मतदान जरूर करें,अपनी जिम्मेदारी निभाएं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव को लोकतंत्र का पर्व बताया है। उन्होंने इसलिए कहा है कि जब से देश आजाद हुआ तब से हमारे देश में किसी भी चुनाव में 75 परसेंट से ज्यादा वोट नहीं पड़ा है। अपवाद के रूप में कभी ही इससे अधिक वोट पड़ा हो। वोट न करने वाले सबसे अधिक इस बात की दुहाई देते हैं कि जब उनके पसंद का प्रत्याशी चुनाव में खड़ा नहीं होता है तो वो क्यों अपना समय बरबाद करके वोट दें। उनका कहना सही है क्योंकि चुनाव लडऩे वाली पार्टियां अपने प्रत्याशी जनता के ऊपर थोप देतीं हैं। वे प्रत्याशी वोट लेने के समय तो मगरमच्छ के आंसू बहाते हुए अनेक उपाय करते हुए जनता को गुमराह करते हैं। हारने वाले गायब हो जाएं तो बनता है लेकिन जीतने वाले तो ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे गधें के सिर से सींग। यदि उनके पास कोई जाए तो फिर वे वीवीआईपी बन जाते हैं यानी वे वेरी वेरी इनविजबिल परसन बन जाते हैं। लाख कोशिश करने के बाद नहीं मिल पाते हैं। तब जनता स्वयं को ठगा सा महसूस करती है। उस समय उसे अपने प्रतिनिधि की वोट मांगने वाली भूमिका याद आती है। प्रतिनिधि के न मिलने पर कार्यालय का चक्कर काटने वाली जनता में से कुछ तो ये धमकी दे आती है कि अबकी बार वोट मांगने आएंगे तब हम भी अपनी ताकत दिखा देंगे। पूरे देश का ऐसा हाल हो या न हो लेकिन उत्तर प्रदेश का ऐसा हाल जरूर है। इसीलिए हर बार चुनाव में यहां निजाम बदल जाता है। एक बाद बसपा तो एक बार सपा और एक बार त्रिशंकु यानी सभी दल त्रिशंकु महाराज की तरह स्वर्ग यानी सत्ता के रास्ते में उलटे लटके रहते हैं। इसके बाद दलबदल और खरीद-फरोख्त,रिश्वतखोरी का जो गोरखधंधा चलता है, उससे जनता की आंखे फटी रह जातीं हैं और वहीं से लोगों का दिल फट जाता है कि वोट देना बेकार है। हमने बसपा के खिलाफ भाजपा को वोट दिया और बाद में वही भाजपा और सपा ने मिलकर सरकार बना ली। तो हमारे वोट का मतलब क्या रह गया ? इस समस्या के पांव पसारते ही उसका भी समाधान निकाला गया है। इस समाधान का नाम है नोटा। नोटा यानी नाट आफ द एबव। यानी इनमें से नहीं। इसका सीधा मतलब यह है कि चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों में से कोई भी पसंद नहीं। हालांकि यह नकारात्मक है लेकिन चुनाव आयोग ने इसे भी मान्यता दी है। अब उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव के लिए मतदान शुरू होने वाले हैं। अब हमको यह चाहिए कि मतदान के दौरान घर बैठकर तमाशा न देखें, घर से बाहर निकलें और पोलिंग बूथ जाएं और अपना वोट दें। आपको कोई प्रत्याशी न हो हो नोटा का बटन दबाओ। इसीलिए कह रहे हैं कि आओ नोटा का परसेंट बढ़ाएं।
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