हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के मैदान में भाजपा अब वास्तव में आगे और कांग्रेस पिछड़ती नजर आ रही है। हालांकि कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अकेले दम पर भाजपा को बैकफुट पर ला दिया था। अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान जिस तरह से राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर अपने प्रहार किए वह काफी धारदार थे। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गढ़ गुजरात में जिस तरीके से राहुल गांधी ने मतदाताओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश की वह तारीफेकाबिल है। इसी वजह से भाजपा का हाईकमान चिंतित हो उठा। इसी चिंता से सराबोर होकर प्रधानमंत्री ने अपने तरकश से तीर निकाल कर गुजरात और हिमाचल प्रदेश दोनों को ही अपनी ओर आकर्षित किया है वह यह बता रहा है कि देश में चल रहा 2014 से मोदी तिलिस्म अभी खत्म नहीं हुआ है। आर्थिक मंदी की खबरों ने लोगों को परेशान किया और लोग मोदी के विरोध खड़े भी हो रहे थे लेकिन मोदी सरकार जिस तरह से आर्थिक मंदी के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालकर राष्ट्रप्रेम के मुद्दे आगे ले कर आई है। उसने राहुल गांधी की रणनीति को फेल कर दिया है। हालांकि सोमवार को कांग्रेस की जीएसटी व नोटबंदी पर हुई बड़ी बैठक के बाद राहुल गांधी ने जिस तरह से मोदी सरकार पर वार किया था। वह यह समझ कर किया कि वह भाजपा को आर्थिक मोर्चे पर घेर कर सफलता हासिल कर लेंगे। उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी को तारपीडो और बम तक करार दिया लेकिन उनकी आवाज को अच्छी तरह से सुना ही नहीं गया बल्कि मोदी और शाह की आवाज बुलंद हो गई। अभी तक का चुनावी गणित यही कहता है कि यही दशा रही तो गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर आ रहे विभिन्न एजेंसियों के सर्वे सही साबित होंगे। यदि इसमें किसी तरह का मोड़ कांगे्रस ला पाता है तो अवश्य ही परिवर्तन हो सकता है। हालांकि ये चुनाव कांग्रेस बनाम भाजपा ही हो रहे हेँ। अन्य दलों की कोई भूमिका नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र से शिवसेना अवश्य खडी दिखाई देती है, लेकिन दोनों की विचारधारा में जमीन आसमान का अंतर है और इस साथ का इन चुनावों पर कोई प्रत्यक्ष असर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। राहुल की स्थिति को समझकर ही गुजरात के पाटीदार व अन्य समाज के नेता अनावश्यक दबाव बना रहे हैं। वे ऐसी मांगे सामने रख रहे हैं जिनको पूरा कर पाना असंभव है। कांग्रेस हाईकमान को पहले ही सोच समझ कर काम करना चाहिए था। कांग्रेस ने ऐसा भानुमती का कुनबा जोडऩे की कोशिश की, जिसका नाकाम होना तय ही माना जा रहा था। गुजरात चुनाव को लेकर एक हफ्ते पहले तक कांग्रेस के राहुल गांधी ड्राइविंग सीट पर थे वहीं अब मोदी ने उस सीट पर कब्जा कर लिया है। जनता का रुख क्या आता है, यह तो वक्त ही बता सकता है। क्योंकि अभी तो चुनाव होने में काफी वक्त है। तब तक को बहुत कुछ हो सकता है।
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