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Tuesday, 7 February 2017

अब आयकर रिटर्न में नहीं चलेगी जुगाड़बाजी

दंद-फंद करने वाले सीए पर लगेगा दस हजार का दंड

नोटबंदी और कैशलेस सोसायटी के साथ ही आयकर दाताओं पर पैनी नजर रखने वाली मोदी सरकार ने अब स्पष्ट संकेत दिया है कि कर देकर ईमानदार नागरिक बनने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं रह गया है। कर देने में किसी तरह की जुगाड़बाजी नहीं चलने वाली। आयकर अधिकारियों ने अपनी करदाताओं और उनके सीए द्वारा की जाने वाली हर तरह की जुगाड़बाजी पर अपनी नजरें गड़ा दीं हैं और स्पष्ट चेतावनी दी है कि रिटर्न के नए प्रावधानों के के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके लिए करदाता और उनका सीए जो भी दोषी होगा अवश्य ही नापा जाएगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि चार्टर्ड अकाउंटेंट अगर आयकर दाताओं का गलत विवरण जमा कराते हैं तो कर अधिकारी ऐसे पेशेवरों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाएंगे। उन्होंने कहा कि धारा 271 जे के तहत हमने सीए, मूल्यांककों तथा मर्चेंट बैंकरों की जिम्मेदारी तय की है, जो आडिट, मूल्यांकन रिपोर्ट और अन्य चीजें जमा कराते हैं। ऐेसे में अगर वे कोई गलत सूचना रिटर्न में देते हैं तो उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा।’ उन्होंने कहा कि पूरी प्रणाली सीए पर काफी भरोसा करती है और उन्हें अधिक जिम्मेदार होना चाहिए। चंद्रा ने कहा कि बजट का उद्देश्य कर अनुपालन में सुधार करना और कर दायरा बढ़ाना तथा कारोबार की स्थिति सुगम करना है। निचले कर के बावजूद अनुपालन का स्तर काफी कम है। उन्होंने कहा कि पनामा दस्तावेजों तथा अन्य कालाधन संबंधी रिपोर्टों में भारतीयों की संख्या काफी अधिक है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आईटी रिटन्र्स में बदलाव के प्रावधान का गलत इस्तेमाल करने की कोशिश को लेकर करदाताओं को आगाह किया है। बोर्ड ने आज कहा कि इनकम रिविजन वाले फॉर्म्स में बड़े बदलाव हुए तो इनकी जांच कर कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
बोर्ड का कहना है कि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद कुछ करदाता शुरुआती आकलन वर्ष में की घोषणा में बदलाव के लिए इस प्रावधान का दुरुपयोग कर सकते हैं ताकि वो मौजूदा वर्ष की अघोषित आय को पिछली फाइलिंग में दिखा सकें। सीबीडीटी ने एक बयान जारी कर कहा कि रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने का प्रावधान ऑरिजिनल इनकम रिटर्न में हुई गलतियों या गलतबयानी को सुधारने के लिए किया गया है न कि पूर्व में घोषित आय में बदलाव करने के लिए। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के लिए नीति निर्धारण करनेवाली संस्था सीबीडीटी ने आगे कहा कि अगर (इनकम टैक्स) डिपार्टमेंट पिछले साल के आइटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न) में हेराफेरी पकड़ता है तो वह उसकी जांच करेगा। बयान में कहा गया है कि अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आय की रकम, नकदी, मुनाफे आदि में गड़बड़ी और खातों की हेराफेरी पकड़ ली तो साल की सही कमाई का पता लगाने के लिए जांच की जाएगी। नतीजतन जुर्माना और कानूनी प्रावधान के मुताबिक उचित मुकदमा भी किया जाएगा। आयकर अधिनियम की धारा 139(5) के तहत संशोधित आईटीआर तभी फाइल किया जा सकता है जब किसी व्यक्ति को लगता है कि पहले उसने कुछ गलती कर दी थी। 

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