गुजरात चुनाव की टीआरपी में भाजपा सबसे ऊपर
आप सभी टीवी देखते होंगे तो एक विज्ञापन मेंटास जिंदगी वाला तो आपने देखा होगा कि साधारण जिंदगी में जो मात खाता है वहीं मेंटास जिंदगी यानी अपनी दिमागी चाल से कैसे ऐश करता है। वही चाल हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी चल रहे हैं। राहुल भैया गुजरात की गलियों में खाक छान कर लोगों को जातिवाद और पंथवाद और पार्टी वाद पर रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं पीएम नरेन्द्र मोदी ने बड़ौदा को एक फोल काल करके वहां रहने वाले भाजपा कार्यकर्ता गोपालभाई से बात करके चंद घंटों में उसे पूरा इंडिया का हीरो बना दिया। इससे अब प्रत्येक गुजराती नागरिक के मन में गोपालभाई के प्रति मोदी की हमदर्दी का प्रभाव पड़ा होगा। यह खबर साधारण सी है कि एक भाजपा के वरिष्ठ नेता ने अपने कार्यकर्ता से बातचीत कर उसे कांग्रेस के बहकावे में न आकर भाजपा के कार्यकलापों को जारी रखने का संदेश देना है लेकिन आजकल मीडिया और सोशल मीडिया का इतना प्रभाव है कि बड़ोदरा के स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले गोपालभाई चंद पल में हीरो बन गए। एक गुजराती को हीरो बनाकर पीएम मोदी ने अपने गुजराती भाइयों को दिल से जोड़ लिया है, जो उनका वोट बैँक बनेंगे और यही वोट बैंक भाजपा की नैया पार लगाएगा। इसमें किसी तरह का संदेह नहीं है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस बार गुजरात में मोदी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। क्योंकि केन्द्र की मोदी सरकार की जीएसटी व नोटबंदी, इनकम टैक्स की सख्ती आदि ऐसे फैसले हैं जो व्यापारियों के खिलाफ जा रहे हैं। यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्वयं स्वीकारी है कि जीएसटी का असली लाभ मिडिल क्लास को मिलने वाला है। उन्होंने परोक्ष रूप से कहा कि जीएसटी के चलते बाजार और व्यापारियों में कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी और व्यापारी अपना माल बेचने के लिए कम से कम लाभ पर सौदा करना पसंद करेंगे। इससे व्यापारियें को नहीं मिडिल क्लास के खरीददार को फायदा होगा। जीएसटी और नोटबंदी को लेकर चुनावी सर्वे भी मोदी सरकार के खिलाफ अपनी राय दे रहे हेँ ऐसे में पिछले 20 वर्षों से राज्य में काबिज भाजपा की सरकार को पुन: सत्ता में लाना मोदी और उसकी केन्द्र की सरकार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। यदि भाजपा हार जाती है तो निश्चित रूप से 2019 के आम चुनाव में विपरीत असर पड़ सकता है। यही बात मान कर राहुल गांधी अपनी पार्टी के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।मोदी ने मेंटास जिंदगी वाला दांव इसीलिए चला है ताकि लोगों का असल मुद्दों से ध्यान हट जाए और लोग इमोशनल होकर भाजपा और मोदी को जिता दें। गुजरात में भाजपा के साथ एक बात और यह है कि वहां का कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है जिसे भाजपा आगे करके उसके नाम पर वोट मांग सके। 2014 से 2017 तक के तीन साल के कार्यकाल में गुजरात ही ऐसा राज्य है जहां तीन-तीन मुख्यमंत्री सरकार चला रहे हैँ। ऐसे अस्थिर सरकार से हुई खामियों का खामियाजा और असंतुष्ट भाजपाइयों का असर कहां जाएगा। इसलिए मोदी ने इन चुनावों में किसी चेहरे को आगे करने की जगह खुद को आगे किया है।
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