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Saturday, 29 July 2017

....तो महिला रेल यात्रियों की हिफाजत के लिए ये हैँ खास इंतजाम

राज्यसभा में रेल राज्य मंत्री राजेन गोहिन ने एक लिखित प्रश्न के उत्तर में जानकारी देते हुए बताया कि रेलगाडिय़ों में यात्रियों सहित महिला यात्रियों की हिफाजत और सुरक्षा के लिए भारतीय रेलवे द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इनमें से प्रमुख हैं-असुरक्षित और चिन्हित मार्गों/खंडों पर 2500 रेलगाडिय़ों  (औसतन) को प्रतिदिन रेलवे संरक्षण बल द्वारा मार्ग में सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके अलावा विभिन्न राज्यों में प्रतिदिन 2200 ट्रेनों को जीआरपी द्वारा मार्ग में सुरक्षा दी जाती है। उन्होने बताया कि
मुसीबत में फंसे यात्रियों की सहायता के लिए भारतीय रेलवे में  सुरक्षा हेल्पलाइन नम्बर 182 शुरू किया गया है।
रेल राज्य मंत्री ने बताया कि रेलगाडिय़ों को सुरक्षा प्रदान करने वाले दस्तों को मार्ग और स्टेशनों पर गाड़ी रूकने के समय महिलाओं के डिब्बों में अतिरिक्त चौकसी बरतने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में पुरूषों का प्रवेश रोकने के लिए नियमित रूप से अभियान चलाए जाते हैं और यदि कोई पुरूष ऐसा करता पाया जाता है, तो रेलवे कानून के प्रावधानों के अंतर्गत उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
अपने उत्तर में उन्होंने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय  रेलवे के लगभग 344 स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जाती है।
श्री गोहेन ने बताया कि महानगरों में चलाई जाने वाली महिला स्पेशल रेलगाडिय़ों को महिला आरपीएफ कांस्टेबलों द्वारा मार्ग में सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है।महानगरों में चलाई जाने वाली उपनगरीय रेलगाडिय़ों को आरपीएफ और जीआरपी द्वारा मार्ग में सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है। ऐसी रेलगाडियों में महिला यात्रियों की उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देर रात और सुबह-सवेरे सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाती है। आरपीएफ, जीआरपी द्वारा अपराध का उचित पंजीकरण और जांच-पड़ताल सुनिश्चित करने के लिए राज्य पुलिस के साथ सभी स्तरों पर नियमित रूप से समन्वय बैठकें करता है।
      

ब्रिक्स देशों ने भारत में लागू जीएसटी सुधारों की प्रशंसा की

चीन में हाल में संपन्न ब्रिक्स देशों के राजस्व प्रमुखों की बैठक में भारत में लागू जीएसटी सुधारों की प्रशंसा की गई। 25 से 27 जुलाई, 2017 तक चीन के हंगजोऊ में ब्रिक्स देशों के राजस्व प्रमुखों और कर विशेषज्ञों की बैठक में ब्रिक्स देशों ने भारत में लागू जीएसटी की सराहना की। भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व भारत के राजस्व सचिव डॉ. हसमुख अढिया ने किया। ब्रिक्स देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने भारत में लागू जीएसटी सुधारों के बारे में जानकारी ली और इस बड़े सुधार के प्रयासों के लिए भारत की सराहना की। बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भारतमें लागू जीएसटी सुधारों के बारे में मीडिया की ओर से भी सवाल किये गये और मीडिया को जीएसटी सुधार से होने वाले लाभ के बारे में बताया गया। बैठक में ब्रिक्स देशों के राजस्व प्रमुखों तथा कर विशेषज्ञों ने समकालीन अंतर्राष्ट्रीय टैक्स के विषयों पर चर्चा की। बैठक के बाद एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की गई। सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करते हुए टैक्स मामलों के बारे में सहयोग को लेकर सहमति ज्ञापन पर राजस्व प्रमुखों ने हस्ताक्षर किये। सहयोग के चिन्हित क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर समन्व्य, क्षमता सृजन, अनुभव साझा करना और नियमित संवाद शामिल है।

