राहुल-अखिलेश गठबंधन की ओर बढ़ा मुस्लिम मतदाता
बसपा सुप्रीमो ने दलित-मुस्लिम कार्ड के भरोसे पर पूर्ण बहुमत की सत्ता हासिल करने का सपना देखा था,उसमें राहुल-अखिलेश के गठबंधन की सेंध लगती दिख रही है। इसलिए वह तरह-तरह के हथकंडे इस्तेमाल करके जनता को लुभा रहीं हैं। भाजपा पर संविधान में दर्ज आरक्षण को जातिगत आरक्षण का प्रचार करके लाभ उठाने का आरोप लगाकर सुश्री मायावती स्वयं जनसभा में यह वादा कर रहीं हैं कि वह सत्ता में आयीं तो व सवर्ण वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करेंगी। इससे यह स्पष्ट साबित हो रहा है कि मायावती को अपनी चाल सफल होती नहीं दिख रही है। इसलिए वह सवर्णों के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहीे हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति के बारे में यह स्पष्ट है कि भाजपा को मुसलमानों के वोट नहीं मिल सकते तो सपा और बसपा को सवर्णों के वोट नहीं मिल सकते। यह पूर्ण सत्य नहीं हैं। इसमें भी अपवाद हैं। क्यों कि आज जब एक पिता की दो संतानों के विचार अलग-अलग होते हैं तो फिर पूरी जाति,जमात और कुनबे की बात करना ही बेकार है। अगर मायावती की बात करें तो वह पहली बार सत्ता में नहीं जा रही हैं। पहले भी सत्ता में रहीं हैं और सवर्णों ने उनका शासनकाल और शासनकाल के तहत निर्णय देखें हैं। अब सवर्ण किस प्रकार भरोसा करें।पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुसलमान फिलहाल चार भागों में बंटे हुए हैं। पहला सपा-राहुल गठबंधन, दूसरा बसपा, तीसरा राष्ट्रीय लोकदल, चौथा ओवैसी व अन्य दल। इन चारों में सपा-राहुल गठबंधन को इसलिए तरजीह मिल रही है क्योंकि यह नया प्रयोग है। हमारे यहां कहावत है कि नई-नई दुल्हन जब घर में आती है उसका स्वागत जोरदार तरीके से किया जाता है। वही हाल सपा-कांग्रेस गठबंधन का है। इस गठबंधन का दूसरा आकर्षण यह है कि दोनो नेता युवा हैं और वे युवाओं को अपनी ओर आकर्षित भी कर रहे हैं। तीसरा यह है कि सत्ता की प्रमुख दावेदार बनने की कोशिश कर रही भाजपा में पैराशूट प्रत्याशियों को लेकर भारी अन्तर्कलह है। इसके बावजुद बसपा सुप्रीमों को अपनी जीत में कुछ संदेह दिख रहा है। इसलिए वह अंसारी बंधुओं की मदद लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपना दबदबा कायम करना चाहती हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वह अपने विकास के बल पर वोट लेना चाहती हैं। वहीं चाहतीं हैं कि सभी पार्टियों से छिटके सवर्ण वोट यदि उनकी झोली में आ जाएं तो सोने में सुहागा हो जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो बसपा को अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बननी निश्चित दिखाई देगी। आगे-आगे देखिए होता है क्या?
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