new

Friday, 28 October 2016

First aid is the important for preserving life

First aid is the assistance given to any person suffering a sudden illness or injury with care provided to preserve life, prevent the condition from worsening, and/or promote recovery. It includes initial intervention in a serious condition prior to professional medical help being available, such as performing CPR while awaiting an ambulance, as well as the complete treatment of minor conditions, such as applying a plaster to a cut. First aid is generally performed by the layperson, with many people trained in providing basic levels of first aid, and others willing to do so from acquired knowledge. Mental health first aid is an extension of the concept of first aid to cover mental health.
There are many situations which may require first aid, and many countries have legislation, regulation, or guidance which specifies a minimum level of first aid provision in certain circumstances. This can include specific training or equipment to be available in the workplace (such as an Automated External Defibrillator), the provision of specialist first aid cover at public gatherings, or mandatory first aid training within schools. First aid, however, does not necessarily require any particular equipment or prior knowledge, and can involve improvisation with materials available at the time, often by untrained persons.
First aid can be performed on all mammals, although this article relates to the care of human patients.

Friday, 21 October 2016

22 अक्टूबर:जन्म दिवस पर विशेष : अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर सन् 1927 को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है।
जली कोठी और कुर्बानी
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जन्म उत्तर प्रदेश के शहीदगढ़ शाहजहाँपुर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित कदनखैल जलालनगर,मुहल्ले में 22 अक्टूबर 1900 को हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला ख़ाँ था। उनकी माँ मजहूरुन्निशाँ बेगम बला की खूबसूरत खबातीनों  में गिनी जाती थीं। अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ ने स्वयं अपनी डायरी में लिखा है कि जहाँ एक ओर उनके बाप-दादों के खानदान में एक भी ग्रेजुएट होने तक की तालीम न पा सका वहीं दूसरी ओर उनकी ननिहाल में सभी लोग उच्च शिक्षित थे। उनमें से कई तो डिप्टी कलेक्टर व एस. जे. एम. (सब जुडीशियल मैजिस्ट्रेट) के ओहदों पर मुलाजिम भी रह चुके थे। 1857 के गदर में उन लोगों (उनके ननिहाल वालों ) ने जब हिन्दुस्तान का साथ नहीं दिया तो जनता ने गुस्से में आकर उनकी आलीशान कोठी को आग के हवाले कर दिया था। वह कोठी आज भी पूरे शहर में जली कोठी के नाम से मशहूर है। बहरहाल अशफाक़ ने अपनी कुरबानी देकर ननिहाल वालों के नाम पर लगे उस बदनुमा दाग को हमेशा- हमेशा के लिये धो डाला।
आर्य समाज मंदिर में बिस्मिल से मिले अशफाक
अशफ़ाक़ अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। सब उन्हें प्यार से अच्छू कहते थे। एक रोज उनके बड़े भाई रियासत उल्ला ने अशफ़ाक़ को बिस्मिल के बारे में बताया कि वह बड़ा काबिल सख्श है और आला दर्जे का शायर भी, गोया आजकल मैनपुरी काण्ड में गिरफ्तारी की वजह से शाहजहाँपुर में नजर नहीं आ रहा। काफी अर्से से फरार है खुदा जाने कहाँ और किन हालात में बसर करता होगा। बिस्मिल उनका सबसे उम्दा क्लासफेलो है। अशफाक़ तभी से बिस्मिल से मिलने के लिये बेताव हो गये। वक्त गुजरा। 1920 में आम मुआफी के बाद राम प्रसाद बिस्मिल अपने वतन शाहजहाँपुर आये और घरेलू कारोबार में  लग गये। अशफ़ाक़ ने कई बार बिस्मिल से मुलाकात करके उनका विश्वास अर्जित करना चाहा परन्तु कामयाबी नहीं मिली। चुनाँचे एक रोज रात को खन्नौत नदी के किनारे सुनसान जगह में मीटिंग हो रही थी अशफ़ाक़ वहाँ जा पहुँचे। बिस्मिल के एक शेर पर जब अशफ़ाक़ ने आमीन कहा तो बिस्मिल ने उन्हें पास बुलाकर परिचय पूछा। यह जानकर कि अशफाक़ उनके क्लासफेलो रियासत उल्ला का सगा छोटा भाई है और उर्दू जुबान का शायर भी है, बिस्मिल ने उससे आर्य समाज मन्दिर में आकर अलग से मिलने को कहा। घर वालों के लाख मना करने पर भी अशफाक़ आर्य समाज मंदिर जा पहुँचे और राम प्रसाद बिस्मिल से काफी देर तक गुफ्तगू करने के बाद उनकी पार्टी मातृवेदी के ऐक्टिव मेम्बर भी बन गये। यहीं से उनकी जिन्दगी का नया फलसफा शुरू हुआ। वे शायर के साथ-साथ कौम के खिदमतगार भी बन गये।
गांधी की डटकर मुखालफत की
अशफ़ाक़ बहुत दूरदर्शी थे उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल को यह सलाह दी कि क्रान्तिकारी गतिविधियाँ के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी में भी अपनी पैठ बनाकर रखना हमारी कामयाबी में मददगार ही साबित होगा। बहरहाल अशफाक़ व बिस्मिल के साथ शाहजहाँपुर के और भी कई नवयुवक कांग्रेस में शामिल हुए और पार्टी को कौमी ताकत अता की। 1921 की अहमदाबाद कांग्रेस में राम प्रसाद बिस्मिल व प्रेमकृष्ण खन्ना के साथ अशफ़ाक़ भी शामिल हुए। अधिवेशन में उनकी मुलाकात मौलाना हसरत मोहानी से हुई जो कांग्रेस के वरिष्ठ शरमायेदारों में शुमार किये जाते थे। मौलाना हसरत मोहानी द्वारा प्रस्तुत पूर्ण स्वराज के प्रस्ताव का जब गान्धी जी ने विरोध किया तो शाहजहाँपुर के कांग्रेसी स्वयंसेवकों ने गान्धी की डटकर मुखालफत की और खूब हंगामा मचाया। आखिरकार गान्धी जी को न चाहते हुए भी वह प्रस्ताव स्वीकार करना ही पड़ा। इसी प्रकार दिसम्बर 1922 की गया कांग्रेस में भी नवयुवकों द्वारा गान्धी की जमकर खिंचायी की गयी। इसमें बंगाल, बिहार व उत्तर प्रदेश के नवयुवक एक हो गये।
1922 की गया कांग्रेस के बाद पार्टी में दो दल बन गये एक धनाढ्य लोगों का दूसरा आम तबके से आये हुए नवयुवकों का। पहले वाले दल ने 1 जनवरी 1923 को स्वराज पार्टी बना ली दूसरे दल ने क्रान्तिकारी पार्टी के गठन का मन बना लिया। बंगाल के कुछ नवयुवक सीधे शाहजहाँपुर आकर मैनपुरी षड्यन्त्र के अनुभवी क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल से मिले और उनसे नयी पार्टी के गठन में सहयोग करने का आग्रह किया। बिस्मिल उन दिनों सिल्क की साडिय़ों के व्यापार में उलझे हुए थे उनके पास समय नहीं था। इस पर अशफ़ाक़ ने उन्हें समझाया और अपनी ओर से पूरा सहयोग करने का वचन दिया। उसके बाद ही बिस्मिल ने अपने साझीदार बनारसी लाल को सारा कारोबार सौंप दिया और पूरे मन से अशफाक़ और बिस्मिल क्रान्तिकारी पार्टी के काम में जुट गये। पार्टी की ओर से 1 जनवरी 1925 को अँग्रेजी में छापे गये घोषणा पत्र दि रिवोल्यूशनरी को पूरे उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले तक पहुँचाने में अशफ़ाक़ की सराहनीय भूमिका को देखते हुए एच.आर.ए. की केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य योगेश चन्द्र चटर्जी ने अशफ़ाक़ को बिस्मिल का सहकारी (लेफ्टिनेण्ट) मनोनीत किया और प्रदेश की जिम्मेवारी इन दोनों के कन्धों पर डाल कर स्वयं बंगाल चले गये।
बंगाल में शचीन्द्रनाथ सान्याल व योगेश चन्द्र चटर्जी जैसे दो प्रमुख व्यक्तियों के गिरफ्तार हो जाने पर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का पूरा दारोमदार बिस्मिल के कन्धों पर आ गया। इसमें शाहजहाँपुर से प्रेम कृष्ण खन्ना, ठाकुर रोशन सिंह के अतिरिक्त अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का योगदान सराहनीय रहा। जब आयरलैण्ड के क्रान्तिकारियों की तर्ज पर जबरन धन छीनने की योजना बनाई गई तो अशफ़ाक़ ने अपने बड़े भाई रियासत उल्ला ख़ाँ की लाइसेंसी बन्दूक और दो पेटी कारतूस बिस्मिल को उपलब्ध कराये ताकि धनाढ्य लोगों के घरों में डकैतियाँ डालकर पार्टी के लिये पैसा इक_ा किया जा सके। किन्तु जब बिस्मिल ने सरकारी खजाना लूटने की योजना बनायी तो अशफाक़ ने अकेले ही कार्यकारिणी मीटिंग में इसका खुलकर विरोध किया। उनका तर्क था कि अभी यह कदम उठाना खतरे से खाली न होगा, सरकार हमें नेस्तनाबूद कर देगी।
इस पर जब सब लोगों ने अशफ़ाक़ के बजाय बिस्मिल पर खुल्लमखुल्ला यह फब्ती कसी, पण्डित जी! देख ली इस मियाँ की करतूत। हमारी पार्टी में एक मुस्लिम को शामिल करने की जिद का असर अब आप ही भुगतिये, हम लोग तो चले। इस पर अशफ़ाक़ ने यह कहा, पण्डित जी हमारे लीडर हैं हम उनके हम उनके बराबर नहीं हो सकते। उनका फैसला हमें मन्जूर है। हम आज कुछ नहीं कहेंगे लेकिन कल सारी दुनिया देखेगी कि एक पठान ने इस ऐक्शन को किस तरह अन्जाम दिया और वही हुआ, अगले दिन 9 अगस्त 1925 की
शाम काकोरी स्टेशन से जैसे ही ट्रेन आगे बढी़, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने चेन खींची, अशफ़ाक़ ने ड्राइवर की कनपटी पर माउजर रखकर उसे अपने कब्जे में लिया और राम प्रसाद बिस्मिल ने गार्ड को जमीन पर औंधे मुँह लिटाते हुए खजाने का बक्सा नीचे गिरा दिया। लोहे की मजबूत तिजोरी जब किसी से न टूटी तो अशफ़ाक़ ने अपना माउजर मन्मथनाथ गुप्त को पकड़ाया और घन लेकर पूरी ताकत से तिजोरी पर पिल पडे। अशफ़ाक़ के तिजोरी तोड़ते ही सभी ने उनकी फौलादी ताकत का नजारा देखा। वरना यदि तिजोरी कुछ देर और न टूटती और लखनऊ से पुलिस या आर्मी आ जाती तो मुकाबले में कई जाने जा सकती थीं, फिर उस काकोरी काण्ड को इतिहास में कोई दूसरा ही नाम दिया जाता।
26 सितम्बर 1925 की रात जब पूरे देश में एक साथ गिरफ्तारियाँ हुईं अशफाक़ पुलिस की आँखों में धूल झोंक कर फरार हो गये। पहले वे नेपाल गये कुछ दिन वहाँ रहकर कानपुर आ गये और गणेशशंकर विद्यार्थी के प्रताप प्रेस में 2 दिन रुके। वहाँ से बनारस होते हुए बिहार के एक जिले डाल्टनगंज में कुछ दिनों नौकरी की परन्तु पुलिस को इसकी भनक लगने से पहले उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर वापस आ गये। विद्यार्थी जी ने उन्हें अपने पास से कुछ रुपये देकर भोपाल उनके बड़े भाई रियासत उल्ला ख़ाँ के पास भेज दिया। कुछ समय वहाँ रहकर अशफ़ाक़ राजस्थान गये और अपने भाई के मित्र अर्जुनलाल सेठी के घर ठहरे। सेठी जी की लडकी उन पर फिदा हो गयी और उनके सामने शादी का प्रस्ताव पेश कर दिया।
आखिरकार एक रात वे वहाँ से भी रफूचक्कर हो गये और बिहार के उसी जिले डाल्टनगंज पहुँच कर अपनी पुरानी जगह नाम बदल कर नौकरी शुरू कर दी। एक दिन भेद खुल गया तो अशफ़ाक़ ट्रेन पकड़ कर दिल्ली चले गये और अपने जिले शाहजहाँपुर के ही मूल निवासी एक पुराने दोस्त के घर पर ठहरे। यहाँ भी वही मुसीबत अशफ़ाक़ के पीछे लग गयी। जिसके यहाँ ठहरे हुए थे उस दोस्त की लडकी ने भी अशफ़ाक़ पर डोरे डालने शुरू कर दिये। हालात से आजिज आकर अशफ़ाक़ ने पासपोर्ट बनवा कर किसी प्रकार दिल्ली से बाहर विदेश जाकर लाला हरदयाल से मिलने का मन्सूबा बनाया ही था कि किसी भेदिये की खबर पाकर दिल्ली खुफिया पुलिस के उपकप्तान इकरामुल हक ने उन्हें धर दबोचा। ऐसा कहा जाता है कि उस दोस्त ने ही अशफाक़ को पकडवाने में पुलिस की सहायताकी थी।
यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि काकोरी काण्ड का फैसला 6 अप्रैल 1926 को सुना दिया गया था। अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ और शचीन्द्रनाथ बख्शी को पुलिस बहुत बाद में गिरफ्तार कर पायी थी अत: स्पेशल सेशन जज जे.आर.डब्लू. बैनेट की अदालत में 7 दिसम्बर  1926 को एक पूरक मुकदमा दायर किया गया। मुकदमे के मजिस्ट्रेट ऐनुद्दीन ने अशफ़ाक़ को सलाह दी कि वे किसी मुस्लिम वकील को अपने केस के लिये नियुक्त करें किन्तु अशफ़ाक़ ने जिद करके कृपाशंकर हजेला को अपना वकील चुना।
इस पर एक दिन सी.आई.डी. के पुलिस कप्तान खानबहादुर तसद्दुक हुसैन ने जेल में जाकर अशफ़ाक़ से मिले और उन्हें फाँसी की सजा से बचने के लिये सरकारी गवाह बनने की सलाह दी। जब अशफ़ाक़ ने उनकी सलाह को तबज्जो नहीं दी तो उन्होंने एकान्त में जाकर अशफाक़ को समझाया.‘देखो अशफ़ाक़ भाई! तुम भी मुस्लिम हो और अल्लाह के फजल से मैं भी एक मुस्लिम हूँ इस बास्ते तुम्हें आगाह कर रहा हूँ। ये राम प्रसाद बिस्मिल बगैरा सारे लोग हिन्दू हैं। ये यहाँ हिन्दू सल्तनत कायम करना चाहते हैं। तुम कहाँ इन काफिरों के चक्कर में आकर अपनी जिन्दगी जाया करने की जिद पर तुले हुए हो। मैं तुम्हें आखिरी बार समझाता हूँ, मियाँ! मान जाओ, फायदे में रहोगे।’इतना सुनते ही अशफ़ाक़ की त्योरियाँ चढ़ गयीं और वे गुस्से में डाँटकर बोले,‘खबरदार! जुबान सम्हाल कर बात कीजिये। पण्डित जी (राम प्रसाद बिस्मिल) को आपसे ज्यादा मैं जानता हूँ। उनका मकसद यह बिल्कुल नहीं है। और अगर हो भी तो हिन्दू राज्य तुम्हारे इस अंग्रेजी राज्य से बेहतर ही होगा। आपने उन्हें काफिर कहा इसके लिये मैं आपसे यही दरख्वास्त करूँगा कि मेहरबानी करके आप अभी इसी वक्त यहाँ से तशरीफ ले जायें वरना मेरे ऊपर दफा 302 (कत्ल) का एक केस और कायम हो जायेगा।’
इतना सुनते ही बेचारे कप्तान साहब  की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी और वे अपना सा मुँह लेकर वहाँ से चुपचाप खिसक लिये। बहरहाल 13 जुलाई 1927 को पूरक मुकदमे का फैसला सुना दिया गया। दफा 120 (बी) व 121 (ए) के अन्तर्गत उम्र.कैद और 396 के अन्तर्गत सजाये-मौत अर्थात् फाँसी का दण्ड।
जज ने अपने फैसले में साफ.-साफ लिखा था कि इन अभियुक्तों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिये यह षड्यन्त्र नहीं किया मगर फिर भी अगर ये लोग अपने किये पर पश्चाताप प्रकट करें तो सजा कम की जा सकती है। वकील की सलाह पर लखनऊ जेल में जाकर अशफ़ाक़ बिस्मिल से मिले और उनका मत जानना चाहा। इस पर बिस्मिल ने उन्हें समझाया कि जिस प्रकार शतरंज के खेल में हारी हुई बाजी जीतने के लिये कभी कभार अपने एक दो मोहरे मरवाने ही पड़ते है, ठीक उसी प्रकार हम लोग भी माफीनामा दायर कर अपने को मौत की सजा से बचा सकें तो बेहतर रहेगा। सात साल में उम्र कैद पूरी हो जाने के बाद हम इससे
भी भयंकर काण्ड करके इस बेरहम सरकार की नाक में दम कर देंगे। पारस्परिक सहमति से
उधर राम प्रसाद बिस्मिल ने और इधर अशफाक़ उल्ला ख़ाँ ने अपना-अपना माफीनामा दायर कर दिया। अशफ़ाक़ ने पहला माफीनामा 11 अगस्त 1927 व दूसरा माफीनामा 29 अगस्त 1927 को लिखकर भेजा। इसके अतिरिक्त वकील की सलाह पर एक और मर्सी.अपील अशफाक़ की माँ मुसम्मात मजहूरुन्निशाँ बेगम की तरफ से वायसराय तथा गवर्नर जनरल को भेजी गयी परन्तु उस पर कोई विचार ही नहीं हुआ।
अशफ़ाक़ व उनकी माँ के बाद विधान सभा सदस्यों ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर करके संयुक्त प्रान्त के गवर्नर विलियम मोरिस को एक मेमोरेण्डम नैनीताल भेजा। उसके साथ ही पं0 गोविन्द वल्लभ पन्त व सी.वाई. चिन्तामणि ने भी एक प्रार्थना पत्र भेजा किन्तु सब प्रयत्न बेकार ही रहे। 22 सितम्बर 1927 को
होम सेक्रेटरी एच. डब्लू. हेग ने अपनी फाइनल रिपोर्ट दी जिसके अन्त में उसने स्पष्ट लिखा था, इन लोगों का उद्देश्य एक स्थापित सरकार को उलटना था। यह चूँकि पूरी तरह सिद्ध हो चुका है अत: इस मामले में फाँसी ही दी जा सकती है, जबकि बंगाल षड्यन्त्र में, जिसकी यह एक शाखा थी, अब तक ऐसी कोई तथ्यात्मक पुष्टि नहीं हुई है, अत: वहाँ के लोगों को फाँसी की सजा से मुक्त रखा गया है। मुझे पक्का विश्वास है कि यदि इन्हें फाँसी की सजा न देकर जिन्दा छोड़ दिया गया तो ये बंगाल तो क्या, पूरे हिन्दुस्तान में फैल जायेंगे।
इन तमाम अपीलों व दलीलों का इतना असर जरूर हुआ कि फाँसी की तारीख दो बार आगे बढ़ा दी गयी। पहले यह तारीख 16 सितम्बर 1927 थी, बाद में 11 अक्टूबर 1927 हुई। चूँकि लन्दन की प्रिवी.कौंसिल में मर्सी.अपील जा चुकी थी अत: फाँसी की तारीख फिर से आगे के लिये टाल दी गयी। आखिरकार 19 दिसम्बर 1927 की तारीख मुकर्रर हुई और इसकी सूचना चारो जेलों को भेज दी गयी। फैजाबाद जेल में यह सूचना पहुँचते ही अशफ़ाक़ ने 29 नवम्बर 1927 को अपने भाई रियासत उल्ला ख़ाँ, 15 दिसम्बर 1927 को अपनी वालिदा मोहतरमा मजहूरुन्निशाँ बेगम तथा 16 दिसम्बर 1927 को अपनी मुँह बोली बहन नलिनी दीदी जुमेरात (गुरुवार) 15 दिसम्बर 1927 की शाम फैजाबाद जेल की काल कोठरी से अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ ने अपना यह आखिरी पैगाम हिन्दुस्तान के अवाम के नाम लिखकर उर्दू भाषा में भेजा था। उनका मकसद यह था कि मुस्लिम समुदाय के लोग इस पर खास तवज्जो अता करें। एक पुलिस अधिकारी पं. विद्यार्णव शर्मा की पुस्तक युग के देवता :  बिस्मिल और अशफ़ाक़ में पृष्ठ संख्या 172 से 178 तक यह पूरा सन्देश दिया हुआ है उसी में से कुछ खास अंश यहाँ पर दिये जा रहे हैं।
‘गवर्नमेण्ट के खुफिया एजेण्ट मजहबी बुनियाद पर प्रोपेगण्डा फैला रहे हैं। इन लोगों का मक़सद मजहब की हिफाजत या तरक्की नहीं है,बल्कि चलती गाडी़ में रोडा़ अटकाना है। मेरे पास वक्त नहीं है और न मौका है कि सब कच्चा चिट्ठा खोल कर रख देता, जो मुझे अय्यामे फरारी (भूमिगत रहने) में और उसके बाद मालूम हुआ। यहाँ तक मुझे मालूम है कि मौलवी नियामतुल्ला कादियानी कौन था जो काबुल में संगसार (पत्थरों से पीट कर ढेर) किया गया। वह ब्रिटिश एजेण्ट था जिसके पास हमारे करमफरमा (भाग्यविधाता) खानबहादुर तसद्दुक हुसैन साहब डिप्टी सुपरिण्टेण्डेण्ट सी.आई.डी. गवर्नमेण्ट ऑफ इण्डिया पैगाम लेकर गये थे मगर बेदारमगज़ हुकूमते.काबुल (काबुल की होशियार सरकार) ने उसका इलाज जल्द कर दिया और मर्ज को वहाँ पर फैलने न दिया।
इसके बाद उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता के फायदे, अहमदाबाद कांग्रेस जैसा इत्तिहाद (मेलमिलाप) गोरी अंग्रेजियत का भूत उतारने की बात करते हुए देश के सभी कम्युनिस्ट ग्रुुप (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) से विदेशी मोह व देशी चीजों से नफरत का त्याग करने की नायाब नसीहत देते हुए चन्द अंग्रेजी पंक्तियों के साथ रुखसत होने की गुजारिश की थी।
मेरे भाइयो! मेरा सलाम लो और इस नामुकम्मल (अधूरे) काम को, जो हमसे रह गया है, तुम पूरा करना। तुम्हारे लिये हमने यू0पी0 (उत्तर प्रदेश) का मैदाने-अमल (कार्य-क्षेत्र) तैयार कर दिया। अब तुम जानो तुम्हारा काम जाने। मैं चन्द सुतूर (पंक्तियों) के बाद रुखसत (विदा) होता हूँ ।
शाहजहाँपुर के आग्नेय कवि स्वर्गीय अग्निवेश शुक्ल ने यह भावपूर्ण कविता लिखी थी जिसमें उन्होंने फैजाबाद जेल की काल.कोठरी में फाँसी से पूर्व अपनी जिन्दगी की आखिरी रात गुजारते हुए अशफ़ाक़ के दिलो.दिमाग में उठ रहे जज्वातों के तूफान को हिन्दी शब्दों का खूबसूरत जामा पहनाया है। ’
जाऊँगा खाली हाथ मगर, यह दर्द साथ ही जायेगा,
जाने किस दिन हिन्दोस्तान, आजाद वतन कहलायेगा।
बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं, फिर आऊँगा-फिर आऊँगा,
ले नया जन्म ऐ भारत माँ! तुझको आजाद कराऊँगा।।
जी करता है मैं भी कह दूँ, पर मजहब से बँध जाता हूँ, 
मैं मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नहीं कह पाता हूँ।
हाँ, खुदा अगर मिल गया कहीं, अपनी झोली फैला दूँगा,
औ जन्नत के बदले उससे, यक नया जन्म ही माँगूँगा।।
फाँसी वाले दिन सोमवार दिनांक 19 दिसम्बर 1927 को अशफ़ाक़ हमेशा की तरह सुबह उठे, शौच आदि से निवृत्त हो स्नान किया। कुछ देर वज्रासन में बैठ कुरान की आयतों को दोहराया और किताब बन्द करके उसे आँखों से चूमा। फिर अपने आप जाकर फाँसी के तख्ते पर खड़े हो गये और कहा, ‘मेरे ये हाथ इन्सानी खून से नहीं रँगे। खुदा के यहाँ मेरा इन्साफ  होगा।’ फिर अपने आप ही फन्दा गले में डाल लिया। अशफ़ाक़ की लाश फैजाबाद जिला कारागार से शाहजहाँपुर लायी जा रही थी।
लखनऊ स्टेशन पर गाड़ी बदलते समय कानपुर से बीमारी के बावजूद चलकर आये गणेशशंकर विद्यार्थी ने उनकी लाश को अपने श्रद्धा.सुमन अर्पित किये। पारसीशाह फोटोग्राफर से अशफ़ाक़ के शव का फोटो खिंचवाया और अशफ़ाक़ के परिवार जनों को यह हिदायत देकर कानपुर वापस चले गये कि शाहजहाँपुर में इनका पक्का मकबरा जरूर बनवा देना, अगर रुपयों की जरूरत पड़े तो खत लिख देना मैं कानपुर से मनीआर्डर भेज दूँगा। अशफ़ाक़ की लाश को उनके पुश्तैनी मकान के सामने वाले बगीचे में दफना दिया गया। उनकी मजार पर संगमरमर के पत्थर पर अशफाक़ उल्ला ख़ाँ की ही कही हुई ये पंक्तियाँ लिखवा दी गयीं:
जिन्दगी वादे.फना तुझको मिलेगी ‘हसरत’,
तेरा जीना तेरे मरने की बदौलत होगा।
अशफ़ाक़ यह पहले से ही जानते थे कि उनकी शहादत के बाद हिन्दुस्तान में लिबरल पार्टी यानी कांग्रेस ही पावर में आयेगी और उन जैसे आम तबके के बलिदानियों का कोई चर्चा नहीं होगा, सिफऱ्  शासकों के स्मृति.लेख ही सुरक्षित रखे जायेंगे। तभी तो उन्होंने ये क़ता कहकर वर्तमान हालात की भविष्य.वाणी बहुत पहले सन् 1927 में ही कर दी थी-
जुबाने-हाल से अशफ़ाक़ की तुर्बत ये कहती है,
मुहिब्बाने-वतन ने क्यों हमें दिल से भुलाया है,
बहुत अफसोस होता है बड़ी़ तकलीफ  होती है,
शहीद अशफ़ाक़ की तुर्बत है और धूपों का साया है!!
गनीमत है गणेशशंकर विद्यार्थी ने 200 रुपये का मनीआर्डर भेजकर अशफ़ाक़ की मजार पर छत डलवा कर उसे धूप के साये से बचा लिया। पहली बार की मुलाकात में ही बिस्मिल अशफ़ाक़ के मुरीद हो गये थे जब एक मीटिंग में बिस्मिल के एक शेर का जबाव उन्होंने अपने उस्ताद जिगर मुरादाबादी की गजल के मक्ते से दिया था।
जब बिस्मिल ने कहा-
‘बहे बहरे-फना में जल्द या रब! लाश बिस्मिल की।
 कि भूखी मछलियाँ हैं जौहरे-शमशीर कातिल की।।
तो अशफ़ाक़ ने ‘आमीन’ कहते हुए जबाव दिया.
जिगर मैंने छुपाया लाख अपना दर्दे-गम लेकिन।
 बयाँ कर दी मेरी सूरत ने सारी कैफियत दिल की।।
एक रोज का वाकया है अशफ़ाक़ आर्य समाज मन्दिर शाहजहाँपुर में बिस्मिल के पास किसी काम से गये। संयोग से उस समय अशफ़ाक़ जिगर मुरादाबादी की यह गजल,गुनगुना रहे थे
‘कौन जाने ये तमन्ना इश्क की मंजिल में है।
 जो तमन्ना दिल से निकली फिर जो देखा दिल में है।।’
बिस्मिल यह शेर सुनकर मुस्करा दिये तो अशफ़ाक़ ने पूछ ही लिया,क्यों राम भाई! मैंने मिसरा कुछ गलत कह दिया क्या? इस पर बिस्मिल ने जबाब दिया, नहीं मेरे कृष्ण कन्हैया! यह बात नहीं। मैं जिगर साहब की बहुत इज्जत करता हूँ मगर उन्होंने मिजऱ्ा गालिब की पुरानी जमीन पर घिसा पिटा शेर कहकर कौन.सा बड़ा तीर मार लिया। कोई नयी रंगत देते तो मैं भी इरशाद कहता। अशफ़ाक़ को बिस्मिल की यह बात जँची नहीं, उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा,तो राम भाई! अब आप ही इसमें गिरह लगाइये, मैं मान जाऊँगा आपकी सोच जिगर और मिजऱ्ा गालिब से भी परले दर्जे की है।
 उसी वक्त पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल ने ये शेर, कहा-
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। 
देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।
यह सुनते ही अशफाक़ उछल पड़े और बिस्मिल को गले लगा के बोले, राम भाई! मान गये। आप तो उस्तादों के भी उस्ताद हैं

