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Wednesday, 25 April 2018

सावधान,आपको बेच रहा है सोशल मीडिया

घर में करते हैं कानाफूसी,आसमान से हो रही है आपकी जासूसी

आप यदि स्मार्ट फोन, टैबलेट्स, लैपटॉप और डेस्कटॉप या इंटरनेट की सुविधा वाले अन्य किसी साधन का इस्तेमाल करते हों तो तत्काल सावधान हो जाइये क्योंकि  दैनिक जीवन में आपको अनेक इंटरनेटी सुविधाएं मुहैया कराने वाला सोशल मीडिया अब आसमान से आपकी जासूसी कर रहा है। आप क्या खाते हैं वेज-नॉनवेज, क्या पहनते हैं कैसे कपड़े पहनते हैं, कैसे नहाते हैं, नहाने में कौन सा साबुन, कौन सा शैम्पू एवं अन्य प्रसाधन इस्तेमाल करते हैं, कौन सी गाड़ी रखते हैं, कौन सी गाड़ी खरीदना चाहते हैं, कैसे मकान में रहते हैं, कैसा मकान खरीदना चाहते हैं, कितनी देर घर में रहते हैं, कितनी देर बाहर रहते हैं, किससे मिलते हैं, किससे क्या बात करते हैं, यहां तक कि आप अपने बेडरूम और वाशरूम में क्या करते हैं। इन सबकी पल-पल की खबर सोशल मीडिया आपसे लाखों कोसों दूर अपने सर्वर में कैद करके रखता है। यही नहीं वक्त आने व्यापारिक संस्थानों, राजनीतिक घरानों और आपके दुश्मन को भी बेच सकता है। दुनिया की नंबर वन महाशक्ति अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, फ्रांस,जर्मनी, सऊदी अरब, आस्ट्रेलिया और भारत की राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन लाने का काम यह सोशल मीडिया अपने इसी जासूसी कार्य से कर चुका है। जिसे आज के आईटी भाषा में डाटा लीकेज कहा जा रहा है। डाटा लीकेज ऐसा घोटाला है कि आपकी सारी अंतरंग बातें उन सारी कंपनियों को पहुंच जातीं हैं जिनसे संबंधित आप शौक रखते हैं। इसमें सबसे अधिक रोल स्मार्ट फोन का है।
डाटा लीक मामले ने साबित कर दिया है कि भले ही आपको 'फेसबुकबाजी' के लिए किसी तरह के पैसे नहीं देने पड़ते हों, लेकिन इसकी कीमत कहीं न कहीं आप चुकाते हैं। साइबर एक्सपर्ट पहले से ही आगाह करते रहे हैं, लेकिन अब यह बात साबित हो गई है। अब डाटा ब्रोकिंग दुनिया में बड़ी इंडस्ट्री है। इंटरनेट पर हमारी एक्टिविटी से कंपनियां करोड़ों कमाती हैं।  डाटा मार्केट का डाटा ज्यादातर कंपनियां और रिसर्च फर्म या बड़ी पीआर एजेंसियां यूज करतीं हैं। हालांकि डाटा का सोर्स ज्यादातर टेक कंपनियां होती हैं। फेसबुक को पता है कि आप क्या शेयर कर रहे हैं, गूगल को पता है कि आप क्या सर्च कर रहे हैं, अमेजन को पता है कि आप क्या खरीदते हैं। यहां से डाटा खरीदने वाले को पता होता है कि आप क्या सोचते हैं, आप क्या खरीदना चाहते हैं, किस राजनीतिक विचारधारा को फॉलो करते हैं। इसी के आधार पर आपसे ट्रीट किया जाता है।
 इधर आप ने सर्च किया उधर फोन आने शुरू।  दरअसल डाटा के मार्केट में सबसे बड़ा हाथ आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का होता है। इंटरनेट में आप जिस कंपनी की कारें सर्च कर रहे हैं, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस उस कंपनी तक यह खबर पहुंचा देता है। अब कार कंपनी का खेल शुरू होता है। सिस्टम आॅन करते ही आपके सामने उसी कंपनी की कारों के विज्ञापन आते हैं। कंपनी आप पर फोन, मेल और मैसेज की बौछार कर देगी। इसी तरह से आपकी एक सर्च किसी कंपनी को पोटेंशियल बायर मुहैया करा देगी।

डाटा ऐसे बनाता-बिगाड़ता है सरकारें 

अगर फेसबुक पर किसी दल या राजनेता के खिलाफ कुछ भी विचार शेयर कर रहे हैं, तो वह आपके किसी के लिए भले ही विचार हो, लेकिन कंपनी के लिए यह एक डाटा है। फेसबुक के पास आपका ज्योग्राफिकल स्टेटस है। आपका यह डाटा, डाटा एनॉलिस्टि के पास जाएगा। जहां आपकी पंसद के हिसाब से ही आपके पास पोस्ट थ्रो की जाएंगी। उसी तरह की खबरों का फ्लो बढ़ जाएगा। आपको लगेगा कि आपके पसंदीदा नेता या पार्टी के साथ ही पूरा देश है। आप माउथ पब्लिसिटी शुरू कर देते हैं। नेता या पार्टी की पॉपुलैरिटी सातवें आसमान पर और इधर सरकार बन या बिगड़ गई।

