पहले स्थान पर रखना, विकास के बाद में मुद्दे बहुत हैं। बलात्कार, बेरोजगारी,जातिवाद,शिक्षा, महिला सुरक्षा, बीमार व गरीबों को इलाज, भ्रष्टाचार, जनसंख्या इन पर गंभीरतापूर्वक विचार करने वाली योग्य टीम को लगायें। उसके बाद 2019 में कुछ संभावना बन सकती है। अपने गठबंधन वाले दलों को अपनी मजबूती भी दिखानी होगी। उन्हें बताना होगा कि कांग्रेस ही भाजपा का केन्द्र में विकल्प बन सकती है। समस्या ये भी है कि कांग्रेस की सीनियर कहें या पुरानी पीढ़ी के नेता राहुल गांधी को अपना मानना ही चाहते हैं । उनकी सोच है कि राहुल गांधी को आज भी अनुभवहीन हैं लेकिन उन्हें समझना होगा कि ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी बेकार नहीं जाता है। जता सबको देखती है। राहुल गांधी निरन्तर मेहनत कर रहे हैं लेकिन उनको जो अपेक्षित सहयोग पार्टी नेताओं से मिलना चाहिये था वो मिल ही नहीं रहा है। कांग्रेस के पुराने नेताओं की खाल बहुत मोटी हो चुकी है वो अभी भी अपने को सरकार में समझते हैं। राहुल के जो लोग कांग्रेस छोड़कर जा चुके हैं उन्हें वापस बुलाना होगा तथा भाजपा व अन्य दलों के असंतुष्ट हैवीवेट जनाधार वाले नेताओं उचित समय देकर उनको पार्टी भी जोडकर 2019 के चुनावमें उनका इस्तेमाल करना होगा।
उपवास की गंभीरता को समझें
राहुल को धरातल पर रहकर समझना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक मजबूत जीवट वाले नेता हैं। इस समय उनका स्वर्णकाल चल रहा है, दूसरा आरएसएस,विहिप,बजरंग दल तथा अन्य हिन्दूवादी संगठनों की फौज है, जो जमीनी स्तर पर काम करके भाजपा के लिए माहौल बनाती रही है। कांग्रेस के सहयोगी दलों को भी साधना होगा। जिग्नेश, हृदयेश पटेल जैसे बरसाती ..... से बचना होगा। कांग्रेस को अपने संगठन के सेवादल, महिला मोर्चा, युवा कांग्रेस और सबसे महत्वपूर्ण छात्र संगठन को ऊर्जा देनी होगी। तुष्टिकरण व जातिवाद की राजनीति छोड़कर राष्ट्रवाद की बात करनी होगी। हवाई बयानबाजी से बचें। पूर्व की कुछ घटनाएं उनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं। फटा कुर्ता पहनकर बैंक की लाइन लगना, जमीन के अभियोगी प्रस्ताव को फाड़ना तथा मैं बोलूंगा तो भूकम्प आ जायेगा, चाय वाले, पकौड़े वाले इन बयानों से बचना होगा। इसमें पार्टी की छवि जनता में गंभीर नहीं रहीं है। इनका मखौल बनाती है तो विपक्ष को बैठे बिठाये मुद्दा मिल जाता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हों या प्रदेश स्तर के प्रवक्ता उनमें टीवी पर डिबेट के दौरान आत्म विश्वास की कमी साफ झलकती है।
भगवा व हिन्दू आतंकवाद पर कांग्रेस क्लीन बोल्ड?
सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी असीमानन्द, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित को मस्जिद व ट्रेन बमकांड से बरी कर कांग्रेस की हवा ही निकाल दी है। वास्तव में कांग्रेस के नेता केन्द्र सरकार के समय में सत्ता के मद में चूर होकर बयानबाजी कर रहे थे हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद इन शब्दों को ईजाद करने वाले कांग्रेस के कमांडेंट बैक मार चुके हैं। चाहे वो पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल, सुशील शिंदे, दिग्विजय सिंह आदि नेताओं ने अपने हिन्दू आतंकवाद व भगवा आतंकवाद का सम्बोधन करके अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार ली। इन आरोपों से भारत का बहुसंख्यक वर्ग नाराज हो गया जिसका नुकसान उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के रूप में भुगतना पड़ा और अब जिसका इन हिन्दूवादी नेताओं को सभी आरोपों से मुुक्त कर कोर्ट ने कहा कि हिन्दू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद कुछ नहीं है। आज बेकसूर ठहराये गये उन हिन्दूवादी नेताओं का जो समय जेलों में बीता जो-जो उन पर अत्याचार किये गये उनका कोई मुआवजा कोर्ट या सरकार उनको देगी। यह सही भी है कि अगर ये लोग बगैर अपराध किये जेल में रखे गये तो इन लोगों को कोर्ट केन्द्र सरकार को मुआवजा देने का आदेश दें तथा झूठे आरोप लगाने वालों को भी कोई सब मिल सके।
कांग्रेस को बदलना होगा अब जनता बदल चुकी है
कांग्रेस के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी को दोबारा स्थापित करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। वह गम्भीर व्यक्तित्व के स्वामी हैं तथा पार्टी को दोबारा खड़ा करना चाहते हैं लेकिन राहुल को पार्टी के सलाहकारों व चिन्तकों को बैठकर गम्भीरतापूर्वक मंथन करना होगा। वर्तमान युवाओं की समस्याओं को समझना होगा। इसबात को समझ जाना चाहिए कि आप 50, 60 या 70 के दशक की राजनीति अब नहीं कर सकते। सबसे बड़ी कमी कांग्रेस पार्टी की ये है कि पार्टी के सीनियर नेता कभी भी किसी आंदोलन अथवा धरना प्रदर्शन में गंभीर नहीं दिखाई देते। पार्टी के हैवीवेट नेता ही पार्टी की कमजोरी बन चुके हैं। चाहे वे मणिशंकर अय्यर हों अथवा कोई और राहुल गांधी को युवा टैलेंट को जिम्मेदारी देनी होगी तथा समय-समय पर अच्छे कार्यों के लिए युवाओं की पीठ थपथपानी होगी। एक परिवर्तन जो सामने आया है उसका लाभ निश्चित ही कांग्रेस पार्टी को मिलने जा रहा है, वह है राहुल जी का हिन्दुत्व के प्रति प्रेम तथा मन्दिरों व धार्मिक स्थलों पर जाकर बहुसंख्यक हिन्दुओं के मन में अपनी जगह बनानी कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के कारण यह हस्र होना ही था। आपको यह समझना ही होगा कि आप राजनीति कर रहे हैं जहां का हिन्दू समाज भारत का रीढ़ रहा है और है भी हिन्दू समाज ने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान किया है तथा सभी धर्मों को फलने फूलने का मौका दिया है लेकिन भारत की पहचान हिन्दू धर्म से है, हिन्द शब्द से ही हिन्दुस्तान बना है। मेरे इस लेख से हिन्दुओं को बढ़ावा न देकर कांग्रेस पार्टी के कर्णधारों को यह समझाना है कि आप हिन्दुओं को अलग करके मुस्लिम-मुस्लिम करके आगे राजनीति न कर पाओगे अब आपको सभी धर्मों को बराबर चश्मे से देखना होगा तथा समाज हित व राष्ट्रहित के मुद्दों को उठा कर जमीनी राजनीति करनी होगी। अब भठूरे खाकर उपवास नहीं चलेगा जनता जागरुक हो चुकी है।
