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Sunday, 12 October 2014

सच्ची लगन से मिलती है कामयाबी : नागर

कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफ जई को मिले संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार पर प्रधानाचार्य तेजपाल सिंह नागर की प्रतिक्रिया
गे्रटर नोएडा (ब्यूरो)। अधिकांश लोगों की यह आदत होती है कि अपनी किसी परेशानी के लिए वे खुद को जिम्मेदार नहीं मानते हैं बल्कि परिस्थितियों या दूसरे लोगों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। सच तो यही है कि अपनी असफलता के लिए दूसरों को दोषी मानन या तर्क विर्क करना बेमानी है, इससे हमारा ध्यान लक्ष्य से भटकता है और हमारी सोच सकारात्मक नहीं रह पाती है।
यह विचार श्रीसंत विनोबा इंटर कालेज बैदपुरा के प्रधानाचार्य तेजपाल सिंह नागर ने श्री कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की बालिका सुश्री मलाला यूसुफ जई को मिले संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार पर अपनी प्रतिक्रिया के रूप में व्यक्त किए हैं।
सफलता के आंकलन के लिए श्री नागर का कहना है कि अपनी योग्यता पर भरोसा रखें और उसे तराशने के लिए प्रयत्नशील रहें,ताकि आप अपनी शारीरिक,मानसिक, सामाजिक, आर्थिक अथवा व्यावसायिक सफलता को प्राप्त कर सकें। उनका मानना है कि यहद आप को जीवन में सफलता चाहिए तो अपनी कुशलता को निखारने का जोखिम लेते रहना होगा। इस बारे में श्री नागर का कहना है कि जीवन में हम हर पल जोखिम उठाते ही रहते हैं, रेल हो या सड़क मार्ग पर यात्रा करते वक्त  क्या हम रिस्क नहीं लेते तो क्या हम यात्रा करना बंद कर देते हैं। खेलने-खाने से लेकर जीवन के हर कम में रिस्क है,कही थोड़ा कम तो कहीं ज्यादा। इसी तरह परीक्षाओं में लाखों विद्यार्थी शामिल होते हें जबकि सफलता कुछ को ही मिलती है,तो क्या हम परीक्षा में शामिल होना बंद कर देते हैं? ऐसा नहीं बल्कि वास्तव में हमें किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करनी होती है तो हमें रिस्क लेना ही होता है और इससे ही लाभ मिलता है। इसके साथ ही श्री नागर ने अपने विचार में कहा कि यदि जीवन में कुछ कर दिखाना हो तो कंफर्ट जोन से बाहर ही आना होगा और अपने सामान्य रूटीन में बदलाव करना होगा तभी कुछ हासिल होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब कोई वस्तु खरीदते हैं तो उसके लिए कीमत चुकानी होती है। इसी तरह लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आपको मेहनत,प्रयास और रिस्क के रूप में कीमत चुकानी पड़ती है। सफलता प्राप्त करने के लिए आपको अपनी रणनीति बनानी होगी, उसके अनुसार काम करन होगा। विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानने का दृढ़ निश्चय करना होगा। उन्होंने बताया कि विश्व में जितने भी महान लोग हुए हैं, उनके जीवन दर्शन में हमें यही दिखाई देता है।

