ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। पूरे देश में जाना-पहचाना नाम है आरसीएम का। आरसीएम के माने राइट कम्पलीट मार्केटिंग यानी ख्ररीददारी करने का सही तरीका। इसकी प्रगति करने का कारण भी यही माना जा रहा है कि सही दिशा में सही तरीके से प्रयास करने पर सही परिणाम सामने आता है। इसी बुनियाद पर तेजी से बढ़ रहे आरसीएम का स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए, स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए और स्वास्थ्य विषय को लेकर बिग सेमीनार रविवार को ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर में आयोजित किया गया। इस सेमिनार में पलवल से कंपनी के टेक्निकल पिन होल्डर सुनील शर्मा का एकदम खुला एवं स्पष्ट विचार है कि जीवन में कुछ बड़ा पाने के लिए कुछ बड़ा करना होता है। ये बड़ा एक आदमी खुद राह चलते नहीं कर सकता बल्कि किसी बड़े का सहारा लेकर और उसमें अपना जतन करके ही आगे बढ़ सकता है। इस दिशा में आरसीएम हो या कोई और सिस्टम या गु्रप या मेंटर हो उसका सहारा लें और अपने जीवन में कुछ न कुछ बड़ा करें।
उन्होंने कहा कि आरसीएम तो एक ऐसा सिस्टम है, जो देश का है, देश के लिए और देशवासियों के लिए यानी पूर्ण स्वदेशी है। कहते हैं कि जिसे वतन से प्यार नहीं वह जिंदा ही मृत के समान है। इसी भावना को लेकर उन्होंने भगत सिंह के जीवन और शहादत की कथा सुनाई और लोगों को अपने देश और देशवासियों से प्यार करने के लिए भी कहा। उनका आशय स्वदेशी वस्तुओं की अधिक से अधिक खरीद करके अपने देश और अपने देश के प्रोडक्ट निर्माण में लगे अपने ही बंधुओं का अधिक से अधिक भला करने की है। इसका सीधा सा लाभ यह है ,अपने देश का पैसा अपने देश में रहेगा और अपना देश आर्थिक रूप से मजबूत रहेगा। स्वदेशी और पूर्ण शुद्ध प्रोडक्ट मिलेंगे तो लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। स्वस्थ एवं धनवान देश हमेशा विश्व में अपनी धक जमाता है। यही देश प्रेम हममें जाग जाए तो भारत देश फिर से सोने की चिडिय़ा बन सकता है और हमें महाश्क्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।
सुनील शर्मा के ओजस्वी विचारों से लोग इतना प्रभावित हुए कि काफी देर तक करतल ध्वनि करके उनका स्वागत करते रहे।
उन्होंने कहा कि आरसीएम तो एक ऐसा सिस्टम है, जो देश का है, देश के लिए और देशवासियों के लिए यानी पूर्ण स्वदेशी है। कहते हैं कि जिसे वतन से प्यार नहीं वह जिंदा ही मृत के समान है। इसी भावना को लेकर उन्होंने भगत सिंह के जीवन और शहादत की कथा सुनाई और लोगों को अपने देश और देशवासियों से प्यार करने के लिए भी कहा। उनका आशय स्वदेशी वस्तुओं की अधिक से अधिक खरीद करके अपने देश और अपने देश के प्रोडक्ट निर्माण में लगे अपने ही बंधुओं का अधिक से अधिक भला करने की है। इसका सीधा सा लाभ यह है ,अपने देश का पैसा अपने देश में रहेगा और अपना देश आर्थिक रूप से मजबूत रहेगा। स्वदेशी और पूर्ण शुद्ध प्रोडक्ट मिलेंगे तो लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। स्वस्थ एवं धनवान देश हमेशा विश्व में अपनी धक जमाता है। यही देश प्रेम हममें जाग जाए तो भारत देश फिर से सोने की चिडिय़ा बन सकता है और हमें महाश्क्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।
सुनील शर्मा के ओजस्वी विचारों से लोग इतना प्रभावित हुए कि काफी देर तक करतल ध्वनि करके उनका स्वागत करते रहे।
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