ये 4 कहानियां बताती हैं डाटा की असली ताकत 

इसकी शुरूआत 2012 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से हुई। ओबामा के लिए करीब 100 डाटा एनॉलिटिक्स की टीम ने काम किया। अमेरिका में महंगा इलाक बड़ी चुनौती था। यह बात उन्हें फेसबुक के जरिए पता चली। उसी के आधार पर कैम्पेन तैयार किया गया। विपक्षी रिपब्लिकन अमेरिका की सुरक्षा का मुद्दा उठा रहे थे। ओबामा लोगों को मुफ्त इलाज का वादा कर रहे थे। वह 2008 से भी बड़े अंतर से जीतने में सफल रहे।  
कई मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि सऊदी अरब के मौजूदा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फेसबुक को 1 अरब डॉलर की रकम सिर्फ इस बात के लिए अदा की थी कि फेसबुक सऊदी राजपरिवार के खिलाफ की जाने वाली पोस्ट को प्रमोट नहीं करे, ताकि अरब क्रांति के बाद उनके देश में सत्ता के खिलाफ लोग सड़कों पर नहीं उतरें।
आॅस्ट्रेलिया की सरकार ने फेसबुक पर आरोप लगाया कि 2011 के आम चुनाव के दौरान लोगों के पर्सनल डाटा का यूज किया गया। इस डाटा का यूज वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया गया।
भारत में कैम्ब्रिज एनालिटिका की भारतीय पार्टनर ओवर फ्ले बिजनेस इंटेलिजेंस इकाई पर कई राज्यों के चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लगा। आरोप है कि इस कंपनी के डाटा के जरिए 2010 के बाद से कई विधानसभा चुनावों को प्रभावित किया गया। भाजपा-कांग्रेस की ओर से एक-दूसरे पर आरोप लगाने के बाद अब इस कंपनी की वेबसाइट खुलनी बंद हो गई।

ेसोशल मीडिया में कौन-कौन सी वेबसाइट्स सक्रिय हैं
सोशल मीडिया के नाम से भारत में लोग चंद वेबसाइट्स को ही जानते होंगे परंतु दुनिया भर में कौन -कौन सी वेबसाइट्स सक्रिय हैं। वे प्रमुख वेबसाइट्स इस प्रकार है: फेसबुक,यू ट्यूब,व्हाट्सएप,
फेसबुक मैसेंजर,वी चैट,क्यूक्यू, इंस्टाग्राम, क्यूजोन, टमबल, ट्विटर,साइना वीईबो, बेयडु तिएबा,
स्कॉइप, वाइबर, स्नैपचैट, रेडिफ, लाइन, पिन्टरेस्ट, गूगल प्लस, माइस्पेश,विकिया।  इसके अलावा दुनिया के देशों में अपने स्थानीय स्तर पर सोशल वेबसाइट्स छोटे पैमाने पर सक्रिय हैं। इनके यूजर्स भी स्थानीय लोग ही होते हैं।

दुनिया भर में कितने यूजर्स हैं

अगस्त 2017 तक के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर के कितने लोग इस सोशल मीडिया की विभिन्न वेबसाइटों के यूजर्स बने हुए हैं।
फेसबुक: 2,047,000,000
यू ट्यूब: 1,500,000,000
व्हाट्सएप: 1200,000,000
फेसबुक मैसेंजर: 1,200,000,000
वी चैट : 738,000,000
क्यूक्यू: 861000,000
इंस्टाग्राम: 700,000,000
क्यूजोन: 638,000,000
टमबलर: 357,000,000
ट्विटर:328,000,000
साइना वीईबो: 313,000,000
बेयडु तिएबा: 300,000,000
स्कॉइप:300,000,000
वाइबर: 260,000,000
स्नैपचैट: 255,000,000
रेडिफ: 250,000,000
लाइन: 214,000,000
पिन्टरेस्ट: 175,000,000

सबसे अधिक खतरा  है कहां

आज दुनिया के सोशल मीडिया मेंं सबसे अधिक यूजर्स फेसबुक के बताये जा रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो फेसबुक और उसकी सहायक वेबसाइटों के पास टोटल यूजर्स का 84 प्रतिशत हिस्सा है। इनमें सबसे अधिक खतरनाक बात यह है कि इन यूजर्स में 60प्रतिशत यूजर्स 13 से 17 वर्ष की आयु के किशोर हैं। ये यूजर्स दिन में कम से कम तीन घंटे तक सोशल वेबसाइट्स का यूज करते हैं। ये तो आंकड़े बताते हैं जबकि भारत में देखने कोमिलता है कि इस तरह के यूजर्स की आयु 12 वर्ष से लेकर 40 वर्ष है और ये यूजर्स दिनरात अपने स्मार्ट फोन की स्क्रीन पर आंख गढ़ाए रहते हैं और कानों में लीड लगाए रहते हैं। वे ऐसा यूं करते हैं कि ऐसा न करने वाले देहाती,बुद्धू और गंवार समझे जाएंगे। स्मार्ट बनने की होड़ में हमारा युवा भारत अस्वस्थ हो चला है।

