घर में करते हैं कानाफूसी,आसमान से हो रही है आपकी जासूसी
आप यदि स्मार्ट फोन, टैबलेट्स, लैपटॉप और डेस्कटॉप या इंटरनेट की सुविधा वाले अन्य किसी साधन का इस्तेमाल करते हों तो तत्काल सावधान हो जाइये क्योंकि दैनिक जीवन में आपको अनेक इंटरनेटी सुविधाएं मुहैया कराने वाला सोशल मीडिया अब आसमान से आपकी जासूसी कर रहा है। आप क्या खाते हैं वेज-नॉनवेज, क्या पहनते हैं कैसे कपड़े पहनते हैं, कैसे नहाते हैं, नहाने में कौन सा साबुन, कौन सा शैम्पू एवं अन्य प्रसाधन इस्तेमाल करते हैं, कौन सी गाड़ी रखते हैं, कौन सी गाड़ी खरीदना चाहते हैं, कैसे मकान में रहते हैं, कैसा मकान खरीदना चाहते हैं, कितनी देर घर में रहते हैं, कितनी देर बाहर रहते हैं, किससे मिलते हैं, किससे क्या बात करते हैं, यहां तक कि आप अपने बेडरूम और वाशरूम में क्या करते हैं। इन सबकी पल-पल की खबर सोशल मीडिया आपसे लाखों कोसों दूर अपने सर्वर में कैद करके रखता है। यही नहीं वक्त आने व्यापारिक संस्थानों, राजनीतिक घरानों और आपके दुश्मन को भी बेच सकता है। दुनिया की नंबर वन महाशक्ति अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, फ्रांस,जर्मनी, सऊदी अरब, आस्ट्रेलिया और भारत की राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन लाने का काम यह सोशल मीडिया अपने इसी जासूसी कार्य से कर चुका है। जिसे आज के आईटी भाषा में डाटा लीकेज कहा जा रहा है। डाटा लीकेज ऐसा घोटाला है कि आपकी सारी अंतरंग बातें उन सारी कंपनियों को पहुंच जातीं हैं जिनसे संबंधित आप शौक रखते हैं। इसमें सबसे अधिक रोल स्मार्ट फोन का है।डाटा लीक मामले ने साबित कर दिया है कि भले ही आपको 'फेसबुकबाजी' के लिए किसी तरह के पैसे नहीं देने पड़ते हों, लेकिन इसकी कीमत कहीं न कहीं आप चुकाते हैं। साइबर एक्सपर्ट पहले से ही आगाह करते रहे हैं, लेकिन अब यह बात साबित हो गई है। अब डाटा ब्रोकिंग दुनिया में बड़ी इंडस्ट्री है। इंटरनेट पर हमारी एक्टिविटी से कंपनियां करोड़ों कमाती हैं। डाटा मार्केट का डाटा ज्यादातर कंपनियां और रिसर्च फर्म या बड़ी पीआर एजेंसियां यूज करतीं हैं। हालांकि डाटा का सोर्स ज्यादातर टेक कंपनियां होती हैं। फेसबुक को पता है कि आप क्या शेयर कर रहे हैं, गूगल को पता है कि आप क्या सर्च कर रहे हैं, अमेजन को पता है कि आप क्या खरीदते हैं। यहां से डाटा खरीदने वाले को पता होता है कि आप क्या सोचते हैं, आप क्या खरीदना चाहते हैं, किस राजनीतिक विचारधारा को फॉलो करते हैं। इसी के आधार पर आपसे ट्रीट किया जाता है।
इधर आप ने सर्च किया उधर फोन आने शुरू। दरअसल डाटा के मार्केट में सबसे बड़ा हाथ आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का होता है। इंटरनेट में आप जिस कंपनी की कारें सर्च कर रहे हैं, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस उस कंपनी तक यह खबर पहुंचा देता है। अब कार कंपनी का खेल शुरू होता है। सिस्टम आॅन करते ही आपके सामने उसी कंपनी की कारों के विज्ञापन आते हैं। कंपनी आप पर फोन, मेल और मैसेज की बौछार कर देगी। इसी तरह से आपकी एक सर्च किसी कंपनी को पोटेंशियल बायर मुहैया करा देगी।
डाटा ऐसे बनाता-बिगाड़ता है सरकारें