ठेकेदारों पर टीडीएस कटने के संबंध में नियम

कोई भी निवासी ठेकेदार, कोई काम करे या किसी काम के लिए या श्रम की पूर्ति करने के लिए प्रतिफल में किए गए भुगतानों के संबंध में आय करें तो टीडीएस की कटौती उदगम स्थान करनी चाहिए।
1. जब किसी ठेकेदार द्वाराएक बार में 30,000 रुपये से अधिक का बिल दिए जाने पर भुगतान करते समय टीडीएस काटना चाहिए।
2. ठेकेदार यदि इन्डीविजुअल या एचयूएफ है तो 1 प्रतिशत टीडीएस काटा जाए।
3. यदि ठेकेदार कोई पार्टनरशिप फर्म,कंपनी,समिति,प्राइवेट कंपनी आदि के माध्यम से कार्य करता है तो भुगतान करते समय 2 प्रतिशत टीडीएस काटने के पश्चात शेष राशि का चैक अथवा ऑन लाइन पेमेन्ट करनी चाहिए।
4. एक वर्ष में ठेकेदार के सभी बिलों को जोड़कर 75,000 रुपये से कम होने पर टीडीएस नहीं काटा जाए। अर्थात एक बिल 30,000 रुपये से अधिक अथवा सभी बिलों का योग 75,000 रुपये से अधिक होने पर ही 1 प्रतिशत इंन्डीविजुअल ठेकेदार अथवा अन्य के केस में 2 प्रतिशत टीडीएस काटा जाए।
आयकर अधिनियिम की 1961 की धारा 197 (1) में टीडीएस की दर कम करने का प्रावधान है बशर्ते कर निर्धारण अधिकारी आपके कर अदायगी को लेकर संतुष्ट हो।
ठेकेदार अपना पैन नंबर कर काटने वाले व्यक्ति को बताना चाहिए। यदि ठेकेदार अपने पैन नंबर को नहीं बताता है तो टीडीएस 20 प्रतिशत तक काटा जा सकता है। बैंक द्वारा दिए गए ब्याज पर टीडीएस काटने के संबंध में नियम: यदि आपके खाते में जमा रकम पर ब्याज की रकम 10,000 रुपये से अधिक होती है तो ऐसी परिस्थिति में बैँक ब्याज की राशि का 10 प्रतिशत टीडीएस काट लेगा।
यदि आपको अपने ब्याज पर 10 प्रतिशत टीडीएस की राशि काटने से बचाने के लिए बैँक में एक फर्म 15 जी जमा करना होगा।
अन्यथा बैँक आपके ब्याज में से 10 प्रतिश और 10 प्रतिशत का तीन प्रतिशत हिस्सा काट कर शेष राशि को आपके खाते में दिखाएगा।
Atul Sharma, ICA, M.com. Surajpur, Gr. Noida

आईटीएस कालेज में पॉवर सेक्टर पर लेक्चर आयोजित

ग्रेटर नोएडा। आईटीएस इंजीनियरिंग कालेज के इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक विभाग ने वास्टनेस एण्ड अपार्टुनिटी इन पॉवर सेक्टर इन करेन्ट सेनेरियो पर एक लेक्चर कराया। इस भाषणमाला के मुख्य वक्ता सीईआरसी दिल्ली के डिप्टी चीफ इंजीनियरिंग श्री विक्रम सिंह थे।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि ईईई विभाग के निदेशक व विभागाध्यक्ष ने की। इसके साथ मुख्य अतिथि के जीवन के बारे में बताया गया। श्री विक्रम सिंह सेन्ट्रल इलेक्ट्रिकल रेगुलेटरी कमीशन में डिप्टी चीफ इंजीनियरिंग पद पर कार्यरत हैं। वह सेंट्रल पॉवर इंजीनियरिंग सर्विस कैडर आफिसर हैं। श्री विक्रम ने अपनी मास्टर डिग्री इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में की और वह दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए हैं। श्री सिंह इनर्जी मैनेजमेंट एण्ड प्लानिंग ट्रेंड हैं। इस समय उनका कार्य डिटरमिनेशन ऑफ टैरिफ आफ द आईएसटीएस ओपन ऐसस को संभालना, आईएसटीएस से जुड़ाव,ग्रिड कोड,प्वाइंट आफ कनेक्शन एण्ड कंजेशन मैनेजमेंट से संबंधित कार्य है।
कार्यक्रम में उन्होंने प्रशंसाजनक लेक्चर दिया। ऊर्जा को ट्रांसमिट, उत्पन्न एवं वितरण का अवसर बताया। उसके बाद उन्होंने बताया कि कैसे हम प्लान करके विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को अपनी जरूरत के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
उनका मुख्य उददेश्य छात्रों को इस विभाग के बारे में विस्तृत जानकारी देना था। अंत में विभागाध्यक्ष ने छात्रों व संकाय सदस्यों का आभार जताया। ईईई विभाग के आईएन राव और पियूष चौबे ने भी कार्यक्रम में अपना अमूल्य सहयोग दिया।