Tuesday, 24 April 2018

एनडीए को हो सकता है 80 से ज्यादा सीटों का नुकसान

सिर्फ यूपी में ही  भाजपा को हो सकता है 50 सीटों का नुकसान

अगर 2019 में विपक्ष विशाल गठजोड़ यानी महागठबंधन बनाने में कामयाब रहा तो लोकप्रियता के शिखर पर पहुंये नरेन्द्र मोदी के लिए ना केवल जीत की राह मुश्किल होगी बल्कि सत्ता से भी उन्हें बेदखल होना पड़ सकता है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक तीन बड़े राज्यों में ही एनडीए को 80 से ज्यादा सीटों का नुकसान हो सकता है। वर्तमान आंकड़ों के आधार पर माना जा रहा है कि सिर्फ यूपी में ही सपा और बसपा की दोस्ती से भाजपा को 50 सीटों का नुकसान हो सकता है। पिछले आम चुनाव में सपा ने पांच सीटें जीती थीं, जबकि बसपा क्लीनबोल्ड हो गई थी।

अनिल कुमार मिश्र
अमीर खुसरो की मशहूर कृति ‘बहुत कठिन डगर है पनघट की,जरा बोलो मेरे अच्छे निजाम पिया’ आने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे सत्ता पक्ष और विपक्षी राजनीतिक दलों पर एकदम खरी उतरती है। आने वाले चुनाव न तो सत्ता पक्ष के लिए आसान होंगे और न ही विपक्षी दलों के लिए।  सत्तारूढ़ एनडीए के समक्ष जहां साथी दलों की नाराजगी और जनता की नाराजगी बहुत बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। वहीं विपक्षी दल गठबंधन ही नहीं महागठबंधन के लिए छटपटा रहे हैं लेकिन अभी तक यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह महागठबंधन कैसे बनाएं। प्रमुख राष्ट्रीय दल कांग्रेस भी अपनी भूमिका तय नहीं कर पा रहा है। वह एक कदम महागठबंधन की ओर बढ़ाता है तो दो कदम अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी करता है। इस दुविधा के चक्कर में विपक्षी दलों के पास समय कम होता जा रहा है। वहीं एनडीए का प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी भले ही अपने साथी दलों के झटके से हलकान हो लेकिन पार्टी अपने स्थापना दिवस से जनसंवाद सम्मेलनों के माध्यम से जनता के बीच जाने की तैयारी कर रहा है। पार्टी बूथ स्थर पर लोगों से मिलकर उनके जख्मों पर मरहम लगाएगी।
मशहूर कवि रामधारी सिंह दिनकर की यह कविता कि ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है,दो राह समय के रथ का घर्घर नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ । हर पांच साल पर चुनाव से पहले राजनीतिक दलों को झकझोर देती है कि जनता आती है और हर पांच साल में जनता आती है और राजनीतिक दलोें को ऐसा सबक सिखाती है कि ये दल भी पशोपेश में पड़ जाते हैं कि जनता वास्तव में जनार्दन बन गई है। हाल ही नमूने देखिया तो पता चलता है कि यह जनता पिछले पांच सालों में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंची भाजपा की परीक्षा लेने की तैयारी कर रही है हालांकि जनता ने पहले ही झटके देने शुरू कर दिये हैं। पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार के बाद उत्तर प्रदेश का ताजा झटका आजकल सियासी जगत की सुर्खियां बना हुआ है। नेशनल फिगर माने जाने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर और उनके डिप्टी केशव मौर्य के गढ़ फूलपुर में जनता ने झटका देते हुए सपा को जिता कर यह संदेश दिया है कि यह जनता है, जनार्दन। वह किसी के इशारों पर नहीं चलने वाली। अभी वक्त है संभल जाओ वरना इंदिरागांधी जैसा हश्र होने में देर नहीं लगेगी।
विपक्षी दलों में गठबंधन को लेकर कवायदें चल रहीं हैं। सभी क्षेत्रीय दल तो आपस में मिलने को तैयार हैं लेकिन राष्ट्रीय दल कांग्रेस पर संशय बना हुआ है। इन सभी दलों को राष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता है। हाल ही में तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही सोनिया गांधी से भेंट कर भाजपा को हराने का फार्मूला सुझाया था। सियासी जगत में चर्चा है कि ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी से कहा कि भाजपा को हराने का सिर्फ एक ही फार्मूला है कि उसे आमने-सामने से हराया जा सकता है। इस आमने-सामने का फार्मूला यह प्रकट हुआ है कि कांग्रेस राष्ट्रीय दल है लेकिन उसे वर्तमान की सियासी मांग को देखते हुए किंगमेकर के रूप में अपनी भूमिका अदा करनी होगी। मतलब यह है कि कांग्रेस