अगर फेसबुक पर किसी दल या राजनेता के खिलाफ कुछ भी विचार शेयर कर रहे हैं, तो वह आपके किसी के लिए भले ही विचार हो, लेकिन कंपनी के लिए यह एक डाटा है। फेसबुक के पास आपका ज्योग्राफिकल स्टेटस है। आपका यह डाटा, डाटा एनॉलिस्टि के पास जाएगा। जहां आपकी पंसद के हिसाब से ही आपके पास पोस्ट थ्रो की जाएंगी। उसी तरह की खबरों का फ्लो बढ़ जाएगा। आपको लगेगा कि आपके पसंदीदा नेता या पार्टी के साथ ही पूरा देश है। आप माउथ पब्लिसिटी शुरू कर देते हैं। नेता या पार्टी की पॉपुलैरिटी सातवें आसमान पर और इधर सरकार बन या बिगड़ गई।ये 4 कहानियां बताती हैं डाटा की असली ताकत
इसकी शुरूआत 2012 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से हुई। ओबामा के लिए करीब 100 डाटा एनॉलिटिक्स की टीम ने काम किया। अमेरिका में महंगा इलाक बड़ी चुनौती था। यह बात उन्हें फेसबुक के जरिए पता चली। उसी के आधार पर कैम्पेन तैयार किया गया। विपक्षी रिपब्लिकन अमेरिका की सुरक्षा का मुद्दा उठा रहे थे। ओबामा लोगों को मुफ्त इलाज का वादा कर रहे थे। वह 2008 से भी बड़े अंतर से जीतने में सफल रहे।कई मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि सऊदी अरब के मौजूदा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फेसबुक को 1 अरब डॉलर की रकम सिर्फ इस बात के लिए अदा की थी कि फेसबुक सऊदी राजपरिवार के खिलाफ की जाने वाली पोस्ट को प्रमोट नहीं करे, ताकि अरब क्रांति के बाद उनके देश में सत्ता के खिलाफ लोग सड़कों पर नहीं उतरें।
आॅस्ट्रेलिया की सरकार ने फेसबुक पर आरोप लगाया कि 2011 के आम चुनाव के दौरान लोगों के पर्सनल डाटा का यूज किया गया। इस डाटा का यूज वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया गया।
भारत में कैम्ब्रिज एनालिटिका की भारतीय पार्टनर ओवर फ्ले बिजनेस इंटेलिजेंस इकाई पर कई राज्यों के चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लगा। आरोप है कि इस कंपनी के डाटा के जरिए 2010 के बाद से कई विधानसभा चुनावों को प्रभावित किया गया। भाजपा-कांग्रेस की ओर से एक-दूसरे पर आरोप लगाने के बाद अब इस कंपनी की वेबसाइट खुलनी बंद हो गई।
ेसोशल मीडिया में कौन-कौन सी वेबसाइट्स सक्रिय हैं
सोशल मीडिया के नाम से भारत में लोग चंद वेबसाइट्स को ही जानते होंगे परंतु दुनिया भर में कौन -कौन सी वेबसाइट्स सक्रिय हैं। वे प्रमुख वेबसाइट्स इस प्रकार है: फेसबुक,यू ट्यूब,व्हाट्सएप,
फेसबुक मैसेंजर,वी चैट,क्यूक्यू, इंस्टाग्राम, क्यूजोन, टमबल, ट्विटर,साइना वीईबो, बेयडु तिएबा,
स्कॉइप, वाइबर, स्नैपचैट, रेडिफ, लाइन, पिन्टरेस्ट, गूगल प्लस, माइस्पेश,विकिया। इसके अलावा दुनिया के देशों में अपने स्थानीय स्तर पर सोशल वेबसाइट्स छोटे पैमाने पर सक्रिय हैं। इनके यूजर्स भी स्थानीय लोग ही होते हैं।
दुनिया भर में कितने यूजर्स हैं
अगस्त 2017 तक के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर के कितने लोग इस सोशल मीडिया की विभिन्न वेबसाइटों के यूजर्स बने हुए हैं।फेसबुक: 2,047,000,000
यू ट्यूब: 1,500,000,000
व्हाट्सएप: 1200,000,000
फेसबुक मैसेंजर: 1,200,000,000
वी चैट : 738,000,000
क्यूक्यू: 861000,000
इंस्टाग्राम: 700,000,000
क्यूजोन: 638,000,000
टमबलर: 357,000,000
ट्विटर:328,000,000
साइना वीईबो: 313,000,000
बेयडु तिएबा: 300,000,000
स्कॉइप:300,000,000
वाइबर: 260,000,000
स्नैपचैट: 255,000,000
रेडिफ: 250,000,000
लाइन: 214,000,000
पिन्टरेस्ट: 175,000,000
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