हर सांसद तीन गांवों में बुनियादी ढांचा अवश्य विकसित कराएगा

प्रधानमंत्री ने किया सांसद आदर्श ग्राम योजना का शुभारंभ, 2016 तक सांसद एक गांव का कल्याण करेगा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई)Ó नामक महत्वाकांक्षी ग्राम विकास परियोजना का शुभारंभ किया जिसके तहत हर सांसद पर वर्ष 2019 तक तीन गांवों में बुनियादी एवं संस्थागत ढांचा विकसित करने की जिम्मेदारी होगी। योजना का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि इसके तहत यह लक्ष्य रखा गया है कि 2016 तक प्रत्येक सांसद की अगुवाई में एक गांव का विकास किया जाए। लोक नायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर इस परियोजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य गांवों में रहने वाले लोगों को उन्नत बुनियादी सुविधाएं और बेहतर अवसर मुहैया कराना है। उन्होंने कहा, ''हम लगभग 800 सांसद हैं (दोनों सदनों को मिलाकर)। अगर हममें से प्रत्येक 2019 से पहले एक गांव का विकास करता है, हम तकरीबन 2500 गांव तक ऐसा कर सकेंगे। अगर इस योजना की रोशनी में राज्य भी अपने विधायकों के लिए ऐसी योजना बनाते हैं तो इसमें छह से सात हजार गांव और जुड़ सकते हैं।ÓÓ
उनके अनुसार अगर एक ब्लाक में एक गांव विकसित होता है तो इसका असर 'वाइरलÓ की तरह फैलेगा और विकास की ललक अन्य गांवों को भी आकर्षित करेगी। उन्होंने कहा इस योजना को लचीला रखा गया है और सांसद को किसी भी गांव को चुनने की आजादी होगी। लेकिन एक शर्त यह है कि यह गांव उसका या उसकी ससुराल का नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, ''मुझे भी वाराणसी में एक गांव चुनना है।ÓÓ उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह वहां जाकर चर्चा करेंगे और गांव को चुनेंगे। उन्होंने कहा, इस योजना के जरिए ऐसा माहौल बनाया जाना चाहिए जिससे कि हर व्यक्ति अपने गांव के लिए गर्व महसूस करे।

