new

Friday, 22 April 2016

व्यंग्य पुराण-पागलखाने में नारदजी का ताण्डव

सुपरिटेंडेंट ने नारदजी के खाने का इंतजाम किया। इसके बाद नारदजी ने कहा अब आराम करना चाहूंगा। वह बोला आपने कहा कि मुझे कुछ और बताएंगे। नारदजी बोले कि इतनी जल्दी क्या है? मैं तो यहां आराम से रहने वाला हूं और तुम भी कहीं जा नहीं रहे हो,रोज-रोज कुछ जानकारी देता रहूंगा। ठीक है अब तुम भी खा-पीकर आराम करो। ठीक है फिर कल सुबह तो बताएंगे। हां-नारदजी बोले। नामालूम ने पूछा कि यह क्या कह रहा है? नारदजी बोले,अपनी मौत तलाश रहा है। इसने अपने जीवन इतने पाप किए हैं कि इससे इसे जल्दी मुक्ति नहीं मिलने वाली फिर भी चाहता है कि सब कुछ अच्छा हो जाए। दरअसल पागलों के साथ रहकर यह पागल हो गया है। भौतिक सुख के लिए अपनी जान कुर्बान करने पर तुला है। नामालूम ने फिर पूछा कि क्या मुझे भी कुछ बताओगे,बाबाजी? नारदजी बोले,ज्योतिष विद्या हंसी-मजाक नहीं हैं,आराधना है। हर समय सरस्वती हमारी जुबान में बैठकर बोलने के लिए तैयार नहीं रहतीं हैं। अच्छा,जानना चाहते हो तो चलो तुम भी कल सुबह ही पूछ लेना। इसके बाद नारदजी ने आंखें बंद करके लेट गए। आराम करने के बाद उठे तो काफी विचलित दिखे। नामालूम ने पूछा कि बाबा क्या बात है? आप कुछ परेशान दिख रहे हैं। बताइए मैं आपकी क्या सेवा करूं? उन्होंने कहा कि नामालूम, भाई मेरी परेशानी का कारण यह है कि मैं जब स्वर्ग लोग में रहता था तो वहां पर सभी जगह भ्रमण करता रहता था। सारी जगह की खबरें मिल जाया करतीं थीं। अब जबसे तुम्हारे साथ आया हूं पहली बार तो फुर्सत मिली है तो खबरों को लेकर मन में जिज्ञासा बढ़ रही है। अब समझ में नहीं आता कि क्या करूं? बाबाजी मैं इस मामले में आपकी कोई मदद नहंीं कर सकता हूं क्योंकि मैं काला अक्षर भैंस बराबर हूं। लेकिन मेरे दिमाग में एक आइडिया आ रहा है कि यदि आपको खबरों की जानकारी चाहिए तो अखबार पढिय़े। अखबार आपका भक्त सुपरिटेंडेंट लाकर देगा। उससे ही मांगिये। नारदजी बोले तो ऐसा कर तू ही सुपरिटेंडेंट के पास जाकर कह ना कि बाबा जी अखबार मंगा रहे हैं। ठीक है कहकर नामालूम सुपरिटेंडेंट के पास गया और कहा। उसने कहा कि अखबार आता तो है, लेकिन सुबह अब कहां और किस हाल में होगा पता नहीं फिर भी प्रयास करता हूं। बड़ी कोशिशों के बाद अखबार के कुछ टुकड़े बटोर कर उसने नामालूम को दे दिए और कहा कि बाबाजी से कहो कि आज इसी के काम चला लें बाकी सुबह बढिय़ा अखबार मिल जाएगा। नामालूम ने बाबाजी को अखबार के टुकड़े दे दिए और कहा कि सुपरिटेंडेंट ने कहा है कि समूचा अखबार सुबह ही मिल पाएगा। उन्होंने इन टुकड़ों में लिखी हुई खबरें पढ़ीं तो उनका सर ही चकरा गया। कही हत्या तो कहीं भ्रूण हत्या,चोरी,चकारी,लूट-पाट,छीना-झपटी,लड़ाई-झगड़ा, पति-पत्नी के बीच झगड़े,आत्महत्या,संपत्ति के लिए बाप-बेटे में जंग तो कहीं बाप ने किया बेटे का कत्ल तो कहीं बेटे ने बाप को मौत के घाट उतारा। वह तो माथा ही पकड़ कर बैठ गए । थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा कि नामालूम क्या यही खबरेंं हैं। बाबाजी यह तो अखबार के टुकड़े में कुछ नमूने हैं बाकी कल