प्रत्येक राज्य में उस दल की मदद करे जिसकी उस राज्य में अच्छी पकड़ है। इसके अलावा अन्य सहयोगी दल वोटकटवा दल की भूमिका में न आएं तो निश्चित रूप से भाजपा को हराया जा सकता है। दूसरी ओर जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी की नकल करते हुए अपनी पार्टी की ओवरहालिंग करनी शुरू कर दी है, उससे लगता है कि पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। शायद राहुल गांधी के दिमाग में अभी इस बात गुमान चल रहा हो कि उनकी पार्टी देश की सबसे पुरानी पार्टी और नेशनल पार्टी है, उनकी पार्टी का देश के कोने-कोने में मतदाता है, इसलिए उनकी पार्टी को गठबंधन में सबसे बड़ा हिस्सा मिलना चाहिए। जबकि हकीकत यह है कि आज पार्टी चार राज्यों में सिमट कर रह गई और आने वाले वक्त में कितने राज्यों में रह जाएगी यह तो वक्त ही बताएगा।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की कोलकाता यात्रा से शुरू हुई विपक्षी एकता की कोशिशों को ममता बनर्जी ने अमलीजामा पहनाने की कवायद तेज कर दी है। पहले यह माना जा रहा था कि ये कसरतें तीसरे मोर्चे के लिये हैं, मगर सोनिया गांधी से संपर्क के बाद दूसरे मोर्चे की कोशिशें नजर आ रही हैं। ममता बनर्जी इसे संघीय मोर्चे की संज्ञा दे रही हैं। भाजपा के लिये यह चिंता की बात होनी चाहिए कि उसके अंसतुष्ट वरिष्ठ नेता भी ममता के सुर से सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के गठजोड़ से भाजपा को उपचुनाव में जो झटका लगा, उसने विपक्षी एकजुटता के हौसलों को हवा दी। निश्चित रूप से भारी बहुमत से सत्ता में आई भाजपा पिछले लगभग चार सालों में जनता की कसौटी पर खरी नहीं उतर पाई है। जिसके चलते जनता में बेचैनी जरूर है मगर इसके ये मायने भी नहीं निकाले जाने चाहिए कि जनता नये विकल्प के रूप में विपक्ष को स्वीकार कर लेगी। एकता के नाम पर भानुमति का कुनबा बार-बार एकजुट हुआ है और उनकी सत्ता लोलुपता का जो हश्र हुआ है, उसने भी जनता का मोह भंग किया है। विपक्षी दलों की अपनी सीमाएं हैं और इन क्षत्रपों की अपने राज्य में तो पैठ है मगर जरूरी नहीं कि ये सारे देश में कामयाब हो सकें।
इसके अलावा कई दलों में राज्य स्तर पर इतने मतभेद हैं कि वे राष्ट्रीय स्तर पर भले ही एकजुट हो जाएं, अपने राज्य में उनका जन्म ही एक-दूसरे के विरोध में हुआ है। क्या उम्मीद की जा सकती है कि तेलंगाना में टीआरएस कांग्रेस को स्वीकारेगी। क्या पश्चिम बंगाल में वाम दल ममता के साथ आ पायेंगे? ममता भी क्या कोलकाता में कांग्रेस के साथ चलेगी? कमोबेश यही स्थिति कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी की है। फिर विपक्ष एकजुटता की बात तो कर रहा है मगर साझे कार्यक्रम पर सहमति बन पायेगी? क्या विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर पायेगा? ऐसे तमाम यक्ष प्रश्न विपक्षी एकता को लेकर सिर उठाते रहे हैं। बहरहाल विपक्षी एकता की ये कसरतें भाजपा को चिंतन-मनन का मौका  देंगी कि उसके पुराने साथी शिवसेना,तेलुगुदेशम, लोकशक्ति समाज पार्टी आदि अलग सुर में क्यों बोल रहे हैं। निश्चित रूप से एकता की ये कसरतें 2019 के आम चुनाव को लेकर की जा रही हैं मगर अभी पिक्चर काफी बाकी है। एक साल के दौरान ऐसा बहुत कुछ अप्रत्याशित हो सकता है जो देश की राजनीतिक धारा की दिशा में बदलाव ला सकता है। वक्त की नजाकत को देखते हुए आंध्र प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी रही टीडीपी ने पीएम नरेंद्र मोदी की पार्टी को तीन तलाक देने में देर नहीं की। अगर 2019 में विपक्ष विशाल गठजोड़ बनाने में कामयाब रहा तो पीएम मोदी के लिए ना केवल जीत की राह मुश्किल होगी बल्कि सत्ता से भी उन्हें बेदखल होना पड़ सकता है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक तीन बड़े राज्यों में ही एनडीए को 80 से ज्यादा सीटों का नुकसान हो सकता है। सिर्फ यूपी में ही सपा और बसपा की दोस्ती से बीजेपी को 50 सीटों का नुकसान हो सकता है। साल 2014 के चुनावों में सपा ने पांच सीटें जीती थीं, जबकि बसपा क्लीनबोल्ड हो गई थी। अब उप चुनावों के बाद सपा सांसदों की संख्या सात हो गई है। कुछ समय पहले राजस्थान में भी कांग्रेस के दों सांसद उप चुनाव में जीत चुके हैं।

