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Wednesday, 23 May 2018
Wednesday, 2 May 2018
बच्चियों के साथ रेप व उनकी हत्या क्या यही है विकसित भारत
टीवी चैनल,चैनल समाचार पत्र व सरकारी विज्ञापन के द्वारा अपनी पीठ थपथपाकर आम जनता के बीच हर सरकार प्रचार कर करती है कि भारत विकसित हो रहा है। हम इक्कीसवीं सदी में चल रहे हैं। भारत ने बहुत तरक्की कर ली है। ये भारत की तरक्की देश के प्रत्येक कोने शहर,कस्बों व गांवों में छोटी-छोटी नाबालिग बच्चियों के साथ रेप, दरिंदगी,उनकी हत्या की खबरों से लोग हैरान,दुखी व गुस्से में हैं। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि हमारी बच्चियों की रक्षा कौन करेगा? क्या अपने देश, अपने समाज, अपने मोहल्ले में भी बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं तो बच्चे कहां जाएं। माता-पिता कि भाई किस पर करें भरोसा। अगर हम इसके बारे में विचार करेंगे तो ये विकृतियां आर्इं कहां से तथा कैसे होगी दूर यह मानसिकता। याद रहे कि रेप व हत्या की शिकार 90 प्रतिशत से ज्यादा घटनाएं अशिक्षित व गरीब परिवारों में हो रहीं हैं। हकीकत तो यह है कि समाज से नैतिक शिक्षा तथा सात्विक विचारों का पूरी तरह से खात्मा हो चुका है। आज टीवी,फिल्म,विज्ञापन,मॉल संस्कृति आदि सभी माध्यमों में महिला को उपभोग की वस्तु बना दिया गया है। स्कूल-कॉलेजों में भारतीय संस्कृति समाप्त हो रही है। उसका अंजाम हमारे बच्चे भुगत रहे हैं। दूसरा कारण है कि कमजोर कानून भारतीय संविधान में कानून तो बहुत बनाये गये हैं लेकिन उनमें लीकेज भी बहुत हैं जिसका फायदा आपराधिक प्रवृत्ति के लोग उठाते रहे हैं। पहले लोग गांव की बेटी को अपनी बेटी मानते थे, मोहल्ले की बेटी को अपनी बेटी, शहर की बेटी को अपनी बेटी होती थी। वर्तमान स्थिति बहुत भयावह है। लोग पैसा कमाने,राजनीति करने तथा अपने अन्य भौतिक सुखों में संलिप्त हैं। स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिर रहा है। लोगों के दिमाग में नकारात्मक विचारों के पर्सेन्टेंज बढ़ गया है। इसमें गुनाहगार हम सभी लोग हैं। याद रखों एक दिन हमारा भी जरूर आ सकता है। इस लेख के माध्यम से मेरी राजनीतिक दलों से गुजारिश है कि सदन में कठोरतम कानून लाकर 6माह के अन्दर अपराधी को मौत की सजा सुनायी जाए। कम से कम 14वर्ष से कम की बच्चियों के मामले मेें यह निश्चित हो।
राहुल गांधी अभी दिल्ली दूर है
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पार्टी के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि वह सरल स्वभाव के मालिक हैं तथा प्रयोग पर प्रयोग कर रहे हैं लेकिन लगता है कि अभी उनके राजनीति के सितारे साथ नहीं दे रहे हैं। इसके कई कारण है जैसा कि कांग्रेस पार्टी के पुराने सिपहसालार अब काम करने को तैयार नहीं हैं वो चाहते हैं कि इंदिरा,राजीव की तरह गांधी नाम के सहारे सत्ता हासिल की जाए। वस्तुत: बात ये है कि कांग्रेस के स्वर्णिमकाल जो कि लगभग 60 वर्ष के लगभग रहा। उसने इन नेताओं को आलसी व कामचोर बना दिया है। जनता के बीच जाकर संवाद करना उन्हें समय खराब करना जैसा लगता है तथा इन सीनियर नेताओं के चक्कर में युवा पीढ़ी अधेड़ अवस्था में पहुंच चुकी है। आज कांग्रेस की काम करने वाली युवा पीढ़ी का हौसला पस्त हो चुका है। कांग्रेस सिमटती जा रही है। इसके बावजूद वो चेतने को तैयार नहीं है। राहुल को हिन्दुओं के प्रति अपनी विचारधारा में दिल से बदलाव लाना होगा क्योंकि अब वक्त बदल चुका है अब आपको गांधी टाइटल का लाभ नहीं मिलेगा। आज का युवा काम चाहता है, युवा चाहते हैं कि सिर्फ मुसलमानों को ही महत्व न दे कांग्रेस हिन्दुओं को भी जोड़कर चले। दूसरे जिस बात ने उनका सबसे ज्यादा नुकसान किया है वो है सोशल मीडिया,सोशल मीडिया ने उनकी छवि कम बुद्धि के पप्पू की बना दी है।इसका भी राहुल को कुछ इंतजाम करना होगा तथा ज्यादा से ज्यादा युवाओं के भरोसे को जीतना होगा। युवाओं को मौका देना होगा। युवाओं के प्रोग्राम लाने होंगे। कांग्रेस को अपडेट करना होगा। दूसरे जो मुद्दे कांग्रेस के नेता उठायें उनमें सच्चाई हो, तार्किक हों, सिर्फ मीडिया द्वारा बनाये माहौल से कोई निर्णय न लें। पहले मुद्दे को सही जांच करें। 1 या 2 घंटे के उपवास से काम नहीं चलने वाला है।
अगर प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को साधकर टैक्स व अन्य मदों में व्यापारी वर्ग को कुछ रिलीफ दे दिया तथा युवाओं को रोजगार देकर माहौल बना दिया तो राम मंदिर, पाकिस्तान,जम्मू-कश्मीर,हिन्दुत्व तो भाजपा की ताकत हैं ही। इसकी काट भी राहुल गांधी को ढूंढनी होगी। राहुल को समझना होगा कि भारत को युवा धर्म तथा सुरक्षा को पहले स्थान पर रखना, विकास के बाद में मुद्दे बहुत हैं। बलात्कार, बेरोजगारी,जातिवाद,शिक्षा, महिला सुरक्षा, बीमार व गरीबों को इलाज, भ्रष्टाचार, जनसंख्या इन पर गंभीरतापूर्वक विचार करने वाली योग्य टीम को लगायें। उसके बाद 2019 में कुछ संभावना बन सकती है। अपने गठबंधन वाले दलों को अपनी मजबूती भी दिखानी होगी। उन्हें बताना होगा कि कांग्रेस ही भाजपा का केन्द्र में विकल्प बन सकती है। समस्या ये भी है कि कांग्रेस की सीनियर कहें या पुरानी पीढ़ी के नेता राहुल गांधी को अपना मानना ही चाहते हैं । उनकी सोच है कि राहुल गांधी को आज भी अनुभवहीन हैं लेकिन उन्हें समझना होगा कि ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी बेकार नहीं जाता है। जता सबको देखती है। राहुल गांधी निरन्तर मेहनत कर रहे हैं लेकिन उनको जो अपेक्षित सहयोग पार्टी नेताओं से मिलना चाहिये था वो मिल ही नहीं रहा है। कांग्रेस के पुराने नेताओं की खाल बहुत मोटी हो चुकी है वो अभी भी अपने को सरकार में समझते हैं। राहुल के जो लोग कांग्रेस छोड़कर जा चुके हैं उन्हें वापस बुलाना होगा तथा भाजपा व अन्य दलों के असंतुष्ट हैवीवेट जनाधार वाले नेताओं उचित समय देकर उनको पार्टी भी जोडकर 2019 के चुनावमें उनका इस्तेमाल करना होगा।
उपवास की गंभीरता को समझें
राहुल को धरातल पर रहकर समझना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक मजबूत जीवट वाले नेता हैं। इस समय उनका स्वर्णकाल चल रहा है, दूसरा आरएसएस,विहिप,बजरंग दल तथा अन्य हिन्दूवादी संगठनों की फौज है, जो जमीनी स्तर पर काम करके भाजपा के लिए माहौल बनाती रही है। कांग्रेस के सहयोगी दलों को भी साधना होगा। जिग्नेश, हृदयेश पटेल जैसे बरसाती ..... से बचना होगा। कांग्रेस को अपने संगठन के सेवादल, महिला मोर्चा, युवा कांग्रेस और सबसे महत्वपूर्ण छात्र संगठन को ऊर्जा देनी होगी। तुष्टिकरण व जातिवाद की राजनीति छोड़कर राष्ट्रवाद की बात करनी होगी। हवाई बयानबाजी से बचें। पूर्व की कुछ घटनाएं उनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं। फटा कुर्ता पहनकर बैंक की लाइन लगना, जमीन के अभियोगी प्रस्ताव को फाड़ना तथा मैं बोलूंगा तो भूकम्प आ जायेगा, चाय वाले, पकौड़े वाले इन बयानों से बचना होगा। इसमें पार्टी की छवि जनता में गंभीर नहीं रहीं है। इनका मखौल बनाती है तो विपक्ष को बैठे बिठाये मुद्दा मिल जाता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हों या प्रदेश स्तर के प्रवक्ता उनमें टीवी पर डिबेट के दौरान आत्म विश्वास की कमी साफ झलकती है।
भगवा व हिन्दू आतंकवाद पर कांग्रेस क्लीन बोल्ड?
सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी असीमानन्द, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित को मस्जिद व ट्रेन बमकांड से बरी कर कांग्रेस की हवा ही निकाल दी है। वास्तव में कांग्रेस के नेता केन्द्र सरकार के समय में सत्ता के मद में चूर होकर बयानबाजी कर रहे थे हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद इन शब्दों को ईजाद करने वाले कांग्रेस के कमांडेंट बैक मार चुके हैं। चाहे वो पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल, सुशील शिंदे, दिग्विजय सिंह आदि नेताओं ने अपने हिन्दू आतंकवाद व भगवा आतंकवाद का सम्बोधन करके अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार ली। इन आरोपों से भारत का बहुसंख्यक वर्ग नाराज हो गया जिसका नुकसान उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के रूप में भुगतना पड़ा और अब जिसका इन हिन्दूवादी नेताओं को सभी आरोपों से मुुक्त कर कोर्ट ने कहा कि हिन्दू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद कुछ नहीं है। आज बेकसूर ठहराये गये उन हिन्दूवादी नेताओं का जो समय जेलों में बीता जो-जो उन पर अत्याचार किये गये उनका कोई मुआवजा कोर्ट या सरकार उनको देगी। यह सही भी है कि अगर ये लोग बगैर अपराध किये जेल में रखे गये तो इन लोगों को कोर्ट केन्द्र सरकार को मुआवजा देने का आदेश दें तथा झूठे आरोप लगाने वालों को भी कोई सब मिल सके।
कांग्रेस को बदलना होगा अब जनता बदल चुकी है
कांग्रेस के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी को दोबारा स्थापित करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। वह गम्भीर व्यक्तित्व के स्वामी हैं तथा पार्टी को दोबारा खड़ा करना चाहते हैं लेकिन राहुल को पार्टी के सलाहकारों व चिन्तकों को बैठकर गम्भीरतापूर्वक मंथन करना होगा। वर्तमान युवाओं की समस्याओं को समझना होगा। इसबात को समझ जाना चाहिए कि आप 50, 60 या 70 के दशक की राजनीति अब नहीं कर सकते। सबसे बड़ी कमी कांग्रेस पार्टी की ये है कि पार्टी के सीनियर नेता कभी भी किसी आंदोलन अथवा धरना प्रदर्शन में गंभीर नहीं दिखाई देते। पार्टी के हैवीवेट नेता ही पार्टी की कमजोरी बन चुके हैं। चाहे वे मणिशंकर अय्यर हों अथवा कोई और राहुल गांधी को युवा टैलेंट को जिम्मेदारी देनी होगी तथा समय-समय पर अच्छे कार्यों के लिए युवाओं की पीठ थपथपानी होगी। एक परिवर्तन जो सामने आया है उसका लाभ निश्चित ही कांग्रेस पार्टी को मिलने जा रहा है, वह है राहुल जी का हिन्दुत्व के प्रति प्रेम तथा मन्दिरों व धार्मिक स्थलों पर जाकर बहुसंख्यक हिन्दुओं के मन में अपनी जगह बनानी कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के कारण यह हस्र होना ही था। आपको यह समझना ही होगा कि आप राजनीति कर रहे हैं जहां का हिन्दू समाज भारत का रीढ़ रहा है और है भी हिन्दू समाज ने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान किया है तथा सभी धर्मों को फलने फूलने का मौका दिया है लेकिन भारत की पहचान हिन्दू धर्म से है, हिन्द शब्द से ही हिन्दुस्तान बना है। मेरे इस लेख से हिन्दुओं को बढ़ावा न देकर कांग्रेस पार्टी के कर्णधारों को यह समझाना है कि आप हिन्दुओं को अलग करके मुस्लिम-मुस्लिम करके आगे राजनीति न कर पाओगे अब आपको सभी धर्मों को बराबर चश्मे से देखना होगा तथा समाज हित व राष्ट्रहित के मुद्दों को उठा कर जमीनी राजनीति करनी होगी। अब भठूरे खाकर उपवास नहीं चलेगा जनता जागरुक हो चुकी है।
अगर प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को साधकर टैक्स व अन्य मदों में व्यापारी वर्ग को कुछ रिलीफ दे दिया तथा युवाओं को रोजगार देकर माहौल बना दिया तो राम मंदिर, पाकिस्तान,जम्मू-कश्मीर,हिन्दुत्व तो भाजपा की ताकत हैं ही। इसकी काट भी राहुल गांधी को ढूंढनी होगी। राहुल को समझना होगा कि भारत को युवा धर्म तथा सुरक्षा को पहले स्थान पर रखना, विकास के बाद में मुद्दे बहुत हैं। बलात्कार, बेरोजगारी,जातिवाद,शिक्षा, महिला सुरक्षा, बीमार व गरीबों को इलाज, भ्रष्टाचार, जनसंख्या इन पर गंभीरतापूर्वक विचार करने वाली योग्य टीम को लगायें। उसके बाद 2019 में कुछ संभावना बन सकती है। अपने गठबंधन वाले दलों को अपनी मजबूती भी दिखानी होगी। उन्हें बताना होगा कि कांग्रेस ही भाजपा का केन्द्र में विकल्प बन सकती है। समस्या ये भी है कि कांग्रेस की सीनियर कहें या पुरानी पीढ़ी के नेता राहुल गांधी को अपना मानना ही चाहते हैं । उनकी सोच है कि राहुल गांधी को आज भी अनुभवहीन हैं लेकिन उन्हें समझना होगा कि ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी बेकार नहीं जाता है। जता सबको देखती है। राहुल गांधी निरन्तर मेहनत कर रहे हैं लेकिन उनको जो अपेक्षित सहयोग पार्टी नेताओं से मिलना चाहिये था वो मिल ही नहीं रहा है। कांग्रेस के पुराने नेताओं की खाल बहुत मोटी हो चुकी है वो अभी भी अपने को सरकार में समझते हैं। राहुल के जो लोग कांग्रेस छोड़कर जा चुके हैं उन्हें वापस बुलाना होगा तथा भाजपा व अन्य दलों के असंतुष्ट हैवीवेट जनाधार वाले नेताओं उचित समय देकर उनको पार्टी भी जोडकर 2019 के चुनावमें उनका इस्तेमाल करना होगा।
उपवास की गंभीरता को समझें
राहुल को धरातल पर रहकर समझना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक मजबूत जीवट वाले नेता हैं। इस समय उनका स्वर्णकाल चल रहा है, दूसरा आरएसएस,विहिप,बजरंग दल तथा अन्य हिन्दूवादी संगठनों की फौज है, जो जमीनी स्तर पर काम करके भाजपा के लिए माहौल बनाती रही है। कांग्रेस के सहयोगी दलों को भी साधना होगा। जिग्नेश, हृदयेश पटेल जैसे बरसाती ..... से बचना होगा। कांग्रेस को अपने संगठन के सेवादल, महिला मोर्चा, युवा कांग्रेस और सबसे महत्वपूर्ण छात्र संगठन को ऊर्जा देनी होगी। तुष्टिकरण व जातिवाद की राजनीति छोड़कर राष्ट्रवाद की बात करनी होगी। हवाई बयानबाजी से बचें। पूर्व की कुछ घटनाएं उनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं। फटा कुर्ता पहनकर बैंक की लाइन लगना, जमीन के अभियोगी प्रस्ताव को फाड़ना तथा मैं बोलूंगा तो भूकम्प आ जायेगा, चाय वाले, पकौड़े वाले इन बयानों से बचना होगा। इसमें पार्टी की छवि जनता में गंभीर नहीं रहीं है। इनका मखौल बनाती है तो विपक्ष को बैठे बिठाये मुद्दा मिल जाता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हों या प्रदेश स्तर के प्रवक्ता उनमें टीवी पर डिबेट के दौरान आत्म विश्वास की कमी साफ झलकती है।
भगवा व हिन्दू आतंकवाद पर कांग्रेस क्लीन बोल्ड?
सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी असीमानन्द, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित को मस्जिद व ट्रेन बमकांड से बरी कर कांग्रेस की हवा ही निकाल दी है। वास्तव में कांग्रेस के नेता केन्द्र सरकार के समय में सत्ता के मद में चूर होकर बयानबाजी कर रहे थे हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद इन शब्दों को ईजाद करने वाले कांग्रेस के कमांडेंट बैक मार चुके हैं। चाहे वो पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल, सुशील शिंदे, दिग्विजय सिंह आदि नेताओं ने अपने हिन्दू आतंकवाद व भगवा आतंकवाद का सम्बोधन करके अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार ली। इन आरोपों से भारत का बहुसंख्यक वर्ग नाराज हो गया जिसका नुकसान उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के रूप में भुगतना पड़ा और अब जिसका इन हिन्दूवादी नेताओं को सभी आरोपों से मुुक्त कर कोर्ट ने कहा कि हिन्दू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद कुछ नहीं है। आज बेकसूर ठहराये गये उन हिन्दूवादी नेताओं का जो समय जेलों में बीता जो-जो उन पर अत्याचार किये गये उनका कोई मुआवजा कोर्ट या सरकार उनको देगी। यह सही भी है कि अगर ये लोग बगैर अपराध किये जेल में रखे गये तो इन लोगों को कोर्ट केन्द्र सरकार को मुआवजा देने का आदेश दें तथा झूठे आरोप लगाने वालों को भी कोई सब मिल सके।
कांग्रेस को बदलना होगा अब जनता बदल चुकी है