सुबह के अखबार में पढ़ लेना। नारदजी ने कहा कि अखबारों में भगवान विष्णु या राम या कृष्ण के बारे में कुछ नहीं छपता। उसने कहा कि हमने तो पहले ही कहा कि हम तो अंगूठा टेक हैं छपता भी होगा तो हमें कुछ नहीं मालूम। शाम को जब सुपरिटेंडेंट नारदजी से मिलने आया तो उन्होंने अखबार में छपी इन खबरों पर अपना दर्द जताया और साथ ही यह भी कहा कि भगवान की खबरें नहीं छपतीं हैं क्या? उसने कहा कि छपती जरूर होंगी क्योंकि ये अखबार वाले किसी को नहीं छोड़ते। तो भगवान को क्या छोड़ेंगे। सुबह का अखबार आएगा तो सबसे पहले आपके पास ही भेज देंगे।
सुबह हुई तो फिर वहीं कार्यक्रम शुरू हो गया। नारदजी ने ध्यान लगाया और उसके बाद जब उनकी तंद्रा टूटी तो सुपरिटेंडेंट मिलने आ गया और करने लगा तकादा। बच्चों की तरह ठुनक कर बोला बाबा जी अब तो सुबह हो गई अब तो बताइये न। आपने कहा कि सुबह बताएंगे। नारदजी बोले कि आपने भी कहा कि सुबह अखबार देंगे मेरा मन खबरों को लेकर बहुत व्याकुल है। उसने कहा कि बस अखबार आता ही होगा जैसे आ जाएगा वैसे ही भेज देेंगे। बस अब देर मत लगाइये और मुझे बताइये। नारदजी ने काफी सोच विचार कर कहा कि एक काम कर यदि तू वास्तव में अपना कल्याण चाहता है तो जीवन का प्रायश्चित कर ले क्योंकि तू ही याद कर ले कि अपने जीवन में कितने पाप किए हैं? वह सिर झुकाकर बैठ गया। बोला कि मैं किस तरह से प्रायश्चित करूं? तेरे हाथ में इतना बड़ा पागलखाना है। न जाने कितने यतीम होंगे और न जाने कितने पागलों के बच्चे इधर-उधर भटक रहे होंगे उनका सही इलाज करके उनके परिवार को मिला दे। यही तेरे लिए काफी है। इनकी दुआएं ले तेरा सबकुछ ठीक हो जाएगा। किसी का हक मत मार। जी अच्छा कह कर सुपरिटेंडेंट चुप हो गया। नारदजी ने कहा कि आज इतना ही बस फिर देखूंगा कि तुझे कब क्या बताना है।ठीक है। हां जाते जाते अखबार भिजवा देना। अखबार तो साथ ही लाया था। देखो आज इसमें रामजी और रामायण की खबर भी छपी है। नारदजी ने इतना सुनते ही उसके  हाथ से अखबार झपट लिया। अखबार में आज की रामायण कालम पढ़ते ही नारदजी चौंक पड़े। रामायण और उसकी घटनाओं पर छपे व्यंग्य को देखकर नारदजी का मुंह लाल हो गया। धीरे-धीरे वह बड़बड़ाने लगे। फिर जोर-जोर से चिल्लाने चीखने लगे। उनकी चीख पुकार सुनकर इकट्ठे होने लगे। नारदजी से पूछने लगे कि अखबार में ऐसा क्या छपा है कि जिसे पढ़ कर आप इतने नाराज हो गए। वे बोले हमारे प्रभु श्रीराम का घोर अपमान,नहीं था ऐसा अनुमान, माफ कीजिये श्रीमान, नहीं कर पाऊंगा इस पर फिर से ध्यान। अगर आपको जानना ही चाहते हैं तो ये है मेरा साथी नामालूम यह पढ़कर आपको बताएगा। वह बोला बाबा मैं तो पहले ही बता चुका हूं कि मैं हूं अंगूठा टेक । मेरे लिए अखबार में लिखे सारे काले अक्षर भैंस के समान एक जैसे दिखते हैं। इतनी बात सुनते ही भीड़ में से एक अजूबा सा व्यक्ति सामने आया और बोला सुनो जी श्रीमान मेरा नाम है बावला अरमान। मगर ईंट-पत्थर मारने वाला पागल नहीं हूं,थोड़ा सा खिसक गया है तो यहां आ गया हूं। बस अब ठीक होने वाला हूं,ठीक होते ही अपनी लैला के पास चला जाऊंगा। आप सबसे कहूंगा टाटा एण्ड बाय-बाय। तभी भीड़ में से आवाज आई कि अखबार पढ़ेेगा कि अपनी राम कहानी सुनाएगा। नहीं दोस्तो-मैं थोड़ा-घना पढ़ा-लिखा भी हूं । अब अखबार पढ़ कर सुनाता हूं। तो सुनिये दोस्तो।