भाजपा के लिए क्या है माइनस-प्लस

भाजपा के लिए प्लस तो यह है कि उसकी पार्टी की 14 राज्यों में सीधे सरकार है और छह राज्यों में अन्य सहयोगी दलों के साथ सत्ता में हैं। भाजपा जिन राज्यों में अपनी स्वयं की सत्ता में है, वे हैं असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, त्रिपुरा, झारखण्ड,उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड है। इसके अलावा बिहार, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, मेघालय, नागालैंड में अपने सहयोगी दलों के साथ सत्ता में है। भाजपा को यह खुशफहमी हो सकती है कि उसे अपनी सरकार वाले राज्यों में लोकसभा के चुनाव का फायदा मिल सकता है। इसमें कोई शक नहीं कि इन राज्यों की सरकारी मशीनरी का लाभ अवश्य मिल सकता है। किन्तु यह बात पूर्णतया सत्य नहीं मानी जा सकती है क्योंकि भाजपा को इन्हीं चुनावों में जनता सबक भी सिखा सकती है। क्योंकि सत्ता विरोधी लहर भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसके उदाहरण पंजाब, राजस्थान,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में देखने को मिल ही चुके हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव में तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इज्जत किसी तरह से बच गई। यह भी सभी ने देखा है।

महागठबंधन में क्या है प्रमुख समस्या
महागठबंधन की आवाज तो उठ गई है लेकिन सभी गैरभाजपाई दल कांग्रेस की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं। कांग्रेस और विपक्षी दलों के समक्ष एक बहुत बड़ी समस्या यह है कि सारे गैर कांग्रेसी दल चाहते हैं कि कांग्रेस अपनी वर्तमान नाजुक स्थिति को देखते हुए किंगमेकर की भूमिका में रहे और स्वयं दावेदारी छोड़कर पहले सभी क्षेत्रीय दलों का समर्थन करके उन्हें आगे बढ़ाए और इसके बाद सत्ता मिलने के बाद ही वह अपनी अगली भूमिका तय करे लेकिन कांग्रेसी नेतृत्व को यह कतई स्वीकार नहीं है। वह अपनी राष्ट्रीय एवं सबसे पुरानी पार्टी की मणक में है। यदि यह बात बन जाए तो निश्चित रूप से विपक्षी दल भाजपा को दिन में तारे दिखा सकते हैं।

अखिलेश-राहुल चल रहे हैं मोदी की राह पर

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह पर चल रहे हैं। राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर नये युवा नेताओं को आगे लाने की रणनीति मोदी की उसी रणनीति का अनुकरण है, जिसके तहत आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह जैसे वरिष्ठ दिग्गजों को किनारे किया गया था। आज राहुल गांधी भी अपने वरिष्ठ नेताओं को किनारे करके युवाओं को आगे लाने का प्रयास कर रहे हैं। अखिलेश यादव को मोदी और भाजपा का बूथ पर नियंत्रण अधिक भा गया है और वे भी अपनी पार्टी के जिलाध्यक्षों को बूथ-बूथ पर पार्टी को मजबूत करने और आंकड़ों को जुटाने के लिए कमर कस ली है।

कौन-कौन लोग आ सकते हैं महागठबंधन में 

गैर भाजपाई महागठबंधन में उत्तर प्रदेश से सपा,बसपा का नाम तो सर्वोपरि है, इसके अलावा कई अन्य छोटे दल भी शामिल हो सकते हैं। बिहार में लालू यादव का राजद, जीतन राम मांझी का दल, सहित कई क्षेत्रीय नेता भी अपने दल के साथ आ सकते हैं। आंध्र प्रदेश की तेलुगुदेशम पाटी, उड़ीसा का बीजू जनता दल, तेलंगाना के टीआरएस, तमिलनाडु की द्रमुक, महाराष्ट्र की शिवसेना, शरद पवार की पार्टी,इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों के दल भी इस महागठबंधन में आ सकते हैं।

