प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नोटबंदी और कैशलेस इंडिया बनाने का अभियान अब धीरे-धीरे रंग दिखा रहा है। वो दिन दूर नहीं जब कोई भी दस रुपये की रिश्वत लेने से भी हिचकेगा। यह पहेली या कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। सरकार ने भ्रष्टाचारियों और कालेधन पर शिकंजा कसने के लिए एक अप्रैल से 3 लाख से अधिक नकदी लेन-देन को अवैध करार दिया है और शत-प्रतिशत जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार नोटबंदी और कैशलेस लेनदेन के अभियान के बाद से बड़े पैमाने पर कालाधन पकड़ा गया था। सरकार यह चाहती है कि अब फिर से कालाधन न बनने पाए। बेहिसाबी और बेनामी नकदी को अक्सर कार व बंगला व सैर-सपाटे में नकद खर्च करते हैं। सरकार ने अपनी नजर इस ओर गड़ाए रखने का संकेत दिया है। इसका असर उन लोगों पर होगा जो रिश्वत या कालाबाजारी से नकदी कमाते हैं और फिर उसे ऐशो आराम के खर्चे से ठिकाने लगाते हैं। इस तरह की कमाई करने वाले तो पकड़े जाएंगे और इस तरह के लेन-देन से जुड़े कारोबारी भी पकड़े जाएंगे। उदाहरण के तौर पर कार,बस अथवा भारी वाहन बेचने वाले डीलर नगदी में काम नहीं कर पाएंगे और जो इस तरह के कार्य करेगा पकड़ा जाएगा। इसी तरह से प्रापर्टी से जुड़े कारोबारियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक जनसभा में कहा था कि अब यह नहीं चलने वाला कि जमीन खरीद के लिए टेबल के ऊपर से कुछ और और टेबल के नीचे से कुछ और लिया-दिया जा रहा है। प्रापर्टी की खरीद में थोड़ी सी रकम का चेक दिया जा रहा है बाकी की भारी भरकम राशि का रोकड़ा नगद दिया जा रहा है। इससे यह लग रहा है कि प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त से जुड़े कारोबारियों को राहत नहीं मिलने वाली।
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