Sunday, 5 October 2014

देश में गौ हत्या होना शर्मिंदगी की बात:महेेन्द्र कुंमार आर्य

प्रधानमंत्री ने मांग नहीं मानी तो भड़क सकता है आंदोलन, आर्यसमाजके नेताओं ने जताई आशंका
नई दिल्ली (ब्यूरो)। गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने का कानून जल्द नहीं बना तो बड़ा आंदोलन हो सकता है, जिसे सरकार के लिए संभाल पाना मुश्किल होगा।
जंतर-मंतर पर गुरुवार को आयैसमाज के तत्वावधान में अखिल भारतीय राज्यार्य सभा द्वारा गौ माता व राष्ट्र भाषा हिन्दी की रक्षा के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने के लिए आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए आर्य समाज और राज्यार्य सभा के वक्ताओं ने केन्द्र सरकार को चेतावनी दी।
हवन पूजन के बाद शुरू हुए सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय राज्यार्य सभा के महामंत्री महेन्द्र सिंह आर्य ने कहा कि गौ हत्या के लिए सिर्फ एक वधिक ही दोषी नहीं होता है, इसके लिए वह आठ व्यक्ति बराबर के पाप के भागीदार हैं जो गाय को मारने की सलाह देते हों, मांस के काटने वाले, पशु आदि को मारने वाले,पशुओं को कसाइयों के हाथ बेचे जाने वाले, मांस के पकाने वाले, मांस को परोसने वाले और मांस को खाने वाले। उन्होंने कहा कि गौ आदि पशुओं के नाश होने से राजा और प्रजा दोनो का नाश हो जाता है क्योंकि जब पशु न्यून होते हैं तब दूध आदि पदार्थ तथा खेली आदि के कार्यों में कमी आती है, इससे सारी व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
आर्य नेता अनिल आर्य ने कहा कि हमारा देश दूध-पनीर बेचने में नहीं बल्कि मांस बेचने मे अव्वल है, यह बड़ी शर्मिंदगी की बात है। उन्होंने कहा कि नवंबर 1966 में करपात्री जी और शंकराचार्य जी के नेतृत्व में इसी जंतर-मंतर पर गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ था और आज भी हम इसी जंतर मंतर पर हैं। उन्होंने कहा कि लगता है कि इस तरह से बात नहीं बनने वाली बल्कि इसके लिए हमें अपने सांसदों को घेरना होगा और उन पर दबाव बनाना होगा। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के प्रतिनिधि अपने सांसदों को ज्ञापन लेकर उनसे यह आश्वासन लें कि वह संसद में गौ हत्या पर प्रतिबंध के लिए आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह से छह महीन के भीतर सभी 550 सांसदों पर दबाव बनाया जाए तो वो दिन दूर नहीं जब गौ हत्या पर प्रतिबंध का कानून बन सके। उन्होंने कहा कि हम लोग गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा पर सबसे पहले दबाव बनाना शुरू करें। इसी तरह हर क्षेत्र के सांसद को दबाव में लिया जाए। उन्होंने कहा कि गौ हत्या पर प्रतिबंध की मांग उठाना कोई सांप्रदायिक नहीं है, क्योंकि गाय का दूध तो हिंदू के बच्चे को ही नहीं चाहिए बल्कि  मुस्लिम, सिख और इसाई के बच्चे को भी दूध चाहिए। इसी कड़ी में सम्मेलन को संबोधित करते हुए करण सिंह आर्य ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मांग नहीं मानी गई तो व्यापक आंदोलन होगा जो सरकार के संभाले नहीं संभलेगा।
स्वामी दयानंद जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हमारी मांगें सुननी होगी तभी गौ हत्या बंद हो सकेगी। फर्रुखाबाद से पधारे वीरेन्द्र वैद्य ने भी अपने विचार रखे। जयवीर नागर ने काफी जोशीला भाषण दिया। इस बीच मध्य प्रदेश के अनूपपुर से पधारी स्वामी जी ने कहा कि विनोवा भावे ने कहा था कि गौ हत्या बंद न हुई तो बगावत हो सकती है। उत्तराखण्ड से आए स्वामी श्री रामचंन्द्र मुनि ने कहा कि केवल गाय के दूध में ही तीनों तरह के गुण बलवर्धक, रोग नाशक और बुद्धिवर्धक होते हैं। जिस शिशु की माता किसी कारण से मर जाती है उसे गाय का दूध पिलाओं तो वह जीवित रहता है।  इसके बाद सूर्य पाल आर्य और दीपक आर्य ने भी उपस्थित लोगों को संबोधित किया।
सूरजपुर से आर्य समाज के प्रधान श्री महेन्द्र कुमार आर्य ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमें यह जानते हुए शर्मिंदगी महसूस हो रही है कि भारतवर्ष में गौ हत्याएं हो रहीं हैं। उन्होंने कहा कि नन्द शब्द का अर्थ बहुत ही महत्वपूर्ण है, नन्द शब्द उस व्यक्ति के नाम के आगे लगाया जाता था जिसके पास एक लाख गायें हों। श्री महेन्द्र कुमार आर्य ने कहा कि प्राचीन काल में 12 लाख मनुष्यों की आबादी पर 42 लाख गायें हुआ करतीं थीं, उस समय न तो कोई रोगी नहीं था सब बलिष्ठ होते थे और अर्थव्यवस्था भी ठीक थी। आज सात सौ वर्षों बाद देश में दस व्यक्तियों के बीच में भी एक गाय नहीं है।
उन्होंने कहा कि महाभारत काल के बाद से गायों की संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है। महर्षि दयानंद ने गायों पर आठ पुस्तकें लिख कर लोगो को जागरुक किया था, उस समय गाय को समाज में पूज्य माना जाता था। उन्होंने बताया कि जिस शिशु की मां का किसी कारण से जन्म देने के बाद निधन हो जाता है तो उस बच्चे को गाय का दूध पिला कर जीवित रखा जाता है। यह गुण सिर्फ गाय के दूध में ही होता है।
गाजियाबाद से आर्य प्रतिनिधि सभा के उपाध्यक्ष श्रद्धानंद शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इसके बाद संयोजक और गौ कृष रक्षिणी सभा के अध्यक्ष संतराम प्रधान ने दिल्ली में गायों के पालने पर प्रतिबंध का उल्लेख किया और हाल ही में दिल्ली पुलिस द्वारा गौ तस्करों के खिलाफ कार्यवाही करने पर लापरवाही का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने गौ तस्करों से गायें मुक्त करवाई और गो तस्करों पर कार्यवाही करवाई।
 बताया कि आज भी वह 200 ऐसी गायें पाल रहे हैं जो इन तस्करों से छुड़ाई गई हैं और जो दूध भी नहीं देती हैं।  अंत में रक्षपाल देव ने गाय की रक्षा के सात सूत्रीय संकल्प लेने का आह्वान किया। सूरजपुर से सम्मेलन में भाग लेने के लिए आर्य समाज के प्रधान महेन्द्र कुमार आर्य के नेतृत्व में मास्टर हरिराज, मास्टर किताब सिंह, मास्टर ऋषिपाल, मास्टर पंकज आर्य, बनारस लोकेश आर्य, धर्मवीर आर्य, आचार्य जनमेजय शास्त्री और  महासय देवानंद आर्य भी शामिल थे।