Sunday, 22 April 2018

पृथ्वी तो हमारा घर है, हम ही उसे गंदा कर रहे हैं

नोएडा। सेक्टर 22 के चौड़ा गांव में गंदगी से परेशान लोगों ने पृथ्वी दिवस के अवसर पर रविवार सुबह स्वच्छता अभियान चलाया। इस अभियान में चौड़ा निवासियों ने अपनी समस्याओं को भी रखा।
रविवार को लिटिल एंजल एजुकेशनल सोसाइटी, नव ऊर्जा युवा संस्था, लालबहादुर शास्त्री ट्रेनिंग संस्थान व आतंकवाद विरोधी मोर्चा ने एकजुट होकर चौड़ा गांव में स्वच्छता अभियान चलाया। अभियान की शुरुआत नव ऊर्जा युवा संस्था के पुष्कर शर्मा, एंटी टेररिस्ट फ्रंट के पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रभारी राजेंद्र पंडित,लालबहादुर शास्त्री के डायरेक्टर रवि गोयल, लिटिल एंजल एजुकेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष राजेन्द्र जोशी द्वारा झाडू लगाकर की। इस दौरान नवउर्जा युवा संगठन की टीम ने नुक्कड़ नाटक कर ग्रामीण लोगों को गंदगी से हो रहे नुकसान के बारे में बताया। इस अभियान के बीच गांव के लोगों ने अपनी समस्याओं के बारे में भी बताया। उन्होंने नव ऊर्जा युवा संस्था से निवेदन किया कि उनके गांव में साफ-सफाई को लेकर प्राधिकरण काम नहीं कर रहा है। संस्था के द्वारा उनकी समस्याओं को प्राधिकरण तक पहुंचाया जाए। जिसपर संस्था के अध्यक्ष पुष्कर शर्मा ने आश्वासन दिया कि गांव की गंदगी से  संबंधित सभी बातों को संस्था प्राधिकरण अधिकारियों तक पहुंचाने का काम करेगी। दीक्षा जोशी ने कहा कि आज चौड़ा गांव में सफाई कर्मी अपना काम कर रहे हैं लेकिन यहां के निवासी ही उनका साथ नहीं दे रहे हैं। इसलिये आज उनको जगाने का समय है। पृथ्वी ही हमारा घर है इसे गंदा करके हम अपने को गंदा कर रहे हैं। रवि गोयल ने इस काम के लिये सभी मौजूद युवाओं का धन्यवाद दिया और अपना श्रम दान किया। राजेंद्र पंडित ने कहा कि अभियान तो शुरुआत है लोगों को जगाने की यह हम सब का फर्ज है कि अपने घर अपने शहर अपने देश व अपनी पृथ्वी को साफ  सुथरा रखें। जिससे आगे आने वाला भविष्य सुंदर व महकता हुआ हो। स्वच्छता अभियान का समापन सी ब्लॉक के बारात घर पर हुआ। इस दौरान नव ऊर्जा युवा संस्था के विपिन राठी, अनमोल सेहगल, विपिन लोहदी, राहुल पाठक, राहुल कुमार, अतुल चौधरी, जेपी पांडे, कपिल सौलंकी, अनीश, एकता सिंह, राकेश कुमार, सुधीर कुमार, आफताब आलम, रविन्द्र सिंह, मोहन शाह, अंकुश प्रजापति, हर्ष शर्मा, दीपंकर चौधरी, आशु भगत, दीपक गौतम समेत लिटिल एंजल स्कूल का स्टॉफ  व  लाल बहादुर शास्त्री के छात्र व स्टॉफ  मौजूद थे।

Saturday, 21 April 2018

सबके लिए हो हम दो हमारे दो का कानून


नोएडा। सेक्टर 12-22 चौराहे पर भारत बचाओ महारथयात्रा को लेकर निकले सुरेश चौहान का स्वागत आतंकवदी विरोधी मोर्चा के राजेन्द्र पंडित ने किया। यह रथ यात्रा पूरे भारत भ्रमण पर निकली है। इस यात्रा का उद्देश्य भारत में हिन्दु-मुस्लिम जनसंख्या में संतुलन बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने हम दो हमारे दो सबके दो के लिए कानून बनाने की मांग की जा रही है। इस कानून को बनवाने की मांग के समर्थन में देश के कोने-कोने से लोगों से हस्ताक्षर कराये जा रहे हैं। इन हस्ताक्षरों वाला ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा जाएगा। राजेन्द्र पंडित ने कहा कि इस रैली का उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग है। इस तरह की रैली से लोगों के अंदर जागरूकता पैदा होगी।

खेलकूद से कम होता है तनाव

ग्रेटर नोएडा। आईटीएस डेंटल कॉलेज, ग्रेटर नोएडा में 18 से 20 अप्रैल तक बीडीएस
के छात्रों हेतु तीन दिवसीय खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में क्रिकेट,
वॉलीबॉल, बास्केट बॉल, खो-खो, टेबल टेनिस, चैस, कैरम, दौड़, रस्साकसी आदि खेलों का
आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में संस्थान के सभी छात्र-छात्राओंं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।।
इस अवसर पर छात्रों को सम्बोधित करते हुए संस्थान के निदेशक-प्रधानाचार्य डॉ. अक्षय
भार्गव ने कहा कि खेल-कूद से तन के साथ-साथ मन का भी विकास होता है तथा इससे
पढ़ाई के बोझ तले दबे छात्रेां का तनाव भी काफी कम होता है। अपने सर्वांगीण विकास हेतु
हर छात्र को अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। इस अवसर पर डॉ. भार्गव ने गत वर्ष में हुई विश्वविद्यालय की परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले छात्रों को नगद धनराशि तथा उपयोगी किताबों के साथ-साथ प्रशस्ति पत्र दकर सम्मानित किया। संस्थान में हुई तीन दिवसीय प्रतियोगिताओं में खो-खो, क्रिकेट, वॉलीबॉल में जहां बीडीएस 2013 के छात्रों ने अपने प्रदर्शन से बाजी मारी वहीं थ्रो बॉल, बास्केट बॉल में बीडीएस 2014 के छात्र अव्वल रहे तो दौड़ और कैरम में बीडीएस 2015 के छात्रों का
वर्चस्व देखने को मिला। इस अवसर पर संस्थान के डीन डॉ. सचितआनंद अरोड़ा ने कहा कि खेलकूद से छात्रों  के एक टीम के रूप में काम करने की सीख मिलती है तथा उनका डर और भय भी दूर होता है जिससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। 

