सेलरी में कैबिनेट सेक्रेटरी, सेना प्रमुख टॉप पर पीएम व राष्ट्रपति हैं चौथे व पांचवें नंबर पर
आप चौँक जाएंगे यह जानकर कि भारत की कमान संभालने वाले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्री, गवर्नर,चीफ जस्टिस आफ इंडिया की वेतन की बात करें तो ये नौकरशाह या लालफीताशाह से चौथे-पांचवें पायदान से भी नीचे आते हैं।आज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ये पूछा कि उनकी सेलरी कब बढ़ेगी? लगता है कि सरकार उनके वेतन बढ़ाना भूल गई है? हालांकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन में बढ़ोत्तरी सरकार सीधे नही करती बल्कि संसद में बिल पास कराना होता है।
आइए देखते हैं कि भारत सरकार में वेतन का ढांचा किस प्रकार का है? यहां सबसे अधिक सेलरी कैबिनेट सेक्रेटरी, सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों को मिलती हैं। इनकी सेलरी का बेसिक पे स्केल 2,50,000 रुपये है। इनके बाद नंबर आता है सेक्रेटरी आफ गवर्नमेंट आफ इंडिया,स्पेशल सेक्रेटरी, वाइस आर्मी स्टाफ, चीफ सेके्रटरी आफ गवर्नमेंट का, जिनकी सेलरी का बेसिक पे स्केल है 2,25,000। इसके बाद नंबर है सेके्रटरी आफ इंडिया और प्रिंसिपल सेक्रेटरी आफ स्टेट गवर्नमेंट का, जिनका बेसिक पे स्केल है 1,82,000। इसके अलावा तमाम भत्ते तथा अन्य सरकारी सुविधाएं अलग हैं।
देश की तीन प्रमुख श्रेणियों के बाद नंबर आता है प्रधानमंत्री का, इनकी बेसिक पे है 1,65,000, इसके बाद पांचवां नंबर आता है देश के प्रथम नागरिक यानी महामहिम राष्ट्रपति का, जिनकी सेलरी का बेसिक पे स्केल है 1,50,000। उपराष्ट्रपति का नंबर इसके बाद आता है। इनकी बेसिक पे स्केल है 1,25,000। सातवें नंबर पर आते हैं राज्यों के राज्यपाल। इनका बेसिक पे स्केल है 1,10,000।
आठवें नंबर पर आते हैं देश की सबसे ऊंची अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट के मुखिया यानी चीफ जस्टिस आफ इंडिया, जो राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उसके समान ही देश की कमान संभालता है। इनकी बेसिक पे स्केल है मात्र 90,000। इनके अलावा इसी तरह संवैधानिक पद की गरिमा को संभालने वाले चीफ इलेक्शन कमिश्नर, चीफ कॉप्ट्रोलर एण्ड आडिटर जनरल, हाई कोर्ट के जज, इन सभी को बेसिक पे एक समान 90,000 ही मिलती है। इनके भत्ते व सरकारी सुविधाएं अलग-अलग होतीं हैं। अन्य जजों की सेलरी का बेसिक पे 80,000 है। जबकि देश के लिए कानून बनाने वाले सांसदों की बेसिक पे है 50,000। इन्हीं सांसदों में कुछ मंत्री भी बनते हैं। इनकी सेलरी तो वहीं रहती है लेकिन भत्ते व सरकारी कामकाज के हिसाब से अन्य सुविधाएं अतिरिक्त मिलतीं हैं। देखिये है न भारत का कितना बढिय़ा ढांचा।
सुप्रीम कोर्ट ने सेलरी को लेकर टिप्पणी की है तो कोई गलत नहीं की है। देखना है कि सरकार अब इस विषय में क्या करती है?
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