राजनीति में शार्टकट से चौके-छक्के मारने के इरादे से अभिनेता कमल हासन ने हिन्दू आतंकवाद की चर्चा करके अपना नेता वाला कद काफी छोटा कर लिया है। शायद उन्हें यह भी नहीं मालूम कि वेदों और पुराणों के जमाने से हिन्दुओं में यह परम्परा चली आ रही है कि प्राणरक्षा के लिए शस्त्र उठाना पाप नहीं है। रामायण,महाभारत काल से पहले भी अनेकोंं ऐसी घटनाएं हुईं हैं जब महान हस्तियों में राजाओं ने ही नहीं बल्कि ऋषियों ने भी आवश्यकता पडऩे पर और प्राण रक्षा के लिए शस्त्र तक उठाए हैं। इसे यदि आप हिन्दू आतंकवाद कहते हैं तो ये आपकी नादानी है। शायद इस तरह के शगल करके सीधे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हों तो कोई ताज्जुब की बात नहीं है। आज पूरा हिन्दुस्तान हिन्दुओं के पक्ष में एक हो रहा है। ऐसे में कमल हासन साहब आपकी यह ओछी मानसिकता और फूट डालो राज करो की रणनीति सफल होने वाली नहीं है। आज का भारतीय हर एक बात को अच्छी तरह से जानता है। अपने नेताओं को ऐसी पटकनी देता है कि वह उठने के काबिल भी नहीं रहते हैँ।
कमल हासन साहब की यह गलती नहीं है क्योंकि वह जानते हैं कि उनकी सीमा तमिलनाडु से लेकर केरल तक ही है। इसके आगे उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। क्योंकि उनका फिल्मी लोकप्रियता का जमाना निकल चुका है। इसलिए वह राजनीति में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। अभिनेता कमल हासन ने एक तमिल पत्रिका में अपने साप्ताहिक लेख में हिंदू आतंकवाद का मुद्दा उठाया है। हासन ने लिखा, आप ये नहीं कह सकते कि हिंदू आतंकवाद नहीं है । पहले हिंदू कट्टरपंथी बातचीत करते थे, अब वे हिंसा करते हैं। अपने लेख में कमल हासन ने ये भी कहा है कि अब सत्यमेव जयते से लोगों का विश्वास उठ गया है। उन्होंने लिखा,सत्य की ही जीत होती थी, लेकिन अब ताक़त की ही जीत होती है ऐसा बन गया है। इससे लोग अमानवीय हो गए हैं। इससे पहले आमिर खान ने भीे ऐसी बयानबाजी की थी। इसका जवाब लोग अच्छी तरह से दे चुके हैं। कमल हासन को एहसानफरामोश नहीं होना चाहिए। जिस धरती ने उन्हें जन्म दिया और वो सब कुछ दिया,जिसके लिए लोग तरसते हैं। और उसी धरती को अपमानित करके अपना निशाना साधने की कोशिश कर रहे हैं क्या यही उनका आदर्श है। विचारधारा कोई भी हो सकती लेकिन सस्ती लोकप्रियता की सीढ़ी नहीं लिफ्ट से चढक़र राजनीति का आकाश छूना चाहते हैं। कमल हासन साहब सीढ़ी में तो पायदान होते हैं आदमी किसी न किसी पायदान से फिसलने पर निचले वाले पायदान पर ठहर तो सकता है लेकिन लिफ्ट तो लिफ्ट है एक मिनट पर आपको आसमान भी दिखा सकती है तो दूसरे मिनट में आपको कहां ले जा सकती है, इसकी आपने कल्पना भी की है या....
कमल हासन साहब की यह गलती नहीं है क्योंकि वह जानते हैं कि उनकी सीमा तमिलनाडु से लेकर केरल तक ही है। इसके आगे उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। क्योंकि उनका फिल्मी लोकप्रियता का जमाना निकल चुका है। इसलिए वह राजनीति में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। अभिनेता कमल हासन ने एक तमिल पत्रिका में अपने साप्ताहिक लेख में हिंदू आतंकवाद का मुद्दा उठाया है। हासन ने लिखा, आप ये नहीं कह सकते कि हिंदू आतंकवाद नहीं है । पहले हिंदू कट्टरपंथी बातचीत करते थे, अब वे हिंसा करते हैं। अपने लेख में कमल हासन ने ये भी कहा है कि अब सत्यमेव जयते से लोगों का विश्वास उठ गया है। उन्होंने लिखा,सत्य की ही जीत होती थी, लेकिन अब ताक़त की ही जीत होती है ऐसा बन गया है। इससे लोग अमानवीय हो गए हैं। इससे पहले आमिर खान ने भीे ऐसी बयानबाजी की थी। इसका जवाब लोग अच्छी तरह से दे चुके हैं। कमल हासन को एहसानफरामोश नहीं होना चाहिए। जिस धरती ने उन्हें जन्म दिया और वो सब कुछ दिया,जिसके लिए लोग तरसते हैं। और उसी धरती को अपमानित करके अपना निशाना साधने की कोशिश कर रहे हैं क्या यही उनका आदर्श है। विचारधारा कोई भी हो सकती लेकिन सस्ती लोकप्रियता की सीढ़ी नहीं लिफ्ट से चढक़र राजनीति का आकाश छूना चाहते हैं। कमल हासन साहब सीढ़ी में तो पायदान होते हैं आदमी किसी न किसी पायदान से फिसलने पर निचले वाले पायदान पर ठहर तो सकता है लेकिन लिफ्ट तो लिफ्ट है एक मिनट पर आपको आसमान भी दिखा सकती है तो दूसरे मिनट में आपको कहां ले जा सकती है, इसकी आपने कल्पना भी की है या....
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