अखबार ने लिखा है कि आज का जमाना होता तो राजा दशरथ के शब्दभेदी बाण से श्रवण कुमार की मृत्यु को इस तरह लिखा जाता कि राजा दशरथ ने की श्रवण कुमार की हत्या, एफआईआर दर्ज। माता-पिता अनशन पर । बाद में दम तोड़ा। कैकेयी द्वारा राजा दशरथ से वरदान मांग कर राम को वनवास भेजने को यूं लिखा जाता अयोध्या की कुर्सी पर राजा-रानी में खटपट। रानी जीतीं भरत को कुर्सी दिलाई कब्जे की आशंका को खत्म करने के लिए राम को किया चौदह बरस के लिए राज्य बदर। केवट द्वारा चरण धोने की घटना को यूं कहा जाता केवट से चरण धुलवाने पर दलित नेता आग-बबूला। कहा ये है दलितों का अपमान। आयोग से गुहार। ताड़का वध और सूर्पणखा दण्ड पर लिखा जाता ताड़का वध और सूर्पणखा की नाक-कान कटाई के विरोध में महिला आयोग का अयोध्या में प्रदर्शन जारी क्योंकि जंगल में राम-लक्ष्मण हुए गुम। अखबार ने चीखने वाले चैनल की खबर लेते हुए लिखा कि राजा दशरथ की अंतिम यात्रा में स्वयं राजा दशरथ मौजूद-टीवी चैनल। फिर अखबार ने बिना संदर्भ क घटनाओं को इस प्रकार लिखना शुरू कर दिया। बालि की हत्या की शक की सुई श्रीराम पर ठहरी, सप्ताह भर में सीबीआई पेश करेगी जांच रिपोर्ट। छह माह तक कोख में रावण को दबा कर घूमने के जुर्म में बाली के खिलाफ इन्द्रजीत ने मुकदमा दायर किया। सोने का हिरन मारने पर श्रीराम को वन विभाग से मिली चेतावनी। श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता के अपहरण का मामला दर्ज कराया।समुद्र पर असेवैधारिक सेतु बनाने पर नल व नील से सीबीआई करेगी पूछताछ। अशोक वाटिका उजाडऩे,युवराज अक्षय कुमार को मारने व लंका में आग लगाने के जुर्म में रावण वीर हनुमानको बंदी बनाया। हिमालय वासियों ने पर्वत श्रंखला से एक पर्वत के चोरी हो जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई। अंगद ने लंका क राजा का उन्हीं के निवास स्थान में जाकर किया अपमान। विभीषण पर देशद्रोह का आरोप,हुए तड़ीपार। श्रीराम ने किया रावण का फर्जी एनकाउंटर। भारत व श्रीलंका सरकार की दूरियां बढ़ीं। सीता से अग्नि परीक्षा मांगने पर महिला आयोग ने श्रीराम की कड़े शब्दों में निंदा की। सुप्रीम कोर्ट ने जनता की मांग पर श्रीराम व उनकी सेना को सभी आरोपो ंसे मुक्त किया। भगवान श्रीराम जब वन से अयोध्या पुष्पक विमान से लौट रहे थे तो देखा कि जहां अयोध्या सीमा पर आगे बढ़े थे वहां कुछ लोग कीर्तन भजन कर रहे थे। उन्होंन अपना विमान उतरवाया तो देखा कि किन्नर श्रीराम का कीर्तन करने में मस्त थे। तभी श्रीराम ने कहा कि अरे आप लोग चौदह वर्ष से यहीं भजन कीर्तन कर रहे हों। प्रभु आपने सबसे विदा लेते हुए कहा कि अच्छा अयोध्या के नर-नारियों आपसे विदा लेता हूं आप लोग अपने-अपने घर जाइये। हम तो नर में न नारी में। हमने सोचा कि प्रभु ने हमें तो अपने घर जाने की आज्ञा दी नहीं इसलिए हम लोग आपका गुणगान कर रहे हैं। ठीक है अब चलो। खुश होकर सभी चल दिए। क्रमश:

No comments:

Post a Comment