कांग्रेस के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी को दोबारा स्थापित करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। वह गम्भीर व्यक्तित्व के स्वामी हैं तथा पार्टी को दोबारा खड़ा करना चाहते हैं लेकिन राहुल को पार्टी के सलाहकारों व चिन्तकों को बैठकर गम्भीरतापूर्वक मंथन करना होगा। वर्तमान युवाओं की समस्याओं को समझना होगा। इसबात को समझ जाना चाहिए कि आप 50, 60 या 70 के दशक की राजनीति अब नहीं कर सकते। सबसे बड़ी कमी कांग्रेस पार्टी की ये है कि पार्टी के सीनियर नेता कभी भी किसी आंदोलन अथवा धरना प्रदर्शन में गंभीर नहीं दिखाई देते। पार्टी के हैवीवेट नेता ही पार्टी की कमजोरी बन चुके हैं। चाहे वे मणिशंकर अय्यर हों अथवा कोई और राहुल गांधी को युवा टैलेंट को जिम्मेदारी देनी होगी तथा समय-समय पर अच्छे कार्यों के लिए युवाओं की पीठ थपथपानी होगी। एक परिवर्तन जो सामने आया है उसका लाभ निश्चित ही कांग्रेस पार्टी को मिलने जा रहा है, वह है राहुल जी का हिन्दुत्व के प्रति प्रेम तथा मन्दिरों व धार्मिक स्थलों पर जाकर बहुसंख्यक हिन्दुओं के मन में अपनी जगह बनानी कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के कारण यह हस्र होना ही था। आपको यह समझना ही होगा कि आप राजनीति कर रहे हैं जहां का हिन्दू समाज भारत का रीढ़ रहा है और है भी हिन्दू समाज ने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान किया है तथा सभी धर्मों को फलने फूलने का मौका दिया है लेकिन भारत की पहचान हिन्दू धर्म से है, हिन्द शब्द से ही हिन्दुस्तान बना है। मेरे इस लेख से हिन्दुओं को बढ़ावा न देकर कांग्रेस पार्टी के कर्णधारों को यह समझाना है कि आप हिन्दुओं को अलग करके मुस्लिम-मुस्लिम करके आगे राजनीति न कर पाओगे अब आपको सभी धर्मों को बराबर चश्मे से देखना होगा तथा समाज हित व राष्ट्रहित के मुद्दों को उठा कर जमीनी राजनीति करनी होगी। अब भठूरे खाकर उपवास नहीं चलेगा जनता जागरुक हो चुकी है।
Wednesday, 25 April 2018
सावधान,आपको बेच रहा है सोशल मीडिया
घर में करते हैं कानाफूसी,आसमान से हो रही है आपकी जासूसी
आप यदि स्मार्ट फोन, टैबलेट्स, लैपटॉप और डेस्कटॉप या इंटरनेट की सुविधा वाले अन्य किसी साधन का इस्तेमाल करते हों तो तत्काल सावधान हो जाइये क्योंकि दैनिक जीवन में आपको अनेक इंटरनेटी सुविधाएं मुहैया कराने वाला सोशल मीडिया अब आसमान से आपकी जासूसी कर रहा है। आप क्या खाते हैं वेज-नॉनवेज, क्या पहनते हैं कैसे कपड़े पहनते हैं, कैसे नहाते हैं, नहाने में कौन सा साबुन, कौन सा शैम्पू एवं अन्य प्रसाधन इस्तेमाल करते हैं, कौन सी गाड़ी रखते हैं, कौन सी गाड़ी खरीदना चाहते हैं, कैसे मकान में रहते हैं, कैसा मकान खरीदना चाहते हैं, कितनी देर घर में रहते हैं, कितनी देर बाहर रहते हैं, किससे मिलते हैं, किससे क्या बात करते हैं, यहां तक कि आप अपने बेडरूम और वाशरूम में क्या करते हैं। इन सबकी पल-पल की खबर सोशल मीडिया आपसे लाखों कोसों दूर अपने सर्वर में कैद करके रखता है। यही नहीं वक्त आने व्यापारिक संस्थानों, राजनीतिक घरानों और आपके दुश्मन को भी बेच सकता है। दुनिया की नंबर वन महाशक्ति अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, फ्रांस,जर्मनी, सऊदी अरब, आस्ट्रेलिया और भारत की राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन लाने का काम यह सोशल मीडिया अपने इसी जासूसी कार्य से कर चुका है। जिसे आज के आईटी भाषा में डाटा लीकेज कहा जा रहा है। डाटा लीकेज ऐसा घोटाला है कि आपकी सारी अंतरंग बातें उन सारी कंपनियों को पहुंच जातीं हैं जिनसे संबंधित आप शौक रखते हैं। इसमें सबसे अधिक रोल स्मार्ट फोन का है।डाटा लीक मामले ने साबित कर दिया है कि भले ही आपको 'फेसबुकबाजी' के लिए किसी तरह के पैसे नहीं देने पड़ते हों, लेकिन इसकी कीमत कहीं न कहीं आप चुकाते हैं। साइबर एक्सपर्ट पहले से ही आगाह करते रहे हैं, लेकिन अब यह बात साबित हो गई है। अब डाटा ब्रोकिंग दुनिया में बड़ी इंडस्ट्री है। इंटरनेट पर हमारी एक्टिविटी से कंपनियां करोड़ों कमाती हैं। डाटा मार्केट का डाटा ज्यादातर कंपनियां और रिसर्च फर्म या बड़ी पीआर एजेंसियां यूज करतीं हैं। हालांकि डाटा का सोर्स ज्यादातर टेक कंपनियां होती हैं। फेसबुक को पता है कि आप क्या शेयर कर रहे हैं, गूगल को पता है कि आप क्या सर्च कर रहे हैं, अमेजन को पता है कि आप क्या खरीदते हैं। यहां से डाटा खरीदने वाले को पता होता है कि आप क्या सोचते हैं, आप क्या खरीदना चाहते हैं, किस राजनीतिक विचारधारा को फॉलो करते हैं। इसी के आधार पर आपसे ट्रीट किया जाता है।
इधर आप ने सर्च किया उधर फोन आने शुरू। दरअसल डाटा के मार्केट में सबसे बड़ा हाथ आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का होता है। इंटरनेट में आप जिस कंपनी की कारें सर्च कर रहे हैं, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस उस कंपनी तक यह खबर पहुंचा देता है। अब कार कंपनी का खेल शुरू होता है। सिस्टम आॅन करते ही आपके सामने उसी कंपनी की कारों के विज्ञापन आते हैं। कंपनी आप पर फोन, मेल और मैसेज की बौछार कर देगी। इसी तरह से आपकी एक सर्च किसी कंपनी को पोटेंशियल बायर मुहैया करा देगी।
डाटा ऐसे बनाता-बिगाड़ता है सरकारें
अगर फेसबुक पर किसी दल या राजनेता के खिलाफ कुछ भी विचार शेयर कर रहे हैं, तो वह आपके किसी के लिए भले ही विचार हो, लेकिन कंपनी के लिए यह एक डाटा है। फेसबुक के पास आपका ज्योग्राफिकल स्टेटस है। आपका यह डाटा, डाटा एनॉलिस्टि के पास जाएगा। जहां आपकी पंसद के हिसाब से ही आपके पास पोस्ट थ्रो की जाएंगी। उसी तरह की खबरों का फ्लो बढ़ जाएगा। आपको लगेगा कि आपके पसंदीदा नेता या पार्टी के साथ ही पूरा देश है। आप माउथ पब्लिसिटी शुरू कर देते हैं। नेता या पार्टी की पॉपुलैरिटी सातवें आसमान पर और इधर सरकार बन या बिगड़ गई।ये 4 कहानियां बताती हैं डाटा की असली ताकत
इसकी शुरूआत 2012 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से हुई। ओबामा के लिए करीब 100 डाटा एनॉलिटिक्स की टीम ने काम किया। अमेरिका में महंगा इलाक बड़ी चुनौती था। यह बात उन्हें फेसबुक के जरिए पता चली। उसी के आधार पर कैम्पेन तैयार किया गया। विपक्षी रिपब्लिकन अमेरिका की सुरक्षा का मुद्दा उठा रहे थे। ओबामा लोगों को मुफ्त इलाज का वादा कर रहे थे। वह 2008 से भी बड़े अंतर से जीतने में सफल रहे।कई मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि सऊदी अरब के मौजूदा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फेसबुक को 1 अरब डॉलर की रकम सिर्फ इस बात के लिए अदा की थी कि फेसबुक सऊदी राजपरिवार के खिलाफ की जाने वाली पोस्ट को प्रमोट नहीं करे, ताकि अरब क्रांति के बाद उनके देश में सत्ता के खिलाफ लोग सड़कों पर नहीं उतरें।
आॅस्ट्रेलिया की सरकार ने फेसबुक पर आरोप लगाया कि 2011 के आम चुनाव के दौरान लोगों के पर्सनल डाटा का यूज किया गया। इस डाटा का यूज वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया गया।
भारत में कैम्ब्रिज एनालिटिका की भारतीय पार्टनर ओवर फ्ले बिजनेस इंटेलिजेंस इकाई पर कई राज्यों के चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लगा। आरोप है कि इस कंपनी के डाटा के जरिए 2010 के बाद से कई विधानसभा चुनावों को प्रभावित किया गया। भाजपा-कांग्रेस की ओर से एक-दूसरे पर आरोप लगाने के बाद अब इस कंपनी की वेबसाइट खुलनी बंद हो गई।
ेसोशल मीडिया में कौन-कौन सी वेबसाइट्स सक्रिय हैं
सोशल मीडिया के नाम से भारत में लोग चंद वेबसाइट्स को ही जानते होंगे परंतु दुनिया भर में कौन -कौन सी वेबसाइट्स सक्रिय हैं। वे प्रमुख वेबसाइट्स इस प्रकार है: फेसबुक,यू ट्यूब,व्हाट्सएप,
फेसबुक मैसेंजर,वी चैट,क्यूक्यू, इंस्टाग्राम, क्यूजोन, टमबल, ट्विटर,साइना वीईबो, बेयडु तिएबा,
स्कॉइप, वाइबर, स्नैपचैट, रेडिफ, लाइन, पिन्टरेस्ट, गूगल प्लस, माइस्पेश,विकिया। इसके अलावा दुनिया के देशों में अपने स्थानीय स्तर पर सोशल वेबसाइट्स छोटे पैमाने पर सक्रिय हैं। इनके यूजर्स भी स्थानीय लोग ही होते हैं।
दुनिया भर में कितने यूजर्स हैं
अगस्त 2017 तक के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर के कितने लोग इस सोशल मीडिया की विभिन्न वेबसाइटों के यूजर्स बने हुए हैं।फेसबुक: 2,047,000,000
यू ट्यूब: 1,500,000,000
व्हाट्सएप: 1200,000,000
फेसबुक मैसेंजर: 1,200,000,000
वी चैट : 738,000,000
क्यूक्यू: 861000,000
इंस्टाग्राम: 700,000,000
क्यूजोन: 638,000,000
टमबलर: 357,000,000
ट्विटर:328,000,000
साइना वीईबो: 313,000,000
बेयडु तिएबा: 300,000,000
स्कॉइप:300,000,000
वाइबर: 260,000,000
स्नैपचैट: 255,000,000
रेडिफ: 250,000,000
लाइन: 214,000,000
पिन्टरेस्ट: 175,000,000
सबसे अधिक खतरा है कहां
आज दुनिया के सोशल मीडिया मेंं सबसे अधिक यूजर्स फेसबुक के बताये जा रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो फेसबुक और उसकी सहायक वेबसाइटों के पास टोटल यूजर्स का 84 प्रतिशत हिस्सा है। इनमें सबसे अधिक खतरनाक बात यह है कि इन यूजर्स में 60प्रतिशत यूजर्स 13 से 17 वर्ष की आयु के किशोर हैं। ये यूजर्स दिन में कम से कम तीन घंटे तक सोशल वेबसाइट्स का यूज करते हैं। ये तो आंकड़े बताते हैं जबकि भारत में देखने कोमिलता है कि इस तरह के यूजर्स की आयु 12 वर्ष से लेकर 40 वर्ष है और ये यूजर्स दिनरात अपने स्मार्ट फोन की स्क्रीन पर आंख गढ़ाए रहते हैं और कानों में लीड लगाए रहते हैं। वे ऐसा यूं करते हैं कि ऐसा न करने वाले देहाती,बुद्धू और गंवार समझे जाएंगे। स्मार्ट बनने की होड़ में हमारा युवा भारत अस्वस्थ हो चला है।Tuesday, 24 April 2018
