भारतीय जनता पार्टी के तारनहार और पालनहार भगवान श्रीराम ही हैं। यही ब्रह्मास्त्र उठाकर भाजपा फिर से गुजरात और यूपी की चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव आसानी से निकालने के बाद जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा के सुपरस्टार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके गढ़ गुजरात में घेरा ही नहीं बहुत हद तक घुटनों के बल बैठने को विवश कर दिया। कांग्रेस ने भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार की दुखती रग नोटबंदी और जीएसटी और आर्थिक महामंदी पर हाथ रखते हुए उसे जनता की अदालत के कठघरे में खड़ा कर दिया तो पहले पहल भाजपा नेताओं ने इधर-उधर की बातें कर जनता का दिल बहलाने की कोशिश की लेकिन इसके बाद जब उनकी एक न चली तो जीएसटी की गलती मानते हुए उस पर धीरे-धीरे यू टर्न लेना शुरू कर दिया हे। अब जब जनता की अदालत में अपनी गलती मानने के बाद यह पता चला कि इस बार जनता का रुख भाजपा की ओर से हट रहा है तो फिर से वह अयोध्या में रामलला की शरण में आ गई है। अब गुजरात और यूपी के निकाय चुनाव के लिए भाजपा ने श्रीराम के चरणों को कस कर पकड़ लिया है। आजकल श्री श्री रविशंकर को राम मंदिर की याद अचानक आ गई है। जानकार सूत्रों का मानना है कि रविशंकर अपने आप राम मंदिर सुलझाने नहीं जा रहे हैं और न ही वह सुलझा पाएंगे। यह बात सभी जानते हैं तो फिर इस बात का ढिंढोरा क्यों इतना पीटा जा रहा है। इसका एक ही कारण समझ में आ रहा है कि एक तीर से कई शिकार करने वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए भाजपा अयोध्या के श्रीराम के नाम की माला इसलिए जप रहीं है इससे जहां यूपी के निकाय चुनाव आसानी से पार हो जाएंगे वही गुजरात के विधानसभा के चुनाव भी निकल जाएंगे। अगले 12 दिनों में यूपी के निकाय चुनाव संपन्न होने जा रहे हैँ तब तक यहां की जनता को रामधुन में मस्त रखने का कार्यक्रम भाजपा ने बनाया है और हिन्दू वोटों के धु्रवीकरण के लिए इससे अच्छा और कोई मुद्दा नहीं हो सकता है। इसके अलावा गुजरात में भी भगवान राम बेड़ा पार लगाएंगे। वहां मतदान 9 और 14 दिसम्बर को होने जा रहे हैं। राम मंदिर मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 5 दिसंबर से शुरू होने जा रही है। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के ढांचे के ध्वंस कांड की वर्षगांठ दोनों पक्षों द्वारा अपने-अपने तरीके से मनाई जाती है। इसका उद्देश्य हिन्दू और मुसलमानों को अपना-अपना वजूद याद दिलाना होता है। छह दिसंबर के दो दिन बाद ही गुजरात में पहले चरण के मतदान होने हैं। इसके बाद 14 दिसंबर तक इस लहर को बनाई रखी जाएगी।
No comments:
Post a Comment