new

Friday, 27 October 2017

क्या ‘ताज’ भी ‘बाबरी मस्जिद’ बन जाएगा

आगरा में प्यार की निशानी और दुनिया के आठ अजूबों में से एक ताजमहल को लेकर जिस तरह की चर्चाएं और बयानबाजियां चल रहीं है, उनसे यही कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या खूबसूरत ताजमहल का हश्र भी बाबरी मस्जिद जैसा हो सकता है। यह बात अचानक नहीं कुछ लोगों के विचारों और घटनाओं के बाद सामने आई है। सरधना विधायक संगीत सोम ने ताज को लेकर टिप्पणी करके एक सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इस तूफान को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी धरोहर और गौरव का सम्मान करके और  यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ताज परिसर में झाड़ू लगाकर रोकने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन स्थिति ज्यों-ज्यों दवा की त्यों-त्यों मर्ज बढ़ता ही गया वाली हो रही है। इस तूफान की गति तेजी से बढ़ रही है। अब हर कोई इस सियासी गंगा में डुबकी लगाना चाह रहा है। जब सीएम योगी ने ताज को अपनी पुस्तिका से बाहर निकाल फेंका तो सबसे पहले सपा के आजम खां ने टिप्पणी करते हुए कहा कि छोटे बादशाह से कहो कि वह ताज गिराने चलें तो हम भी फावड़ा लेकर उनके साथ चलेंगे। इसके बाद जब बहस आगे बढ़ी तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन, संसद,लाल किला सहित अनेको इमारतें गुलामी की निशानी हैं, इनमें से क्या-क्या गिराओगे। आजम खान यहीं पर नहीं रुके उन्होंन बढ़ते विवाद में घी डालते हुए यह भी बयान दे डाला कि ताज महल को निश्चित रूप से डायनामाइट से उड़ा दिया जाएगा। बात यहीं नहीं खत्म होती अब आजम खान के साथ फिल्म सिंघम के विलेन प्रकाश राज ने भी बयान दे डाला कि बच्चों को एक बार ताजमहल अवश्य दिखा दो क्योंकि जल्दी ही यह इतिहास बनने वाला है। उनका इशारा भी ताज के खात्मे की ओर था। अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की इतिहास की शाखा अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने दो टूक कह दिया है कि ताजमहल में शुक्रवार को होने वाली नमाज पर प्रतिबंध लगा दिया जाए अन्यथा दूसरे पक्ष को वहां शिव चालीसा का पाठ करने की अनुमति दे दी जाए। इसे लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है। इस संगठन का यह तर्क है कि वहां एक मंदिर था जिसे तत्कालीन राजा ने बनवाया था। इसके समर्थन में उन्होंने कहा कि आज तक किसी नदी के किनारे किसी भी तरह का मकबरा नहीं बना देखा है बल्कि सारे मंदिर नदियें के तट पर ही होती है। इस पर  ताजमहल की मस्जिद के इमाम ने कहा कि यहां पर शिव चालीसा की इजाजत नहीं दी जा सकी, बल्कि नमाज पढ़ी जा सकती है। उन्होंन इसका कारण यह बताया कि यहां पर मस्जिद है। इसलिए नमाज तो पढ़ी जा सकती है लेकिन साथ ही यह कहा कि यह तो एक कब्रिस्तान है यहां पर शिव चालीसा का पाठ नहीं किया जा सकता। संघ के संगठन ने कहा कि जब यह राष्ट्रीय धरोहर के रूप में घोषित है तो इस पर किसी एक वर्ग को धार्मिक कार्य करने की अनुमति दिया जाना अनुचित और पक्षपातपूर्ण है। यह विवाद बढ़ा और विवाद में तल्खी आई तो क्या बाबरी मस्जिद वाली स्थिति बन सकती है या नहीं, यह तो भविष्य ही बता पाएंगा।

No comments:

Post a Comment