उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले एक माह से राजनीति की सुर्खियों में छाए हुए हैं। केरल में संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद निकाली गई यात्रा में भाग लेने व हरियाणा में हिन्दुत्व की लहर जगाने के लिए अथवा गुजरात में मोदी की मदद करने के लिए उनकी भूमिका को लेकर चर्चांएं हैं। इसके साथ ही यूपी में छिड़े ताज विवाद में उनकी भूमिका को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। यदि सियासी नजरों से हटकर ताज विवाद की घटना को देखा जाए तो ये सिर्फ अतिशय चाटुकारिता का ही परिणाम है। सरकारी पुस्तक से ताज महल को हटाने की घटना से उत्साहित होकर अपने नंबर बढ़ाने के लिए सरधना के भाजपा विधायक संगीत सोम ने ताजमहल को लेकर अनाप-शनाप बयान दे डाला। इसका नतीजा यह हुआ कि यूपी में भाजपा की देशव्यापी फजीहत होने लगी। इसे डैमेज कंट्रोल करने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने सीएम योगी आदित्यनाथ का सहारा लिया। योगी आदित्यनाथ ने अपनी भूमिका बड़े ही अच्छे ढंग से निभाई लेकिन जैसे वीरेन्द्र सहवाग द्रविड़ नहीं बन सकते। वैसे ही योगी मोदी नहीं बन सके। हश्र ये हुआ कि मामला थमने की जगह आगे बढ़ गया है। अब देखिये कब तक इस पर विराम लगता है।
अतिशय चाटुकारिता का दूसरा नमूना कानपुर में उस समय देखने को मिला जब वहां खेलने के लिए आई भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाडिय़ों का स्वागत भगवा गमछे से किया गया, जिस पर योगी छपा हुआ था। खेल और राजनीति के इस घालमेल को सियासी कद्दावर पचा नहीं पा रहे हैं। लोग अपने नंबर बढ़ाने के चक्कर में योगी जी आपके नंबर घटा रहे हैं। आप ठहरे साधु-संत वरना अब तक तो आपको भी पसीना आ जाता। इसलिए आप अपने प्रशंसकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को एक सख्त संदेश दे दें वरना ये कहीं भी आपको ले जाकर डुबो देंगे।
अतिशय चाटुकारिता का दूसरा नमूना कानपुर में उस समय देखने को मिला जब वहां खेलने के लिए आई भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाडिय़ों का स्वागत भगवा गमछे से किया गया, जिस पर योगी छपा हुआ था। खेल और राजनीति के इस घालमेल को सियासी कद्दावर पचा नहीं पा रहे हैं। लोग अपने नंबर बढ़ाने के चक्कर में योगी जी आपके नंबर घटा रहे हैं। आप ठहरे साधु-संत वरना अब तक तो आपको भी पसीना आ जाता। इसलिए आप अपने प्रशंसकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को एक सख्त संदेश दे दें वरना ये कहीं भी आपको ले जाकर डुबो देंगे।
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