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Wednesday, 11 October 2017

नाबालिगों का विवाह ही क्यों?

शर्मनाक: 27प्रतिशत शादियां नाबालिगों की ही होती हैं

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है कि नाबालिग पत्नी के साथ संबंध बनाना रेप माना जाएगा। साथ ही कोर्ट ने सरकार से बाल विवाह  रोकने को कहा है। अब सवाल उठता है कि ये स्थिति क्योंआई कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ऐसा वाद क्यों पहुंचा कि नाबालिग पत्नी के साथ संबंध बनाने पर अपराध है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट से इतर आज बालिका दिवस भी है। इस अवसर पर हमें यह जानकर शर्म आती है कि आज भी देश में जितनी शादियां होतीं हैं उनमें से 27 प्रतिशत शादियां नाबालिग कन्याओं की होती हैं। कहा जाता है कि कथित रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्यों में बाल विवाह की सबसे अधिक प्रथा प्रचलित है। जब ये आंकड़े सरकार के सामने आते हैं। तो सरकार क्या करती है। जब सुप्रीम कोर्ट को यह मालूम है कि अक्षय तृतीया के दिन इन राज्यों में बड़ी संख्या में सामूहिक रूप से बाल विवाह होते हैं। सरकार को चाहिए कि कानूनी सख्ती करने के साथ ही जागरुकता लाए। मैं कहता हूं कि सरकार बनाने के लिए और चुनाव जीतने के लिए आप वोटरों को अपनी पार्टी के प्रति जागरुक कर सकते हैं तो देश के भविष्य के लिए आप क्या नहीं कर सकते हैं। सिर्फ इच्छा शक्ति होनी चाहिए। हम 21 वीं शताब्दी में जी रहे हैँ , जहां गांव का अनपढ-अशिक्षित व्यक्ति भी आपको एंड्रायथ फोन धड़ल्ले से चलाता मिल जाएगा। उसे डंडे से हांकने की आवश्यकता अब नहीं रह गई है अब आवश्यकता है उसे समझाने  और उसके फायदे की बात बताने की है ताकि ऐसी नौबत ही न आए कि नाबालिगों के साथ किसी तरह का अत्याचार हो। 

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