बीएचयू में हाल में ही जो बवाल हुआ उससे वहां के छात्रों के लिए बुरी और अच्छी खबर दोनों ही हैं। छात्राओं के विरोध प्रदर्शन से तो ये जाहिर होता है कि वहां के छात्रों ने अपनी मनमानी की अत्ती ही कर दी थी वरना इतना बड़ा हंगामा नहीं होता। दूसरी बात यह है कि वहां के छात्रों की इमेज देश-विदेश के लोगों में क्या बनी होगी । इस बात की कल्पना करने से एक पक्ष तो यह सामने आता है कि बदनाम हुए तो नाम न होगा क्या? दूसरा कि मुफ्त में हुए बदनाम। अब पहले पहलू को लेते हैं देश-विदेश में कुछ भी प्रतिक्रिया हो या न हो लेकिन सभ्य भारतीय समाज में अवश्य ही बीएचयू के छात्रों की छवि एक अभद्र इंसान की उभरी होगी। अपने आस-पास में कोई बीएचयू का छात्र नजर आते ही लोग सतर्क हो जाएंगे कि अपनी बहू-बेटियों को बचाओ ये बीएचयू का छात्र है कभी भी कुछ भी कर सकता है। यह तो हुई बुरी खबर।
अच्छी खबर क्या होगी? पहले ही हम अनजाने में हुई गलती की माफी मांग लेते हैं, फिर भी आइए इस पर संक्षिप्त विचार करते हैं। पाश्चात्य सभ्यता से जुड़े खुले विचारों के समर्थक लोगों और यूं सीधे-सीधे कहिये कि लिव इन या इस तरह के संबंधों के उत्सुक वर्ग में इन छात्रों की छवि आकर्षक व्यक्तित्व की तरह होगी। इससे अधिक कुछ भी कहना उचित नहीं।
अच्छी खबर क्या होगी? पहले ही हम अनजाने में हुई गलती की माफी मांग लेते हैं, फिर भी आइए इस पर संक्षिप्त विचार करते हैं। पाश्चात्य सभ्यता से जुड़े खुले विचारों के समर्थक लोगों और यूं सीधे-सीधे कहिये कि लिव इन या इस तरह के संबंधों के उत्सुक वर्ग में इन छात्रों की छवि आकर्षक व्यक्तित्व की तरह होगी। इससे अधिक कुछ भी कहना उचित नहीं।
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