देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है
हम अभी से क्या बताएं,ऐ भारत के सरजमी औ आसमां
हम लिखेंंगे 2022 में गरीबी की नई दासतां
ये बात कहां तलक सच है मान लेता ये सारा जहां
पांच साल में क्या हुआ, औ था तुमने क्या-क्या कहा
अब हमें तुम क्या सुनाओगे, गरीबी की नई दासतां
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
बात करते हो गरीबी भारत छोड़ो की
करते हो नोटबंदी औ लगाते हो जीएसटी
पहले नोटबंदी ने मारा,फिर जीएसटी ने रुलाया
बचाखुचा इन्कम टैक्स के हौवा ने हाहा कार मचाया
कौन सुन रहा है गरीबों की दासतां
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
तुमने भले ही चाय बेची हो, गरीबी देखी हो
आज आइना उठा देखो क्या तुम वही मोदी हो
साथी बदल गए, जमाना बदल गया
हम कैसे न माने कि फसाना बदल गया
तुमसे बहुत दूर हो गया गरीबी का रास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
गरीबी कांग्रेस नहीं, जिसे तुम यूं ही मिटा दोगे
चहेते दौलमंदों को क्या गुरुद्वारे पर बिठा दोगे
उनकी अकूत दौलत को गरीबों में बंटवा दोगे
या फिर कोई 15 लाख का नया जुमला दोगे
अब तुम्हारा पड़ा है गरीबों से ही वास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
वाह क्या बात है गुजरात के नगीनों करें गुफ्तगू
दयानंद,बापू और पटेल ने बिखेरी उम्दा खुशबू
जां पर खेल कर भारत मां को दिया खासमखास
इसलिए हिंदोस्तां ही नहीं, जमाना करता है याद
एक ने दिया आर्य समाज,दूसरे ने आजादी
तीसरे ने तो अखंड भारत की राह दिखला दी
अब तुम्हारे हिस्से में आया है हिंदोस्तां
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
जुबां पर एक बार फिर ये फरियाद आती है
मोदी जी आप भी इन्हीं हस्तियों के साथी हैं
वतन वही और वही तुम्हारी माटी है
अब तुम देख रहे हो किसका रास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
अब तुम्हारी बारी है, कुछ करक दिखलाओ
कोरे आंकड़ों से गरीबों का मजाक न उड़ाओ
क्योंकि अब तुम्हारे घर से उठी आवाज मोदी भगाओ
मोदी भगाओ, देश बचाओ, हो गई है हमसे भूल
हमनें क्यों चुना था 2014 में कमल कर फूल
2019 में ही निकालों कुछ नया रास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
हालांकि तुम्हें याद आ गयी अपनी देहरी और अपना घर
भूले-बिसरे याद आए और पहचान ली तुमने अपनी डगर
फिर भी सभी ओर से आई आवाज, मोदी भाई करलो कुछ जतन
क्योंकि उम्मीद से ज्यादा उम्मीद कर बैठा है वतन
अब तुम ही निकालों गरीबों का कोई नया रास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
हम अभी से क्या बताएं,ऐ भारत के सरजमी औ आसमां
हम लिखेंंगे 2022 में गरीबी की नई दासतां
ये बात कहां तलक सच है मान लेता ये सारा जहां
पांच साल में क्या हुआ, औ था तुमने क्या-क्या कहा
अब हमें तुम क्या सुनाओगे, गरीबी की नई दासतां
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
बात करते हो गरीबी भारत छोड़ो की
करते हो नोटबंदी औ लगाते हो जीएसटी
पहले नोटबंदी ने मारा,फिर जीएसटी ने रुलाया
बचाखुचा इन्कम टैक्स के हौवा ने हाहा कार मचाया
कौन सुन रहा है गरीबों की दासतां
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
तुमने भले ही चाय बेची हो, गरीबी देखी हो
आज आइना उठा देखो क्या तुम वही मोदी हो
साथी बदल गए, जमाना बदल गया
हम कैसे न माने कि फसाना बदल गया
तुमसे बहुत दूर हो गया गरीबी का रास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
गरीबी कांग्रेस नहीं, जिसे तुम यूं ही मिटा दोगे
चहेते दौलमंदों को क्या गुरुद्वारे पर बिठा दोगे
उनकी अकूत दौलत को गरीबों में बंटवा दोगे
या फिर कोई 15 लाख का नया जुमला दोगे
अब तुम्हारा पड़ा है गरीबों से ही वास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
वाह क्या बात है गुजरात के नगीनों करें गुफ्तगू
दयानंद,बापू और पटेल ने बिखेरी उम्दा खुशबू
जां पर खेल कर भारत मां को दिया खासमखास
इसलिए हिंदोस्तां ही नहीं, जमाना करता है याद
एक ने दिया आर्य समाज,दूसरे ने आजादी
तीसरे ने तो अखंड भारत की राह दिखला दी
अब तुम्हारे हिस्से में आया है हिंदोस्तां
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
जुबां पर एक बार फिर ये फरियाद आती है
मोदी जी आप भी इन्हीं हस्तियों के साथी हैं
वतन वही और वही तुम्हारी माटी है
अब तुम देख रहे हो किसका रास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
अब तुम्हारी बारी है, कुछ करक दिखलाओ
कोरे आंकड़ों से गरीबों का मजाक न उड़ाओ
क्योंकि अब तुम्हारे घर से उठी आवाज मोदी भगाओ
मोदी भगाओ, देश बचाओ, हो गई है हमसे भूल
हमनें क्यों चुना था 2014 में कमल कर फूल
2019 में ही निकालों कुछ नया रास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
हालांकि तुम्हें याद आ गयी अपनी देहरी और अपना घर
भूले-बिसरे याद आए और पहचान ली तुमने अपनी डगर
फिर भी सभी ओर से आई आवाज, मोदी भाई करलो कुछ जतन
क्योंकि उम्मीद से ज्यादा उम्मीद कर बैठा है वतन
अब तुम ही निकालों गरीबों का कोई नया रास्ता
देखना है जोर कितना बाजुए साहिल में है...
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