Friday, 20 April 2018

नन्हें बच्चों ने नन्हें पौधे लगाकर दिया बड़ा संदेश


नोएडा। सेक्टर 22 स्थित लिटिल एंजलस प्ले एंड नर्सरी स्कूल में शुक्रवार को पृथ्वी बचाओ पेड़ लगाओ का संदेश नन्हें बच्चों ने दिया। प्ले, नर्सरी व केजी के विद्यार्थियों ने सभी को पेड़ लगाओ, पृथ्वी बचाओ का संदेश पौधा लगाकर दिया। वर्तमान में पेड़ों की संख्या जिस तरह कम हो रही है उस पर भी प्रकाश डाला गया।
विश्व पृथ्वी दिवस के पूर्व लिटिल एंजलस के छात्र व छात्राओं ने अपने नन्हें हाथों से पौधे लगाये और  उन्हें बड़ा करने का प्रण लिया। इसी के साथ अपने परिजनों को बच्चों ने पौधे लगाओ पृथ्वी बचाओ, पृथ्वी को बचाना है घर-घर में पौधे लगाना है आदि के नारे से पर्यावरण बचाओ का संदेश दिया गया। स्कूल की प्राचार्य दीक्षा जोशी ने बच्चों को कलात्मक तरीके से पृथ्वी पर कम हो रही पेडों की संख्या के दुष्परिणाम से अवगत करवाया। उन्होंने सभी बच्चों को बताया कि हर घर मे पौधे लगाओ और उनकी देखभाल करो। क्योंकि पृथ्वी पर समय के साथ-साथ सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। स्कूल इस कार्यक्रम में स्कूल की प्रधानाचार्य समेत अध्यापक अमीता पुंधीर, अजीमा खातून व चांदनी ने अपना सहयोग दिया। 

नवाब सिंह नागर ने महिलाओं को बांटे मुफ्त गैस कनेक्शन

नोएडा। प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी की प्रधानमंत्री उज्ज्वला पंचायत के तहत कासना स्थित सिद्धी गैस एजेन्सी पर लगभग 100 महिला उपभोक्ताओं को गैस सिलैण्डर वितरित किये गये। कायज़्क्रम में प्रदेश  उपाध्यक्ष नवाब सिंह नागर व जिलाअध्यक्ष विजय भाटी द्वारा गैस सिलेण्डर लोगों को वितरित कराये गये। इस अवसर पर नवाब सिंह नागर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह संकल्प रहा है कि गरीबों को परेशानी से मुक्ति दिलायें, उनके पैरों पर खड़ा करेंगे और हर संभव  सहारा दिया जाये। इसी भावना से अब तक देश में साढ़े तीन करोड एलपीजी कनेक्शन दिये गये हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार का लक्ष्य 8 करोड परिवारों को लाभ देने का है। रसोई गैस पर सबसीडी का ख्दुरूपयोग भी अब बंद हो गया है। पहले गैस एजेंसियां इसका दुरूपयोग करती थी और अब सबसीडी सीधे उनके खाते में जाती है। आज के कायज़्क्रम में ब्रहम सिंह, चमन सिंह, राजे, हरकिशन, शास्त्री जी, धमज़्वीर सिंह, अन्नु कटारिया आदि मौजूद थे। 

गुर्जर समाज को पर्याप्त सम्मान मिलेगा:महेन्द्र नाथ पांडे

नोएडा। गुरूवार सुबह गुजज़्र समाज का एक प्रतिनिधिमंडल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डे से उनके निवास स्थान पर मिला। मुलाकात के दौरान समाज के लोगों ने महेन्द्र नाथ का नवाब सिंह नागर को प्रदेश अध्यक्ष व अशोक कटारिया को एमएलसी सदस्य नियुक्त करने पर धन्यवाद दिया। इसी के साथ समाज के लोगों ने हाईकमान से मांग की कि समाज को सरकार में उच्च प्रतिनिधत्व दिया जाये। उन्होंने कहा कि समाज की ओर से लोकसभा व विधानसभा चुनाव में पाटीज़् को भारी समथज़्न दिया है। इस पर महेन्द्र नाथ ने कहा कि पाटीज़् समाज को उचित सम्मान देगी। इसी के साथ हमेशा की तरह आगे भी पाटीज़् समाज से पूरे सहयोग की अपेक्षा रखती है। प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से लज्जाराम, भाटी, प्रधान श्यामवीर भाटी, करतार सिंह नागर, रामकलानागर, जितेन्द्र, मदन मुकददम, महेश चंद नागर, रणवीर सिंह, सुनील भाटी, अमित भाटी, सतेन्द्र नागर, राजेन्द्र कसाना, गजेन्द्र मावी, सुरेन्द्र भाटी, रिन्कू नंबरदार, उदयवीर सिंह, राकेश पासी, कुलदीप नागर, सोने कसाना, उज्जवला सिंह, कणज़् सिंह प्रधान आदि संख्या में लोग मौजूद थे। 

