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Wednesday, 11 October 2017

मोदी जी नारे से गरीबी भारत नहीं छोड़ सकती

संभल कर रहिये ये पब्लिक है सब कुछ जानती है

मई 2014 में जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केन्द्र में सत्तारूढ़ हुए थे तब देश की सवा करोड़ जनता को यह विश्वास था कि यह सरकार उनके खाते में कालेधन का 15-15 लाख रुपया डालेगी। जब भाजपा की ओर से मात्र जुमला बताया गया तो लोगों को काफी धक्का लगा। इसके बाद भी लोगों ने विश्वास किया कि यह सरकार ईमानदार और गरीबों की समर्थक है। इसलिए नोटबंदी जैसा सख्त कदम भी आसानी से पचा गए कि इससे बड़े लोगों की शामत आएगी। पता चला कि उलटा हो गया और गरीबों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। नंबर दो के काम खत्म तो आमदनी भी खत्म और जब आमदनी खत्म तो उनके आश्रित रहने वाले कामगारों की नौकरी भी खत्म। मतलब इसकी गाज गरीबों पर ही गिरी। 8 नवंबर 2016 के इस आर्थिक भूकंप की मार से अभी उबर भी नहीं पाए थे कि जीएसटी का बवाल सिर पर आ गिरा वह भी 28 प्रतिशत टैक्स का। एक चौथाई से अधिक टैक्स का। इस झटके ने दरिद्रनारायण के शरीर से एक और चिथड़ा उतार लिया। अब फिर से छोटे व्यापारी और कल कारखाने वालों ने अपने मातहतों के समक्ष हाथ खड़े कर दिये। इसका नतीजा यह हुआ कि आम आदमी सडक़ पर आ गया। पेट्रोल पर केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच चल रहे बंदरबाट के खेल से आम आदमी कराह उठा। आम आदमी तो छोडिय़े छोटे मझोले कारोबारी अपने लेन-देन से इतने तनावग्रस्त हो गए कि आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाने को मजबूर हो गए हैं। अब मोदी जी ने  संघ प्रचारक नानाजी देशमुख की जन्मशती और जयप्रकाश नारायण की जयंती पर भारत गरीबी छोड़ो का नारा बुलंद करते हुए अपने लिए 2019 की जमीन तैयार करने की पटकथा लिखनी शुरू कर दी है। मोदी जी उत्तर प्रदेश के हजारों स्कूलों में मध्यान्ह भोजन यानी मिड डे मील जिसे एमडीएम भी कहा जाता है, का अन्न नहीं पहुंचा है आप गरीबी हटाने की बात कर रहे हैं। यह असंभव बात है। देश को कांग्रेस मुक्त आपने नहीं कांग्रंस ने खुद बनवाया है। आपको शायद यह गलतफहमी हो गई है कि आपने देश को कांग्रेस मुक्त का नारा दिया और देश कांग्रेस मुक्त हो गया। मोदी जी ऐसे ही गरीबी भारत छोड़ों का नारा देने और कुछ सरकारी आंकड़ों के दिखाने भर से काम नहीं चलने वाला। गुजरात और महाराष्ट्र के निकाय चुनाव के भरोसे न बैठिये। गुजरात तो आपका गढ़ है। वहां विधानसभा चुनाव में आपको सफलता एक बार मिल भी सकती है लेकिन गरीब तो पूरे देश में हैं और वोटिंग के दिन वह गरीब नहीं जनार्दन यानि मालिक बन जाता है, आपके किस्मत की रेखा वहीं तय करेगा। इस बात को सोच कर चेतिये वरना जब इंदिरा गांधी को कोइ्र नहीं बचा सकता तो आप तो अभी पांच साल की पहली पारी पूरी करके मैदान में आने वाले हैं। ये जनता जनार्दन है। आपसे पूरे पांच साल का हिसाब लेगी। पास फेल तो वह सीधे चुनाव में करेगी। नाना देशमुख की जयंती पर  पीएम ने कहा कि नानाजी देशमुख और लोकनायक जेपी ने मातृभूमि की सेवा की। दोनों महापुरुषों ने अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गांवों और शहरों को समान सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहर को गांवों के लिए मार्केट बनना चाहिए। पीएम ने कहा कि दीपावली के दीये गांव के कुम्हार से खरीदें। उन्होंने कहा कि 18000 गांव ऐसे थे जो कि 18वीं शताब्दी में जी रहे थे वहां पर बिजली भी नहीं थी। हमने लालकिले से 1000 दिन में इन गांवों में बिजली देने का बीड़ा उठाया, अब तक 15,000 गांवों में बिजली पहुंचा चुके हैं। हमारी सरकार मुफ्त में बिजली कनेक्शन दे रही है। पीएम मोदी ने कहा कि देश में कमी संसाधनों की नहीं बल्कि सुशासन की है। ग्रामीण विकास के लिए सुशासन का प्रयास जारी है. आने वाले दिनों पर ग्रामीण विकास पर सरकार का ज्यादा जोर होगा. जिन राज्यों में ज्यादा गरीबी है, वहां मनरेगा का काम कम हो रहा है। जिन राज्यों में सुशासन है, वहां मनरेगा का काम ज्यादा हुआ है।मोदी ने आगे बताया कि देश में गरीबी भारत छोड़ो अभियान चलाया जा रहा है और 2022 तक इसको पाने की कोशिश होगी। मोदी ने कहा कि टिंबर की खेती लोगों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। कार्यक्रम में मोदी ने शौचालय बनाने और गंदगी को खत्म करने की भी बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में केवल वोट का अधिकार नहीं है, बल्कि जनता की भागीदारी भी काफी जरूरी है। सरकार हर योजना की समीक्षा कर रही है। 

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