एनडीए को हो सकता है 80 से ज्यादा सीटों का नुकसान
सिर्फ यूपी में ही भाजपा को हो सकता है 50 सीटों का नुकसान
अगर 2019 में विपक्ष विशाल गठजोड़ यानी महागठबंधन बनाने में कामयाब रहा तो लोकप्रियता के शिखर पर पहुंये नरेन्द्र मोदी के लिए ना केवल जीत की राह मुश्किल होगी बल्कि सत्ता से भी उन्हें बेदखल होना पड़ सकता है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक तीन बड़े राज्यों में ही एनडीए को 80 से ज्यादा सीटों का नुकसान हो सकता है। वर्तमान आंकड़ों के आधार पर माना जा रहा है कि सिर्फ यूपी में ही सपा और बसपा की दोस्ती से भाजपा को 50 सीटों का नुकसान हो सकता है। पिछले आम चुनाव में सपा ने पांच सीटें जीती थीं, जबकि बसपा क्लीनबोल्ड हो गई थी।
अनिल कुमार मिश्र
अमीर खुसरो की मशहूर कृति ‘बहुत कठिन डगर है पनघट की,जरा बोलो मेरे अच्छे निजाम पिया’ आने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे सत्ता पक्ष और विपक्षी राजनीतिक दलों पर एकदम खरी उतरती है। आने वाले चुनाव न तो सत्ता पक्ष के लिए आसान होंगे और न ही विपक्षी दलों के लिए। सत्तारूढ़ एनडीए के समक्ष जहां साथी दलों की नाराजगी और जनता की नाराजगी बहुत बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। वहीं विपक्षी दल गठबंधन ही नहीं महागठबंधन के लिए छटपटा रहे हैं लेकिन अभी तक यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह महागठबंधन कैसे बनाएं। प्रमुख राष्ट्रीय दल कांग्रेस भी अपनी भूमिका तय नहीं कर पा रहा है। वह एक कदम महागठबंधन की ओर बढ़ाता है तो दो कदम अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी करता है। इस दुविधा के चक्कर में विपक्षी दलों के पास समय कम होता जा रहा है। वहीं एनडीए का प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी भले ही अपने साथी दलों के झटके से हलकान हो लेकिन पार्टी अपने स्थापना दिवस से जनसंवाद सम्मेलनों के माध्यम से जनता के बीच जाने की तैयारी कर रहा है। पार्टी बूथ स्थर पर लोगों से मिलकर उनके जख्मों पर मरहम लगाएगी।मशहूर कवि रामधारी सिंह दिनकर की यह कविता कि ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है,दो राह समय के रथ का घर्घर नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ । हर पांच साल पर चुनाव से पहले राजनीतिक दलों को झकझोर देती है कि जनता आती है और हर पांच साल में जनता आती है और राजनीतिक दलोें को ऐसा सबक सिखाती है कि ये दल भी पशोपेश में पड़ जाते हैं कि जनता वास्तव में जनार्दन बन गई है। हाल ही नमूने देखिया तो पता चलता है कि यह जनता पिछले पांच सालों में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंची भाजपा की परीक्षा लेने की तैयारी कर रही है हालांकि जनता ने पहले ही झटके देने शुरू कर दिये हैं। पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार के बाद उत्तर प्रदेश का ताजा झटका आजकल सियासी जगत की सुर्खियां बना हुआ है। नेशनल फिगर माने जाने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर और उनके डिप्टी केशव मौर्य के गढ़ फूलपुर में जनता ने झटका देते हुए सपा को जिता कर यह संदेश दिया है कि यह जनता है, जनार्दन। वह किसी के इशारों पर नहीं चलने वाली। अभी वक्त है संभल जाओ वरना इंदिरागांधी जैसा हश्र होने में देर नहीं लगेगी।
विपक्षी दलों में गठबंधन को लेकर कवायदें चल रहीं हैं। सभी क्षेत्रीय दल तो आपस में मिलने को तैयार हैं लेकिन राष्ट्रीय दल कांग्रेस पर संशय बना हुआ है। इन सभी दलों को राष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता है। हाल ही में तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही सोनिया गांधी से भेंट कर भाजपा को हराने का फार्मूला सुझाया था। सियासी जगत में चर्चा है कि ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी से कहा कि भाजपा को हराने का सिर्फ एक ही फार्मूला है कि उसे आमने-सामने से हराया जा सकता है। इस आमने-सामने का फार्मूला यह प्रकट हुआ है कि कांग्रेस राष्ट्रीय दल है लेकिन उसे वर्तमान की सियासी मांग को देखते हुए किंगमेकर के रूप में अपनी भूमिका अदा करनी होगी। मतलब यह है कि कांग्रेस प्रत्येक राज्य में उस दल की मदद करे जिसकी उस राज्य में अच्छी पकड़ है। इसके अलावा अन्य सहयोगी दल वोटकटवा दल की भूमिका में न आएं तो निश्चित रूप से भाजपा को हराया जा सकता है। दूसरी ओर जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी की नकल करते हुए अपनी पार्टी की ओवरहालिंग करनी शुरू कर दी है, उससे लगता है कि पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। शायद राहुल गांधी के दिमाग में अभी इस बात गुमान चल रहा हो कि उनकी पार्टी देश की सबसे पुरानी पार्टी और नेशनल पार्टी है, उनकी पार्टी का देश के कोने-कोने में मतदाता है, इसलिए उनकी पार्टी को गठबंधन में सबसे बड़ा हिस्सा मिलना चाहिए। जबकि हकीकत यह है कि आज पार्टी चार राज्यों में सिमट कर रह गई और आने वाले वक्त में कितने राज्यों में रह जाएगी यह तो वक्त ही बताएगा।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की कोलकाता यात्रा से शुरू हुई विपक्षी एकता की कोशिशों को ममता बनर्जी ने अमलीजामा पहनाने की कवायद तेज कर दी है। पहले यह माना जा रहा था कि ये कसरतें तीसरे मोर्चे के लिये हैं, मगर सोनिया गांधी से संपर्क के बाद दूसरे मोर्चे की कोशिशें नजर आ रही हैं। ममता बनर्जी इसे संघीय मोर्चे की संज्ञा दे रही हैं। भाजपा के लिये यह चिंता की बात होनी चाहिए कि उसके अंसतुष्ट वरिष्ठ नेता भी ममता के सुर से सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के गठजोड़ से भाजपा को उपचुनाव में जो झटका लगा, उसने विपक्षी एकजुटता के हौसलों को हवा दी। निश्चित रूप से भारी बहुमत से सत्ता में आई भाजपा पिछले लगभग चार सालों में जनता की कसौटी पर खरी नहीं उतर पाई है। जिसके चलते जनता में बेचैनी जरूर है मगर इसके ये मायने भी नहीं निकाले जाने चाहिए कि जनता नये विकल्प के रूप में विपक्ष को स्वीकार कर लेगी। एकता के नाम पर भानुमति का कुनबा बार-बार एकजुट हुआ है और उनकी सत्ता लोलुपता का जो हश्र हुआ है, उसने भी जनता का मोह भंग किया है। विपक्षी दलों की अपनी सीमाएं हैं और इन क्षत्रपों की अपने राज्य में तो पैठ है मगर जरूरी नहीं कि ये सारे देश में कामयाब हो सकें।
इसके अलावा कई दलों में राज्य स्तर पर इतने मतभेद हैं कि वे राष्ट्रीय स्तर पर भले ही एकजुट हो जाएं, अपने राज्य में उनका जन्म ही एक-दूसरे के विरोध में हुआ है। क्या उम्मीद की जा सकती है कि तेलंगाना में टीआरएस कांग्रेस को स्वीकारेगी। क्या पश्चिम बंगाल में वाम दल ममता के साथ आ पायेंगे? ममता भी क्या कोलकाता में कांग्रेस के साथ चलेगी? कमोबेश यही स्थिति कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी की है। फिर विपक्ष एकजुटता की बात तो कर रहा है मगर साझे कार्यक्रम पर सहमति बन पायेगी? क्या विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर पायेगा? ऐसे तमाम यक्ष प्रश्न विपक्षी एकता को लेकर सिर उठाते रहे हैं। बहरहाल विपक्षी एकता की ये कसरतें भाजपा को चिंतन-मनन का मौका देंगी कि उसके पुराने साथी शिवसेना,तेलुगुदेशम, लोकशक्ति समाज पार्टी आदि अलग सुर में क्यों बोल रहे हैं। निश्चित रूप से एकता की ये कसरतें 2019 के आम चुनाव को लेकर की जा रही हैं मगर अभी पिक्चर काफी बाकी है। एक साल के दौरान ऐसा बहुत कुछ अप्रत्याशित हो सकता है जो देश की राजनीतिक धारा की दिशा में बदलाव ला सकता है। वक्त की नजाकत को देखते हुए आंध्र प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी रही टीडीपी ने पीएम नरेंद्र मोदी की पार्टी को तीन तलाक देने में देर नहीं की। अगर 2019 में विपक्ष विशाल गठजोड़ बनाने में कामयाब रहा तो पीएम मोदी के लिए ना केवल जीत की राह मुश्किल होगी बल्कि सत्ता से भी उन्हें बेदखल होना पड़ सकता है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक तीन बड़े राज्यों में ही एनडीए को 80 से ज्यादा सीटों का नुकसान हो सकता है। सिर्फ यूपी में ही सपा और बसपा की दोस्ती से बीजेपी को 50 सीटों का नुकसान हो सकता है। साल 2014 के चुनावों में सपा ने पांच सीटें जीती थीं, जबकि बसपा क्लीनबोल्ड हो गई थी। अब उप चुनावों के बाद सपा सांसदों की संख्या सात हो गई है। कुछ समय पहले राजस्थान में भी कांग्रेस के दों सांसद उप चुनाव में जीत चुके हैं।
भाजपा के लिए क्या है माइनस-प्लस