डिजिटल इंडिया अभियान विश्व को चौंकाएगा

2020 तक देश में होंगे 60 करोड़ ब्रांडबैंड कनेक्शन

डिजिटल इंडिया का भविष्य बहुत ही सुनहरा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस योजना को दिनोंदिन पंख लग रहे हैं और इन पंखों की उड़ान सही दिशा में रही तो फिर से भारत सोने की चिडिय़ा बन जाएगा। डिजिटल इंडिया के सुनहरे दिनों के आगमन के बारे में संकेत देते हुए संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा है कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा प्रदान की गई सूचना के अनुसार 31 मार्च 2017 तक देश में 422.19 मिलियन ब्रॉडबैंड ग्राहक थे और इंटरनेट की पैठ (इंटरनेट ग्राहक प्रति 100 आबादी) 32.86 प्रतिशत थी। राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 में वर्ष 2020 तक ब्रॉडबैंड कनेक्शनों की संख्या 60 करोड़ तक पहुंचाने के बारे में विचार किया गया है।
     उन्होंने बताया कि सरकार ने देश के सभी ग्राम पंचायतों को 100एमबीपीएस ब्रॉडबैंड कनेक्टीविटी प्रदान करने के लिए भारत नेट परियोजना तैयार की है। परियोजना के पहले चरण में भूमिगत ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाकर एक लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ा जाएगा। इस परियोजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। दूसरे चरण के अंतर्गत शेष 1.5 लाख ग्राम पंचायतों में भूमिगत फाइबर, बिजली की तारों के ऊपर फाइबर, रेडियो और सेटलाइट मीडिया का इस्तेमाल करते हुए  कनेक्टीविटी प्रदान की जाएगी। दूसरे चरण का कार्य मार्च 2019 तक पूरा होगा।

जॉब न्यूज: बैंक अभ्यथियों के सामने नई टेंशन

एसएससी की परीक्षाओं के बाद युवाओं की पसंद बैंकों की जॉब होती है। आज का युवा एसएससी के साथ बैंक पीओ और बैँक क्लर्क की परीक्षा की तैयारी करता है। देश में आजकल बैंकों के कॉन्सालिडेटेड का मामला बहुत तेजी से उछल रहा है। केन्द्र सरकार देश में एसबीाआई जैसी केवल सात बैंकें ही चलाना चाहती है। क्षेत्रीय और छोटी बैंकों को इन सभी सातों बैंकों में मर्ज किया जा रहा है। अभी हाल ही में सुनने में आया था कि नौ बैंकों का अन्य बड़ी बैंकों में मर्ज किया जा रहा है। इन बैंकों के नाम हैं सेन्ट्रल बैँक आफ इंडिया, आईडीबीआई, देना बैंक, यूको बैंक, बैँक आफ महाराष्ट्र आदि-आदि। इन बैँकों के मर्जर से आम ग्राहकों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला लेकिन इन बैँकों में नौकरी चाहने वाले युवाओं के भविष्य पर अवश्य ही फर्क पडऩे वाला है। निजी और छोटी बैँकों में नौकरी दिलाने वाला बोर्ड कमजोर होगा और उसकी शक्तियां घटने से जॉब मिलने में भी परेशानी होगी। जॉब संख्या भी प्रभावित होगी। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अब केवल उन्हीं युवाओं को बैंकों की नौकरी मिल सकेगी जो एसबीाआई लेबल की तैयारी कर पाएंगे। 