जानकारी : टीडीएस के बारे में जानें

Atul Sharma, ICA,M.com
टीडीएस से अर्थ है उद्गम स्थान पर कर की कटौती। कोई व्यक्ति भुगतान करते समय निर्धारित दर से टैक्स काट ले तथा शेष रकम को प्राप्तकर्ता को देख कर काटी हुई रकम सरकारी आयकर विभाग में जमा करा दे।
इस प्रकार उद्गम स्थान पर कर की कटौती टीडीएस कहलाती है। आयकर अधिनियम 1961 में विभिन्न प्रकार के भुगतानों पर कर की कटौती भुगतान करते समय की जाती है। जिसमें अधिकांश प्रमुख कटौती का उल्लेख हम कर रहे हैं:-
1. वेतन (सेलरी)
2. इन्टरेस्ट ऑन सिक्योरिटीज
 3. ठेकेदार व उप ठेकेदार को किया गया भुगतान
4.इंश्योरेंस बीमा कमीशन
 5. कमीशन अथवा दलाली पर कर की कटौत
6. किराये के भुगतान के संबंध में
7.पेशेवर एवं तकनीकी सेवाओं की फीस पर कटौती
8. स्थायी सम्पत्ति के विक्रय पर कर की कटौती
9. बैँक ब्याज पर कर की कटौती
वेतन में से अधिक टीडीएस कंपनी द्वारा काटा जाना
उपरोक्त टीडीएस में से हम वेतनभोगियों की आय पर टीडीएस काटे जाने के सम्बन्ध मे आयकर अधिनियम की 1961 की धारा 192 के प्रवधान का उल्लेख कर रहे हैंं।
1.कर का आधार
यदि किसी इम्लाई की अनुमानित टैक्सेबल सैलरी एक्जम्पशन लिमिट (2,00,000) से अधिक है तथा टैक्स रिलीफ अंडर सेक्सन 89 को घटाने के बाद भी टैक्स देय है तो वेतन देने वाला इम्पलॉयर को वेतन भुगतान करने से पूर्व टीडीएस काट करके इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट में चालान अथवा ऑन लाइन भुगतान के माध्यम से जमा कराए।
2.अधिकांशत: इम्पलॉयर औसत कर भुगतान के आधार पर कर की कटौती करते हैं।
3. कम्पनी अथवा इंटरप्राइजेज अपने कर्मचारियों के बीमा अथवा अन्य आय के सम्बन्ध में जानकारी लेकर उसके पश्चात उचित कर की कटौती करें।4. यदि आय से अधिक कर कटौती किए जाने पर वेतन कम मिलता है तथा बाद में रिफण्ड की राशि को प्राप्त करना सरल नहीं है।
टीडीएस शिड्यूल् आन सैलरी इम्पलाइज 1. कर्मचारी के वेतन संबंध में अनुमानित कर की गणना अधिकोश पेशेवर व्यक्त निम्र प्रकार से करते हैं। कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के अनुसार 1. यदि कर्मचारी की आय दो लाख (2,00,000)सालाना से कम है तो उसके वेतन के 2,00,000 तक कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा।
2. यदि कर्मचारी की आय दो लाख (2,00,000) से अधिक किन्तु अगले तीन लाख (3,00,000) के मध्य में है तो टीडीएस दस प्रतिशत की दर से तथा टीएस पर एजूकेशन सेस तीन प्रतिशत लगाकर काटा जाता है। 3. यदि कुल आय (2,00,000+3, 00,000) पांच लाग है तो अगले पांच लाख की राशि तक 20 प्रतिशत टीडीएस तथा तीन प्रतिश टीडीएस पर एसएचईसी लगाया जाता है। 4. कुल आय  दस लाख (10,,00,000) से अधिकतम राशि पर 30 प्रतिशत की दर से तथा तीन प्रतिशत टीडीएस पर एसएचईसी लगाकर टीडीएस काटा जाता है।