अगर प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को साधकर टैक्स व अन्य मदों में व्यापारी वर्ग को कुछ रिलीफ दे दिया तथा युवाओं को रोजगार देकर माहौल बना दिया तो राम मंदिर, पाकिस्तान,जम्मू-कश्मीर,हिन्दुत्व तो भाजपा की ताकत हैं ही। इसकी काट भी राहुल गांधी को ढूंढनी होगी। राहुल को समझना होगा कि भारत को युवा धर्म तथा सुरक्षा को पहले स्थान पर रखना, विकास के बाद में मुद्दे बहुत हैं। बलात्कार, बेरोजगारी,जातिवाद,शिक्षा, महिला सुरक्षा, बीमार व गरीबों को इलाज, भ्रष्टाचार, जनसंख्या इन पर गंभीरतापूर्वक विचार करने वाली योग्य टीम को लगायें। उसके बाद 2019 में कुछ संभावना बन सकती है। अपने गठबंधन वाले दलों को अपनी मजबूती भी दिखानी होगी। उन्हें बताना होगा कि कांग्रेस ही भाजपा का केन्द्र में विकल्प बन सकती है। समस्या ये भी है कि कांग्रेस की सीनियर कहें या पुरानी पीढ़ी के नेता राहुल गांधी को अपना मानना ही चाहते हैं । उनकी सोच है कि राहुल गांधी को आज भी अनुभवहीन हैं लेकिन उन्हें समझना होगा कि ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी बेकार नहीं जाता है। जता सबको देखती है। राहुल गांधी निरन्तर मेहनत कर रहे हैं लेकिन उनको जो अपेक्षित सहयोग पार्टी नेताओं से मिलना चाहिये था वो मिल ही नहीं रहा है। कांग्रेस के पुराने नेताओं की खाल बहुत मोटी हो चुकी है वो अभी भी अपने को सरकार में समझते हैं। राहुल के जो लोग कांग्रेस छोड़कर जा चुके हैं उन्हें वापस बुलाना होगा तथा भाजपा व अन्य दलों के असंतुष्ट हैवीवेट जनाधार वाले नेताओं उचित समय देकर उनको पार्टी भी जोडकर 2019 के चुनावमें उनका इस्तेमाल करना होगा।
उपवास की गंभीरता को समझें
राहुल को धरातल पर रहकर समझना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक मजबूत जीवट वाले नेता हैं। इस समय उनका स्वर्णकाल चल रहा है, दूसरा आरएसएस,विहिप,बजरंग दल तथा अन्य हिन्दूवादी संगठनों की फौज है, जो जमीनी स्तर पर काम करके भाजपा के लिए माहौल बनाती रही है। कांग्रेस के सहयोगी दलों को भी साधना होगा। जिग्नेश, हृदयेश पटेल जैसे बरसाती ..... से बचना होगा। कांग्रेस को अपने संगठन के सेवादल, महिला मोर्चा, युवा कांग्रेस और सबसे महत्वपूर्ण छात्र संगठन को ऊर्जा देनी होगी। तुष्टिकरण व जातिवाद की राजनीति छोड़कर राष्ट्रवाद की बात करनी होगी। हवाई बयानबाजी से बचें। पूर्व की कुछ घटनाएं उनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं। फटा कुर्ता पहनकर बैंक की लाइन लगना, जमीन के अभियोगी प्रस्ताव को फाड़ना तथा मैं बोलूंगा तो भूकम्प आ जायेगा, चाय वाले, पकौड़े वाले इन बयानों से बचना होगा। इसमें पार्टी की छवि जनता में गंभीर नहीं रहीं है। इनका मखौल बनाती है तो विपक्ष को बैठे बिठाये मुद्दा मिल जाता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हों या प्रदेश स्तर के प्रवक्ता उनमें टीवी पर डिबेट के दौरान आत्म विश्वास की कमी साफ झलकती है।
भगवा व हिन्दू आतंकवाद पर कांग्रेस क्लीन बोल्ड?
सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी असीमानन्द, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित को मस्जिद व ट्रेन बमकांड से बरी कर कांग्रेस की हवा ही निकाल दी है। वास्तव में कांग्रेस के नेता केन्द्र सरकार के समय में सत्ता के मद में चूर होकर बयानबाजी कर रहे थे हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद इन शब्दों को ईजाद करने वाले कांग्रेस के कमांडेंट बैक मार चुके हैं। चाहे वो पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल, सुशील शिंदे, दिग्विजय सिंह आदि नेताओं ने अपने हिन्दू आतंकवाद व भगवा आतंकवाद का सम्बोधन करके अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार ली। इन आरोपों से भारत का बहुसंख्यक वर्ग नाराज हो गया जिसका नुकसान उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के रूप में भुगतना पड़ा और अब जिसका इन हिन्दूवादी नेताओं को सभी आरोपों से मुुक्त कर कोर्ट ने कहा कि हिन्दू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद कुछ नहीं है। आज बेकसूर ठहराये गये उन हिन्दूवादी नेताओं का जो समय जेलों में बीता जो-जो उन पर अत्याचार किये गये उनका कोई मुआवजा कोर्ट या सरकार उनको देगी। यह सही भी है कि अगर ये लोग बगैर अपराध किये जेल में रखे गये तो इन लोगों को कोर्ट केन्द्र सरकार को मुआवजा देने का आदेश दें तथा झूठे आरोप लगाने वालों को भी कोई सब मिल सके।
कांग्रेस को बदलना होगा अब जनता बदल चुकी है
कांग्रेस के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी को दोबारा स्थापित करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। वह गम्भीर व्यक्तित्व के स्वामी हैं तथा पार्टी को दोबारा खड़ा करना चाहते हैं लेकिन राहुल को पार्टी के सलाहकारों व चिन्तकों को बैठकर गम्भीरतापूर्वक मंथन करना होगा। वर्तमान युवाओं की समस्याओं को समझना होगा। इसबात को समझ जाना चाहिए कि आप 50, 60 या 70 के दशक की राजनीति अब नहीं कर सकते। सबसे बड़ी कमी कांग्रेस पार्टी की ये है कि पार्टी के सीनियर नेता कभी भी किसी आंदोलन अथवा धरना प्रदर्शन में गंभीर नहीं दिखाई देते। पार्टी के हैवीवेट नेता ही पार्टी की कमजोरी बन चुके हैं। चाहे वे मणिशंकर अय्यर हों अथवा कोई और राहुल गांधी को युवा टैलेंट को जिम्मेदारी देनी होगी तथा समय-समय पर अच्छे कार्यों के लिए युवाओं की पीठ थपथपानी होगी। एक परिवर्तन जो सामने आया है उसका लाभ निश्चित ही कांग्रेस पार्टी को मिलने जा रहा है, वह है राहुल जी का हिन्दुत्व के प्रति प्रेम तथा मन्दिरों व धार्मिक स्थलों पर जाकर बहुसंख्यक हिन्दुओं के मन में अपनी जगह बनानी कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के कारण यह हस्र होना ही था। आपको यह समझना ही होगा कि आप राजनीति कर रहे हैं जहां का हिन्दू समाज भारत का रीढ़ रहा है और है भी हिन्दू समाज ने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान किया है तथा सभी धर्मों को फलने फूलने का मौका दिया है लेकिन भारत की पहचान हिन्दू धर्म से है, हिन्द शब्द से ही हिन्दुस्तान बना है। मेरे इस लेख से हिन्दुओं को बढ़ावा न देकर कांग्रेस पार्टी के कर्णधारों को यह समझाना है कि आप हिन्दुओं को अलग करके मुस्लिम-मुस्लिम करके आगे राजनीति न कर पाओगे अब आपको सभी धर्मों को बराबर चश्मे से देखना होगा तथा समाज हित व राष्ट्रहित के मुद्दों को उठा कर जमीनी राजनीति करनी होगी। अब भठूरे खाकर उपवास नहीं चलेगा जनता जागरुक हो चुकी है।
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