भाजपा के लिए प्लस तो यह है कि उसकी पार्टी की 14 राज्यों में सीधे सरकार है और छह राज्यों में अन्य सहयोगी दलों के साथ सत्ता में हैं। भाजपा जिन राज्यों में अपनी स्वयं की सत्ता में है, वे हैं असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, त्रिपुरा, झारखण्ड,उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड है। इसके अलावा बिहार, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, मेघालय, नागालैंड में अपने सहयोगी दलों के साथ सत्ता में है। भाजपा को यह खुशफहमी हो सकती है कि उसे अपनी सरकार वाले राज्यों में लोकसभा के चुनाव का फायदा मिल सकता है। इसमें कोई शक नहीं कि इन राज्यों की सरकारी मशीनरी का लाभ अवश्य मिल सकता है। किन्तु यह बात पूर्णतया सत्य नहीं मानी जा सकती है क्योंकि भाजपा को इन्हीं चुनावों में जनता सबक भी सिखा सकती है। क्योंकि सत्ता विरोधी लहर भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसके उदाहरण पंजाब, राजस्थान,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में देखने को मिल ही चुके हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव में तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इज्जत किसी तरह से बच गई। यह भी सभी ने देखा है।महागठबंधन में क्या है प्रमुख समस्या
महागठबंधन की आवाज तो उठ गई है लेकिन सभी गैरभाजपाई दल कांग्रेस की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं। कांग्रेस और विपक्षी दलों के समक्ष एक बहुत बड़ी समस्या यह है कि सारे गैर कांग्रेसी दल चाहते हैं कि कांग्रेस अपनी वर्तमान नाजुक स्थिति को देखते हुए किंगमेकर की भूमिका में रहे और स्वयं दावेदारी छोड़कर पहले सभी क्षेत्रीय दलों का समर्थन करके उन्हें आगे बढ़ाए और इसके बाद सत्ता मिलने के बाद ही वह अपनी अगली भूमिका तय करे लेकिन कांग्रेसी नेतृत्व को यह कतई स्वीकार नहीं है। वह अपनी राष्ट्रीय एवं सबसे पुरानी पार्टी की मणक में है। यदि यह बात बन जाए तो निश्चित रूप से विपक्षी दल भाजपा को दिन में तारे दिखा सकते हैं।
अखिलेश-राहुल चल रहे हैं मोदी की राह पर
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह पर चल रहे हैं। राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर नये युवा नेताओं को आगे लाने की रणनीति मोदी की उसी रणनीति का अनुकरण है, जिसके तहत आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह जैसे वरिष्ठ दिग्गजों को किनारे किया गया था। आज राहुल गांधी भी अपने वरिष्ठ नेताओं को किनारे करके युवाओं को आगे लाने का प्रयास कर रहे हैं। अखिलेश यादव को मोदी और भाजपा का बूथ पर नियंत्रण अधिक भा गया है और वे भी अपनी पार्टी के जिलाध्यक्षों को बूथ-बूथ पर पार्टी को मजबूत करने और आंकड़ों को जुटाने के लिए कमर कस ली है।कौन-कौन लोग आ सकते हैं महागठबंधन में
गैर भाजपाई महागठबंधन में उत्तर प्रदेश से सपा,बसपा का नाम तो सर्वोपरि है, इसके अलावा कई अन्य छोटे दल भी शामिल हो सकते हैं। बिहार में लालू यादव का राजद, जीतन राम मांझी का दल, सहित कई क्षेत्रीय नेता भी अपने दल के साथ आ सकते हैं। आंध्र प्रदेश की तेलुगुदेशम पाटी, उड़ीसा का बीजू जनता दल, तेलंगाना के टीआरएस, तमिलनाडु की द्रमुक, महाराष्ट्र की शिवसेना, शरद पवार की पार्टी,इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों के दल भी इस महागठबंधन में आ सकते हैं।Sunday, 22 April 2018
पृथ्वी तो हमारा घर है, हम ही उसे गंदा कर रहे हैं
नोएडा। सेक्टर 22 के चौड़ा गांव में गंदगी से परेशान लोगों ने पृथ्वी दिवस के अवसर पर रविवार सुबह स्वच्छता अभियान चलाया। इस अभियान में चौड़ा निवासियों ने अपनी समस्याओं को भी रखा।
रविवार को लिटिल एंजल एजुकेशनल सोसाइटी, नव ऊर्जा युवा संस्था, लालबहादुर शास्त्री ट्रेनिंग संस्थान व आतंकवाद विरोधी मोर्चा ने एकजुट होकर चौड़ा गांव में स्वच्छता अभियान चलाया। अभियान की शुरुआत नव ऊर्जा युवा संस्था के पुष्कर शर्मा, एंटी टेररिस्ट फ्रंट के पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रभारी राजेंद्र पंडित,लालबहादुर शास्त्री के डायरेक्टर रवि गोयल, लिटिल एंजल एजुकेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष राजेन्द्र जोशी द्वारा झाडू लगाकर की। इस दौरान नवउर्जा युवा संगठन की टीम ने नुक्कड़ नाटक कर ग्रामीण लोगों को गंदगी से हो रहे नुकसान के बारे में बताया। इस अभियान के बीच गांव के लोगों ने अपनी समस्याओं के बारे में भी बताया। उन्होंने नव ऊर्जा युवा संस्था से निवेदन किया कि उनके गांव में साफ-सफाई को लेकर प्राधिकरण काम नहीं कर रहा है। संस्था के द्वारा उनकी समस्याओं को प्राधिकरण तक पहुंचाया जाए। जिसपर संस्था के अध्यक्ष पुष्कर शर्मा ने आश्वासन दिया कि गांव की गंदगी से संबंधित सभी बातों को संस्था प्राधिकरण अधिकारियों तक पहुंचाने का काम करेगी। दीक्षा जोशी ने कहा कि आज चौड़ा गांव में सफाई कर्मी अपना काम कर रहे हैं लेकिन यहां के निवासी ही उनका साथ नहीं दे रहे हैं। इसलिये आज उनको जगाने का समय है। पृथ्वी ही हमारा घर है इसे गंदा करके हम अपने को गंदा कर रहे हैं। रवि गोयल ने इस काम के लिये सभी मौजूद युवाओं का धन्यवाद दिया और अपना श्रम दान किया। राजेंद्र पंडित ने कहा कि अभियान तो शुरुआत है लोगों को जगाने की यह हम सब का फर्ज है कि अपने घर अपने शहर अपने देश व अपनी पृथ्वी को साफ सुथरा रखें। जिससे आगे आने वाला भविष्य सुंदर व महकता हुआ हो। स्वच्छता अभियान का समापन सी ब्लॉक के बारात घर पर हुआ। इस दौरान नव ऊर्जा युवा संस्था के विपिन राठी, अनमोल सेहगल, विपिन लोहदी, राहुल पाठक, राहुल कुमार, अतुल चौधरी, जेपी पांडे, कपिल सौलंकी, अनीश, एकता सिंह, राकेश कुमार, सुधीर कुमार, आफताब आलम, रविन्द्र सिंह, मोहन शाह, अंकुश प्रजापति, हर्ष शर्मा, दीपंकर चौधरी, आशु भगत, दीपक गौतम समेत लिटिल एंजल स्कूल का स्टॉफ व लाल बहादुर शास्त्री के छात्र व स्टॉफ मौजूद थे।
रविवार को लिटिल एंजल एजुकेशनल सोसाइटी, नव ऊर्जा युवा संस्था, लालबहादुर शास्त्री ट्रेनिंग संस्थान व आतंकवाद विरोधी मोर्चा ने एकजुट होकर चौड़ा गांव में स्वच्छता अभियान चलाया। अभियान की शुरुआत नव ऊर्जा युवा संस्था के पुष्कर शर्मा, एंटी टेररिस्ट फ्रंट के पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रभारी राजेंद्र पंडित,लालबहादुर शास्त्री के डायरेक्टर रवि गोयल, लिटिल एंजल एजुकेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष राजेन्द्र जोशी द्वारा झाडू लगाकर की। इस दौरान नवउर्जा युवा संगठन की टीम ने नुक्कड़ नाटक कर ग्रामीण लोगों को गंदगी से हो रहे नुकसान के बारे में बताया। इस अभियान के बीच गांव के लोगों ने अपनी समस्याओं के बारे में भी बताया। उन्होंने नव ऊर्जा युवा संस्था से निवेदन किया कि उनके गांव में साफ-सफाई को लेकर प्राधिकरण काम नहीं कर रहा है। संस्था के द्वारा उनकी समस्याओं को प्राधिकरण तक पहुंचाया जाए। जिसपर संस्था के अध्यक्ष पुष्कर शर्मा ने आश्वासन दिया कि गांव की गंदगी से संबंधित सभी बातों को संस्था प्राधिकरण अधिकारियों तक पहुंचाने का काम करेगी। दीक्षा जोशी ने कहा कि आज चौड़ा गांव में सफाई कर्मी अपना काम कर रहे हैं लेकिन यहां के निवासी ही उनका साथ नहीं दे रहे हैं। इसलिये आज उनको जगाने का समय है। पृथ्वी ही हमारा घर है इसे गंदा करके हम अपने को गंदा कर रहे हैं। रवि गोयल ने इस काम के लिये सभी मौजूद युवाओं का धन्यवाद दिया और अपना श्रम दान किया। राजेंद्र पंडित ने कहा कि अभियान तो शुरुआत है लोगों को जगाने की यह हम सब का फर्ज है कि अपने घर अपने शहर अपने देश व अपनी पृथ्वी को साफ सुथरा रखें। जिससे आगे आने वाला भविष्य सुंदर व महकता हुआ हो। स्वच्छता अभियान का समापन सी ब्लॉक के बारात घर पर हुआ। इस दौरान नव ऊर्जा युवा संस्था के विपिन राठी, अनमोल सेहगल, विपिन लोहदी, राहुल पाठक, राहुल कुमार, अतुल चौधरी, जेपी पांडे, कपिल सौलंकी, अनीश, एकता सिंह, राकेश कुमार, सुधीर कुमार, आफताब आलम, रविन्द्र सिंह, मोहन शाह, अंकुश प्रजापति, हर्ष शर्मा, दीपंकर चौधरी, आशु भगत, दीपक गौतम समेत लिटिल एंजल स्कूल का स्टॉफ व लाल बहादुर शास्त्री के छात्र व स्टॉफ मौजूद थे।
Saturday, 21 April 2018
सबके लिए हो हम दो हमारे दो का कानून
नोएडा। सेक्टर 12-22 चौराहे पर भारत बचाओ महारथयात्रा को लेकर निकले सुरेश चौहान का स्वागत आतंकवदी विरोधी मोर्चा के राजेन्द्र पंडित ने किया। यह रथ यात्रा पूरे भारत भ्रमण पर निकली है। इस यात्रा का उद्देश्य भारत में हिन्दु-मुस्लिम जनसंख्या में संतुलन बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने हम दो हमारे दो सबके दो के लिए कानून बनाने की मांग की जा रही है। इस कानून को बनवाने की मांग के समर्थन में देश के कोने-कोने से लोगों से हस्ताक्षर कराये जा रहे हैं। इन हस्ताक्षरों वाला ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा जाएगा। राजेन्द्र पंडित ने कहा कि इस रैली का उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग है। इस तरह की रैली से लोगों के अंदर जागरूकता पैदा होगी।
खेलकूद से कम होता है तनाव
ग्रेटर नोएडा। आईटीएस डेंटल कॉलेज, ग्रेटर नोएडा में 18 से 20 अप्रैल तक बीडीएस