आपके साप्ताहिक सितारे


  • छह अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक का राशिफल

मेष: परिवार में मंगल कार्य का आयोजन हो सकता है। बुद्धि में नवीनता आने का योग है। कठोर श्रम से सफलता मिलेगी। आत्म विश्वास से कार्य करें, सफलता अवश्य मिलेगी। स्वास्थ्य की चिंता सता सकती है। भूमि-भवन हेतु संयोग बन सकता है। शुभ रंग-लाल। उपाय: जलता दीपक जल में प्रवाहित करें।
वृष: मान-सम्मान की प्राप्ति संभव है। लक्ष्मी जी की कृपा हो सकती है। साझेदारी टूटने की स्थिति आ सकती है। किसी पुराने मित्र का वियोग संभव है। तीर्थ यात्रा का संयोग भी बन सकता है। शुभ रंग-सिल्वर। उपाय: सोमवार को दूध का दान करें।
मिथुन: मन भटक सकता है। बौद्धिक प्रतिभा उत्तम रहेगी। व्यापार में लाभ-हानि सम रह सकता है। देवी दर्शन से लाभ मिलेगा। भाइयों से भी लाभ मिलने का योग है। शुभ रंग-ब्ल्यू। उपाय- शनि मंदिर का दर्शन करेें।
कर्क :कार्य व्यवहार में लाभ का योग है। व्यय पर नियंत्रण रखें। शत्रु आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे। रक्त विकार से शरीर प्रभावित हो सकता है। कहीं की यात्रा न करें। शुभ रंग-स्कारलेट। उपाय: भौमवार को गुड़ का दान करें।
सिंह: घर-परिवार में आनन्दोत्सव का योग है। चिर वांछित कार्य में सफलता मिलेगी। नये लोगों से सम्पर्क भी बढ़ेंगे। स्वजनों से मन मुटाव हो सकता है। द्रव्य लाभ के भी योग हैं। शुभ रंग-नीला। उपाय: तुलसी दल का सेवन करें।
कन्या: भाई-बंधुओं के सहयोग से रुक कार्य पूर्ण होगा। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। अतिथि सत्कार पर खर्च बढ़ सकता है। अपने धैर्य को कम न होने दें। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। शुभ रंग-पीला। उपाय: सूर्य को प्रतिदिन जल दें।
तुला: पूंजी के आवागमन से आप प्रसन्न होंगे। सुख-सुविधा में वृद्धि का योग है। विद्यार्थियों के लिए समय उत्तम है। पढ़ाई-लिखाई में रुचि बढ़ेगी। मित्रों से विरोध हो सकता है। शुभ रंग-अम्बर। उपाय: रविवार को गणेश पूजन अवश्य करें।
वृश्चिक: लाभ-हानि का लेखा-जोखा चिंतनीय हो सकता है। व्यापार में सामान्य लाभ के योग हैं। परिवार में अनबन की स्थिति आ सकती है। दिनचर्या को सुव्यवस्थित रखें। आलस्य को त्यागें। शुभ रंग-हरा। उपाय: कनेर का फूल गुरु प्रतिमा पर चढ़ावें।
धनु:ग्रहों के प्रभाव से बिगड़ें कार्य बन सकते हैं। अकाराण लोगों से विरोध हो सकता है। संतान से चिंतित हो सकते हैँ। महत्वपूर्ण योजनाओं को समय से पूर्व सार्वजनिक न करें। सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति सजग रहें। शुभ रंग-लाल। उपाय: गुलाब का फूल पर्स में रखें।
मकर: कार्य क्षमता में वृद्धि होगी। धन-यश में भी वृद्धि का योग है। बड़े-बुजुर्गो से वैमनस्यता हो सकती है। किसी बड़े समारोह के साक्षी हो सकते हैं। मनोबल को कम न होने दें। शुभ रंग-सफेद। उपाय: गुरुवार को केसर का तिलक लगावें।
कुंभ:   परोपकार द्वारा यश प्राप्त होगा। स्वास्थ्य के प्रति चिंता बढ़ सकती है। दौड़-धूप की स्थिति बन रही है। प्रतापी पुरुषों से सम्पर्क बढ़ सकता है। महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण रखें। शुभ रंग-हल्का लाल। उपाय: मंगल को हनुमान जी की पूजा करें।
मीन : यह सप्ताह शुभ रहेगा। साहसिक कार्य करेंगे। भाइयों से सचेत रहना होगा। देवी दर्शन के लिए यात्रा हो सकती है। दाम्पत्य जीवन ठीक-ठाक रहेगा। शुभ रंग-बैगनी। उपाय: विटामिन्स का सेवन जरूर करें।
जानकारी 