Friday, 28 July 2017

सरकार ने गिनाईं वस्तु एवं सेवाकर की विशेषताएं

     लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री ने दी लिखित जानकारी

      लोकसभा में वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी देते हुए जीएसटी के लाभ बताए। उन्होने कहा कि जीएसटी के बारे में देश में अनेक तरह की अफवाहें फैलीं हुईं हैं। लोगों को इन अफवाहों से सावधान रहना चाहिए। सरकार ने हर तरह की अफवाहों पर अपना स्पष्ष्टीकरण दिया है उस पर ध्यान दें।  श्री गंगवार ने कहा कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी)  का उद्देश्य व्यापारिक लेनदेन में पारदर्शिता लाना और जवाबदेही तय करना है। इसके अलावा जीएसटी से व्यापार करने में आसानी होगी तथा टैक्स की दरें तर्कसंगत होंगी, जिससे देश की वित्तीय स्थिति को सही दिशा मिलेगी।
      जीएसटी का सबसे पहला लाभ यह है कि इससे राज्यों के बीच होने वाले लेनदेन की बाधाएं दूर हो जाएंगी तथा एक साझा बाजार की रचना होगी। देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर और एक बाजार’ की अवधारणा आगे बढ़ेगी। राज्यों के बीच आपूर्ति के संबंध में केवल एकीकृत कर प्रणाली काम करेगी, जबकि राज्यों के भीतर होने वाली आपूर्ति के संबंध में केन्द्रीय कर और राज्यकर लागू होंगे। इस तरह पिछली प्रणाली के स्थान पर अब केन्द्र और राज्यों में आसान तथा कारगर कर प्रणाली काम करेगी।
      कराधान ढांचे को आसान बनाकर जीएसटी व्यापार और विकास को प्रोत्साहन देगा, क्योंकि असंख्य कर समाप्त हो जायेंगे। जीएसटी कानूनों को इस तरह बनाया गया है कि विभिन्न प्रकार के टैक्सों के स्थान पर केवल एक ही टैक्स लागू हो। जीएसटी के अन्तर्गत निम्नलिखित टैक्स समाविष्ट कर दिए गए हैं:-
(अ) केन्द्र संबंधी कर:
केन्द्रीय उत्पाद शुल्क
उत्पाद शुल्क (औषधि और शौचालय निर्माण)
अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (विशेष महत्व के सामान)
अतिरिक्त शुल्क (कपड़ा और कपड़ा उत्पाद)
अतिरिक्त सीमा शुल्क (आमतौर पर जिसे सीवीडी के नाम से जाना जाता है)
विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क (एसएडी)
सेवाकर
केन्द्रीय सरकार और उपकर, सामान या सेवा आपूर्ति के संबंध में।
(ब)  राज्य संबंधी कर:
राज्य वैट
केन्द्रीय बिक्री कर
विलासिता कर
चुंगी और प्रवेश कर (सभी प्रकार के)
मनोरंजन एवं मनोविनोद कर (स्थानीय निकायों द्वारा लागू होने के अतिरिक्त)
विज्ञापनों पर कर
खरीद कर
लॉटरी और जुए पर कर
राज्य सरकार और उपकर, सामान या सेवा आपूर्ति के संबंध में।
      जीएसटी से उत्पादकता में सुधार होगा और व्यापार करने में आसानी होगी, क्योंकि इसके तहत पूरा राष्ट्र एकल बाजार में तब्दील हो जाएगा। राज्यों के बीच होने वाले व्यापार की बाधाएं दूर हो जाएंगी। इसके अलावा कराधान का दुष्प्रभाव कम होगा और कर का दायरा बढ़ जाएगा, जिससे देश को बहुत फायदा मिलेगा।

नीट का कोटा लागू करने के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों पर कसेगा शिकंजा