के छात्रों हेतु तीन दिवसीय खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में क्रिकेट,
वॉलीबॉल, बास्केट बॉल, खो-खो, टेबल टेनिस, चैस, कैरम, दौड़, रस्साकसी आदि खेलों का
आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में संस्थान के सभी छात्र-छात्राओंं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।।
इस अवसर पर छात्रों को सम्बोधित करते हुए संस्थान के निदेशक-प्रधानाचार्य डॉ. अक्षय
भार्गव ने कहा कि खेल-कूद से तन के साथ-साथ मन का भी विकास होता है तथा इससे
पढ़ाई के बोझ तले दबे छात्रेां का तनाव भी काफी कम होता है। अपने सर्वांगीण विकास हेतु
हर छात्र को अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। इस अवसर पर डॉ. भार्गव ने गत वर्ष में हुई विश्वविद्यालय की परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले छात्रों को नगद धनराशि तथा उपयोगी किताबों के साथ-साथ प्रशस्ति पत्र दकर सम्मानित किया। संस्थान में हुई तीन दिवसीय प्रतियोगिताओं में खो-खो, क्रिकेट, वॉलीबॉल में जहां बीडीएस 2013 के छात्रों ने अपने प्रदर्शन से बाजी मारी वहीं थ्रो बॉल, बास्केट बॉल में बीडीएस 2014 के छात्र अव्वल रहे तो दौड़ और कैरम में बीडीएस 2015 के छात्रों का
वर्चस्व देखने को मिला। इस अवसर पर संस्थान के डीन डॉ. सचितआनंद अरोड़ा ने कहा कि खेलकूद से छात्रों के एक टीम के रूप में काम करने की सीख मिलती है तथा उनका डर और भय भी दूर होता है जिससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
के छात्रों हेतु तीन दिवसीय खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में क्रिकेट,
वॉलीबॉल, बास्केट बॉल, खो-खो, टेबल टेनिस, चैस, कैरम, दौड़, रस्साकसी आदि खेलों का
आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में संस्थान के सभी छात्र-छात्राओंं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।।
इस अवसर पर छात्रों को सम्बोधित करते हुए संस्थान के निदेशक-प्रधानाचार्य डॉ. अक्षय
भार्गव ने कहा कि खेल-कूद से तन के साथ-साथ मन का भी विकास होता है तथा इससे
पढ़ाई के बोझ तले दबे छात्रेां का तनाव भी काफी कम होता है। अपने सर्वांगीण विकास हेतु
हर छात्र को अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। इस अवसर पर डॉ. भार्गव ने गत वर्ष में हुई विश्वविद्यालय की परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले छात्रों को नगद धनराशि तथा उपयोगी किताबों के साथ-साथ प्रशस्ति पत्र दकर सम्मानित किया। संस्थान में हुई तीन दिवसीय प्रतियोगिताओं में खो-खो, क्रिकेट, वॉलीबॉल में जहां बीडीएस 2013 के छात्रों ने अपने प्रदर्शन से बाजी मारी वहीं थ्रो बॉल, बास्केट बॉल में बीडीएस 2014 के छात्र अव्वल रहे तो दौड़ और कैरम में बीडीएस 2015 के छात्रों का
वर्चस्व देखने को मिला। इस अवसर पर संस्थान के डीन डॉ. सचितआनंद अरोड़ा ने कहा कि खेलकूद से छात्रों के एक टीम के रूप में काम करने की सीख मिलती है तथा उनका डर और भय भी दूर होता है जिससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
Friday, 20 April 2018
नन्हें बच्चों ने नन्हें पौधे लगाकर दिया बड़ा संदेश
नोएडा। सेक्टर 22 स्थित लिटिल एंजलस प्ले एंड नर्सरी स्कूल में शुक्रवार को पृथ्वी बचाओ पेड़ लगाओ का संदेश नन्हें बच्चों ने दिया। प्ले, नर्सरी व केजी के विद्यार्थियों ने सभी को पेड़ लगाओ, पृथ्वी बचाओ का संदेश पौधा लगाकर दिया। वर्तमान में पेड़ों की संख्या जिस तरह कम हो रही है उस पर भी प्रकाश डाला गया।
विश्व पृथ्वी दिवस के पूर्व लिटिल एंजलस के छात्र व छात्राओं ने अपने नन्हें हाथों से पौधे लगाये और उन्हें बड़ा करने का प्रण लिया। इसी के साथ अपने परिजनों को बच्चों ने पौधे लगाओ पृथ्वी बचाओ, पृथ्वी को बचाना है घर-घर में पौधे लगाना है आदि के नारे से पर्यावरण बचाओ का संदेश दिया गया। स्कूल की प्राचार्य दीक्षा जोशी ने बच्चों को कलात्मक तरीके से पृथ्वी पर कम हो रही पेडों की संख्या के दुष्परिणाम से अवगत करवाया। उन्होंने सभी बच्चों को बताया कि हर घर मे पौधे लगाओ और उनकी देखभाल करो। क्योंकि पृथ्वी पर समय के साथ-साथ सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। स्कूल इस कार्यक्रम में स्कूल की प्रधानाचार्य समेत अध्यापक अमीता पुंधीर, अजीमा खातून व चांदनी ने अपना सहयोग दिया।
नवाब सिंह नागर ने महिलाओं को बांटे मुफ्त गैस कनेक्शन
नोएडा। प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी की प्रधानमंत्री उज्ज्वला पंचायत के तहत कासना स्थित सिद्धी गैस एजेन्सी पर लगभग 100 महिला उपभोक्ताओं को गैस सिलैण्डर वितरित किये गये। कायज़्क्रम में प्रदेश उपाध्यक्ष नवाब सिंह नागर व जिलाअध्यक्ष विजय भाटी द्वारा गैस सिलेण्डर लोगों को वितरित कराये गये। इस अवसर पर नवाब सिंह नागर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह संकल्प रहा है कि गरीबों को परेशानी से मुक्ति दिलायें, उनके पैरों पर खड़ा करेंगे और हर संभव सहारा दिया जाये। इसी भावना से अब तक देश में साढ़े तीन करोड एलपीजी कनेक्शन दिये गये हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार का लक्ष्य 8 करोड परिवारों को लाभ देने का है। रसोई गैस पर सबसीडी का ख्दुरूपयोग भी अब बंद हो गया है। पहले गैस एजेंसियां इसका दुरूपयोग करती थी और अब सबसीडी सीधे उनके खाते में जाती है। आज के कायज़्क्रम में ब्रहम सिंह, चमन सिंह, राजे, हरकिशन, शास्त्री जी, धमज़्वीर सिंह, अन्नु कटारिया आदि मौजूद थे।
गुर्जर समाज को पर्याप्त सम्मान मिलेगा:महेन्द्र नाथ पांडे
नोएडा। गुरूवार सुबह गुजज़्र समाज का एक प्रतिनिधिमंडल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डे से उनके निवास स्थान पर मिला। मुलाकात के दौरान समाज के लोगों ने महेन्द्र नाथ का नवाब सिंह नागर को प्रदेश अध्यक्ष व अशोक कटारिया को एमएलसी सदस्य नियुक्त करने पर धन्यवाद दिया। इसी के साथ समाज के लोगों ने हाईकमान से मांग की कि समाज को सरकार में उच्च प्रतिनिधत्व दिया जाये। उन्होंने कहा कि समाज की ओर से लोकसभा व विधानसभा चुनाव में पाटीज़् को भारी समथज़्न दिया है। इस पर महेन्द्र नाथ ने कहा कि पाटीज़् समाज को उचित सम्मान देगी। इसी के साथ हमेशा की तरह आगे भी पाटीज़् समाज से पूरे सहयोग की अपेक्षा रखती है। प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से लज्जाराम, भाटी, प्रधान श्यामवीर भाटी, करतार सिंह नागर, रामकलानागर, जितेन्द्र, मदन मुकददम, महेश चंद नागर, रणवीर सिंह, सुनील भाटी, अमित भाटी, सतेन्द्र नागर, राजेन्द्र कसाना, गजेन्द्र मावी, सुरेन्द्र भाटी, रिन्कू नंबरदार, उदयवीर सिंह, राकेश पासी, कुलदीप नागर, सोने कसाना, उज्जवला सिंह, कणज़् सिंह प्रधान आदि संख्या में लोग मौजूद थे।
Monday, 2 April 2018
आज भी सबसे बड़ा कद है पं. महेन्द्र कुमार आर्य का
सम्मान की झलक बताती है कि आजभी सबसे बड़ा कद है पं. महेन्द्र कुमार आर्य का। पं. महेन्द्र कुमार आर्य, आर्य समाज मंदिर के 20 वर्षों तक प्रधान रहे और इन 20 वर्षों में सूरजपुर का नाम पूरे जनपद ही नहीं देश के अनेक प्रदेशों की आर्य समाज संस्थाओं में रोशन करते रहे हैं। बढ़ती उम्र के चलते उनके सहयोगियों ने अपना कंधा लगाया और आर्य समाज मंदिर को आगे बढ़ाने का काम किया। संस्था के वर्तमान उप प्रधान पं. मूलचंद शर्मा और मंत्री पं. शिवकुमार आर्य और कोषाध्यक्ष पं. शिवदत्त आर्य और ऑडिटर पं. शिवकुमार आर्य अपने सहयोगियों के साथ अपने अथक परिश्रम से संस्था को निरंतर प्रगति की ओर ले जा रहे हैं। इन सबके बावजूद जहां सम्मान की बात आती है। इस संस्था के पदाधिकारियों की अपनी अनूठी परंपरा है। पं. महेन्द्र कुमार आर्य के प्रधान पद से अवकाश लिए हुए कई वर्ष बीत चुके हैं किन्तु आज जब सम्मान की बात आई तो मुख्य अतिथियों पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर व दादरी विधायक मास्टर तेजपाल सिंह नागर का सम्मान उन्हीं पंंडित महेन्द्र कुमार से कराया। इस अवसर पर संस्था के उप प्रधान पं. मूलचंद शर्मा और मंत्री पं. धर्मवीर आर्य ने प्रसन्नता जता कर यह बता दिया कि पद कोई मायने नहीं रखता। पद तो संस्था को चलाने के लिए होता है। सम्मान अपनी जगह होता है।
आर्य समाज मंदिर सूरजपुर के वार्षिकोत्सव में पधारीं दिग्गज हस्तियां