रामलीला : रावण वध के साथ बुराई का हुआ अंत

सूरजपुर कसबे में आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वावधान में चल रर्ही रामलीला शनिवार को हुई संपन्न
ग्रेटर नोएडा।  मेघनाथ तेहि अवसर भवाऊ, कहीं बहुरुपा पिता समझाऊ Ó गोस्वामी तुलसी दास जी की इसी चौपाई के साथ सूरजपुर कसबे में आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वावधान में चल रर्ही रामलीला का मंचन शुरू हुआ। इस चौपाई में मेघनाथ लंकेश को कुम्भकर्ण के मृत्यु पर प्राचीन कहानियां सुनाते हुए समझा रहा है। अगले प्रसंग में मेघनाथ के वध का मंचन हुआ। युद्ध में मेघनाथ के मरने के बाद उसकी पत्नी सुलोचना द्वारा सती होने का प्रसंग बड़ी ही मार्मिकता से वृन्दावन के कलाकारों ने मंचित किया। मेघनाथ की पत्नी सुलोचना का राम के युद्ध शिविर में आना, अपने पति के शीश व भुजाओं को लेकर जाना और उसके साथ सती होने का दृश्य देख दर्शक भावुक हो उठे। इसके बाद अहिरावण वध का मंचन किया गया गया। अंतिम प्रसंग में रावण वध का मंचन किया गया जिसमे श्रीराम व रावण का भीषण युद्ध दिखाया गया । राम व रावण के युद्ध के बीच लंकापति रावण अपने माया के जाल में श्रीराम को फंसाने का प्रयास करता है लेकिन रावण के भाई विभीषण श्रीराम को उसके मायाजाल व उसके मृत्यु के रहस्य के बारे में बता देते है। जिसके बाद श्रीराम अपने दिव्य बाण से रावण का वध कर देते है। रावण के धराशायी होते ही रामलीला मैदान में श्रीराम के जयकारों की गूंज होने लगी। जिसके बाद देर शाम रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतले का दहन कर असत्य पर सत्य की विजय का सन्देश दिया गया। इस मौके पर बाबू राम जिंदल, राजू प्रधान, जयदेव शर्मा, योगेश अग्रवाल, भोपाल भाटी, डॉ. ईश्वर सिंह, मूल चंद शर्मा आदि मौजूद रहे।

