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Saturday, 18 July 2015

जमाना मेरी मिसाल दे......

कोई जप्त दे न जलाल दे
मुझे सिर्फ इतना कमाल दे
मुझे अपनी राह पर डाल दे
कि जमाना मेरी मिसाल दे
यह ये किसी मशहूर शायर का शेर ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर में रहले
वाले दो मुस्लिम परिवारों के नन्हें और होनहार बच्चों पर  फिट बैठता है, जो परवरदिगार से आरजू और मिन्नत करता है। आज पूरे मुल्क में ईद मनाई जा रही है। यह ईद पूरे तीस रोजे के बाद आई है।  माहे रमजान में दो मुस्लिम परिवारों के नन्हें बच्चों ने अपनी कारगुजाजी से लोगों को चौँका दिया है।एक परिवार की नन्हीं चार साल की बच्ची ने कुरान पढऩे की अपनी चाहत दिखाकर अपने परिवार के लोगों को चौंका दिया। सूरजपुर में दादरी रोड पर जेके धर्मकांटा के पास बाबा स्टील के संचालक पीर बाबा नूर मोहम्मद की पोती और एम. अख्तर की चार साल की लाड़ली बेटी सानिया ने कुरान शरीफ पढ़कर अपने होनहार होने का सबूत दे दिया।
वहीं दूसरी ओर सूरजपुरके एक अन्य मुस्लिम परिवार जो,ं पुराने जिला पंचायत कार्यालय के पास रहने रहता है। पूर्व ग्राम प्रधान इब्राहीम के पोते और यूनुस खान के 9 वर्ष के बच्चे अमान खान ने माहे रमजान में रोजे रखकर घर वालों को अपने होनहार होने का संकेत दे दिया। हालांकि रोजा रखने की उम्र कम से कम 12 वर्ष की मानी गई  है लेकिन अमान ने इस रिकार्ड को तोड़ते हुए रोजे रखे।

इस बार माहे रमजान मेंं ईद ही ईद रहीं

इस बार नेमत और बरकतों के मुबारक माहे रमजान शुक्रवार यानी जुमे से शुरू हुआ और शुक्रवार यानी जुमे को ही विदा हुआ। इस माह में पांच शुक्रवार आए। इस बात की चर्चा मजहबी लोगों के बीच खूब रही। इस मसले पर जब हाफिजों से चर्चा की गई तो उन्होंने इसे बहुत ही मुबारक बताया। इस चर्चा में शामिल होते हुए सूरजपुर स्थित जामा मस्जिद के खतीबो इमाम जनाब मो. याकूब ने फरमाया कि दरअसल हर जुमा इस्लाम में ईद होता है, जुमा सभी दिनों का सरदार भी होता है। इसलिए मुकद्दस माहे रमजान में पांच शुक्रवार आने से पांच बार ईद वैसे ही हुई और जब माहे रमजान हमसे रुखसत हुआ तो उसके अगले दिन यानी शनिवार को सालाना ईद दे गया। इसलिए इस बार माहे रमजान में लोगों ज्यादा  से ज्यादा नेक कमाई करने का मौका मिला। इसके लिए हमें अल्लाह का शुक्रगुजार होना चाहिए।

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