नीट के तहत एमबीबीएस में छात्रों को 15 प्रतिशत का कोटा निजी मेडिकल कालेजों में दिलाने के लिए एमसीआई ने सरकार के साथ मिलकर कमर कस ली है। इस उद्देश्य से नीट लागू करने के लिए आईएमसी संशोधन अधिनियम ,2016 के साथ भारतीय चिकित्सा परिषद(एमसीआई) ने केंद्र सरकार की पूर्वानुमति से स्नातक मेडिकल शिक्षा नियमन,1997 तथा स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा नियमन, 2000 में संशोधन किया है ताकि कॉमन काउंस्लिंग का प्रवाधान किया जा सके। मेडिकल पाठ्यक्रमों में नीट तथा कॉमन काउंस्लिंग के माध्यम से प्रवेश मिलेगा । काउंस्लिंग के बाद प्रवेश नामांकन के ब्यौरे एमसीआई को भेजे जाते हैं।
 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के मामले में संबंधित राज्य सरकार फीस निर्धारित करने के लिए उत्तरदायी है और निजी मेडिकल कॉलेजों  के मामले में फीस का ढांचा उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार राज्य सरकार दवारा  सेवा निवृत्त हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में बनाई गई समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है।  यह निर्णय समिति को लेना है कि क्या संस्थान द्वारा प्रस्तावित फीस न्यायोचित है और क्या समिति द्वारा निर्धारित फीस ढांचा संस्थान के लिए बाध्यकारी है।
उच्चम न्यायालय ने 09.05.2017 को अपने आदेश में निर्देश दिया था कि कॉमन काउंस्लिंग के अनुसार एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने वाले विद्यार्थी संस्थानों/कॉलेजों/विश्विद्यालयों को देय फीस के लिए काउंस्लिंग  समिति को डिमान्ड ड्राफ्ट जमा कराएंगे। काउंस्लिंग के बाद प्रवेश नामांक के ब्यौरे एमसीआई को भेजे जाते हैं। एमसीआई ब्यौरों की जांच करती है और किसी मेडिकल कॉलेज में नियमों का उल्लंघन करके प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को डिस्चार्ज नोटिस जारी करती है। विद्यार्थियों को अवगत कराने के लिए एमसीआई ने अपनी वेबसाइट पर मेडिकल कॉलेजों में चलाए जा रहे पाठ्यक्रमों की स्वीकृति की जानकारी दी है। एमसीआई की वेबसाइट पर विद्यार्थियों के लिए एडवाइजरी भी दी गई है। यह जानकारी आज लोक सभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने एक लिखित उत्तर में दी। 

Thursday, 27 July 2017

Alert:Taxman come through social media to your door

Photo of New shiny car or holiday cottage in social media will be burden

According the artcle of ET Government now working through social media.
A photo of your shiny new car on Instagram or the Facebook post about your chic holiday cottage may lead India’s taxman to your door.
Starting next month, Prime Minister Narendra Modi’s government will begin amassing a warehouse of virtual information collected not just from traditional sources like banks but also from social media sites, as it looks to match residents’ spending patterns with income declarations, said people familiar with the matter. Officials will be able to spot those who pay too little tax without raiding offices and homes as they currently do, the people said, asking not to be identified citing rules on speaking with the media.
Built over seven years at a cost of about 10 billion rupees ($156 million), ‘Project Insight’ will complement the world’s largest biometric identity database and India’s most ambitious tax overhaul as policy makers try to get more people to pay up. While the economy is among the fastest-growing in the world, revenues aren’t keeping pace, bloating Modi’s budget deficit and triggering anxiety about over-zealous tax sleuths.
"Data analytics is the way forward for tax administrations across the world," said Amit Maheshwari, managing partner at accountancy firm Ashok Maheshwary and Associates near New Delhi. "This will also put an end to harassment by tax officials as there will be no public interface. Perceived randomness in scrutiny will come to an end."
Countries including Belgium, Canada and Australia are already using big data to unearth tax evasion that may have gone undetected without technology. India’s efforts resemble the U.K.’s ‘Connect,’ which is estimated to have cost some 100 million pounds. Since its inception in 2010, it has prevented the loss of 4.1 billion pounds ($5.4 billion) in revenue and the number of criminal prosecutions has risen to 1,165 from 165 a year, the London-based Institute of Financial Accountants said in a December 2016 report. 