आर्य समाज मंदिर सूरजपुर के 56 वे वार्षिकोत्सव पर रविवार सुबह की बेला में यज्ञ प्रवचन हुए और दोपहर की सभा में मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर व दादरी विधायक मास्टर तेजपाल नागर रहे। मुख्य अतिथि श्री नागर ने कहा कि आर्य समाज समाज को सही दिशा दिखाने का काम करता है इसलिए हमें आर्य समाज की बातों का अनुसरण करना चाहिए । इस अवसर पर दादरी विधायक मास्टर तेजपाल नागर ने कहा कि आर्य समाज मानव कल्याण के लिए कार्य करता है इसलिए आर्य समाज वंदनीय हैं ।आर्य समाज की बात तर्क की कसौटी पर सही साबित होती है हमें वेद उपनिषद ग्रंथ पढऩे चाहिए जिससे हमारा और मानव समाज का कल्याण हो सके। वार्षिक उत्सव में आए गुरुकुल गढ़मुक्तेश्वर से पधारे स्वामी धर्मेश वा नंद जी ने कहा कि आर्य समाज वेद का प्रचार करता है हमारी भारतीय संस्कृति के मूल आधार वेद हे वेद के पढऩे पढ़ाने से विश्व के मानव जाति का कल्याण होगा वेद मंत्रों के साथ यज करने से मन वातावरण पर्यावरण शुद्ध होता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से जिला उप प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष वीरेश भाटी, मंत्री पंडित शिवकुमार आर्य, पंडित महेंद्र कुमार आर्य, प्रधान रतनलाल आर्य, पं. मूलचंद शर्मा,मंत्री पंं. धर्मवीर आर्य, पं. शिवदत्त आर्य, सतपाल आर्य,रविंदर आर्य ,जय देव शर्मा, भूदेव शर्मा , पं. कर्मवीर आर्य, भजन उपदेशक वहन अंजलि आर्य, पंडित नर देब आर्य,स्वामी देवानंद आर्य, हरि शर्मा, सतपाल शर्मा, सुनील सोनक ,मानक चंद शर्मा,वीरेंद्र शास्त्री, राम भज आर्य, भूपेंद्र आर्य,ओम प्रकाश शर्मा, विनोद शर्मा ,विजेंद्र मुद्गल, सुरेश शर्मा, अनिल आर्य ,विजेंद्र सिंह आर्य,कमल सिंह आर्य, धर्मवीर प्रधान आदि सैकड़ों आर्य समाज के पदाधिकारी व सैकड़ों गांव के लोग मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
Thursday, 15 March 2018
Bring in greater transparency, ethical corporate behavior and enhanced accountability into our corporate governance system: Vice President
The Vice President of India, M. Venkaiah Naidu has said that bring-in greater transparency, ethical corporate behavior and enhanced accountability into our corporate governance system. He was addressing the inaugural session of the 58th National Cost Convention of Institute of Cost Accountants of India, here today.
He further said that talking about the role of professional bodies like ICAI must be in the forefront in the fight against fraud and corruption. You can help bring in greater transparency, ethical corporate behavior and enhanced accountability into our corporate governance system, he added.
The Vice President called on CMA professionals can expedite FDI by effective valuation of assets, liabilities, stocks, properties to facilitate investors to make the right financial decisions and fulfill regulatory obligations. Introduction of GST and the inclusion of anti-profiteering clause in the act, made it mandatory to pass on the benefit of tax reduction or input tax credit to the final customer, he added.
The Vice President said that India is currently reviewing and simplifying laws and procedures and the ease of doing business index has become a popular tool for governments to show that they offer a favorable investment climate for private businessmen. He further said that goal of the youth should be to achieve excellence in their chosen fields and everyone’s aim and goal over the next five years should be to usher in the positive changes that make India an inspiration for other countries. The year 2022 is truly significant as it happens to be the 75th anniversary of India’s independence, he added.
Vice President suggests six possible drivers of income for farmers’ growth
The Vice President of India Mr.M. Venkaiah Naidu has said that bring-in greater transparency, ethical corporate behavior and enhanced accountability into our corporate governance system. He was addressing the inaugural session of the 58th National Cost Convention of Institute of Cost Accountants of India, here today. The Minister of State for Law & Justice and Corporate Affairs Mr. P.P. Chaudhary and other dignitaries were present on the occasion.
The Vice President said that no true development can be said to be meaningful unless it incorporates the needs of the farming sector. He suggested six possible drivers of income for farmers’ growth, stating that sincere implementation of such measures would double farmers’ income by 2022:
Diversification of farm activities towards high-value crops and enterprises.
Improving irrigation facilities to double productivity. Better price realization for farmers through competitive markets, value chains and improved linkage between field and fork. Improvement in the terms of trade for agriculture. Technology up gradation. Shifting cultivators from farming to non-farm occupations.
The Vice President said that government of India is taking measures to double their income by 2022 adding that food security is one of India’s top policy priorities and doubling of farmers’ real income is the need of the hour.
The Vice President said that no true development can be said to be meaningful unless it incorporates the needs of the farming sector. He suggested six possible drivers of income for farmers’ growth, stating that sincere implementation of such measures would double farmers’ income by 2022:
Diversification of farm activities towards high-value crops and enterprises.
Improving irrigation facilities to double productivity. Better price realization for farmers through competitive markets, value chains and improved linkage between field and fork. Improvement in the terms of trade for agriculture. Technology up gradation. Shifting cultivators from farming to non-farm occupations.
The Vice President said that government of India is taking measures to double their income by 2022 adding that food security is one of India’s top policy priorities and doubling of farmers’ real income is the need of the hour.
New App for your security
This App will provide smooth interface between Citizens and Police
The National Crime Records Bureau (NCRB) celebrated its 33rd Inception Day and released “Citizen Services” Mobile App. Mr. Rajiv Jain, Director, IB was the Chief Guest and Dr. A.P. Maheshwari, DG, BPR&D was the Guest of Honour on this occasion.NCRB has introduced a Mobile App template, which is a bouquet of 9 police related services, for the citizen. These services will provide smooth interface between Citizens and Police. States/UTs upon customization can host this App on their CCTNS platform through which citizens can register Police Complaint, and can check the Status of their complaint. Another feature of the App also enables a complainant to download FIR (except those categorized as "Sensitive").
Clicking SOS button of the App, automatically sends an emergency SMS to friends and family with user’s current location. Locate Police Station feature helps a citizen to locate nearby police station details and route to approach using GPS technology. Emergency Contact List provides helpline numbers, which are useful during emergency or regular services like Fire Brigade, Ambulance, Medical Emergency, Women Helpline, Railway Helpline and Child Helpline. Any citizen can anonymously inform Police about any suspicious/anti-social activities using Citizen Tip feature. Using Telephone Directory feature, Citizen can view detail of any police station in a district for particular State. Vahan Samanvay stolen vehicle Registration feature is helpful to the public, Road Transport Authorities, and Insurance agencies, to verify the status of stolen/recovered vehicles, before purchase, re-registration, claim settlement etc.. Talash/ Missing Person (Lost persons Registration) a web link in the App to provide a link to NCRB website displaying missing persons/ unidentified dead bodies and unidentified persons.
The App is developed by in house team of NCRB and as per the compliance of MeitY directions, the Mobile App was tested & certified by CERT-In empanelled Company. The App is being released to States/UTs for utilization at field levels.
