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Sunday, 5 October 2014

देश में गौ हत्या होना शर्मिंदगी की बात:महेेन्द्र कुंमार आर्य

प्रधानमंत्री ने मांग नहीं मानी तो भड़क सकता है आंदोलन, आर्यसमाजके नेताओं ने जताई आशंका
नई दिल्ली (ब्यूरो)। गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने का कानून जल्द नहीं बना तो बड़ा आंदोलन हो सकता है, जिसे सरकार के लिए संभाल पाना मुश्किल होगा।
जंतर-मंतर पर गुरुवार को आयैसमाज के तत्वावधान में अखिल भारतीय राज्यार्य सभा द्वारा गौ माता व राष्ट्र भाषा हिन्दी की रक्षा के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने के लिए आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए आर्य समाज और राज्यार्य सभा के वक्ताओं ने केन्द्र सरकार को चेतावनी दी।
हवन पूजन के बाद शुरू हुए सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय राज्यार्य सभा के महामंत्री महेन्द्र सिंह आर्य ने कहा कि गौ हत्या के लिए सिर्फ एक वधिक ही दोषी नहीं होता है, इसके लिए वह आठ व्यक्ति बराबर के पाप के भागीदार हैं जो गाय को मारने की सलाह देते हों, मांस के काटने वाले, पशु आदि को मारने वाले,पशुओं को कसाइयों के हाथ बेचे जाने वाले, मांस के पकाने वाले, मांस को परोसने वाले और मांस को खाने वाले। उन्होंने कहा कि गौ आदि पशुओं के नाश होने से राजा और प्रजा दोनो का नाश हो जाता है क्योंकि जब पशु न्यून होते हैं तब दूध आदि पदार्थ तथा खेली आदि के कार्यों में कमी आती है, इससे सारी व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
आर्य नेता अनिल आर्य ने कहा कि हमारा देश दूध-पनीर बेचने में नहीं बल्कि मांस बेचने मे अव्वल है, यह बड़ी शर्मिंदगी की बात है। उन्होंने कहा कि नवंबर 1966 में करपात्री जी और शंकराचार्य जी के नेतृत्व में इसी जंतर-मंतर पर गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ था और आज भी हम इसी जंतर मंतर पर हैं। उन्होंने कहा कि लगता है कि इस तरह से बात नहीं बनने वाली बल्कि इसके लिए हमें अपने सांसदों को घेरना होगा और उन पर दबाव बनाना होगा। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के प्रतिनिधि अपने सांसदों को ज्ञापन लेकर उनसे यह आश्वासन लें कि वह संसद में गौ हत्या पर प्रतिबंध के लिए आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह से छह महीन के भीतर सभी 550 सांसदों पर दबाव बनाया जाए तो वो दिन दूर नहीं जब गौ हत्या पर प्रतिबंध का कानून बन सके। उन्होंने कहा कि हम लोग गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा पर सबसे पहले दबाव बनाना शुरू करें। इसी तरह हर क्षेत्र के सांसद को दबाव में लिया जाए। उन्होंने कहा कि गौ हत्या पर प्रतिबंध की मांग उठाना कोई सांप्रदायिक नहीं है, क्योंकि गाय का दूध तो हिंदू के बच्चे को ही नहीं चाहिए बल्कि  मुस्लिम, सिख और इसाई के बच्चे को भी दूध चाहिए। इसी कड़ी में सम्मेलन को संबोधित करते हुए करण सिंह आर्य ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मांग नहीं मानी गई तो व्यापक आंदोलन होगा जो सरकार के संभाले नहीं संभलेगा।
स्वामी दयानंद जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हमारी मांगें सुननी होगी तभी गौ हत्या बंद हो सकेगी। फर्रुखाबाद से पधारे वीरेन्द्र वैद्य ने भी अपने विचार रखे। जयवीर नागर ने काफी जोशीला भाषण दिया। इस बीच मध्य प्रदेश के अनूपपुर से पधारी स्वामी जी ने कहा कि विनोवा भावे ने कहा था कि गौ हत्या बंद न हुई तो बगावत हो सकती है। उत्तराखण्ड से आए स्वामी श्री रामचंन्द्र मुनि ने कहा कि केवल गाय के दूध में ही तीनों तरह के गुण बलवर्धक, रोग नाशक और बुद्धिवर्धक होते हैं। जिस शिशु की माता किसी कारण से मर जाती है उसे गाय का दूध पिलाओं तो वह जीवित रहता है।  इसके बाद सूर्य पाल आर्य और दीपक आर्य ने भी उपस्थित लोगों को संबोधित किया।
सूरजपुर से आर्य समाज के प्रधान श्री महेन्द्र कुमार आर्य ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमें यह जानते हुए शर्मिंदगी महसूस हो रही है कि भारतवर्ष में गौ हत्याएं हो रहीं हैं। उन्होंने कहा कि नन्द शब्द का अर्थ बहुत ही महत्वपूर्ण है, नन्द शब्द उस व्यक्ति के नाम के आगे लगाया जाता था जिसके पास एक लाख गायें हों। श्री महेन्द्र कुमार आर्य ने कहा कि प्राचीन काल में 12 लाख मनुष्यों की आबादी पर 42 लाख गायें हुआ करतीं थीं, उस समय न तो कोई रोगी नहीं था सब बलिष्ठ होते थे और अर्थव्यवस्था भी ठीक थी। आज सात सौ वर्षों बाद देश में दस व्यक्तियों के बीच में भी एक गाय नहीं है।
उन्होंने कहा कि महाभारत काल के बाद से गायों की संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है। महर्षि दयानंद ने गायों पर आठ पुस्तकें लिख कर लोगो को जागरुक किया था, उस समय गाय को समाज में पूज्य माना जाता था। उन्होंने बताया कि जिस शिशु की मां का किसी कारण से जन्म देने के बाद निधन हो जाता है तो उस बच्चे को गाय का दूध पिला कर जीवित रखा जाता है। यह गुण सिर्फ गाय के दूध में ही होता है।
गाजियाबाद से आर्य प्रतिनिधि सभा के उपाध्यक्ष श्रद्धानंद शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इसके बाद संयोजक और गौ कृष रक्षिणी सभा के अध्यक्ष संतराम प्रधान ने दिल्ली में गायों के पालने पर प्रतिबंध का उल्लेख किया और हाल ही में दिल्ली पुलिस द्वारा गौ तस्करों के खिलाफ कार्यवाही करने पर लापरवाही का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने गौ तस्करों से गायें मुक्त करवाई और गो तस्करों पर कार्यवाही करवाई।
 बताया कि आज भी वह 200 ऐसी गायें पाल रहे हैं जो इन तस्करों से छुड़ाई गई हैं और जो दूध भी नहीं देती हैं।  अंत में रक्षपाल देव ने गाय की रक्षा के सात सूत्रीय संकल्प लेने का आह्वान किया। सूरजपुर से सम्मेलन में भाग लेने के लिए आर्य समाज के प्रधान महेन्द्र कुमार आर्य के नेतृत्व में मास्टर हरिराज, मास्टर किताब सिंह, मास्टर ऋषिपाल, मास्टर पंकज आर्य, बनारस लोकेश आर्य, धर्मवीर आर्य, आचार्य जनमेजय शास्त्री और  महासय देवानंद आर्य भी शामिल थे।

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