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Thursday, 26 October 2017

‘आह ताज’ से ‘वाह ताज’ के राग का क्या है राज

मात्र एक माह में यूपी के सीएम आदित्य नाथ योगी का हृदयपरिवर्तन हो गया कि अपनी सूचना प्रसारण मंत्रालय की बुकलेट से जिस ताज को बाहर निकाल फेंका आज उसी के आंगन में झाड़ू लगाते नजर आए। क्या आगरा में नगर निगम के सफाई कर्मी हड़ताल पर चले गए थे या सरकार की बात नहीं मान रहे थे। ऐसा तो कुछ भी नहीं था। ताज के सफाई अभियान को लोग भले ही डैमेज कंट्रोल मान रहे हों परन्तु वैसा है नहीं जैसा कि दिखता है। इसमें दाल में काला कुछ जरूर है कि सरधना के भाजपा विधायक संगीत सोम अवश्य ही फायर ब्रांड भाजपाई नेता हैं लेकिन वह इतने मंदबुद्धि भी नहीं हैं कि पार्टी लाइन के खिलाफ अपनी जुबान खोल लें। जब योगी जी ने ताज महल को निकाल फेंक कर गोरखपुर को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट मानकर तरजीह दी तो संगीत सोम को लगा यही पार्टी लाइन है ओर उन्होंने योगी जी के रास्ते पर ही दो कदम और आगे चलकर बयान दे डाला। उनका बयान देते ही अवकाश बिता रहे विपक्षी खासकर सपा के आजम खान और औवैसी को मौका मिल गया। फिर क्या छिड़ गई बहस। दोनों ओर से जमकर बयानबाजी हुई। जिसको जो समझ में आया वो कहा। लेकिन अचानक चली गई चाल से भाजपा को नुकसान होता नजर आया। यही नहीं ताज की बात होते ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सरकार पर दबाव बनने लगा। तब सरकार हरकत में आई और आनन-फानन में इस मसले को सुलटाने के लिए भाग-दौड़ शुरू कर दी गई।
बच्चे ने की शरारत और घर के बड़ों ने उसे डांट-फटकार कर मामला शांत करने वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए सीएम योगी को संकटमोचक का रोल दे दिया गया। मन में बहुत कसमसाए तो होंगे योगी जी, क्योकि वे खुद ही सबसे बड़े फायरब्रांड नेता है, एक हाथ में माला तो एक हाथ में भाला, तुम एक मारोगे तो हम दस मारेंगे, तुम हमारी एक लडक़ी को भगाओगे तो हम तुम्हारी 100 लड़कियों को...? विचारधारा वाले भगवा नेता हैं। मन में कसमसाहट को लेकर बैक फुट पर आकर आह ताज से वाह ताज करने का निश्चय किया। 

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