इस्लाम के प्रवर्तक पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मनाया जाने वाला मुहर्रम पर्व चांद दिखने के साथ ही शुरू हो गया।
इसमें ताजिए और सवारियां शामिल होंगी। मुहर्रम का चांद दिखने के साथ ही इमामबाड़ों में मजलिसों का सिलसिला भी शुरू हो गया। यह सिलसिला दस दिनों तक शिद्दत के साथ जारी रहेगा।
बोहरा समाज ने मोहर्रम की रसूमात एक दिन पहले ही अदा करना शुरू कर दिया। इन दस दिनों में जगह.जगह ताजिए बिठाए जाएंगे तथा शरबत व पानी की सबीलें लगाई जाएंगी। इस दौरान मुहर्रम का यौमे आशूरा पर को परम्परागत जुलूस निकाला जाएगा। गौरतलब है कि पहली मुहर्रम से इस्लामी नया साल हिजरी सन 1435 का आगाज हो गया है। मुहर्रम से इस्लामी नया साल भी शुरू होता है, इसलिए लोगों ने नए साल का इस्तकबाल किया।
इस्लामी नया साल कुर्बानी से प्रारंभ होता है और कुर्बानी पर ही खत्म होता है।
इसका उद्देश्य त्याग, समर्पण और सत्य मार्ग का अनुसरण तथा आपसी प्रेम व भाईचारे के साथ सेवा का भाव स्थापित करना है। इस्लामी नए साल पर देश में अमन शांति, एकता, भाईचारा और खुशहाली की कामना की जाएगी।
इमरान खान
इसमें ताजिए और सवारियां शामिल होंगी। मुहर्रम का चांद दिखने के साथ ही इमामबाड़ों में मजलिसों का सिलसिला भी शुरू हो गया। यह सिलसिला दस दिनों तक शिद्दत के साथ जारी रहेगा।
बोहरा समाज ने मोहर्रम की रसूमात एक दिन पहले ही अदा करना शुरू कर दिया। इन दस दिनों में जगह.जगह ताजिए बिठाए जाएंगे तथा शरबत व पानी की सबीलें लगाई जाएंगी। इस दौरान मुहर्रम का यौमे आशूरा पर को परम्परागत जुलूस निकाला जाएगा। गौरतलब है कि पहली मुहर्रम से इस्लामी नया साल हिजरी सन 1435 का आगाज हो गया है। मुहर्रम से इस्लामी नया साल भी शुरू होता है, इसलिए लोगों ने नए साल का इस्तकबाल किया।
इस्लामी नया साल कुर्बानी से प्रारंभ होता है और कुर्बानी पर ही खत्म होता है।
इसका उद्देश्य त्याग, समर्पण और सत्य मार्ग का अनुसरण तथा आपसी प्रेम व भाईचारे के साथ सेवा का भाव स्थापित करना है। इस्लामी नए साल पर देश में अमन शांति, एकता, भाईचारा और खुशहाली की कामना की जाएगी।
इमरान खान
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