पीएम वायदा पूरा करें वरना भरोसा उठ जाएगा : स्वामी

जंतर-मंतर पर आर्य समाज के सम्मेलन में स्वामी अग्निवेश की चेतावनी
नई दिल्ली (ब्यूरो)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में गौवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगाने के अपने वायदे को पूरा करने  में देर न करें वरना देश की जनता का भरोसा उठ जाएगा।
जंतर-मंतर पर गुरुवार को आयैसमाज के तत्वावधान में अखिल भारतीय राज्यार्य सभा द्वारा गौ माता व राष्ट्र भाषा हिन्दी की रक्षा के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने के लिए आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने यह चेतावनी दी। उन्होंने उपस्थित लोगों को लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रचार के दौरान श्री मोदी की रिकार्डिंग सुनाई, जिसमें श्री मोदी ने तत्कालीन सरकार पर गौ हत्या और गौं मांस के निर्यात में भारत के अव्वल आने में अपने गंभीर आरोप लगाए और साथ ही यह वादा भी किया कि सत्ता में आने के बाद गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।  श्री मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने गौ मांस के कारखाने को लगाने वाले को 50 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। एक नहीं दस कारखाना लगाने वाले भी सामने आएंगे तो उन्हें भी यह सब्सिडी दी जाएगी। स्वामी अग्निवेश ने कहा कि मैं केन्द्र में बहुमत से काबिज होने वाली मोदी सरकार को यह याद दिलाना चाहता हूं कि अब वह समय आ गया है कि वह अपना यह वादा पूरा करें और गौ माता की रक्षा करें।उन्होंने कहा कि सत्ता मे आने के लगभग 158 दिन बाद भी प्रधानमंत्री अथवा किसी भी मंत्री के मुख से गौहत्या पर प्रतिबंध के बारे मेंं एक शब्द भी नहीं सुना है। ऐसी स्थिति में यह सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं।
स्वामी अग्निवेश ने प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि साफ जगह पर झाड़ू लगा कर फोटो खिंचवा कर राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को चाहिए था कि वह राष्ट्रपिता के परम प्रिय सिद्धांत को मानते हुए देश भर में कश्मीर से कन्याकुमारी तक गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनवाते, जो वास्तव में सच्ची श्रद्धांजलि होती। उन्होंने कहा कि सफाई अभियान अभी रुक सकता था लेकिन देश में लाखों गउओं का वध रोका जाना बहुत जरूरी था।
उन्होंने कहा कि गौहत्या करके देश के संविधान और उच्चतम न्यायालय के आदेश को रौंदा जा रहा है। संविधान की धारा 48 में किसी भी दुधारू पशु की हत्या पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है और 26 अक्टूबर 2006 को जस्टिस लाहौटी की अगुआई में सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने यह निर्णय दिया था कि गौ माता की रक्षा करना संवैधानिक कर्तव्य है और गौ की हत्या करना संवैधानिक अपराध है। इसके बाद भी गौ माता का वध देश भर में हो रहा है, इसके लिए केन्द्र सरकार जिम्मेदार है, राज्य सरकारें भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहीं हैँ। उन्होंने कहा कि मैँने अपने 75 वें जन्म दिन पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली को एक ज्ञापन देकर गौ हत्या पर रोक लगाने की मांग की थी जिस पर उन्होंने आश्वासन भी दिया था लेकिन अभी तक कुछ भी संकेत नहीं मिले हैं। साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी 31 अक्टूबर को इसी जंतर मंतर पर विशाल आंदोलन होगा और उसमें देश भर से लाखों लोग आएंगे। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि प्रधानमंत्री भी उस दिन हमारे स्टेज पर आएं हम उनका स्वागत करेंगे और यह सवाल भी पूछेंगे कि अब आप पूर्ण बहुमत वाली सरकार के प्रधानमंत्री हैं तो अब वह कौन सी मजबूरी है कि आप फैसला नहीं कर पा रहे हैँ। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जब तक लाखों लोग संसद के बाहर जमा नहीं होंगे तब तक सरकार कुछ करने वाली नहीं। साथ ही यह भी कहा कि गौ माता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया जाए तो गौ हत्या स्वत: रुक जाएगी।
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपिता के दूसरे प्रिय विषय शराबबंदी पर जोर देना चाहिए। संविधान की धारा 47 मे शराब पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है जबकि सरकार स्वयं शराब के ठेके खुलवाती है राजस्व के लिए लाइसेंस दिए जाते हेँ, इससे गरीब परिवार उजड़ रहा है, बच्चे अनाथ हो रहे हैँ। उन्होंने कहा कि आंदोलन चलवाकर हरियाणा में शराबबंदी करवा दी गई थी लेकिन आस पास के राज्यों में ऐसा न होने के कारण शराब की तस्करी बहुत ज्यादा हो गई तो लगभग डेढ़ साल बाद ही वहां से भी शराबबंदी हटवा दी गई। इसलिए पूरे देश में एक साथ शराबबंदी का कानून लगवाना होगा तभी यह कारगर होगा।