कैसे पूर्ण हो महर्षि दयानन्द का सपना

बलिदान दिवस पर विशेष स्मरणांजलि
ओ३म् इन्द्रं वर्धन्तोऽप्तुर: कृण्वन्तो विश्वमाय्र्यम् अपघमन्तोऽरावण:। 
महर्षि दयानन्द का यह सपना था कि सम्पूर्ण विश्व आर्य बन जाए तो मानव का कल्याण स्वत: हो जाएगा। आर्य बनने के साथ ही दुनियां की सारी बुराइयां छू मन्तर हो जाएगी और प्रत्येक मानव मानव से वसुधैव कुटुम्बकम् का नाता मानेगा और एकदूसरे को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। परन्तु यह सुन्दर स्वप्न महर्षि दयानन्द ने जगत कल्याण के लिए देखा है। यह पूर्ण किस तरह से हो, यह यक्ष प्रश्न अभी भी हमारे सामने है। महर्षि दयानन्द की विचारधारा के मानने वालों का यह परम कत्र्तव्य बन जाता है कि वह अपने मार्गदर्शक द्वारा दर्शाए गए मार्ग में चल कर उनका सपना पूर्ण करें। अब यह सपना किस तरह से पूर्ण होगा। इस पर प्रकाश डालते हैं।
महर्षि देव दयानन्द ने वेद का मानव मात्र के लिए यह संदेश दिया है कि वह विश्व को आर्य बनाए। इतिहास साक्षी है कि वेद के इस आदेश का अनुपालन करने में प्राचीन वैदिक ऋषियों ने अपने सम्पूर्ण सुदीर्घ जीवनों को खपा दिया था और फिर भी उनकी यह लालसा सदा बनी रहती थी कि पुन: मानव की योनि में जन्म लेकर वेद के इस आदेश का पालन किया जाए। एक युग था जब अखिल विश्व वेदानुयायी था और आर्यों का सार्वभौम अखण्ड चक्रवर्ती साम्राज्य था। वेदानुयायी होने से संसार भर के मानवों के जीवन भी अति मर्यादित थे और मर्यादित जीवन होने से संसार में सर्वत्र सुख-शान्ति का सम्राज्य था। संसार स्वर्ग समान था और आर्यत्व का बोल-बाला था। संसार परिवर्तन शील है। इस परिवर्तनशील संसार में सदा किसकी बनी रही है? आर्यों के आलस्य और प्रमाद ने जब वेद विद्या लुप्त होने लगी तो संसार गहरे अंधकार में निमग्न हो गया। वेद विद्या के लोप होने से मनुष्य अपने आचरण से भी पतित हो गया और अनार्यत्व का संसार में बोलबाला हो गया। परिणामस्वरूप नीति-अनीति का विचार जाता रहा और मानवता कराह उठी।
भ्रष्टाचार बना शिष्टाचार, शिष्टाचार का हुआ बंटाधार।
नैतिकता हो गई लापता, मानवता का हुआ तार-तार।
यदि ऐसी स्थिति से उबरना है तो हमें ऐसे कार्य करने होंगे जिनसे विश्व आर्य बन सके। हमें मानव को फिर से मानवता अथवा आर्यत्व का पाठ पढ़ाना होगा। यह कार्य आर्य समाज के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं कर सकता क्योंकि वही वेद का रक्षक एवं प्रचारक है। वेद की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार एवं आज्ञाओं का अनुपालन आर्य समाज का मुख्य कर्तव्य है। वही एक मात्र मानवता का सच्चा प्रहरी, प्रतिनिधि एवं रक्षक है। वही मानवता का संदेश वाहक है। अत: आर्य समाज को ही यह सोचना है कि विश्व आर्य कैसे बने। पूर्व इसके कि इस विषय पर व्यवस्थित, क्रमबद्ध विचार किया जाए कि विश्व आर्य कैसे बने, यह जान लेना आवश्यक है कि विश्व के आर्य बनने में हमारा तात्पर्य क्या है एवं विश्व का आर्य बनना आवश्यक क्यों है। फिर विश्व के आर्य बनने में बाधक कौन-कौन से तत्व हैं एवं उनका निराकरण कैसे हो। साथ में यह भी कि आर्य कहते किसे हैं और मानव में आर्यत्व का आधान कैसे हो। इन विषयों पर विचार करने से ही हम विषय के मूल तक पहुंचने में सफल हो सकेंगे अथवा नहीं। अत: उचित यही है कि विषय को वैज्ञानिक आधार देते हुए वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार ही क्या,क्यों,कैसे आदि विभिन्न शंकायें विकसित कर उनका युक्तियुक्त वैज्ञानिक समाधान खोजा जाए। जब तक ऐसा नहीं किया जाता तब तक न तो सही समस्या उभर कर सामने आ सकती है और न ही उसका सही समाधान ही सोचा जा सकता है। तो आइए। विषय से ुड़े हुए  कतिपय अन्य गंभीर विषयों पर भी क्रमश: विचार करते चलें।
विश्व के आर्य बनने से क्या तात्पर्य है?
जब हम विश्व के आर्य बनने की बात कहते हैं तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि विश्व के आर्य बनने से क्या तात्पर्य है क्योंकि विश्व तो जड़ एवं चेतन दोनों ही प्रत्यक्ष है। किन्तु हमारे विचार का क्षेत्र जड़ नहीं चेतन जगत है और चेतन में भी केवल मनुष्य ही क्योंकि मनुष्येतर पशु-पक्षी आदि आर्य बन नहीं सकते। आर्य श्रेष्ठ मनुष्य को कहते हैं अत: मनुष्यों को श्रेष्ठ होना ही विश्व का आर्य बनना है। तात्पर्य यह है कि व्यापकता की दृष्टि से हमारे विचार का जो विषय है वह सम्पूर्ण विश्व होते हुए भी केवल मानव समुदाय तक ही सीमित है। मनवेतर चेतन जगत अथवा जड़ जगत हमारे विचार का क्षेत्र नहीं। मानव ही सही, पर क्या हमें मानव मात्र को आर्यसमाजी अथवा आर्यसमाज का सदस्य बनाना अभीष्ट है? हमारा सोचा समझा और सुविचारा हुआ उत्तर ‘न’ में ही होगा। विश्व के आर्य बनने से हमारा तात्पर्य यह कदापि नहीं कि हम विश्व को आर्यसमाज का सभासद बना देना चाहते हैं। यह इसलिए नहीं कि हम आर्यसमाज का विस्तार नहीं चाहते। अपितु इसलिए कि यह व्यवहारिक नहीं। कारण कि आर्य समाज का अपना एक सुनिश्चित संगठन एवं विधान है। आर्य समाज का सदस्य तो वही होगा कि जो उस संगठन से आबद्ध होगा। पर आर्य तो संगठन से आबद्ध न रहकर भी हो सकता है। फिर जहां संगठन की आवश्यक शर्तें पूरी न होतीं हों, वहां अकेला,दुकेला व्यक्ति क्या आर्य न बने? या जो अपनी आय का शतांश न दे सके अथवा निश्चित आयु सीमा की शर्त न पूरी करता हो तो क्या उसे आर्य न बनाया जाये? ऐसा तो कोई नहीं चाहेगा। स्पष्ट है कि आर्यसमाज का विस्तार चाहते हुए भी हम यह मानने के लिए तैयार नहीं कि विश्व का एक-एक मानव आर्य समाज का सदस्य बन सकता है पर यह अवश्य मान सकते हैं कि ईश्वर की कृपा और आर्यों के पुरुषार्थ से विश्व भर का मानव आर्य तो हो सकता है। अत: स्पष्ट है कि आर्य शब्द में निहित उच्च भावनाओं के अनुसार ही विश्व के मानव का श्रेष्ठ बनना ही हमारा प्रयोजन है।
विश्व का आर्य बनना आवश्यक क्यों है?
विचारणीय विषय का क्षेत्रनिर्धारण के पश्चात् सर्वप्रथम जो प्रश्न उभ कर सम्मुख आता है, वह यह है कि विश्व के आर्य बनने की आवश्यकता ही क्या है? हम यह प्रश्न इसलिए उठा रहे हैं कि हमारा विश्वास है कि जब तक हम विश्व के आर्य बनने की आवश्यकता को अच्छी तरह से नहीं समझ पायेंगे तब तक हमारे मन में कार्य की सिद्धि की लालसा जागृत िनहीं होगी। आवश्यकता की तीव्रता कार्यकी सिद्धि के लिए प्रेरित किया करती है। ’’आवाश्यकता अविष्कार की जननी है’’ इस सिद्धांतानुसार जब हमें किसी भी आवश्यकता की अतितीव्रता से अनुभूति होने लगती है तो उसकी पूर्त के लिए साधनों का भी अविष्कार कर ही लिया जाता है। अत: इस संदर्भ में यह जान लेना परम आवश्यक है कि विश्व का आर्य बनना आवश्यक क्यों है?
विश्व का आर्य बनना इसलिए आवश्यक है कि इसी में विश्व का कल्याण निहित है। जब जगत में दुर्जनों का बाहुल्य होगा तो सर्वत्र अशान्ति कलह और विद्वेष का साम्राज्य होगा। विपरीत इसके जब विश्व में सज्जनों का बााहुल्य होगा तो सर्वत्र शान्ति, प्रीति और सुनीति का साम्राज्य होगा। आर्य कहते ही श्रेष्ठ एवं सज्जन को है।  जब विश्व भर के मानव सभ्य,श्रेष्ठ,कुलीन और सज्जन होंगे तो फिर अशान्ति,कलह और विद्वेष के लिए अवकाश कहां है? विश्व की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान विश्व के आर्य बनने में ही है। आज विश्व में जो अराजकता,अशान्ति, कलह,क्लेश,विद्वेष भय तथा अविश्वास का वातावरण व्याप्त है, उन सब का मूल कारण मानव में व्याप्त दानवता अथवा अनार्यत्व ही है। इसी अनार्यत्व के कारण ही आज संसार संतापो,चिन्ताओं,पीड़ाओं एवं दु:खों की दावानल में जला रहा है। आज मानव,मानव से शंकित है,त्रस्त है, भयभीत है और स्थिति यहां तक आ पहुंची कि
मानव ने छोड़ दिया मानवता का जामा। प्रेम-प्यार सब खत्म हुआ रह गया मात्र ड्रामा।।
चांद-तारों का सफर करने वाला इंसान। इंसानियत को खो कर बन गया धन का भगवान।।
इन सब समस्याओं का एकमात्र समाधान विश्व के आर्य बनने में ही निहित है। अत: विश्व का आर्य बनना अत्यन्त आवश्यक है। सत्य जानिये जितना जल्दी विश्व आर्य बनेगा उतनी जल्दी यह स्वर्ग की छटा बिखेरेगा। स्पष्ट है कि धरा को सुख शान्ति से जीवन-यापन करने के लिए विश्व का आर्य बनना अत्यन्त आवश्यक है।
विश्व का आर्य बनना इसलिए भी आवश्यक है कि यह वेद का आदेश है। वेद कृण्वन्तो विश्वमाय्र्यम् के उद्घोष द्वारा मानवमात्र को यह आदेश देता है कि विश्व को आर्य बनाता चले। अत: वेद ईश्वरीय वाणी है। वेद की आज्ञाएं ईश्वर की आज्ञाएं हैं। ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करना परम कर्तव्य एवं पुनीत धर्म है जबकि अवज्ञा महापातक एवं घोर पाप है। अत: इस महापातक एवं घोर पाप से बचने के लिए विश्व को आर्य बनाना परम आवश्यक है।
आर्य कौन?
विश्व को आर्य बनाने का कोई उपाय सुझाने से पूर्व यह बतला देना भी आवश्यक समझते हैं कि आर्य कहते किसे हैं? यह इसलिए कि आर्य शब्द को ठीक से न समझने के कारण लोग आर्य नहीं बन रहे। आर्य बनने का अर्थ किसी धर्म,सम्प्रदाय या मत-मतान्तर को अपनाना नहीं है क्योंकि आर्य शब्द स्वयं भी किसी धर्म, जाति एवं सम्प्रदाय का बोधक नहीं है। आर्य शब्द का अर्थ श्रेष्ठ है। विस्तार में कहें तो श्रेष्ठ गुण-कर्म-स्वभाव वाले व्यक्ति को आर्य कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से ही पुनीत ‘आर्य’ शब्द श्रेष्ठ मानव के अर्थों में प्रयुक्त होता चला आया है और इसी का विलोम शब्द ‘अनार्य’ एक अपशब्द एवं अभद्रता का परिचायक है। राम कृष्ण आदि हमारे सभी महापुरुष आर्य ही थे। रावण,कंस आदि को अनार्य कहा जाता था। यह इसलिये कि वह गुण-कर्म-स्वभाव से पतित हो चुके थे। पता नहीं लोग आज भी आर्य जैसे महान व पवित्र शब्द से क्यों चिढ़ते हैं? उनसे पूछा जाय कि इसमें साम्प्रदायिकता की गंध कहां से आ गई? और तो और स्वये अपने को वेदों का अनुयायी मानने वाले हमारे सनातन धर्मी भाई भी आर्य शब्द से चिढऩे लगे हैं। हिन्दू शब्द से चिपटे ये सनातनधर्मी यह बात भूल गए कि इनके पूर्वज स्वयं को आर्य कहलवाने में अपना गौरव मानते थे। हिन्दू शब्द तो साम्प्रदायिक हो सकता है परन्तु आर्य शब्द नहीं। आर्य विशुद्ध मानवतावादी शब्द है। संकीर्ण मानसिकता से कोसों दूर आर्य को अपनाने में लोग संकोच क्यों करते हैं? इसीलिए आज हिन्दू एवं आर्य पिछड़े हुए हैं। आश्चर्य तो तब होता है कि जब हम स्वामी विवेकानन्द,महात्मा गांधी और डॉ. राधाकृष्णन जैसे महान विभूतियों द्वारा हिन्दू और हिन्दुत्व की बात करने पर उन्हें कोई भी साम्प्रदायिक नहीं कहता।
इसी तरह आधुनिक युग में मानव कल्याण की क्रांति की मशाल लिए हुए महर्षि दयानन्द प्रथम महामानव के रूप में आए जिन्होंने इस भूले बिसरे किन्तु महान आर्य शब्द की ओर संसार का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने यह उदघोष किया ‘‘गुणभ्रष्ट तो हम हुए नाम भ्रष्ट तो न हों’’। पर महर्षि की बातों को सुन कौन रहा है। आज आर्य समाज के दिग्गज भी हिन्दू और हिन्दुत्व का राग अलापने लगे हैं जबकि योगीराज अरविन्द ने कहा था कि मानवीय भाषा के सम्पूर्ण इतिहास में इस आर्य शब्द जैसा महान और उच्च शब्द नहीं मिलता। पर इस पर ध्यान कौन दे? योगी अरविन्द ने आर्य शब्द की महिमा का बखान बढ़ चढ़ कर नहीं किया है बल्कि उसकी असलियत से लोगों को परिचित कराया है। इस आर्य शब्द में इतने गुणों का समावेश है कि जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, फिर वर्णन करना तो दूर रहा। ‘‘अर्यते सततं चार्ते:’’ इस स्मृति वचनानुसार आर्य वह है कि जो पीडि़तों की सहायता के लिए सदैव स्वत: ही पहुंच जाया करता है और ‘‘आराद् याति इति आर्य:’’अर्थात जो जितेन्द्रिय है वह आयै है। निरुक्त्कार ईश्वर पुत्रको आर्य कहता है तो गौत्म धर्म-सूत्रकार सदाचारी को। तात्पर्य है कि वेद का यह पावन पुनीत शब्द अपने गर्भ में नाना अर्थों और गुणों को समेटे हुए हैं। फिर भी विश्व इस महान शब्द से अपरिचित रहे-यह खेद का विषय है। अत: विश्व को आर्य बनाना आवश्यक है तो विश्व को इस अलौकिक शब्द से भली-भांति परिचित ही न कराया जाए बल्कि सभी के मन में अच्छी तरह से बैठा दिया जाए।
अब बाधा कहां है?
यह प्रश्न बहुत गंभीर है एवं उचित समाधान चाहता है। सबसे पहले तो हम यह बताना चाहते हैं कि हमने चाहा ही नहीं और जब चाहा ही नहीं तो इस दिशा में कोई प्रयत्न करने का सवाल ही नहीं उठता। यहां तक कि हम लोगों को आर्य बनने का महत्व तक भी ठीक ढंग से नहीं समझा सके। आर्य, श्रेष्ठ व्यक्ति अथवा नेक इन्सान को कहते हैं। नेक इन्सान बनना बुरी बात नहीं है। वेद भी ‘‘मनुर्भव’’ के सन्देश द्वारा हमें नेक इसन अर्थात मनुष्य अथवा आर्य बनने की बात कह रहा है। पर हम मनुष्य न बनकर हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाई,बौध, जैन, पारसी आदि सम्प्रदायवादी बन बैठे। और पिुर अपने-अपने सम्प्रदाय को बढ़ाने और दूसरे सम्प्रदायों को मिटाने पर तुल गये। यद्यपि अल्लामा इकबाल ने कहा था ‘‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’’ पर वास्तविकता यह है कि बैर-विरोध तथा वैमनस्यता आदि सभी मजहब के कारण ही होते हैं। विश्व में जितना रक्तपात मजहब के नाम पर हुआ है उतना किसी अन्य पर नहीं हुआ। आज भी विश्वव्यापी आतंकवाद के पीछे मजहब ही तो कार्य कर रहा है। वेद ही एकमात्र ऐसा ज्ञान है जो सम्प्रदायवाद से बचा हुआ है। इसका कारण यह है कि वेद का ज्ञान सृष्टि के आदि में उस समय दिया गया जब किसी मत या पंथ का उदय ही नहीं हुआ था। यदि विश्व को साम्प्रदायिकता की अग्नि से बचाना है तो हमें सम्प्रदायों के जन्म के पूर्व की स्थिति लानी होगी अर्थात वैदिक युग में लौटना होगा। तभी विश्वबंधुत्व की भावनाएं पनप सकतीं हैं। समूचे विश्व में शांति कायम हो सकती है और तभी सच्चा भाई-चारा पनप सकता है। आज की इस विकट समस्या को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि हमें संसार के समक्ष वैदिक काल की विशेषताओं को बड़े ही प्रभावशाली वैज्ञानिक तरीके से रखना होगा। विश्व के प्रमुख संप्रदायों में खुली बहस करानी होगी कि विश्व में शान्ति किस प्रकार से स्थापित की जा सकती है। तभी यह साबित हो सकता है कि विश्व शान्ति का संदेश केवल वैदिक विचारधारा ही दे सकती है।
समाधान ऐसे निकल सकता है?
विश्व आर्य कैसे बने? अब इस पर मनन करना चाहिए। हम यह मानकर चलते हैं कि विश्व को आर्य बनाने का कार्य बहुत ही दुष्कर एवं कठिन है किन्तु हमारी भी सुदृढ़ मान्यता है कि कठिन कार्य भी करने से ही सरल हुआ करते हैं स्वत: नहीं। यदि हम प्रयत्न नहीं करेंगे तो कार्य स्वत: को हो नहीं जाएगा। अत: विश्व को आर्य बनाने के लिए हमें कठिनाइयों की परवाह किए बिना हमें अपने कर्तव्य पर डट जाना होगा। सबसे पहले हमें स्वयं को आर्य बनाना होगा क्योंकि हम सुधरेंगे जग सुधरेगा की कहावत चरितार्थ होगी और एक दिन कृण्वन्तो विश्वमाय्र्यम का सपना पूरा होगा। नीतिकार का कहना है:-
प्रत्यहं प्रत्यवेक्षेत नरश्चरितात्मन:। किन्नु मे पशुभिस्तुल्यं किन्नु सत्पुरुषैरति।।
अर्थात नित्य प्रति हम आत्म-निरीक्षण के द्वारा यह जांच-पड़ताल करें और देखें कि हम मानव तो ही हैं कहीं दानव तो नहीं बनते जा रहे हैं। इसके लिए अपनी आत्मा को जगाना होगा और जगाए रखना ही होगा।
आर्य समाज का दायित्व
चूंकि महर्षि दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना संसार में वैदिक धर्म की स्थापना द्वारा विश्व को आर्य बनाने के लिए की थी, अत: आर्यसमाज का यह दायित्व है कि वह अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अधिक सक्रिय हो। महर्षि को आर्यसमाज से बहुत आशायें एवं आकांक्षायें थीं। उन्होंने कहा था कि मेरे शिष्य सभी आर्यसमाजिक हैं। वे ही मेरे विश्वास और भरोसे के भव्य भवन हैं। उन्हें के पुरुषार्थ पर मेरे कार्योँ की पूर्ति और मनोरथों की सफलता अवलम्बित है। आर्य समाज सोचे कि वह महर्षि के मनोरथों की सफलता हेतु कितना प्रयत्नशील है? यदि आर्यसमाज महर्षि के मनोरथों की सिद्धि चाहता है तो उसे संसार में वैदिक धर्म का प्रचार करना ही होगा। क्योंकि संसार भर का धर्म एक ही है और वह है वैदिक धर्म। अन्य सभी तो मत, मजहब,पंथ अथवा संप्रदाय हैं। इन्हीं के मायाजाल में फंसकर विश्व आर्य नहीं बन पा रहा है।
महर्षि इन मतों-पंथों के रगड़े-झगड़े मिटाने को आये थे। आर्य समाज को भी इन झगड़ों से ऊपर उठकर विशुद्ध मानवतावादी दृष्टिकोण के अपनाते हुए विशुद्ध धर्म का प्रचार करना चाहिए। आर्य समाज को अपना प्रचार कम,वेद का अधिक करना चाहिए जबकि हो यह रहा कि अपनी उपलब्धियों का प्रचार अधिक और वेद का प्रचार कम हो रहा है। यदि आर्य समाज वेद के प्रचार में अधिक उत्साह दिखाता है तो आज स्थिति कुछ और ही होती।
आर्य समाज की प्रचार सामग्री अपने नेताओं के चित्रों एवं उनके दौरे आदि से पटी रहतीं हैं जो असल उद्देश्य से बहुत दूर हैं। जब वे वेद की शिक्षाओं को प्रकाशित नहीं करेंगे तो वेद का प्रचार-प्रसार कैसे होगा और महर्षि दयानन्द के मनोरथ की सिद्धि कैसे हो सकेगी।
आर्य समाजी भी सभाओं पर अपना अधिकार जमाने में ही अपनी शक्ति का व्यय करते रहते हैं, वेद के प्रचार में नहीं। फिर कोरे जयघोषों से विश्व आर्य बनने से रहा। अत: आर्य समाज को चाहिए कि वह अपनी शक्ति व्यर्थ के मुकदमेबाजी में व्यय न करके महर्षि के सपने को साकार करने में लगायें।
आर्य समाज को चाहिए कि वह स्थान-स्थान पर वेद विद्यालयों की स्थापना करें ओर वेद के उपदेशक तैयार करे। और फिर वेद की शिक्षाओं को जन-सामान्य तक पहुंचाने में जुट जाये। हमें विश्व-मानवता को वेद के झण्डे तले लाने के लिए कोई ठोस व्यवहारिक एवं कारगर योजना को कार्यान्वित करने के लिए अपने सम्पूर्ण मतभेद भुलाकर सर्वात्मना जुट जाना होगा। तभी हमें सफलता मिल सकती है। यह कार्य आर्य समाज के अतिरिक्त कोई भी नहंीं कर सकता। कृण्वन्तो विश्वमाय्र्यम का उदघोष आर्य समाज का ही है तो आर्य समाज का ही दायित्व बनता है कि वह आगे बढ़ कर इस ओर प्रयत्न करे तथा विश्व को आर्य बनाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन पूर्ण जिम्मेदारी से करे।
अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करना आर्य समाज का नियम है। यदि आर्य समाज इस नियम एवं उद्देश्य की पूर्ति में लग जाावे तो विश्व आर्य बन जायेगा। क्योंकि साम्प्रदायिकता का मूल अविद्या ही है। अविद्या के वशीभूत होकर ही मानव का दृष्टिकोण अति संकुचित एवं संकीर्ण होता जा रहा है। इसी के कारण वह साम्प्रदायिकता की ओर उन्मुख हो रहा है। विशुद्ध धर्म अविद्या के कारण ही मानव की समझ में नहीं आ पा रहा है। अत: आवश्यकता है कि अविद्या के विनाश और विद्या की वृद्धि की ओर विशेष ध्यान दिया जाए। यह सिद्धान्त पुस्तकों की जगह हमारे व्यवहार में उतर आए तभी विश्व का कल्याण होगा।

