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Sunday, 5 October 2014

रामलीला : रावण वध के साथ बुराई का हुआ अंत

सूरजपुर कसबे में आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वावधान में चल रर्ही रामलीला शनिवार को हुई संपन्न
ग्रेटर नोएडा।  मेघनाथ तेहि अवसर भवाऊ, कहीं बहुरुपा पिता समझाऊ Ó गोस्वामी तुलसी दास जी की इसी चौपाई के साथ सूरजपुर कसबे में आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वावधान में चल रर्ही रामलीला का मंचन शुरू हुआ। इस चौपाई में मेघनाथ लंकेश को कुम्भकर्ण के मृत्यु पर प्राचीन कहानियां सुनाते हुए समझा रहा है। अगले प्रसंग में मेघनाथ के वध का मंचन हुआ। युद्ध में मेघनाथ के मरने के बाद उसकी पत्नी सुलोचना द्वारा सती होने का प्रसंग बड़ी ही मार्मिकता से वृन्दावन के कलाकारों ने मंचित किया। मेघनाथ की पत्नी सुलोचना का राम के युद्ध शिविर में आना, अपने पति के शीश व भुजाओं को लेकर जाना और उसके साथ सती होने का दृश्य देख दर्शक भावुक हो उठे। इसके बाद अहिरावण वध का मंचन किया गया गया। अंतिम प्रसंग में रावण वध का मंचन किया गया जिसमे श्रीराम व रावण का भीषण युद्ध दिखाया गया । राम व रावण के युद्ध के बीच लंकापति रावण अपने माया के जाल में श्रीराम को फंसाने का प्रयास करता है लेकिन रावण के भाई विभीषण श्रीराम को उसके मायाजाल व उसके मृत्यु के रहस्य के बारे में बता देते है। जिसके बाद श्रीराम अपने दिव्य बाण से रावण का वध कर देते है। रावण के धराशायी होते ही रामलीला मैदान में श्रीराम के जयकारों की गूंज होने लगी। जिसके बाद देर शाम रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतले का दहन कर असत्य पर सत्य की विजय का सन्देश दिया गया। इस मौके पर बाबू राम जिंदल, राजू प्रधान, जयदेव शर्मा, योगेश अग्रवाल, भोपाल भाटी, डॉ. ईश्वर सिंह, मूल चंद शर्मा आदि मौजूद रहे।

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