‘India’s daughters have made the nation proud’

PM interacts with Indian Women’s Cricket Team

The Prime Minister Narendra Modi interacted with the players and officials of the Indian Women’s Cricket Team that recently participated in the Women’s Cricket World Cup.
The players said that this was the first time that they had seen a Prime Minister tweet for the Women’s Cricket Team. They said that that they felt proud, happy and inspired to know that the Prime Minister was following their progress.
Responding to questions asked by the players on handling pressure, the Prime Minister said that Yoga helps achieve a good balance between mind, body and action. He also said that practice of Yoga helps develop detachment. Telling the players that they had not “lost”, the Prime Minister said that 125 crore Indians carried their defeat in the final, on their shoulders, and this was, in fact, their greatest victory.
Noting that India’s daughters have made the nation proud in many international sporting events, the Prime Minister said that the society is benefiting from the progress that women are making in various fields. Besides sports, he mentioned the school results of Class 10 and 12; and women space scientists who have played a key role in prestigious ISRO missions. The players presented a signed cricket bat to the Prime Minister. 

Weather Warning : Strong wind and heavy rainfall

North-East and West India will be effected

India Meteorological Department has issued severe weather warning for 27th  to 31st  July, 2017 as below:
27 JULY:? Heavy to very heavy rainfall with extremely heavy falls very likely at isolated places over Madhya Pradesh; heavy to very heavy at isolated places over East Rajasthan, Chhattisgarh, Gujarat and heavy at isolated places over East Uttar Pradesh, Vidarbha, Jharkhand, Andaman & Nicobar Islands, Assam & Meghalaya, Nagaland, Manipur, Mizoram & Tripura, Madhya Maharashtra and Konkan & Goa.
 Strong winds with speed 30­40 kmph gusting to 50 kmph very likely over Madhya Pradesh, North Chhattisgarh and southern parts of Uttar Pradesh.
28 JULY:.? Heavy to very heavy rainfall with extremely heavy falls very likely at isolated places over East Rajasthan; heavy to very heavy at isolated places over West Madhya Pradesh and Gujarat region; heavy at isolated places over Himachal Pradesh, West Rajasthan, East Madhya Pradesh, Saurashtra & Kutch, Madhya Maharashtra and Konkan & Goa.
29 July :? Heavy to very heavy rainfall very likely at isolated places over Rajasthan; heavy rain at isolated places over Jammu & Kashmir, Himachal Pradesh, Uttarakhand, Punjab, Haryana, Chandigarh & Delhi, West Uttar Pradesh and Gujarat region.
30 July : ? Heavy rain very likely at isolated places over Jammu & Kashmir,Himachal Pradesh, Uttarakhand, Punjab, Haryana, Chandigarh & Delhi, West Uttar Pradesh, East Rajasthan, Assam & Meghalaya,Nagaland, Manipur, Mizoram & Tripura.
31 July  :? Heavy rain very likely at isolated places over Uttarakhand, West Uttar  Uttar Pradesh, Sub­Himalayan West Bengal & Sikkim, Assam & Meghalaya and Nagaland, Manipur, Mizoram & Tripura.

Wi-Fi Facility on Flights in Indian territory

The Ministry of Civil Aviation proposes to allow the use of Wi-Fi in commercial aircrafts operating over Indian territory. The proposal for providing on-board Wi-Fi services involves amendments of provisions of Indian Telegraph Act, 1885 and Indian Telegraph Rules made there under. The Department of Telecom (DoT) has already moved a proposal for providing in-flight connectivity for voice, data and video services for consideration of the Committee of Secretaries.
As of now, Wi-Fi in-flight Entertainment System (Transmitting - Portal Electronic Device) is an independent system and is not connected to aircraft control systems, making it safe for aircraft operations.
This information was given by Minister of State for Civil Aviation  Jayant Sinha in a written reply to a question in the Lok Sabha.