Thursday, 20 October 2016

चिकनगुनिया के घरेलू उपचार

चिकुनगुनिया एक तरह का वायरल बुखार है जो कि मच्छरों  के कारण फैलता है। चिकुनगुनिया अल्फावायरस के कारण होता है जो मच्छरों के काटने के दौरान मनुष्यों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
चिकुनगुनिया में जोड़ों में दर्द ,सिर दर्द , उल्टी ; और जी मिचलाने के लक्षण उभर सकते हैं जबकि कुछ लोगों में मसूड़ों और नाक से खून भी आ जाता है।
पपीते की पत्ती 
तुलसी
 अजवायन 
लहसुन 
सजवायन की फली 
लौंग 
अंगूर
 गाजर 

Diabetes:Safe Ayurvedic Cow Urine Therapy

Patented and scientifically established with pharmacological activities.
Ayurvedic Cow Urine Therapy has proved effective in reducing the complications and controlling sugar levels, of patients dependent on allopath medicines.
Helps revive pancreatic function and control complications
check iconImproves Quality of Life
check iconHelps reduce drug dependency.
check iconPrevents complication of kidney, heart etc
check iconReduces fluctuation & other symptoms
Get relief from Diabetes.
A study conducted on 140 male and 50 female patients who were suffering from Diabetes resulted in average 85 percent improvement in condition by regular treatment.
 Medical Review
The clinical studies have shown that our products help get relief from the following diseases: Diabetes Mellitus, Type 1 Diabetes, Type 2 Diabetes, Gestational Diabetes, Pre Diabetic Conditions, Hypertensive Diabetes, Diabetic Retinopathy, Diabetic Neuropathy, Diabetes Nephropathy (Kidney Failure), Diabetes with heart Disease.
Science behind our treatment
Each herbal extract used in our products have been researched and reestablished to have anti diabetic pharmacological activities as per the modern science by CCRAS, research wing of AYUSH (Government of India).
Several studies have been conducted on these herbals proving there efficacy in treatment of diabetes & Cow Urine has been researched and patented for its ability to improve efficacy and absorption of drugs of modern medicine (allopathy) and herbal extracts.
Pharmacological Activities
Assist in lowering the concentration of glucose in the blood.
Relieve stress and hypertension caused by diabetes.
Help reduce hyperlipidaemia in patients.
Antioxidants and Immuno-stimulator.
Help avoid damage to the liver.
Help in protecting and improving neuropsychological functions.
content-image
Cow Urine is scientifically proven to enhance the anti-microbial effects of antibiotic and anti-fungal agents. The invention relates to a novel use of cow urine as activity enhancer and availability facilitator for bioactive molecules, including anti-infective agents. 
The invention has direct implication in drastically reducing the dosage of antibiotics, drugs and anti-infective agent while increasing the efficiency of absorption of bioactive molecules, thereby reducing the cost of treatment and also the side-effects due to toxicity.
Use of bioactive fraction from cow urine as a bio-enhancer of anti-infective, anti-cancer agents and nutrient.The invention relates to a novel pharmaceutical composition comprising an effective amount of bioactive fraction from cow urine as a bioavailability facilitator and pharmaceutically acceptable additives selected from anticancer compounds, antibiotics, drugs, therapeutic and nutraceutic agents, ions and similar molecules which are targeted to the living systems.
1 million+ patients have been treated by Cow Urine Therapy in last two decades
* Disclaimer: All products are herbal and do not contain prescription ingredients. The information contained in the Website is provided for informational purposes only and is not meant to substitute for the advice provided by your doctor or other health care professional. Information and statements regarding herbal products are not intended to diagnose, treat, cure, or prevent any disease. Results may vary person to person and cannot be guaranteed.

ये हैं चिकनगुनिया के लक्षण, कारण और इलाज

 राजधानी दिल्ली सहित भारत देश के कई हिस्सों में जहां एक ओर डेंगू के केस बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक्सपट्र्स ने एक और मच्छर से पैदा होने वाली बीमारी की पहचान की है, जिसका नाम चिकनगुनिया है। डब्ल्यूएचओ और सेंटर फॉर डिजिज़़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशनए यूएसए के अनुसार व्यक्ति के अंदर, मच्छर के काटने के करीब तीन से सात दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। चिकनगुनिया में अचानक से आ जाने वाले बुखार के साथ जोड़ों में दर्द महसूस होता है। इसके अलावा उसे सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द,सूखी उबकाई आना, थकान महसूस करना, त्वचा पर लाल रैशिज़ पडऩा जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
चिकनगुनिया का कारण
शोधकर्ताओं ने पाया है कि यह बीमारी भी उसी मच्छर के काटने से होती है, जो जीका और डेंगू के लिए जि़म्मेदार है। अगर आपको ऊपर लिखे लक्षणों में से कोई भी समस्या हो, तो तुरंत अपने नज़दीकी डॉक्टर से सलाह लें।
लक्षण
चिकनगुनिया का पता ब्लड टेस्ट और कुछ ज़रूरी चिकित्सा परीक्षाओं से किया जा सकता है, जिसमें सेरोलॉजिकल और विरोलॉजिकल टेस्ट शामिल हैं।
चिकनगुनिया का इलाज
एक बुरी ख़बर, इस बीमारी के लिए कोई भी औषधी, टीका या इलाज नहीं है। चिकनगुनिया का मच्छर पूरा दिन सक्रिय रहता है, ख़ासतौर से सुबह और दोपहर में। इसलिए इन जगहों पर जाने से बचें, जहां मच्छर ज़्यादा हो। अपनी शरीर पर मच्छर को दूर भगाने वाले उत्पाद या रात को सोते समय नेट का इस्तेमाल करें। फिर भी अगर आप चिकनगुनिया का शिकार होते हैं, तो
 इन बातों का ध्यान रखें
पेय पदार्थ को ज़्यादा से ज़्यादा अपने आहार में शामिल करें। मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचें, क्योंकि मच्छर आपको काटने के बाद आपके शरीर का इंफेक्शन दूसरे व्यक्ति के शरीर में संक्रमित कर सकता है। बुखार और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए आप पैरासिटामॉल ले सकते हैं। घर पर आराम करें और अपने नज़दीकी डॉक्टर से सलाह लें।

Chikungunya virus Symptoms, Diagnosis, & Treatment

Symptoms
Most people infected with chikungunya virus will develop some symptoms.
Symptoms usually begin 3–7 days after being bitten by an infected mosquito.
The most common symptoms are fever and joint pain.
Other symptoms may include headache, muscle pain, joint swelling, or rash.
Chikungunya disease does not often result in death, but the symptoms can be severe and disabling.
Most patients feel better within a week. In some people, the joint pain may persist for months.
People at risk for more severe disease include newborns infected around the time of birth, older adults (=65 years), and people with medical conditions such as high blood pressure, diabetes, or heart disease.
Once a person has been infected, he or she is likely to be protected from future infections.
Diagnosis
The symptoms of chikungunya are similar to those of dengue and Zika, diseases spread by the same mosquitoes that transmit chikungunya.
See your healthcare provider if you develop the symptoms described above and have visited an area where chikungunya is found.
If you have recently traveled, tell your healthcare provider when and where you traveled.
Your healthcare provider may order blood tests to look for chikungunya or other similar viruses like dengue and Zika.
Treatment
There is no vaccine to prevent or medicine to treat chikungunya virus.
Treat the symptoms:
Get plenty of rest.
Drink fluids to prevent dehydration.
Take medicine such as acetaminophen (Tylenol®) or paracetamol to reduce fever and pain.
Do not take aspirin and other non-steroidal anti-inflammatory drugs (NSAIDS until dengue can be ruled out to reduce the risk of bleeding).
If you are taking medicine for another medical condition, talk to your healthcare provider before taking additional medication.
If you have chikungunya, prevent mosquito bites for the first week of your illness.
During the first week of infection, chikungunya virus can be found in the blood and passed from an infected person to a mosquito through mosquito bites.
An infected mosquito can then spread the virus to other people.