Monday, 2 April 2018

आज भी सबसे बड़ा कद है पं. महेन्द्र कुमार आर्य का

सम्मान की झलक बताती है कि आजभी सबसे बड़ा कद है पं. महेन्द्र कुमार आर्य का। पं. महेन्द्र कुमार आर्य, आर्य समाज मंदिर के 20 वर्षों तक प्रधान रहे और इन 20 वर्षों में सूरजपुर का नाम पूरे जनपद ही नहीं देश के अनेक प्रदेशों की आर्य समाज संस्थाओं में रोशन करते रहे हैं। बढ़ती उम्र के चलते उनके सहयोगियों ने अपना कंधा लगाया और आर्य समाज मंदिर को आगे बढ़ाने का काम किया। संस्था के वर्तमान उप प्रधान पं. मूलचंद शर्मा और मंत्री पं. शिवकुमार आर्य और कोषाध्यक्ष पं. शिवदत्त आर्य और ऑडिटर पं. शिवकुमार आर्य अपने सहयोगियों के साथ अपने अथक परिश्रम से संस्था को निरंतर प्रगति की ओर ले जा रहे हैं। इन सबके बावजूद जहां सम्मान की बात आती है। इस संस्था के पदाधिकारियों की अपनी अनूठी परंपरा है। पं. महेन्द्र कुमार आर्य के प्रधान पद से अवकाश लिए हुए कई वर्ष बीत चुके हैं किन्तु आज जब सम्मान की बात आई तो मुख्य अतिथियों पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर व दादरी विधायक मास्टर तेजपाल सिंह नागर का सम्मान उन्हीं पंंडित महेन्द्र कुमार से कराया। इस अवसर पर संस्था के उप प्रधान पं. मूलचंद शर्मा और मंत्री पं. धर्मवीर आर्य ने प्रसन्नता जता कर यह बता दिया कि पद कोई मायने नहीं रखता। पद तो संस्था को चलाने के लिए होता है। सम्मान अपनी जगह होता है।

आर्य समाज मंदिर सूरजपुर के वार्षिकोत्सव में पधारीं दिग्गज हस्तियां

आर्य समाज मंदिर सूरजपुर के 56 वे वार्षिकोत्सव पर रविवार सुबह की बेला में यज्ञ प्रवचन हुए और  दोपहर की सभा में मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर व दादरी विधायक मास्टर तेजपाल नागर रहे।   मुख्य अतिथि श्री नागर ने कहा कि आर्य समाज समाज  को सही दिशा दिखाने का काम करता है इसलिए हमें आर्य समाज की बातों का अनुसरण करना चाहिए । इस अवसर पर दादरी विधायक मास्टर तेजपाल नागर ने कहा कि आर्य समाज मानव कल्याण के लिए कार्य करता है इसलिए आर्य समाज वंदनीय हैं ।आर्य समाज की बात तर्क की कसौटी पर सही साबित होती है हमें वेद उपनिषद ग्रंथ पढऩे चाहिए जिससे हमारा और मानव समाज का कल्याण हो सके। वार्षिक उत्सव में आए गुरुकुल गढ़मुक्तेश्वर से पधारे स्वामी धर्मेश वा नंद जी ने कहा कि आर्य समाज वेद का प्रचार करता है हमारी भारतीय संस्कृति के मूल आधार वेद हे वेद के पढऩे पढ़ाने से विश्व के मानव जाति का कल्याण होगा वेद मंत्रों के साथ यज करने से मन वातावरण पर्यावरण शुद्ध होता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से जिला उप प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष वीरेश भाटी, मंत्री पंडित शिवकुमार आर्य, पंडित महेंद्र कुमार आर्य, प्रधान रतनलाल आर्य, पं. मूलचंद शर्मा,मंत्री पंं. धर्मवीर आर्य, पं. शिवदत्त आर्य, सतपाल आर्य,रविंदर आर्य ,जय देव शर्मा, भूदेव शर्मा , पं. कर्मवीर आर्य, भजन उपदेशक वहन अंजलि आर्य, पंडित नर देब आर्य,स्वामी देवानंद आर्य, हरि शर्मा, सतपाल शर्मा, सुनील सोनक ,मानक चंद शर्मा,वीरेंद्र शास्त्री, राम भज आर्य, भूपेंद्र आर्य,ओम प्रकाश शर्मा, विनोद शर्मा ,विजेंद्र मुद्गल, सुरेश शर्मा, अनिल आर्य ,विजेंद्र सिंह आर्य,कमल सिंह आर्य, धर्मवीर प्रधान आदि सैकड़ों आर्य समाज के पदाधिकारी व सैकड़ों गांव के लोग मुख्य रूप से उपस्थित रहे।