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Monday, 9 October 2017

राहुल को पीएम बनने के लिए पहले आत्मविश्वास ढूंढना होगा

मोदी के सामने ब्रह्मास्त्र चलाना आसान नहीं, यूपी में पीके फार्मूला ने कांग्रेस में फूंकी थी जान

राहुल गांधी पीएम बननें और 2019 में कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए गुजरात में पूरी दमखम लगा रहे हैं। इस बीच यह खबर मिली कि उन्हें मोदी को हराने के लिए एक अमेरिकी कंपनी रूपी ब्रह्मास्त्र मिल गया है। पहले यह परंपरा थी कि ब्रह्मास्त्र उसे ही दिया जाता था जो इसको चलाने में पारंगत होता था। अब पहले ब्रह्मास्त्र को चलाने की विद्या राहुल को सीखनी होगी वरना यूपी जैसा ही हश्र होगा। चुनाव से पहले जब कांग्रेस ने पीके को कमान सौंपी थी। पीके ने अपना फार्मूला अपनाया था, जिसने शुरुआती  चरण में 27 वर्ष से मृतप्राय पड़ी कांग्रेस में जान फूंक दी थी। फिर अचानक कांग्रेस ने सपा से समझौते की बात छेड़ दी और समझौता किया तो उसका हश्र सामने आ गया। अब पहले राहुल गांधी आत्म विश्वास पैदा करें और लोगों पर विश्चास करना सीखें तभी कुछ बात बन सकती है। यही मौका है कि राहुल गुजरात को सीढ़ी बनाकर आगे बढें और अगले साल कई राज्यों में चुनाव हैं यदि आज से कमर कस कर कुछ काम करें तो बात बन सकती है और जिस तरह से आम जनता मोदी के शासन के तीन साल में ऊब गई है उसका फायदा मिल सकता है वरना कोई भी ब्रह्मास्त्र राहुल को पीएम की गद्दी तक नहीं पहुंचा सकता।
क्या कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए ब्र्रह्राास्त्र मिल गया है? रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस कैंब्रिज ऐनालिटिका नाम की उस चर्चित कंपनी के संपर्क में है जिसने पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप को जितवाने में अहम भूमिका निभाई थी। दरअसल, कैंब्रिज ऐनालिटिका कन्ज़्यूमर्स के इंटरनेट डेटा का विश्लेषण करके यह पता लगाने का काम करती है कि लोगों को क्या पसंद-नापसंद है, लोगों के लिए मुद्दे क्या हैं ताकि नेता उसी हिसाब से अपनी रणनीति तैयार कर सकें। इस विश्लेषण में ऑनलाइन सर्च, ईमेल और यहां तक की शॉपिंग वेबसाइट्स को भी खंगाला जाता है।  2014 के लोकसभा चुनाव में जब यह बात सामने आई कि बीजेपी सोशल मीडिया को भी ध्यान में रखकर चुनावी रणनीति तैयार कर रही है तो राजनीतिक पंडितों ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी। उनका मानना था कि भारत की ग्रामीण जनता का इससे कोई सीधा ताल्लुक नहीं है, लेकिन बीजेपी की शानदार जीत ने यह साबित किया कि मतदाताओं के समूह की पहचान करने और फिर उन्हें ध्यान में रखते हुए चुनावी रणनीति बनाने में इंटरनेट का भारी योगदान रहा। बीजेपी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव रहते हैं और उसके जरिए उन्होंने कई बड़े अभियान भी चलाए हैं। स्मार्ट ऑनलाइन कैंपेन के जमाने में अब पुरानी चुनावी रणनीतियां और तरीके उतने कारगर नहीं रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैंब्रिज ऐनालिटिका के सीईओ अलेग्जेंडर निक्स ने अगले लोकसभा चुनाव में यूपीए के लिए चुनावी रणनीति बनाने के सिलसिले में विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की है। कंपनी ने कांग्रेस को एक प्रेजेंटेशन भी दिया है जिसमें वोटरों को ऑनलाइन साधने की रणनीति को विस्तार से बताया गया है।
बता दें कि कैंब्रिज ऐनालिटिका का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। कंपनी ने न सिर्फ अमेरिका में ट्रंप की जीत में बड़ा रोल निभाया, बल्कि ब्रेग्जिट को लेकर हुए जनमत संग्रह में भी कमाल दिखाया। ऐनालिटिका ने ब्रेग्जिट के पक्ष में कैंपेन चलाया था जिस पर ब्रिटेन की जनता ने भी मुहर लगाई। दुनियाभर की कई राजनीतिक पार्टियां आज कंपनी के संपर्क में हैं। माना यह जा रहा है कि अगर सही वोटरों को टारगेट कर के ट्रंप जैसे उम्मीदवार चुनाव जीत सकते हैं तो फिर अन्य लोग भी जीत सकते हैं। बता दें कि अमेरिकी चुनाव की शुरुआत में ट्रंप को काफी कमजोर माना जा रहा था। अपने चुनावी अभियान में ट्रंप ने विदेशी कामगारों को लेकर सख्त रवैया अपनाया था, लेकिन फिर भी वह हिंदुओं को लुभाने में कामयाब रहे। बताया जाता है कि यह रणनीति कंपनी के उस डेटा पर आधारित थी जिसमें बताया गया था कि कुछ अहम राज्यों में हिंदू वोटर्स अपना पाला बदल सकते हैं। यह कंपनी की सुझायी रणनीति ही थी कि ट्रंप ने भारतीय वोटरों को लुभाने के लिए हिंदी में विज्ञापन जारी किए। वर्जिनिया में ट्रंप की बेटी एक हिंदू मंदिर में दीपावली मनाती नजर आईं और ट्रंप यह कहते देखे गए कि वाइट हाउस में भारतीयों और हिंदू समुदाय का एक सच्चा दोस्त पहुंचेगा। अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जाने वाले ऑनलाइन अभियानों की कोई काट विपक्ष नहीं ढूंढ पाया है। मोदी की सीधे वोटरों तक पहुंचने की कला और बीजेपी चीफ अमित शाह की चुनावी रणनीति, मतदाता की इच्छाओं के विश्लेषण के आधार पर ही तैयार होती है। अभी तक इस मोर्चे पर कमजोर माने जाने वाले विपक्ष ने भी अब इसी रास्ते पर आगे बढऩे का फैसला किया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या कैंब्रिज ऐनालिटिका जैसी कंपनी के सहारे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अगले लोकसभा चुनाव में मोदी को हरा पाएंगे? इस सवाल का जवाब शायद वक्त और डेटा ही तय करेंगे।

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