Tuesday, 18 October 2016

भारत के पर्यटन स्थलों में महत्वपूर्ण है अलापुझा


दक्षिणी भारत के केरल राज्य का एक खूबसूरत शहर है अलापुझा। इसे अलेप्पी भी कहा जाता है। यह केरल के छह बड़े शहरों में से एक है। अलापुझा इस क्षेत्र का सबसे पुराना शहर है। शहर के किनारे बना लाइटहाउस यहां की एक खास पहचान है। अलापुझा का प्रशासानिक हैडक्वार्टर भी इसी शहर में है। खूबसूरत नहरए समुद्री किनारा और समुद्रतल इस शहर को और भी मनोरम बना देते हैं। लार्ड कर्जन ने इस शहर को पूरब का स्वर्ग कहा था।
अलेप्पी भारत के महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में से है। इसका खूबसूरत समुद्री किनारा सबसे मनोहारी दृश्यों में से एक है। जिसे देखने दूर.दूर से पर्यटक केरल आते हैं। यहां हाउसबोट पर सैर करना रोमांचकारी अनुभव देता है। इन हाउसबोट में सफर करते समय लगता है, मानो आप घर में ही हैं। हाउसबोट में बैठकर समुद्री लहरों के खूबसूरत नज़ारे का आनंद लिया जा सकता है। हर साल अगस्त के दूसरे शनिवार को अलापुझा के नजदीक पुन्नमदा झील में हर साल नेहरू ट्राफी बोट रेस का आयोजन होता है। अलापुझा का सबसे रंगारंग त्योहार दिसम्बर में मनाया जाता है। इस महीने दस दिन का महत्वपूर्ण मुल्लैकल चिराप यहां के भव्य त्योहारों में से एक है।
अलेप्पी का दूसरा मुख्य आकर्षण है समुद्री किनारा। यहां से अरब सागर का सबसे खूबसूरत दृश्य देखा जा सकता है। साथ ही श्रीकृष्ण मंदिर, एदाथु चर्च और चंषाकुलम वैलिय पाली भी देखे जा सकते हैं। अलापुझा का सबसे बेहतरीन उत्पाद है नारियल। अलापुझा को 17 अगस्त 1957 में बसाया गया था। समुद्र और बहुत सारी नदियों से जुड़े रहने के कारण इस जिले का नाम अलापुझा रखा गया। 1957 में अलापुझा में सात इलाके शामिल थे चेरथाला, अंबालापूजा, कुटनाद, तिरूवला, चेनगानुर, कार्टिकपैली और मैवेलिकारा। आज अलपूजा में सिर्फ  छह इलाके ही आते हैं। तिरूवला अब इलाके में शामिल नहीं है।
लंबे.लंबे धान के खेत, छोटे झरने और नहर साथ में नारियल पेड़ों की कतार अलेप्पी को और भी मनोहारी दृश्य प्रदान करता है। इतिहास के अनुसार मध्यकाल में अलेप्पी के ग्रीस और रोम से व्यापारिक संबंध थे। इस जिले का इतिहास यह भी साबित करता हैं कि इसका देश की आजादी की लड़ाई में भी योगदान रहा है।
अलेप्पी में कोई पहाड़ नहीं है पर छोटे.छोटे पहाड़ी पत्थर इधर.उधर बिखरे पड़े हैं। यहां पर खूबसूरत जंगल ही नहीं नहर और समुद्री किनारे इस जगह को बेहद खूबसूरत दृश्य देते हैं। अलेप्पी को प्राकृतिक सुंदरता वरदान में मिली है। पश्चिम की तरफ  ही प्राकृतिक सुंदरता का बेहतरीन नजारा है अरब सागर। यहां कई नहरें होने और तटीय इलाकों के कारण हर साल ढेरों प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। यहां मौजूद कैथोलिक चर्च देखने लायक है। यहां की नदियां और समुद्र में तैरता हाउसबोट पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण है।
अलेप्पी का मौसम शुष्क है इसलिए गर्मियों में ज्यादा गर्मी पड़ती है। अक्तूबर से दिसंबर.जनवरी तक का महीना सुहावना होता है। तापमान लगभग 27 डिग्री तक रहता है। जून से लेकर सितंबर तक मानसून का महीना होता है।
अलेप्पी हवाई, रेल, सडक़ और जल यातायात से बेहतरीन तरीके से जुड़ा है। नजदीकी हवाई अड्डा कोचीन अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो सिर्फ 78 किलोमीटर की दूरी पर है। साथ में हेलिपैड सेवा भी इस शहर में उपलब्ध है. मगर यह सिर्फ  सरकारी कर्मचारियों के लिए है।

Monday, 17 October 2016

Heart Attack : What To Do in an Emergency

Symptoms
Do you know the symptoms of a heart attack? This is a life-threatening emergency that requires quick action. Don’t ignore even minor heart attack symptoms. Immediate treatment lessens heart damage and saves lives.
Recognizing the Symptoms
These vary from person to person. Not all heart attacks begin with the sudden, crushing chest pain that most of us have heard about. In fact, some cause no symptoms at all, especially those that happen to people with diabetes.
They may begin slowly, with mild pain and discomfort. They can happen while you're at rest or active. How severe they are can depend on your age, gender, and medical conditions.
Warning Signs
Common ones may include: Chest discomfort that feels like pressure, fullness, or a squeezing pain that lasts for more than a few minutes or goes away and comes back.
Pain and discomfort that go beyond your chest to other parts of your upper body, like one or both arms, or your back, neck, stomach, teeth, and jaw
Unexplained shortness of breath, with or without chest discomfort
Other symptoms, such as:
Cold sweats
Nausea or vomiting
Lightheadedness
Anxiety, indigestion
Unexplained fatigue
Women are more likely than men to have additional issues, like neck, shoulder, upper back, or abdominal pain.
What to Do When They Happen
If you or someone you’re with has chest discomfort or other heart attack symptoms, call 911 right away. While your first impulse may be to drive yourself or the heart attack victim to the hospital, it’s better to get an ambulance. Emergency medical services (EMS) personnel can start treatment on the way to the hospital. They’re also trained to revive a person if their heart stops.
If you can't reach EMS, drive the person to the hospital. If you’re the one with the symptoms, don’t drive yourself to the hospital unless you have no other choice.
Many people delay treatment because they doubt they are having a heart attack. They don't want to bother or worry their friends and family.
It’s always better to be safe than sorry.

युवा व सुंदर बनाए रखे अमरफल आंवला

 आपने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि आंवला सेहत के लिए बहुत लाभकारी है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह आपकी सेहत से लेकर सौंदर्य तक हर पहलू में आपके काफी काम आ सकता है। आंवला का रस आपके शरीर को ऊर्जा देकर आपको पूरे दिन न सिर्फ रिचार्ज रखता है, साथ ही इसमें मौजूद मिनरल्स व विटामिन सी के कारण आप बहुत सी बीमारियों से भी बचे रहते हैं। जहां तक बात सौंदर्य लाभ की है तो इसके सेवन से आप न सिर्फ खुद को लंबे समय तक जवां बनाए रख सकते हैं, बल्कि इससे आपके बालों को भी लाभ होता है। तो आइए जानते हैं आंवले के रस के ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में−
कंट्रोल करें डायबिटीज
शायद आपको न पता हो लेकिन आंवले में गैलिक एसिड, गैलोटेनिन, एलैजिक एसिड और कोरिलैगिन जैसे तत्व पाए जाते हैं। इन तत्वों की एंटी−बायबिटीज क्षमताओं के कारण यह आपके रक्त में मौजूद ग्लूकोज के लेवल को कम करता है। इसलिए अगर आपको मधुमेह की समस्या है तो आपको आंवले के रस का सेवन अवश्य करना चाहिए।
बढ़ाए गुड कोलेस्ट्रोल
आमतौर पर लोग कोलेस्ट्रोल को शरीर के लिए हानिकारक ही मानते हैं, लेकिन शरीर में गुड कोलेस्ट्रोल का होना भी बेहद आवश्यक है। कुछ शोध बताते हैं कि आंवले का रस न सिर्फ शरीर में गुड कोलेस्ट्रोल की मात्रा में बढ़ोतरी करता है, बल्कि इसके नियमित सेवन से शरीर में मौजूद बैड कोलेस्ट्रोल धीरे−धीरे कम होने लगता है। जिसके कारण आप कुछ ही समय में खुद को चुस्त व तंदरूस्त पाते हैं। दरअसल, आंवले में मौजूद में एमिनो एसिड व एंटीऑक्सीडेंट ह्दय के कार्य करने की क्षमता को बेहतर बनाते हैं।

खांसी−जुकाम से छुटकारा
कुछ लोगों को बदलते मौसम में खांसी−जुकाम की समस्या अक्सर देखने को मिलती है। ऐसे लोगों के लिए आंवला का रस काफी मददगार साबित होता है। इसके लिए आप दो चम्मच आंवला के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर रोजाना पिएं। आपको जल्द ही खांसी−जुकाम से राहत मिलेगी। वहीं अगर आपको मुंह में छालों की समस्या है तो आप कुछ चम्मच आंवले का रस पानी में मिलाएं व उस पानी से कुल्ला करें। चूंकि आंवला में विटामिन सी काफी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जिससे यह आपकी इम्युनिटी, मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है व बैक्टीरियल इंफेक्शन को कम करता है। इसलिए इसके नियमित सेवन से खांसी−जुकाम आदि होने की संभावना ना के बराबर हो जाती है।
करे शरीर की सफाई
आंवले का रस आपके शरीर में मौजूद सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर आपके शरीर की आंतरिक रूप से सफाई करता है। इतना ही नहीं, यह आपकी सांस संबंधी बीमारियों से लेकर डाइजेस्टिव सिस्टम, लिवर के फंक्शन, हद्य के फंक्शन आदि सभी को बेहतर बनाता है। इसमें विटामिन सी के अतिरिक्त आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस आदि भी पाया जाता है। इसलिए यह एक कंप्लीट न्यूट्रिशन पेय है। साथ ही आप इसे रोजाना भी पी सकते हैं, इससे आपको किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा।
तेज करे दिमाग
आंवला में मौजूद विटामिन सी और एंटी−ऑक्सीडेंट न्यूरोट्रांसमीटर के प्रॉडक्शन को बढ़ावा देते हैं, जिसके कारण आपका दिमाग पहले से बेहतर तरीके से काम करने लगता है। इस प्रकार आंवला के रस के सेवन से आपकी याददाश्त तेज होती है। साथ ही यह शरीर में स्ट्रेस लेवल को भी कम करता है। इतना ही नहीं, अगर आपको नींद न आने या बेहद कम आने की समस्या है तो उसके लिए भी आपको आंवले के रस का सेवन करना चाहिए।
बनाएं बालों को बेहतर
बालों को बेहतर बनाने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का होना बेहद आवश्यक है, लेकिन रोजाना के भोजन से शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता पूरी नहीं होती। जिससे बाल बेजान, रूखे, दोमुंहे व झड़ने लगते हैं। ऐसे में आंवले का रस आपके सिर्फ शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि बालों के लिए भी काफी फायदेमंद है। आंवले में मौजूद एमिनो एसिड व प्रोटीन बालों की जड़ों को मजबूत बनाकर न सिर्फ उन्हें झड़ने से रोकता है, बल्कि इससे आपके बाल जल्दी भी बढ़ते हैं और शाइनी लगते हैं।

Is Health Insurance Good for You?

by Vikram Sheel Kumar

Is health insurance good for your health? One way to answer this would be to randomise people into a group that receives insurance and another that doesn’t, and see which group is healthier over time. The only such study was done back in the 1970s by the RAND Corporation in the US. Participants were randomised into a number of insurance schemes that had zero to 95 percent co-payments on health costs (with a cap on the total health spend across groups).

The researchers found that while there were no significant differences in health outcomes, those who had high co-pays (bad insurance) used far fewer health services than those who had no co-pays (great insurance). A casual conclusion being that health insurance has no impact on your health. Nobody believed that, so insurance grew as an industry, but so did co-pays.

Dr. Michael McWilliam of Harvard University believes health care has improved over the past decades to now mean that more health care translates to better health. He concludes in a widely cited review paper that “the health consequences of uninsurance are real.” However that doesn’t end the debate; his conclusion is based on a literature review, far from the power of a randomised control trial.

Why don’t my parents have health insurance? Dr. Amitabh Chandra, a health economist from Harvard’s Kennedy School of Government, asked that question at the 5th Health Insurance Summit of the Confederation of Indian Industry recently held in New Delhi. When I repeated a version of the question to Damien Marmion, chief executive officer of Max Bupa Health Insurance, he cited two reasons, “Awareness and services.” In India, only 60 million people have commercial health insurance while another 240 million people are covered by social government schemes.  That leaves over 70 percent of the country with no coverage. An important conclusion of the RAND study was that when poor people had bad insurance, they went without medically necessary treatment.

Malti Jaswal, an expert in health insurance and the former CEO of a leading TPA says, “In India we save for a rainy day, though there could be better ways to save for that rainy day than by keeping our savings in the bank.” She blames the low penetration of health insurance on poor insurance literacy.

How do you pick an insurance plan? There are Web sites such as policybazaar.com that detail the offerings by the various insurance companies. You could also visit the insurance regulator’s site, irda.gov.in , for a listing of all insurance companies and their Web sites. Finally, there are insurance brokers who can help companies find the best product for their employees.

“Remember to pick a plan that matches your lifestyle,” advises Jaswal. “If a health expense of Rs. 3 lakh won’t pinch you, you should seek coverage for an amount that would.”

Vikram Sheel Kumar, MD, The author is a graduate of Harvard Medical School and is founder and vice president of Doctor Kares Hospital


Saturday, 15 October 2016

Two Foods Can Help Lower Blood Sugar

Certain foods have been shown to help lower blood glucose levels. The best way to tell which foods really help you, check your meter. Here are two foods that have had many studies that have resulted in lowering blood glucose levels.
Apple Cider Vinegar
One study showed that 2 tbsp. of apple cider vinegar with 1 oz. of cheese at bedtime can help your fasting glucose the next morning. (1)
Fasting glucose lowered
In this study a 4-6% reduction in fasting glucose levels were observed in individuals that consumed 2 tbsp. of apple cider vinegar with 1 oz. of cheese. (1) Two hour after meal glucose levels have also seen improvement when adding vinegar to the meal. (2)
Vinegar's active ingredient
The active ingredient in vinegar is acetic acid, which has been attributed to reduced starch digestion and or delayed gastric emptying (slower rate of stomach emptying). (1)
Drinking apple cider vinegar
Drinking apple cider vinegar doesn’t sound appealing? Try adding vinegar to foods. For example, have oil and vinegar as your salad dressing, when making dressing you want to use about 50-75% vinegar (2). Also spice up your side dish of vegetables by adding some vinegar, also vinegar can be added to marinate meat or chicken.
Cinnamon
Does cinnamon help glucose levels? Adding cinnamon to your meals is a great way to increase flavor, and possibly help glucose levels at the same time! Remember if you take supplements, they are not a replacement or substitution to your prescribed medication.
A touch of cinnamon
One study showed that consuming 1-6 g of cinnamon capsules/day can help decrease glucose levels, triglycerides, LDL cholesterol and total cholesterol in people with Type 2 Diabetes. (3) Two to four grams are about ½ tsp to 1 tsp of cinnamon powder. High doses of cinnamon can be toxic. (4)
The cinnamon takeaway
Include more cinnamon in your day, sprinkle on your latte, on your yogurt, oatmeal, cereal, even add to coffee grounds. Use actual cinnamon spice opposed to supplements.