Tuesday, 6 March 2018
मिशन 2019:इंद्रप्रस्थ राज्य के गठन का तानाबाना शुरू
उत्तर प्रदेश का पश्चिमी क्षेत्र, हरियाणा,उत्तरांचल के हिस्से दिल्ली में जाना तय
भाजपा सरकार का तीर एक होगा और निशाने होंगे कई
नई दिल्ली। ्रइंद्रप्रस्थ राज्य के गठन का ताना-बाना शुरू हो गया है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो उत्तर प्रदेश का यह पश्चिम क्षेत्र, उत्तरांचल, हरियाणा और दिल्ली में जाना तय है। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की कवायद शुरू हो चुकी है। दिल्ली को इंद्रप्रस्थ नाम से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। योजना यदि परवान चढ़ी तो एक तीर से कई निशाने साधे जाएंगी और जिससे पश्चिम में हाईकोर्ट बैंच समेत कई मुद्दे यों ही हल हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश देश का हृदय स्थल माना जाता है। यही कारण है कि देश की राजनीतिक के दरवाजे या, यों कहें केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर गुजरता है। इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू समेत ज्यादातर प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश ने ही तो दिए हैं। यह बात अलग है कि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से हैं मगर केंद्रीय राजनीति में आने से पहले संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश के बनारस को ही चुना। किंतु आजादी के इतने वर्षों भी जिस प्रकार उत्तर प्रदेश का विकास होना चाहिए था वास्तव में नही हुआ और यहां पिछड़ापन आज भी नासूर बना हुआ है। उत्तरांचल का गठन हुआ तो वो विकास के रास्ते पर बढ़ चला। उत्तर प्रदेश को फिर चार हिस्सों में बांटने की बात चली किंतु राजनीतिक वर्चस्व के आगे सब कुछ जस का तस ही रहा। यहां बात करते हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जितना राजस्व राज्य को मिलता है किसी दूसरे हिस्से से उतना नही मिलता। किंतु कैपिटल लखनऊ है, हाईकोटज़् इलाहाबाद है अर्थात पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हर चीज के लिए पूर्वी क्षेत्र का मुंह ताकना ही पड़ता है। हाईकोर्ट बैंच पश्चिमी में स्थापित किए जाने की मांग एक लंबे अरसे से की जा रही है और इसके लिए वकील आज भी आंदोलनरत हैं। कोई भी सरकार चाह कर भी हाईकोर्ट बैंच पश्चिमी में लाने के लिए आज तक रूचि नही दिखा पाई है कारण बिल्कुल साफ है कि पूर्वी क्षेत्र के आगे पश्चिमी क्षेत्र का राजनीतिक कद बौना ही है। अब इन सारी चीजों की एक ही चाबी दिखाई दे रही है, और वह है, दिल्ली का विस्तार कर उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना। सूत्रों की मानें तो इस बात की कवायद शुरू भी हो चुकी है। भाजपा केंद्र के साथ- साथ उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, हरियाणा और राजस्थान में भी सत्ता पर काबिज है। इन कुछ राज्यों के साथ लोकसभा चुनाव भी सिर पर हैं। एक से एक बढ ़कर बैंक घोटाले यानी बैंकों का कर्ज लेकर जिस तरह से माल्या और मोदी बंधु विदेश भाग चुके हैं मोदी सरकार के लिए लोकसभा चुनावों में अग्नि परीक्षा की घड़ी साबित हो सकती है। इसलिए इस ओर से ध्यान हटाने के लिए मोदी सरकार को कुछ नया करना होगा। भाजपा के उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो इंद्रप्रस्थ राज्य उसी कड़ी का एक हिस्सा माना जा रहा है और जिसका ताना-बाना बुना जाना भी शुरू हो चुका है। राज्य पुर्नगठन आयोग के सूत्रों की मानें तो इस नई योजना को परवान चढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश से सहारनपुर को उत्तरांचल में भेजा जाना है। सहारनपुर चूंकि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है उत्तरांचल में जाने से सपा को एक करारा झटका लगेगा। वहीं शामली और मुजफ्फरनगर जाट बाहुल्य क्षेत्र हैं यदि यह क्षेत्र हरियाणा में शामिल हो जाएगा तो छोटे चौधरी अजित सिंह की राजनीति पर ग्रहण लगना तय है। अब बात आती है कि मेरठ, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर की तो इस क्षेत्र को दिल्ली में शामिल किए जाना है। इससे कई फायदे होंगे एक तो हाईकोर्ट बैंच की मांग जो, प्रमुख रूप से यहीं उठ रही है समाप्त हो जाएगी क्योंकि कैपिटल दिल्ली मिल जाएगा जिससे हाईकोर्ट और कई तरह की नई सुविधाएं मिल जाएंगी। यदि दिल्ली का विस्तार इंद्रप्रस्थ राज्य के रूप में होता है तो फिर बुलंदशहर, बागपत और वहीं हरियाणा से दिल्ली के समीपवतीज़् क्षेत्र फरीदाबाद, गुडगांव, सोनीपत आदि भी शामिल किए जा सकते हैं। इससे दूसरा सबसे बडा फायदा भाजपा को यहहोगा कि मेरठ, गाजियाबाद,गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर जो बसपा का गढ रहा है पूरी तरह से ढह जाएगा। हालांकि मोदी लहर के बाद यह समूचा क्षेत्र आज भी भाजपा के पास है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की राह मुश्किल हो जाएगी। किंतु इंद्रप्रस्थ राज्य के लिए नकरात्मक पहलू यह है कि हरियाणा से फरीदाबाद और गुडगांव तथा उत्तर प्रदेश से गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद तथा मेरठ यदि चले गए तो फिर विकास का क्या ोित्र रह जाएगा? इन औद्योगिक क्षेत्रों की बदोलत ही तो पूंजीनिवेश की संभावनाएं है। उत्तर प्रदेश में निवेश का जितना माहौल मिला है गौतमगबुद्धनगर, गाजियाबाद के कारण है। चूंकि गौतमबुद्धनगर में जेवर इंटरनेशल एयरपोटज़् बनाया जाना है ऐसे में उत्तर प्रदेश कदापि नही चहेगा कि इस तरह के विकास ोित्र क्षेत्र किसी दूसरे राज्य में चले गए। किंतु यदि इंद्रप्रस्थ राज्य का ताना बाना फाइनल हुआ तो मोदी सरकार के सामने सब बेबस होंगे।Thursday, 22 February 2018
U,P is the great consumer market in the world:President
The President of India, Ram Nath Kovind, graced and addressed the concluding session of the UP Investors Summit Thursday in Lucknow. President said that Uttar Pradesh is a state teeming with talented young people. It comprises one of the largest workforces, as well as consumer markets, not only in India but anywhere in the world. It is home to some of India’s finest institutions of higher education, such as IIT Kanpur, IIM Lucknow, Banaras Hindu University, Allahabad University and so many others. This talent pool and this energy give Uttar Pradesh the base to become an economic powerhouse. They make it an irresistible destination for investors.
The President said that the recent period has been one of enormous economic changes for India – of soaring aspirations and achievements. The introduction of the Goods and Services Tax has been a milestone. It has broken down barriers between states. It has provided a boost to the creation of a common market and a more formal economy. Filing of taxes under GST has been made progressively smoother. The switch from cash to digital payments has been notable and has created new opportunities. The simplification of procedures for tax payers, business-persons and investors has led to India making significant advances in Ease of Doing Business. The opening of more and more sectors to greater private and global investment has also drawn appreciation. As a consequence of this, there has been a sharp rise in FDI in the past three years – from US$ 36 billion in 2013-14 to US$ 60 billion in 2016-17.
The President said that the economic future of India is being written by states and state governments, such as that of Uttar Pradesh.The President said that the Uttar Pradesh government has shown determination in providing a facilitative environment for business and for investors. The ‘Nivesh Mitra’ single-window-portal has made it easier to start an enterprise in the state. The state government has begun implementing the ‘Business Reform Action Plan 2017’ as per the union government's suggestions.
The President said that the recent period has been one of enormous economic changes for India – of soaring aspirations and achievements. The introduction of the Goods and Services Tax has been a milestone. It has broken down barriers between states. It has provided a boost to the creation of a common market and a more formal economy. Filing of taxes under GST has been made progressively smoother. The switch from cash to digital payments has been notable and has created new opportunities. The simplification of procedures for tax payers, business-persons and investors has led to India making significant advances in Ease of Doing Business. The opening of more and more sectors to greater private and global investment has also drawn appreciation. As a consequence of this, there has been a sharp rise in FDI in the past three years – from US$ 36 billion in 2013-14 to US$ 60 billion in 2016-17.
The President said that the economic future of India is being written by states and state governments, such as that of Uttar Pradesh.The President said that the Uttar Pradesh government has shown determination in providing a facilitative environment for business and for investors. The ‘Nivesh Mitra’ single-window-portal has made it easier to start an enterprise in the state. The state government has begun implementing the ‘Business Reform Action Plan 2017’ as per the union government's suggestions.
सरकारी और रेलवे की बम्पर नौकरियां
एयर इण्डिया एक्सप्रेस लिमिटेड द्वारा
पद का नाम : प्रबंधक फ्लाइट, वरिष्ठ अधिकारी, सहायक तकनीकी लाइब्रेरी इत्यादि हेतु आवश्यकता
रिक्तियों की संख्या : 21
अंतिम दिनांक 2.03.2018
जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान को
पद का नाम : प्रोफेसर, अति. प्रोफेसर, एसोशिएट प्रोफेसर आदि हेतु भर्तियाँ
रिक्तियों की संख्या : 52
अंतिम दिनांक :16.03.2018
रेलवे भर्ती बोर्ड्स, रेलवे मंत्रालय
पद का नाम : विभिन्न पदों हेतु प्रस्ताव करता है
रिक्तियों की संख्या : 62907
अंतिम दिनांक :13.03.2018
आई.डी.बी.आई बैंक द्वारा
पद का नाम : कार्यकारियों की आवश्यकता
रिक्तियों की संख्या : 760
अंतिम दिनांक :28.02.2018
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा
पद का नाम : सहायक प्रबंधक, कनिष्ठ इंजीनियर, सहायक प्रोग्राम, सहायक प्रबंधक इत्यादि हेतु भर्तियाँ
रिक्तियों की संख्या : 1896
अंतिम दिनांक :26.02.2018
विस्तृत जानकारी रोजगार समाचार में देखें
पद का नाम : प्रबंधक फ्लाइट, वरिष्ठ अधिकारी, सहायक तकनीकी लाइब्रेरी इत्यादि हेतु आवश्यकता
रिक्तियों की संख्या : 21
अंतिम दिनांक 2.03.2018
जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान को
पद का नाम : प्रोफेसर, अति. प्रोफेसर, एसोशिएट प्रोफेसर आदि हेतु भर्तियाँ
रिक्तियों की संख्या : 52
अंतिम दिनांक :16.03.2018
रेलवे भर्ती बोर्ड्स, रेलवे मंत्रालय
पद का नाम : विभिन्न पदों हेतु प्रस्ताव करता है
रिक्तियों की संख्या : 62907
अंतिम दिनांक :13.03.2018
आई.डी.बी.आई बैंक द्वारा
पद का नाम : कार्यकारियों की आवश्यकता
रिक्तियों की संख्या : 760
अंतिम दिनांक :28.02.2018
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा
पद का नाम : सहायक प्रबंधक, कनिष्ठ इंजीनियर, सहायक प्रोग्राम, सहायक प्रबंधक इत्यादि हेतु भर्तियाँ
रिक्तियों की संख्या : 1896
अंतिम दिनांक :26.02.2018
विस्तृत जानकारी रोजगार समाचार में देखें
Wednesday, 21 February 2018
many jobs in bank and govt sector
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Name Of Post : Various Post | ||
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Name Of Post : Executives | ||
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Name Of Post : Apprentices | ||
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Name Of Post : Specialist Officers in Scale I, II and IV | ||
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Name Of Post : Assistant Manager, Junior Engineer, Assistant Manager etc | ||
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Name Of Post : Maintenance Assistant, Electrician Grade III, HEM Mechanical grade III etc | ||
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