1. वेतन (सेलरी)
2. इन्टरेस्ट ऑन सिक्योरिटीज
3. ठेकेदार व उप ठेकेदार को किया गया भुगतान
4.इंश्योरेंस बीमा कमीशन
5. कमीशन अथवा दलाली पर कर की कटौत
6. किराये के भुगतान के संबंध में
7.पेशेवर एवं तकनीकी सेवाओं की फीस पर कटौती
8. स्थायी सम्पत्ति के विक्रय पर कर की कटौती
9. बैँक ब्याज पर कर की कटौती
वेतन में से अधिक टीडीएस कंपनी द्वारा काटा जाना
उपरोक्त टीडीएस में से हम वेतनभोगियों की आय पर टीडीएस काटे जाने के सम्बन्ध मे आयकर अधिनियम की 1961 की धारा 192 के प्रवधान का उल्लेख कर रहे हैंं।
1.कर का आधार
यदि किसी इम्लाई की अनुमानित टैक्सेबल सैलरी एक्जम्पशन लिमिट (2,00,000) से अधिक है तथा टैक्स रिलीफ अंडर सेक्सन 89 को घटाने के बाद भी टैक्स देय है तो वेतन देने वाला इम्पलॉयर को वेतन भुगतान करने से पूर्व टीडीएस काट करके इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट में चालान अथवा ऑन लाइन भुगतान के माध्यम से जमा कराए।
2.अधिकांशत: इम्पलॉयर औसत कर भुगतान के आधार पर कर की कटौती करते हैं।
3. कम्पनी अथवा इंटरप्राइजेज अपने कर्मचारियों के बीमा अथवा अन्य आय के सम्बन्ध में जानकारी लेकर उसके पश्चात उचित कर की कटौती करें।4. यदि आय से अधिक कर कटौती किए जाने पर वेतन कम मिलता है तथा बाद में रिफण्ड की राशि को प्राप्त करना सरल नहीं है।
टीडीएस शिड्यूल् आन सैलरी इम्पलाइज 1. कर्मचारी के वेतन संबंध में अनुमानित कर की गणना अधिकोश पेशेवर व्यक्त निम्र प्रकार से करते हैं। कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के अनुसार 1. यदि कर्मचारी की आय दो लाख (2,00,000)सालाना से कम है तो उसके वेतन के 2,00,000 तक कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा।
2. यदि कर्मचारी की आय दो लाख (2,00,000) से अधिक किन्तु अगले तीन लाख (3,00,000) के मध्य में है तो टीडीएस दस प्रतिशत की दर से तथा टीएस पर एजूकेशन सेस तीन प्रतिशत लगाकर काटा जाता है। 3. यदि कुल आय (2,00,000+3, 00,000) पांच लाग है तो अगले पांच लाख की राशि तक 20 प्रतिशत टीडीएस तथा तीन प्रतिश टीडीएस पर एसएचईसी लगाया जाता है। 4. कुल आय दस लाख (10,,00,000) से अधिकतम राशि पर 30 प्रतिशत की दर से तथा तीन प्रतिशत टीडीएस पर एसएचईसी लगाकर टीडीएस काटा जाता है।
No comments:
Post a Comment