सेहत -लीवर के लिए मांसाहारी भोजन से नुकसान हो सकता है

बदलती जीवनशैली से जहां लोगों का खानपान प्रभावित हुआ हैं, वहीं इससे उनकी सेहत भी बिगड़ी है। कम उम्र में शराब की आदत ने युवाओं के फेफड़े और लीवर को खासा नुकसान पहुंचाया है। ज्यादातर की इससे मौत भी हो जाती है। अल्कोहल से होने वाली लीवर प्रोब्लम को 'सिरोसिस आफ लिवर' कहा जाता है। इस बीमारी में लीवर की कोशिकाओं पर कटे जैसे निशान बन जाते हैं। ऐसी अवस्था में लिवर के सामान्य टिशू खत्म हो जाते हैं और उसकी जगह स्कार टिशू आ जाते हैं। ऐसी बीमारी होने की ओर भी वजह हैं। जैसे हेपटाइटिस 'सी' वायरस और क्रोनिक सूजन वगैरह पर सबसे बड़ी वजह है- अल्कोहल का सेवन।
ज्यादातर मरीज जिन्हें सिरोसिस की समस्या होती है, वे इसके शुरुआती लक्षण से अनजान होते हैं जब तक जांच में यह बात साबित नहीं हो जाती। लीवर संक्रमण के कई लक्षण पहले नजर आने लगते हैं जैसे थकान, उल्टी और चक्कर आना, डायरिया और पेट दर्द वगैरह। जो लोग ज्यादा अल्कोहल का सेवन करते है, उन्हें खुद पर ध्यान रखने की ज्यादा जरूरत है। उन्हें डॉक्टरी जांच कराते रहना चाहिए ताकि लीवर संक्रमण के आखिरी चरण पर पहुंचने से पहले इलाज शुरू हो सके। सबसे बड़ी बात यह कि अगर अपने खानपान में बदलाव लाया जाए तो लीवर संक्रमण से काफी हद तक बचा जा सकता है।
दवाइयों के अलावा अगर लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव किया जाए तो लीवर को स्वस्थ रखने में काफी मदद मिल सकती है। लिवर संक्रमण को भी कम किया जा सकता है। हर दिन नियमित रूप से कम से कम थोड़ी देर जरूर टहलें। वजन को नियंत्रण में रखें। खान-पान में बदलाव बहुत जरूरी है। अगर आप नॉन-वेजिटेरियन हैं, तो आपको मांसाहारी भोजन से नुकसान हो सकता है। जितना संभव हो शाकाहारी खाना खाए। शाकाहारी खाना आसानी से पच जाता है जिससे लीवर को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है।
अगर लिवर सिरोसिस गंभीर है तो शुरुआत में सिर्फ कच्चे और ताजे फल और सब्जियां या उनके जूस पीएं। बाद में धीरे-धीरे दाल-चावल खाना शुरू करें। सामान्य दूध की बजाय बकरी का दूध ज्यादा फायदेमंद है। यह जल्द पचता है और शरीर को जरूरी प्रोटीन देता है। तला हुआ खाना और डेजर्ट वगैरह से हमेशा दूर रहें इससे लिवर डैमेज होने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा फैट और चीनी होता है। एलोवेरा जूस का सेवन नियमित रूप से करें। इससे पाचन क्रिया मजबूत होती है।

दूध बढ़ाता है सौंदर्य भी

आपने अक्सर सुना होगा कि दूध में बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं, इसलिए यह आपके शरीर को मजबूती देने के लिए काफी आवश्यक होता है, लेकिन अगर आप चाहें तो इससे अपना सौंदर्य भी निखार सकते हैं। दूध में मौजूद गुणों के कारण ही बच्चों को दूध से नहलाने की सलाह दी जाती है। शायद आपको पता न हो कि जब आप दूध को पीने के अतिरिक्त उसे अपने शरीर पर बाहरी तौर से इस्तेमाल करते हैं तो भी यह आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। पुराने समय में तो शाही स्त्रियां दूध से स्नान किया करती थीं। तो आईए जानते हैं कि आप भी दूध की मदद से अपना सौंदर्य किस प्रकार निखारें−
फेशियल क्लींजर
जब आप पूरे दिन की थकान के बाद घर लौटते हैं तो बेहतर होगा कि आप अपने चेहरे को दूध की मदद से साफ करें। दूध एक बेहतरीन क्लींजर के रूप में काम करता है और आपके चेहरे के रोमछिद्रों में छिपी गंदगी व धूल को भी साफ कर देता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए आप एक कॉटन बॉल को दूध में डिबोकर अपने को उस रूई की मदद से साफ करें।
बनाएं फेस पैक
अगर आपकी स्किन सेंसेटिव है और आप बाजार में मिलने वाले प्रॉडक्टस का इस्तेमाल नहीं कर पातीं तो आप दूध की मदद से भी एक ब्लीच फेस पैक बना सकती हैं। इसके लिए आप दूध में थोड़ा बेसन व नींबू मिलाकर एक पैक तैयार करें और अपने चेहरे पर अप्लाई करें। जब यह सूख जाएं तो हल्के हाथों से गुनगुने पानी की सहायता से चेहरा साफ करें। इस फेस पैक को अगर आप सप्ताह में एक बार इस्तेमाल करेंगी तो जल्द ही आपकी स्किन का कलर साफ होने लगेगा।
बेहतरीन स्क्रब
त्वचा की डेड स्किन को निकालने के लिए और उसे एक्सफोलिएट करने के लिए स्क्रब का इस्तेमाल करना बेहद आवश्यक है। अगर आप घर पर ही एक स्क्रबर बनाना चाहती हैं तो इसके लिए दूध का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए आप बादाम को हल्का क्रश करें और इसमें थोड़ा सा दूध मिलाएं। अब इस स्क्रबर की मदद से आप अपनी त्वचा को स्क्रब करें। आपको अपनी स्किन में एक बेहद बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इसके अतिरिक्त आप ओटमील व दूध को मिलाकर भी एक स्क्रब तैयार कर सकती हैं। इस स्क्रब को रोजाना इस्तेमाल करें और हर दिन अपनी त्वचा में होते हुए बदलाव देखेंगे।
बन जाएगा टोनर
जब भी आप फेस वॉश करती हैं तो स्किन के ओपन पोर्स को बंद करने के लिए और उसे टोन करने के लिए टोनर की मदद लेते हैं। लेकिन दूध से बेहतर टोनर और कोई हो ही नहीं सकता। यह आपके स्किन के ऑयल को कंट्रोल करने के साथ−साथ उसे हाइडेट भी करता है। इसे टोनर की तरह इस्तेमाल करने के लिए रूई को दूध में डिबोएं और फिर उस रूई की मदद से अपने चेहरे पर हल्की मसाज करें। इसे कुछ देर यूं ही रहने दें। बाद में साफ पानी से चेहरा साफ कर लें।
मुंहासों से छुटकारा
बरसात के दिनों में अक्सर मुंहासों की समस्या उत्पन्न हो जाती है, लेकिन इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप दूध का प्रयोग भी कर सकती हैं। दूध आपके चेहरे के ऑयल को कंट्रोल करता है, जिससे मुंहासों की समस्या उत्पन्न ही नहीं होती। इस समस्या से निजात पाने के लिए दूध में भीगी हुई कॉटन से चेहरे की मालिश नियमित रूप से करें।
हेयर कंडीशनर
वैसे दूध सिर्फ आपकी त्वचा के लिए ही नहीं, बल्कि बालों के लिए भी काफी फायदेमंद है। यह आपके बालों को कंडीशन करने के साथ−साथ आपके स्कैल्प को न्यूट्रिशन भी प्रदान करता है, जिससे आपके बाल कम झड़ते हैं। इसे आप अपनी स्कैल्प से लेकर बालों के अंत तक लगाएं और कुछ देर यूं ही लगा रहने दें। बाद में अपने फेवरिट शैंपू की मदद से बालों को धो दें।

Friday, 14 October 2016

Deal with High blood pressure


Dr. Deepika Malik


As an Ayurvedic physician and a diet expert I am very much concerned about conservation of health. Ayurved presumes that improper dietary habits give rise to various disorders. With practice of dietary measures recommended in Ayurveda while elaborating ‘Medoroga Chikitsa’(weight loss) will definitely beneficial in weight reduction. It will be helpful to minimize the risk of fatty cholesterol deposits and will prevent complication of high blood pressure.

You can improve your lifestyle and remove unnecessary stress by following some simple rules
Take high fiber low fat diet.
Coffee may increase your blood pressure. Coffee, which contains caffeine, enhances the action of adrenaline and nor adrenaline and both are important in increasing blood pressure levels.
Cigarette smokers tend to have high blood pressure. Nicotine increases the resting heart rate and increases the release of the adrenaline substances that tends to increase blood pressure. Cigarette smoking alone significantly increases risk of having heart attack.
Regular Exercise helps to eliminate body fat, lower total cholesterol and raise HDL cholesterol that prevents fatty - cholesterol deposits. According to Ayurveda exercise improves the body, depletes excess fats, brings lightness of the body.
Be cool don’t get annoyed, speaking loudly and rapidly can significantly raise your blood pressure Chronic anger produces elevation in blood pressure and it can be a serious risk factor for coronary - heart - disease. So be cool, speak softly and gently
Laughter is the best medicine: - Laughter is as good as relaxation therapy, exercise or other methods used to overcome stress. Study shows that laughter decreases adrenaline and cortisol production. Laughter can help you if you are having high blood pressure. If you are frustrated, unhappy, angry, just laugh and find yourself away from rage. It is of the effective medicine you always have with you, without spending a penny for it.
Meditation: - Try to ease yourself with meditation and by performing yogic asana like Shavasana. Amla is considered an effective remedy for high blood pressure. It tones up the function of all the organs of the body and buildup health by destroying anti-oxidants.

ईश्वर एक और निराकार,परम सत्ताधारी है,देव अनेक और ईश्वर के सहायक हैं

हमने प्रथम परिचर्चा का आयोजन किया और उसके प्रत्युत्तर में अनेक विद्वतजनों के गूढ़,महत्वपूर्ण एवं मनुष्य जीवन को मार्ग दर्शन करने वाले अमूल्य विचार आए हैं। हमें देश के लगभग एक दर्जन हिन्दीभाषी राज्यों के लोगों के विचार जानने को मिले हैं। इनमें से कई लोगों ने ईश्वर और देव को एक ही माना है। यह सतही जानकारी है। परन्तु अनेक विद्वानों ने इस पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला है। कई विद्वानों ने ईश्वर और देवों दोंनो की एक सत्ता माना है तो कुछ विद्वतजनों ने ईश्वर को परम देव  और देवों को उनके अधीन दैविक कार्य करने वाला माना है। प्रथमदृष्टि में साधारण व्यक्ति देव और ईश्वर को एक ही मानता है जबकि वास्तविकता यह नहीं है। वास्तविकता में ये दोनों ही शक्तियां अलग-अलग हैं। या यूं कहें कि ईश्वर एक ही है। उसकी परमसत्ता में देव भी अपना कत्र्तव्य पूर्ण करके जीवन व्यतीत करते हैं। अब सवाल उठता है कि ईश्वर कौन है और देव कौन है? तो आइए जानें कि वेदों और आर्ष ग्रन्थों में किसको सच्चा ईश्वर कहा गया है-ओं खम्ब्रह्मं।। यजुर्वेद अ. ४०। मं.१७। ओंकार परमेश्वर का सर्वोत्तम नाम है। इसमें जो अ, उ, और म् तीन अक्षर मिलकर ओ३म् शब्द बना है। इस एक नाम में सारा ब्रह्मांड समाया है। ओ३म् जिसका नाम है और जो कभी नष्ट नहीं होता है, उसी की उपासना करनी चाहिए अन्य की नहीं। ‘ओ३म’ नाम सार्थक है। जैसे ‘अवतीत्योम्, आकाशमिव व्यापकत्वात् खम्, सर्वेभ्यो बृहत्वाद् ब्रह्म’ रक्षा करने से ‘ओम’, आकाशवत् व्यापक होने से ‘खम्’ सबसे बड़ा होने से ईश्वर का नाम ‘ब्रह्म’ है। ओमित्येतदक्षरमिद् सर्वं तस्योपव्याख्यानाम्।। सब वेदादि शास्त्रों में परमेश्वर का प्रधान और निज नाम ‘ओ३म्’ को कहा है। इसी प्रकार देवों को दिव्यगुण वाला बताया गया है। दिव्य गुण वह होते हैं जो मानव  एवं ऋषियों द्वारा प्रदत्त गुणों से भी श्रेष्ठ होते हैं। दिव्य गुण का सीधा सा अर्थ बताया जाता है कि वह शक्ति जो जनकल्याण और जगतपालन के लिए अपनी क्षमता से जीवनदायिनी वस्तु बिना किसी भेदभाव के सबको समान रूप से अबाध देता रहे और उसका प्रतिमूल्य किसी भी प्रकार नहीं लेता है। जैसे सूर्य,हवा,जल,चन्द्रमा,अग्नि आदि को साक्षात् देव कहा गया है। सूर्य अपने पथ पर अबाध रूप से जलकर चलते रहने के कारण देव कहा गया है। हवा को भी निरंतर चलते रहते तथा प्रत्येक जीवधारी के प्राणदायिनी होने के कारण देव कहा गया है। जल भी जीवन है, यह भी प्रत्येक जीवधारी को जीवन प्रदान करते हुए निरंतर गति से बहता रहता है। इसे भी देव कहा गया है। इसी तरह के अन्य अनेक देव हैं। यहां यह भी बता देना उचित होगा कि ईश्वर इन सब देवगणों का रचयिता व संचालनकर्ता है। ईश्वर एक है और ये देवगण उसके सहायक एवं उसकी व्यवस्था बनाने में सहायक हैं।
हमें इस परिचर्चा ईश्वर और देवों में क्या अन्तर है? के परिप्रेक्ष्य में कहां-कहां से लोगों ने अपने-अपने विचार भेजे हैं। इन लोगों में उत्तर प्रदेश,उत्तराखण्ड,हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल,ओडिसा,छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से प्रमुख हैं। प्रस्तुत हैं इन लोगों के विचार-
ईश्वर और देव एक ही हैं। केवल भाषा का ही अन्तर है। कोई इन्हें देव यानी देवता कहता है तो कोई ईश्वर कहता है।
राजीव शाह,सोनपुर, मुजफ्फरपुर, बिहार।
ईश्वर बड़ा होता है और देव छोटे होते हैं। इस विषय में मेरा ज्ञान बहुत सीमित है फिर भी हम इतना जानते हैं कि ईश्वर एक होता है और देव अनेक होते हैं। इस बारे में अधिक ज्ञान न होने से इतना ही कहना चाहती हूं।
सीमा पटेल, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
ईश्वर और देव में अन्तर जरूर है परन्तु बहुत ज्यादा अन्तर नहीं है। ईश्वर भी देवों की तरह होता है। साधारण भाषा में हम देवों को ही जानते हैं। इससे अलग कोई ईश्वर होता होगा तो हम जानते नहीं है। परन्तु अवश्य ही होता होगा।  रजनी विष्ट, अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड
परमब्रह्म परमात्मा एवं सच्चिदानन्द एक ही है और उसे निराकार रूप में हम जानते हैं वहीं ईश्वर है। ईश्वर ही सारी सृष्टि का संचालन कर्ता है। सृष्टि में उसके सहायक शक्तियों जो दिव्य गुणों से सम्पन्न हैं और सृष्टि के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन्हीं महत्वपूर्ण शक्तियों को ही देव कहा जाता है।
महंत श्री क्षमाराज जी महाराज,सींथल,राजस्थान।
ब्रह्मा,विष्णु, महेश, राम, कृष्ण,बुद्ध आदि जिन्हें हम भगवान,ईश्वर या देवता जानते हैं। ये सभी अपने-अपने महान कार्यों से महानगुणों वाले व्यक्तित्व के धनी हैं। इन सभी के आराध्य को ईश्वर कहा गया है। आपने चित्रों में ब्रह्मा,विष्णु और महेश को भी ध्यान लगाते हुए या अपने इष्ट की पूजा-अर्चना करते हुए देखा होगा। अब सवाल उठता है कि ये स्वयं परमदेव हैं तो फिर ये किसकी आराधना करते हैं। यही सोचने की बात है और महत्वपूर्ण बात यह है कि ये सभी अपने आराध्य उसी परम शक्ति की आराधना करते हैं,जिसे ईश्वर कहा जाता है।
पं. शीतला प्रसाद मिश्र, कटरा, रीवा, मध्य प्रदेश।
देश में शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों और मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों को ईश्वर के धाम कहे जाते हैं। इन्हीं को देव स्थान कहा जाता है। ये महत्वपूर्ण स्थान है। ईश्वर वह है जो हमें सूर्य की रोशनी देता है, चन्द्रमा का प्रकाश देता है, सांस लेने के लिए वायु देता है, जीवन के संचालन के लिए जल देता है और सभी जीवों के जीवनचक्र को चलाता है और इस जीवनचक्र को चलाने के लिए वनस्पति,अन्न एवं अन्य साधन उपलब्ध कराता है।
मोहन राव, रांची, झारखंड।
ओ३म नाम ही ईश्वर का है, जो सभी कहीं रहता है परन्तु कहीं दिखाई नहीं देता, जो सबकुछ करता है परन्तु सीधे वह कुछ भी करता नहीं दिखाई देता। हाथीं से चीटीं में समाने वाला ईश्वर है। विश्व के सारे वैज्ञानिक जीव के प्राण का अन्त आज तक नहीं जान पाए हैं। यही रहस्य आज ईश्वर की सत्ता को बताता है।
रानी सिंह, जींद, हरियाणा।
प्रकृति के संचालन में देवगणों का नेतृत्व करने वाला ही ईश्वर है। उसके इशारे पर सारे देवगण जनकल्याण के कार्यों में निस्वार्थ भाव से लगे रहते हैं। देवों के बारे में यह कहा जाता है कि मनुष्य यदि देवों के सदृश कार्य करने लगे तो देव बन सकता है परन्तु वह ईश्वर नहीं बन सकता क्योंकि ईश्वर सिर्फ एक है और उसकी सत्ता त्रुटिरहित निरंतर गति से चलती रहती है।
बेबीरानी मिश्रा, शिमला, हिमाचल प्रदेश।

Thursday, 13 October 2016

Debate:who is almighty and who is god

Debate: What is defferent in between almighty & god?
Pls Share own views. I am publish your views at this blog.

