यूपी बनेगा रोल मॉडल, फिर लौटेगा इंदिरा जैसा युग
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलामा इकबाल की कविता 'खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से ये पूछे बता तेरी रजा क्या है। नरेन्द्र मोदी ने स्थानीय कारणों को छोड़ कर सेमीफाइनल में फाइनल को रिपीट करके यह साबित कर दिया कि इन्सान की नीयत और हलक सही हों और इरादे नेक हों तो दुनिया की कोई भी ताकत शिकस्त नहीं दे सकती। काला धन,नोटबंदी, राम मंदिर, ट्रिपल तलाक,साम्प्रदायिकता और न जाने कौन-कौन से ऐसे फैक्टर गिनाए जा रहे थे और यह कहा जा रहा था कि मोदी का जादू खत्म हो गया। ढाई साल के शासन में मोदी ने नोटबंदी जैसा सख्त कदम उठाया तो जनता से अधिक नेता तिलमिला उठे और घडिय़ाली आंसू बहाते हुए अच्छे दिन पर जुमले बाजी होने लगी लेकिन अपनी धुन के पक्के नरेन्द्र मोदी ने देश को साथ में लेकर दुनिया में नया कारनामा कर दिखाया। इसे कहते हैं कि काम बोलता है।नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने आज अपनी एक अच्छे शासक की छबि बना ली है। इसका असर स्पष्ट यह दिखाई दे रहा है कि मोदी अपनी मर्जी का शासन चला सकेंगे। अपने फैसले खुद ले सकेंगे। अब तो यूपी ने अपने गोद में आए बेटे को नायाब तोहफा दे दिया है। इससे अब मोदी सरकार की राज्यसभा में भी ताकत बढ़ जाएगी। इसके बढ़ते ही मोदी को खुलकर राज करने और फैसले लेने का अवसर मिल जाएगा। अवसर मिलते ही मोदी सरकार की परीक्षा भी शुरू हो जाएगी क्योंकि मोदी के पांच साल पर जनता का एक दिन ही काफी है। जनता जनार्दन के जनादेश में हारे दिग्गजों को देखकर सभी को यह सबक लेना चाहिए कि भारत का मतदाता अब साक्षर और समझदार हो गया है।
करारी हार के बात बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती और सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह के आरोपों को देखकर हंसी आती है। लगता है कि इनसे अधिक तो गांव का अनपढ़ होशियार होगा। वह भी जानता होगा कि मशीन तो मशीन है। बसपा जीत जाए तो ईवीएम ठीक है, सपा जीत जाए तो ईवीएम ठीक है और भाजपा जीत जाए तो ईवीएम गुजरात में बनी है और सबके वोट भाजपा में ही गए। अब सवाल उठता है कि इन दोनों दिग्गज नेताओं के आरोप सही हैं तो पंजाब, गोआ और मणिपुर में भाजपा क्यों नहीं जीती। इस पर भी कोई टिप्पणी करना चाहेंगी मायावती और मुलायम सिंह।
उत्तर प्रदेश में सपा ने जैसा बोया वैसा काटा,बसपा के बारे में लोगों की राय अलग नहंीं है। सपा के बारे में लोग जानते हैं कि जीत गई तो इटावा के आसपास के जिले मालामाल होंगे। यादवों के पौ बारह होंगे। मुसलमानों को थोड़ा बहुत मिल जाएगा। बाकी का भगवान मालिक। वैसे ही बसपा के बारे में स्पष्ट है कि बसपा जीती तो नोएडा-ग्रेटर नोएडा और गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद,मेरठ के क्षेत्र फलेंगे फूलेंगे, अनुसूचित जाति के लोगों को लाभ मिलेगा। इंसान से अधिक पत्थर की पूजा होगी। ऐसी स्थिति में जनता जनार्दन के पास एकमात्र विकल्प भाजपा ही बची थी। जनता का इंसाफ बहुत अच्छा होता है। मोदी की आंधी में भी कानपुर के कैन्ट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रघुनंदन सिंह भदौरिया अपनी झूठी अकड़ के चलते अपनी सीट गंवा बैठे। चुनाव से पहले जनता से मुलाकात के दौरान महिलाएं नाराज हो गईं तो तपाक से बोले-मर्जी आए वोट देना चाहे मत देना। सारे देश में शोर है कि उन मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में खुलकर वोट डाले जो ट्रिपल तलाक की शिकार हैं और उनका परिवार इस कुप्रथा का शिकार है। कानपुर कैंट का क्षेत्र मुस्लिम बहुल क्षेत्र माना जाता है तो फिर क्यों हारे रघुनंदन सिंह भदौरिया। इस पर विचार करने की आवश्यकता है।
अब यूपी में 403 सीटों में 325 सीटें हासिल करके भाजपा एवं साथी दलों ने 2019 की जमीन अभी से तैयार कर ली है। मात्र दो साल बाद होने वाले लोकसभा के चुनाव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ये दो साल भाजपा के लिए कड़ी परीक्षा के दिन साबित होंगे। हालांकि एक बात यह भी मानी जा रही है कि उत्तर प्रदेश का मतदाता सजग है और उसने प्रदेश और केन्द्र में एक ही दल की सरकार बनाने के लिए मोदी यानी भाजपा को प्रचंड जीत दिलाई है। इसके बाद से भाजपा और मोदी की परीक्षा की शुरुआत होगी। पास होने पर ही 2019 में मोदी 20 पड़ेंगे वरना 18 भी साबित हो सकते हैं। ये पब्लिक है सब जानती है। जिस तरह से आज मोदी सरकार काम कर रही है। उससे इंदिरा सरकार के युग की याद आती है। आज मोदी को डिक्टेटर या तानाशाह कहने वाले नेता इतिहास देखें और याद करें कि उस समय इंदिरा गांधी के सामने जुबान तक नहीं खोल पाते थे, वह क्या थीं। किसे राज्यपाल बनाना है, किसे मुख्यमंत्री बनाना है, किसे मंत्री बनाना है,कब फैसला कौन लेना है, कोई नहीं जान पाता था। ये कहा जाता था कि इंदिरा गांधी का दाहिना हाथ क्या करता है बायां हाथ भी नहीं जान सकता था। आज वहीं जमाना फिर से आ रहा है। हो सकता है कि मोदी अपनी सरकार में इंदिरा सरकार की कुछकमियों को दूर करके उससे अच्छी सरकार देंगे। फिलहाल देश में स्थिरता का माहोल है जो देश की प्रगति के लिए बहुत आवश्यक था और आने वाले समय में भी ऐसा ही बना रहेगा।
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