उत्तर प्रदेश में चार बड़ी राजनीतिक घटनाएं हुईं। ये सारी घटनाएं देश और प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ जातीं हैँ। पहली घटना यह कि उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य और मंत्री सिद्धार्थ सिंह के क्षेत्र और भाजपा के तीन वर्ष से बने अजेय दुर्ग इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनाव में सत्ता में आने को बेताब समाजवादी पार्टी ने सेध लगा ली है। इसका सीधा मतलब यह लगाया जा रहा है कि छात्र राजनीति के सहारे अखिलेश यादव का उदय हो रहा है। बताया जा रहा है कि इन चुनावों में श्री मौर्य और सिद्धार्थ सिंह दोनों ने ही छात्र-छात्राओं से एबीवीपी के पक्ष में मत करने के लिए अपील की थी लेकिन तीन साल से लगातार एबीवीपी की जीत के बाद आज उस समय सपा की छात्र सभा ने एबीवीपी को मात्र एक सीट देकर सारी सीटों पर कब्जा कर लिया है। यह भी उस समय जब यूपी में भाजपा के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ की सरकार है। एक तरह से इसे भाजपा के खिलाफ जनादेश कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
दूसरी घटना यह है कि इस जीत से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव को किनारे लगाते हुए अपने पिता नेताजी मुलायम सिंह को अपने साथ कर लिया है। इससे समाजवादी पार्टी को बहुत बड़ी ताकत मिलने जा रही है। इसका असर प्रदेश के निकाय चुनावों में देखने को मिलेगा।
तीसरी घटना यह है कि महाराष्ट्र और पंजाब में मिली जीत से कांग्रेस पूरे रंग में आ गई है। पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन को तोड़ते हुए निकाय चुनाव अकेले ही लडऩे का निश्चय किया है। उन्हें विश्वास है कि गुजरात से राहुल गांधी और पंजाब की बड़ी जीत से जहां हिमाल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी को अच्छी सफलता मिलेगी वहीं यूपी के निकाय चुनाव में पार्टी पहले से बेहतर प्रदर्शन करेगी।
चौथी घटना कानपुर महानगर से है। यहां के व्यापारी आजकल रेजगारी यानी चिल्लर को लेकर बहुत परेशान हैं। ये व्यापारी बैंकों की दादागिरी से भी परेशान हैं। आरबीआई के निर्देशों को ताक पर रखने वाले बैंकों से तंग आकर इन व्यापारियों ने पूरे प्रशासन में हाथ-पांव मारे और अखबारबाजी भी कर डाली लेकिन जब इन्हें कोई रास्ता न सूझा तो एक होडिँ्रग बनवा कर लगवा दी। गलती यह हो गई कि इन व्यापारियो ने अपनी भड़ास पीएम मोदी पर सीधी निकाली और उनकी तुलना उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से कर डाली। बस क्या था पूरा प्रशासन इन व्यापारियों के पीछे पड़ गया और एक व्यापारी जेल में बाकी के खिलाफ मुकदमा। लेकिन यह गुस्सा भाजपा के खिलाफ ही फूट रहा है।
दूसरी घटना यह है कि इस जीत से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव को किनारे लगाते हुए अपने पिता नेताजी मुलायम सिंह को अपने साथ कर लिया है। इससे समाजवादी पार्टी को बहुत बड़ी ताकत मिलने जा रही है। इसका असर प्रदेश के निकाय चुनावों में देखने को मिलेगा।
तीसरी घटना यह है कि महाराष्ट्र और पंजाब में मिली जीत से कांग्रेस पूरे रंग में आ गई है। पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन को तोड़ते हुए निकाय चुनाव अकेले ही लडऩे का निश्चय किया है। उन्हें विश्वास है कि गुजरात से राहुल गांधी और पंजाब की बड़ी जीत से जहां हिमाल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी को अच्छी सफलता मिलेगी वहीं यूपी के निकाय चुनाव में पार्टी पहले से बेहतर प्रदर्शन करेगी।
चौथी घटना कानपुर महानगर से है। यहां के व्यापारी आजकल रेजगारी यानी चिल्लर को लेकर बहुत परेशान हैं। ये व्यापारी बैंकों की दादागिरी से भी परेशान हैं। आरबीआई के निर्देशों को ताक पर रखने वाले बैंकों से तंग आकर इन व्यापारियों ने पूरे प्रशासन में हाथ-पांव मारे और अखबारबाजी भी कर डाली लेकिन जब इन्हें कोई रास्ता न सूझा तो एक होडिँ्रग बनवा कर लगवा दी। गलती यह हो गई कि इन व्यापारियो ने अपनी भड़ास पीएम मोदी पर सीधी निकाली और उनकी तुलना उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से कर डाली। बस क्या था पूरा प्रशासन इन व्यापारियों के पीछे पड़ गया और एक व्यापारी जेल में बाकी के खिलाफ मुकदमा। लेकिन यह गुस्सा भाजपा के खिलाफ ही फूट रहा है।
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