परिचर्चा:देव और ईश्वर में क्या अन्तर है?

परिचर्चा:   आप हमारी इस धार्मिक एवं तार्किक परिचर्चा में भाग ले सकते हैं। अपने विचार प्रस्तुत करें।
हम आपके विचार इसी ब्लाक में प्रकाशित करेंगे।
अपना नाम व स्थान अवश्य लिखें
धन्यवाद

An Orange a day may keep stroke away


Nutrition may have a role to play in the pathogenesis of stroke, according to neurologists from the Prince of Wales Hospital in Sydney.
The doctors reported a case of ischaemic stroke in a 34- year old man with severe vitamin C deficiency caused by poor nutrition. The patient, who had recently been diagnosed with type 2 diabetes, had no history of hypertension or hypercholesterolaemia and no family history of stroke. Coagulation and lipid profiles were normal and the patient tested negative for underlying thrombophilia, vasculitides and Fabry disease. Tests showed the patient had normal carotid and vertebral arteries and a structurally normal heart without a source of embolus.
However the patient had poor dentition, with calculus deposition, scorbutic gums and gingival inflammation, and reported easy bruising in recent months. Suspecting a diagnosis of scurvy, the doctors discovered that his diet consisted mainly of fast food, with negligible vegetable and fruit intake. Laboratory testing confirmed the presence of severe vitamin C deficiency (< 5 μmol/L; reference range, 40–100 μmol/L). “We hypothesise that an unhealthy diet resulted in deficiencies in antioxidants and this contributed to stroke pathogenesis, the authors wrote in a letter to the MJA.
The marked prematurity of disease onset may have resulted from effect modification of antioxidant deficiency on conventional atherosclerotic risk factors such as diabetes, they added. It is unlikely that a direct causal link will ever be established but since malnutrition and unhealthy eating practices continue to be a serious public health problem, the doctors suggest attention to nutritional status should be incorporated into the new standard of stroke care.

Wednesday, 12 October 2016

50% Indians have no idea that diabetes is linked with heart disease

50% Diabetics in the Country are Prone to Develop Heart Disease: Study.

A study conducted to map people’s perceptions along with behaviour-related outcomes of diabetes management, revealed that a whopping 50% of diabetics in the country are at risk of developing heart diseases, 63% are at risk of getting microvascular complications and many have an enhanced risk of developing eye problems, especially retinopathy. The study brings to light poor diabetes management amongst Indians which it links to ignorance and to the prevalence of myths. This study conducted at 2014.

The unique Diabetes Myths & Truths Highlighter (Lifespan D-MYTH 2014) study, conducted by LIFESPAN, a thought leader in the management of diabetes and cardiometabolic disorders, made several disconcerting revelations regarding people’s perceptions about the disease, their practices and its effects in terms of mortality and morbidity. The Lifespan D-MYTH 2014 study was conducted among 5065 Indians in 16 cities on a one-to-one basis, and the data collected was compared with cumulative data from 10,074 patients who visited Lifespan and took Lifespan’s R.I.S.C.TM test.

Establishing a direct correlation between ignorance, poor diabetes management and high morbidity and mortality, Lifespan introduced the unique US FDA cleared R.I.S.C.TM Test in India which showed that 80% of diabetics in the country have higher cardiometabolic scores (used to predict heart disease risk), a whopping 50% are ignorant about the fact that diabetes could lead to heart disease.

The study conducted by Lifespan also revealed that while 63% diabetics in India are at risk of developing microvascular complications, which may in turn lead to eye problems, while 36% Indians are completely unaware that diabetes is even linked with eye problems. Further, the study showed that while 60% of diabetics in the country suffer from autonomic nervous system dysfunction, 38% Indians are clueless that diabetes can affect their sexual life. “The study’s findings are unique in terms of the insights it provides on people’s perceptions about diabetes and its effects on morbidity and mortality. Considering the huge burden of diabetes on the country, the findings should help us lay out a roadmap to ensure its prevention and management”, said Mr. Ashok Jain, Group MD and CEO, Lifespan Wellness Pvt. Ltd, who has been living with diabetes for the last 19 years, and whose struggle with it inspired him to set up the clinic chain to help and support people like himself.
As for diet and medication, the study’s findings again fell in the same pattern of ignorance and faulty practices. The study showed that 29% of diabetics use honey/jaggery with 41% found believing these are actually good for people suffering from diabetes. 33% regularly consume juices, which have high glycemic index (not good for diabetes), with nearly 1 out of 2 considering all fruit juices good for diabetes. While it is well established that bitter gourd (karela) and fenugreek (methi) cannot treat diabetes, 40% believe eating them can cure them of diabetes; 27% were found to be taking these alone to deal with diabetes before visiting Lifespan. 42% Indians believe that herbal treatment can cure diabetes, oblivious to the fact that usage of herbs may lead to toxicity to kidneys. Some key findings of the study:
•63% diabetics are at risk of developing microvascular complications
•60% diabetics suffer from autonomic nervous system dysfunction
•50% Indians have no idea that diabetes is a disease of the Pancreas
•While 56% were found to have co-morbid conditions like High Blood Pressure, Hypothyroidism, Diabetic Neuropathy, Heart Disease, Atherosclerosis etc, 30% believe in the myth that diabetes is not a serious medical condition a
 •34% diabetics had a family history of diabetes, 40% had no idea that it was linked with their diabetes and a significant 26% of Indians believed diabetes skips a generation
•24% diabetics are below the age of 40
•2 out of 3 diabetics die from heart diseases or stroke
•27% Indians do not take border-line diabetes seriously

वैदिक सूक्तों के द्रष्टा है ऋषिं पराशर

16 अक्टूबर को होने वाली जयंती के लिए विशेष
पराशर ऋषि महर्षि वसिष्ठ के पौत्र, गोत्रप्रवर्तक, वैदिक सूक्तों के द्रष्टा और ग्रंथकार। राक्षस द्वारा मारे गए वसिष्ठ के पुत्र.शक्ति से इनका जन्म हुआ। बड़े होने पर माता अदृश्यंती से पिता की मृत्यु की बात ज्ञात होने पर राक्षसों के नाश के निमित्त इन्होंने राक्षस सत्र नामक यज्ञ शुरू किया जिसमें अनेक निरपराध राक्षस मारे जाने लगे। यह देखकर पुलस्त्य आदि ऋषियों ने उपदेश देकर इनकी राक्षसों के विनाश से निवृत्त किया और पुराण प्रवक्ता होने का वर दिया।
तीर्थयात्रा में यमुना के तट पर मल्लाह की सुंदर कन्या परंतु मत्स्यगंध से युक्त सत्यवती को देखकर उससे प्रेम करने लगे। संपर्क से तुम्हारा कन्याभाव नष्ट न होगा और तुम्हारे शरीर की दुर्गंध दूर होकर एक योजन तक सुंगध फैलेगी, यह वर पराशर ने सत्यवती को दिए। समीपस्थ ऋषि ने अत: कोहरे का आवरण उत्पन्न किया। बाद में सत्यवती से इनको प्रसिद्ध व्यास पुत्र हुआ।
ऋग्वेद के अनेक सूक्त इनके नाम पर हैं (1, 65.73.9, 97)। इनसे प्रवृत्त पराशर गोत्र में गौर,नील, कृष्ण, श्वेत, श्याम और धूम्र छह भेद हैं। गौर पराशर आदि के भी अनेक उपभेद मिलते हैं। उनके पराशर, वसिष्ठ और शक्ति तीन प्रवर हैं ।

प्रचेतस ऋषि के दसवें पुत्र थे महर्षि वाल्मीकि

प्रारम्भिक जीवन में डाकू नहीं थे,तपस्या करने वाले महान ऋषि थे
16 अक्टूबर को होने वाली महर्षि जयंती पर विशेष

श्री वाल्मीक नमस्तुभ्यमिहागच्छ शुभ प्रद। उत्तरपूर्वयोर्मध्ये तिष्ठ गृहणीष्व मेऽर्चनम्।

शायद ही कोई ऐसा भारतीय होगा जो वाल्मीकि के नाम से परिचित न हो लेकिन उनके वृत्तान्त के बारे में इतिहास खामोश है। उनके व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब हमें रामायण महाकाव्य में दृष्टिगोचर होता है। इस कृति ने महर्षि वाल्मीकि को अमर बना दिया। उनके अविर्भाव से संस्कृत साहित्य में एक नए युग का सूत्रपात हुआ। इससे पूर्व का युग दैव युग के नाम से जाना जाता है। वाल्मीकि संस्कृत के सभी महान कवियों व नाटककारों के प्रेरणास्रोत रहे हैं। वे सब कवियों के गुरु हैं। रामायण सभी काव्यों का मूल है। उनके शूद्र होने की कहानी मनगढं़त है किसी प्रमाणिक ग्रंथ में इसका उल्लेख भी नहीं है।
्श्री राम जब सीता को वाल्मीकि के आश्रम में छोडऩे के लिए लक्ष्मण को भेजते हैं तो कहते हैं कि वहां जो वाल्मीकि मुनि का आश्रम है, वे महर्षि मेरे पिता के घनिष्ठ मित्र हैं। महर्षि वाल्मीकि कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे। उन्होंने तपस्या की थी। उन्होंने श्रीराम से कहा था कि मैंने मन,वचन,कर्म से कभी पाप नहीं किया है। यह बात इस धारणा का खंडन कर देती है कि वे अपने प्रारम्भिक जीवन में डाकू थे। इस तरह की भ्रामक मान्यताएं महर्षि वाल्मीकि जी के चरित्र हनन करने हेतु एक षड्यन्त्र के तहत उन्हें नीचा दिखाने के लिए लिखीं गईं हैँ। हम इस भ्रामक धारणा तथा सत्य तथ्यविहीन मान्यता का घोर विरोध करते हैं। उन्होंने सीता को पवित्र मानकर ही रखा था। वे सीता की अन्तरात्मा की बात जानते थे और इसलिए उन्होंने कहा था:
प्रचेतसोऽहं दशम: पुत्रो राघवनन्दन:।
नोपा श्नीयां फलं तस्या दुष्टेया यदि मैथिली।।
हे राम! मैं प्रचेतस का दसवा पुत्र हंूं। यदि सीता में कोई कमी हो तो मुझे मेरी तपस्या का फल न मिले। इन सभी बातों से साफ हो जाता है कि वाल्मीकि ऋषि जो अयोध्या के निकट तमसा नदी के किनारे रहते थे वे बड़े विद्वान थे। उन्होंने तपस्या करके ज्ञान प्राप्त किया था। उन जैसा पवित्र विद्वान और कोई नहीं था। वे राम के अश्वमेघ यज्ञ में भी लव-कुश के साथ पधारे थे और यज्ञ में शामिल हुए थे। ऋषि वाल्मीकि ने रामायण की रचना तमसा नदी के किनारे विहार कर रहे क्रौञ्च युगल के निर्मम शिकार को देखकर करुणा से द्रवित होकर की थी। उस दृश्य को देखकर उनके दया से वशीभूत हृदय से अकस्मात यह श्लोक प्रस्फुटित हुआ-
मा निषाद ! प्रतिष्ठां त्वगम: शाश्वती: समा:।
यत क्रौन्चमिथुनादकमधवी: काममोहितम्।
अर्थात व्याघ्र ! तुम्हें कभी प्रतिष्ठा नहीं प्राप्त होगी  यह श्लोक लौकिक संस्कृत साहित्य का प्रथम श्लोक है। रामायण लौकिक संस्कृत का प्रथम काव्य है और इसने राम को अमर बना दिया। वाल्मीकि रामायण में सात काण्ड हैं और 24000 श्लोक हैं। विद्वानों की मान्यता है कि रामायण के प्रत्येक श्लोक का प्रथम अक्षर गायत्री-मन्त्र के श्रमिक अक्षर से प्रारम्भ होता है। एक श्रेष्ठ महाकाव्य में जो विशेषताएं होती हैं। वे सब इसमें हैं। इसमें अलंकारों की छटा है। प्रकृति का अनुपम चित्रण किया गया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इसकी भाषा बड़ी सरल और मधुर है। रामायण जीवन का सार है, जो प्रत्येक मानव को जीने की कला सिखाती है। इसे पढक़र और उसके अनुसार चलकर एक आदर्श जीवन व्यतीत किया जा सकता है।
आज यदि महर्षि वाल्मीकि को जानना है तो रामायण में झांकना होगा। वाल्मीकि का कद श्रीराम से काफी बड़ा है। यदि रामायण नहीं होती तो राम नहीं होते और कालिदास अश्वघोष आदि संस्कृत के मूर्धन्य कवियों की कृतियों की कृतियां नहीं होती। इसके साथ रामायण की रचना के बारे में भी भ्रम है। यह कहा जाता है कि वाल्मीकि जी ने त्रिकालदर्शन के आधार पर राम के जीवन से काफी पहले ही रामायण की रचना कर दी थी। जबकि सच यह माना जाता है कि जब राम वनवास से वापस अयोध्या लौट आए थे और उसके काफी बाद जब उन्होंने श्रीराम से सारा वृत्तांत सुना था उसके आधार पर ही रामायण की रचना की। 

Tuesday, 11 October 2016

इस्लामी नए साल का आगाज है मुहर्रम

इस्लाम के प्रवर्तक पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मनाया जाने वाला मुहर्रम पर्व चांद दिखने के साथ ही शुरू हो गया।
इसमें ताजिए और सवारियां शामिल होंगी। मुहर्रम का चांद दिखने के साथ ही इमामबाड़ों में मजलिसों का सिलसिला भी शुरू हो गया। यह सिलसिला दस दिनों तक शिद्दत के साथ जारी रहेगा।
बोहरा समाज ने मोहर्रम की रसूमात एक दिन पहले ही अदा करना शुरू कर दिया। इन दस दिनों में जगह.जगह ताजिए बिठाए जाएंगे तथा शरबत व पानी की सबीलें लगाई जाएंगी। इस दौरान मुहर्रम का यौमे आशूरा पर को परम्परागत जुलूस निकाला जाएगा। गौरतलब है कि पहली मुहर्रम से इस्लामी नया साल हिजरी सन 1435 का आगाज हो गया है। मुहर्रम से इस्लामी नया साल भी शुरू होता है, इसलिए लोगों ने नए साल का इस्तकबाल किया।
इस्लामी नया साल कुर्बानी से प्रारंभ होता है और कुर्बानी पर ही खत्म होता है।
 इसका उद्देश्य त्याग, समर्पण और सत्य मार्ग का अनुसरण तथा आपसी प्रेम व भाईचारे के साथ सेवा का भाव स्थापित करना है। इस्लामी नए साल पर देश में अमन शांति, एकता, भाईचारा और खुशहाली की कामना की जाएगी।
इमरान खान

Sunday, 9 October 2016

आपके अगले सप्ताह के सितारे

सोमवार से शनिवार तक 
मेष: राशि का स्वामी ग्रह मंगल माना जाता है। भगवान श्री गणेश को मेष राशि का आराध्य देव माना जाता है। शुभ रत्न- मूंगा, शुभ रुद्राक्ष-तीन मुखी। इस सप्ताह आर्थिक मुद्दों को लेकर की गई यात्रा सफल होगी। बिजनेस टूर या प्रॉपर्टी खरीदने के लिए बाहर जाना पड़े तो अवश्य जाएं। इस सप्ताह आप खुशमिजाज रहेंगे। सेहत भी दुरुस्त रहेगी। इस सप्ताह अपनी जिंदगी के कुछ खास पल रिश्तों को दें। दोस्तों और परिजनों को आपके साथ की जरूरत है। यह सप्ताह करियर के लिहाज से नॉर्मल रहेगा। बेरोजगारों को अभी और भागदौड़ करनी पड़ सकती है। इस सप्ताह किसी दोस्त की वजह से आपका रुका हुआ कार्य पूरा होगा। परिवार से भरपूर सहयोग मिलेगा। शुभ रंग-काला:सफेद और गुलाबी रंग से दूर रहें। शुभ अंक- 7। इस सप्ताह अंक 7 अंक आपको सफलता दिलाएगा।
वृषभ: वृषभ का राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है। इस राशिवालों के लिए शुभ दिन शुक्रवार और बुधवार होते हैं। कुलस्वामिनी को वृषभ राशि का आराध्य माना जाता है। शुभ रत्न- हीरा। शुभ रुद्राक्ष-छह मुखी। आर्थिक मामलों में दोस्तों की मदद मिल सकती है। इस समय प्रॉपर्टी बेचने का ख्याल भी अपने दिमाग में ना रखें। नई प्रॉपर्टी लेने के लिए भी समय अनुकूल नहीं है। इस सप्ताह हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को राहत मिल सकती है। समय अच्छा बीतेगा,बशर्ते आप तनाव से दूर रहें। तनाव का असर आपके रिश्तों पर पड़ सकता है। बंधुजनों और मित्रों से विवाद होने की संभावना है। लंबे समय से जिस परीक्षा या टेस्ट के नतीजों का आप इंतजार कर रहे थे वह इस सप्ताह मिल सकता है। नतीजे आपके पक्ष में ही होंगे। यह सप्ताह नॉर्मल रहेगा। परिवार में भी सब सामान्य होगा। संयम बनाए रखें। किसी दोस्त की सलाह आपको इस समय लाभ पहुंचा सकती है। शुभ रंग-भूरा।  इस सप्ताह भूरा रंग आपके लिए शुभ है। हरे और पीले रंग से दूर रहें। शुभ अंक-1। इस सप्ताह अंक 1 आपके लिए शुभ साबित होगा। परिश्रम करते रहें और फिजूलखर्ची से बचें।
मिथुन : मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुध होता है। इस राशि के जातक बेहद समझदार होते हैं। मिथुन राशि के आराध्य देव कुबेर होते हैं। शुभ रत्न- पन्ना। शुभ रुद्राक्ष-चार मुखी। यह सप्ताह निवेश करने के लिए अच्छा नहीं है। बिजनेस में कुछ नुकसान हो सकता है, पर इस नुकसान को होशियारी से टाला जा सकता है। इस सप्ताह अपने स्वास्थ्य को लेकर बेपरवाह ना बनें। रोग होने पर आवश्यक दवाई और उपचार अवश्य लें। इस सप्ताह आप रोमांटिक मूड में रहेंगे। प्यार का इजहार करने के लिए यह समय अच्छा है। यह सप्ताह विद्यार्थियों के लिए अच्छा रहेगा। कम मेहनत से भी अधिक परिणाम मिलेंगे। किसी नई जॉब का ऑफर आ सकता है। इस सप्ताह परिवार में माता-पिता या किसी बड़े से विवाद हो सकता है। बोलने से पहले अपने शब्दों पर ध्यान रखें। किसी भी मुद्दे पर राय देते समय उत्तेजित ना हों। शुभ रंग-पीला। पीला रंग आपके लिए खास है, सभी कार्य सिद्ध होंगे। हरे रंग के कपड़े न पहनें, परेशानी हो सकती है। शुभ अंक-8। आपका शुभ अंक 8 है।
कर्क: कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। भगवान शंकर को कर्क राशि का आराध्य देव माना जाता है। शुभ रत्न- मोती। शुभ रुद्राक्ष-दो मुखी रुद्राक्ष। सप्ताह की शुरुआत में निवेश करना अच्छा रहेगा। यह निवेश आगे चलकर आपको बड़ा फायदा देगा। मित्रता और व्यापार को अलग.अलग रखें। इस सप्ताह सितारे आपसे रुठे हुए लगते हैं। चोट लगने की आशंका है इसलिए गाड़ी चलाते समय बहुत सतर्क रहें। इस सप्ताह अविवाहितों के लिए नए रिश्ते आ सकते हैं। नए दोस्त और साथी बनने के आसार हैं। इस सप्ताह छात्रों को अधिक मेहनत करने की जरूरत है। एकाग्रता बनाए रखें। किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सिर्फ उसी पर एकाग्र होकर कार्य करें। संतान से शुभ समाचार मिलने के आसार हैं। दोस्तों का साथ मिलेगा। परिवार में भी सभी आपका सहयोग देंगे। शुभ रंग-नारंगी। इस सप्ताह नारंगी रंग आपकी किस्मत के बंद दरवाजे खोल सकता है। काले और नीले रंग के वस्त्रों आदि का प्रयोग करने से बचें। शुभ अंक-4। आपके लिए 4 अंक शुभ है।
सिंह: सिंह राशि का स्वामी ग्रह सूर्य है। इस राशि के लोग किसी के सामने झुकना नहीं पसंद नहीं करते हैं। सिंह राशि के आराध्य देव भगवान सूर्य होते हैं। शुभ रत्न-माणिक्य। शुभ रुद्राक्ष-एकमुखी। इस सप्ताह सितारे आपके साथ हैं। कारोबार में बढ़ोत्तरी होगी। किसी पुराने प्रोजेक्ट या काम को शुरु करने के लिए समय शुभ है। आपका स्वास्थ्य इस सप्ताह पूरी तरह से ठीक रहेगा। हालांकि बाहर का खाना खाने की वजह से कुछ परेशानियां अवश्य हो सकती हैं। हर रिश्ता अपने लिए स्पेस मांगता हैए आपको यह बात समझनी होगी। दूसरों के निजी मामलों में दखल ना दें खासकर अपने पार्टनर के मामलों में। इस सप्ताह अपने करियर के विषय में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए समय अनुकूल है। यह सप्ताह पारिवारिक स्तर पर काफी उतार.चढ़ाव भरा हो सकता है। घर के बड़े.बुजुर्गों के किसी विषय पर विवाद हो सकता है। शुभ रंग-ग्रे। इस सप्ताह आपके लिए ग्रे रंग शुभ है। इस रंग के वस्त्र और अन्य वस्तुएं प्रयोग करने से आपको सफलता मिलेगी। गहरे रंगों से दूर रहें। शुभ अंक-1। इस सप्ताह अंक 1 आपके लिए शुभ साबित होगा। यह अंक आपको हर जगह नंबर 1 बनने में मदद करेगा।
कन्या:कन्या राशि के जातक बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। मान्यता है कि कन्या राशि के आराध्य देव कुबेर जी होते हैं। शुभ रत्न-पन्ना। शुभ रुद्राक्ष-चार मुखी। सप्ताह की शुरुआत तो सामान्य होगी लेकिन सप्ताह के मध्य तक आपको कहीं से अप्रत्याशित लाभ मिल सकता है। कोई रुका हुआ पैसा या खोई वस्तु आपको वापस मिल सकती है। वाहन चलाते समय या सडक़ पार करते समय बेहद सतर्क रहें। इस सप्ताह आपके बिगड़े रिश्ते सुधर सकते हैं। गलतफहमियों से पर्दा हट सकता है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप अपने साथी से बातचीत करते रहें। इस सप्ताह आप करियर से जुड़ा कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। विद्यार्थियों के लिए भी यह समय आगे की योजना बनाने के लिए शुभ है। इस सप्ताह परिवार के लिए समय निकालना मुश्किल होगा। कार्यभार बढ़ेगा लेकिन पुराने दोस्तों से मुलाकात होने की भी संभावना है जिस वजह से आपकी टेंशन कम हो सकती है। शुभ रंग-लाल। इस सप्ताह लाल रंग आपके लिए लाभदायक है। नीले रंग के कपड़े न पहनें तो बेहतर होगा। शुभ अंक-5। आपका शुभ अंक 5 है।
तुला: तुला राशि के जातक भोले स्वभाव के होते हैं। कुलस्वामिनी को तुला राशि का आराध्य माना जाता है। शुभ रत्न-पन्ना। शुभ रुद्राक्ष-छह मुखी। इस सप्ताह स्टॉक मार्केट में पैसा ना लगाएं। सितारे आपके साथ नहीं हैं इसलिए वित्तीय मामलों में सावधानी बरतें। परिवार के किसी सदस्य का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। रिश्तों को मजबूत होने के लिए कई कसौटियों से गुजरना पड़ता है। इस सप्ताह आपको भी इन कसौटियों का सामना करना पड़ सकता है। इस सप्ताह छात्रों को कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। करियर की राह में अभी आपको और पसीने बहाने होंगे। इस सप्ताह किसी रिश्तेदार की वजह से घर में कलेश हो सकता है। गलतफहमियों से बचने का एक ही रास्ता होता है और वह है,बातचीत का रास्ता। शुभ रंग-नीला। इस सप्ताह आपका शुभ रंग नीला है। यह रंग आपकी किस्मत बदल सकता है। लाल रंग से बचें, यह रुकावटें पैदा कर सकता है। शुभ अंक-6। इस सप्ताह अंक 6 आपके लिए शुभ रहेगा। सकारात्मक बने रहें और तनाव से बचें।
वृश्चिक:वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल है। वृश्चिक राशि के जातकों के आराध्य देव गणेश जी होते हैं। शुभ रत्न-माणिक्य। शुभ रुद्राक्ष-तीन मुखी। शेयर मार्केट में निवेश करना शुभ साबित हो सकता है। व्यापार में नई संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। भाग्य आपके साथ है। सप्ताह के कुछ दिन आलस भरे हो सकते हैं। आलस्य से बचने के लिए सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें। इस सप्ताह आपका सोशल सर्कल बढ़ सकता है। नए लोगों से मुलाकात हो सकती है। इस सप्ताह परीक्षा.प्रतियोगिता में सफलता मिलने की प्रबल संभावना है। समय आपके अनुकूल है। कई दिनों से चली आ रही परेशानी का इस सप्ताह हल मिल सकता है।
इस सप्ताह किसी पुराने दोस्त से मुलाकात हो सकती है। परिवार के लोग आपसे खुश रहेंगे और घर में शांति बनी रहेगी। शुभ रंग-
बैंगनी। इस सप्ताह बैंगनी रंग पहनना आपके लिए लाभदायक है। नीले रंग के कपड़े न पहनें तो बेहतर होगा। शुभ अंक-3। इस सप्ताह अंक 3 आपका अत्यधिक साथ देगा।
धनु :धनु राशि का स्वामी ग्रह गुरु को माना जाता है। धनु राशि के आराध्य देव दत्तात्रेय होते हैं। शुभ रत्न-माणिक्य। शुभ रुद्राक्ष-पांच मुखी। इस सप्ताह कोर्ट.कचहरी के चक्कर लग सकते हैं। वित्तीय मामलों से जुड़े फैसले कुछ समय के लिए टाल दें। सप्ताह के मध्यम में सिरदर्द और थकान से परेशान हो सकते हैं। भोजन पर विशेष ध्यान दें। इस सप्ताह अपना कीमती समय अपने पार्टनर को दें, आपके पार्टनर को आपकी जरूरत है। बेकार की बातों और झगड़ों से बचें। छात्रों को इस सप्ताह मेहनत करने के लिए तैयार रहना होगा। कार्य स्थल पर प्रमोशन या प्रशंसा मिलने के आसार हैं। करियर को नई दिशा मिल सकती है। लाइफ पार्टनर के साथ आपके रिश्ते और मधुर होंगे। परिवार से भरपूर सहयोग मिलेगा। मित्र भी आपके पक्ष में खड़े रहकर आपकी मदद करते नजऱ आएंगे।
शुभ रंग-सफेद।सफेद रंग आपके लिए शुभ हैए सफ़ेद रंग की सादगी इस सप्ताह आपके जीवन में नए रंग भर देगी। शुभ अंक-2। इस सप्ताह अंक 2 आपके लिए शुभ साबित होगा।
मकर : मकर राशि का स्वामी ग्रह शनि होता है। भगवान शनि देव और हनुमान जी को मकर राशि का आराध्य देव माना जाता है। शुभ रत्न-नीलम। शुभ रुद्राक्ष-सात मुखी। यह समय शेयर या नई प्रॉपर्टी खरीदने के लिए शुभ है। लेकिन कोई भी फैसला हड़बड़ाहट में न लें। पुरानी बीमारी इस सप्ताह आपको परेशान कर सकती है। शारीरिक परेशानी मानसिक परेशानी ना बने इसलिए दवाई लें और चिंतित ना हो। यह सप्ताह रिश्तों के लिहाज से थोड़ा कठिन हो सकता है। अपनी वाणी पर संयम रखें और किसी प्रकार की गलतफहमी ना पालें। यह सप्ताह छात्रों के लिए थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। पढ़ते समय एकाग्रता बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। इस सप्ताह पारिवारिक संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी। किसी मेहमान के आने की संभावना है। शुभ रंग- आसमानी। इस सप्ताह आसमानी रंग के वस्त्र पहनने से आपको विशेष रूप से लाभ मिलेगा। नारंगी रंग का असर इसके उल्टा होगा। शुभ अंक-7। इस सप्ताह आपका लकी नंबर है 7। नंबर 7 आपके बिगड़े काम बनाएगा।
कुंभ : कुंभ राशि के जातक बेहद गुस्सैल किस्म के होते हैं। भगवान शनि देव और हनुमान जी को कुंभ राशि का आराध्य देव माना जाता है। शुभ रत्न-नीलम। शुभ रुद्राक्ष-सात मुखी। आमदनी में वृद्धि हो सकती है। कार्यक्षेत्र में लाभ होने से आपका मन प्रसन्न रहेगा। इस सप्ताह अपनी लाइफ स्टाइल को थोड़ा बदलने की कोशिश करें, सुबह और शाम के समय वॉक पर जाने का प्लान बनाएं। इस सप्ताह आप पर काम का बोझ अधिक है और इस वजह से आपके करीबी आपसे खफा हो सकते है। अपने साथी और परिवार के लिए भी समय निकालें। यह सप्ताह छात्रों के लिए बेहतरीन होगा। बाधाएं दूर हो सकती हैं। नतीजों की चिंता किए बिना मेहनत करेंगे तो कामयाबी आपके साथ होगी।  इस हफ्ते आप अपने परिवारजनों के साथ अच्छा टाइम बिताएंगे। वीकेंड पर घूमने का प्लान भी बना सकते हैं। शुभ रंग-हरा। शुभ रंग-हरा। इस सप्ताह हरा रंग आपके लिए शुभ साबित होगा। सफेद और लाल रंग पहनने से दिनभर गुस्सा आता रहेगा,इसलिए इनसे बचें। शुभ अंक-9। इस सप्ताह अंक 9 आपको काफी फायदे करा सकता है।
मीन : मीन राशि के जातक बेहद शांत स्वभाव के और मेहनती होते हैं। मीन राशि के आराध्य देव दत्तात्रेय होते हैं। शुभ रत्न-मूंगा। शुभ रुद्राक्ष-पांच मुखी। इस सप्ताह शेयर बाजार आपको मुनाफा दे सकता है। कारोबार में भी इज़ाफा होगा। स्वास्थ्य के लिहाज से यह सप्ताह सामान्य रहेगा। बीमार लोगों का स्वास्थ्य अच्छा होगा और मन खुश रहेगा। सभी परहेज जरूरी हैं। इस सप्ताह अपने साथी से कोई झूठा वादा ना करें अन्यथा आने वाले समय में आपको परेशानी हो सकती है। छात्रों को इस सप्ताह आसानी से सफलता प्राप्त होगी। हालांकि इंजीनियरिंग और टेक्निकल फील्ड के छात्रों को थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। घर में किसी से अनबन हो सकती है। वाणी पर संयम रखें। इस सप्ताह किसी भी अनजान शख्स से दोस्ती ना करें। शुभ रंग-गुलाबी। गुलाबी रंग इस सप्ताह ना सिर्फ  आपके व्यक्तित्व को निखारेगा बल्कि भाग्य को भी चमकाएगा। लाल और काले रंग से दूर रहें। शुभ अंक-3। इस सप्ताह अंक 3 आपके लिए शुभ है।