Wednesday, 26 July 2017

Demonetisation-2; Why RBI Held the pringting of 2,000 notes

For General people Govt can release 2,00 notes too!

Is the Central government quietly planning another round of demonetisation? A large number of people believe the Rs 2,000 note will be scrapped. Now the talk has reached Parliament too. The Opposition in Rajya Sabha asked Finance Minister Arun Jaitley to clarify whether the government has decided to scrap the newly launched Rs 2,000 note. However, Jaitley did not respond even as many Opposition members insisted for clarification from him. Recent weeks have seen a shortage of Rs 2,000 notes which many attribute to hoarding. Cash, especially black money, is easier to hoard in Rs 2,000 notes as notes of lower denominations need more space. Also, most people find the note cumbersome as it is not easy to change.
The supply of Rs 2,000 notes from the RBI has declined. There might be a deliberate plan to limit the supply of these notes. The RBI rushed to print Rs 2,000 notes immediately after demonetisation was announced in November last year and that supply may have reached a level that the central bank is not comfortable with now. This may be a conscious strategy to curb the new supply of high-value notes and print more low-value notes.
There are reports that the Reserve Bank of India has stopped printing the Rs 2,000 currency notes altogether and will not be bringing new notes in the current financial year.
What has further fuelled rumours of another round of demonetisation is the government launching Rs 200 note. With more Rs 200 and Rs 500 notes in circulation, the common people will not be impacted much by a ban on the Rs 2,000 note. The ban will be an effective step against black cash as demonetisation of Rs 2,000 currency note will hit hoarders more than the masses.
Rs 2,000 note had an important purpose when it was launched after demonetisation in November 2016. It was meant to ease the shortage of money supply. Now there is no such need.
If the government plans to increase supply of lower denomination notes such as Rs 500 and Rs 200 and restrict supply of Rs 2,000 note, it is quite possible that these steps would lead to demonetisation of Rs 2,000 note.

Demonetisation-2 is start

Government want to targeting ‘big black fish’

Government starts the second round of demonetisation. In this round Government want to targeting the some corporates, who connect in black money activities.  After targeting individuals who made large cash deposits in banks during or after demonetisation, the income-tax department is now going after businesses that deposited lots of cash in corporate accounts in the second round of demonetisation tax notices.
According departmental sources that since last week, the department has been sending notices to entrepreneurs, including some prominent jewellers, diamond traders, textile merchants and real estate developers, who have deposited money in their corporate bank accounts.
This round of tax notices is focused on "big fish", the official said. "Anyone who may have deposited unexplained cash in bank accounts after demonetisation has received notices. The tax notices were sent through emails of the taxpayers," the person said. People in the know said the number of tax notices sent since last week could be in lakhs.

At the time of deposits, most companies had claimed it was cash on hand from their business activities. The main source cited was from sale proceeds. Along with the notices, the tax department has sent bank statements of such transactions and asked these businesses to disclose details of the source of income through a questionnaire consisting four questions.

"Tax department is seeking the information of the customers to whom the cash sales are made," said senior chartered accountant Dilip Lakhani. "Assessees are asked to give the bifurcation of the customers as to whether they are identified or unidentified and as to whether they hold PAN number or not. The tax department may cross verify the genuineness of the transaction where the customers are identified and having PAN number," he said.
Demonetisation crackdown round two: Tax sleuths target corporate accounts

Saturday, 15 July 2017

GST: Traders should not wait for last date

Regestration work is on, why are you waiting 

Provisions related to registration under GST regime; Traders are requested to register now without waiting for the last date i.e. 30th July, 2017.       As per the GST laws, one is required to take registration on or before 30thJuly, 2017. All traders are requested to register now without waiting for the last date. If one is carrying-out any business and have an Annual Aggregate turnover in the preceding Financial Year exceeding Rs. 20 lakh (Rs. 10 lakh in Special Category States), you need to register in all the States/Union Territories from where you are making taxable supplies. However, one need not register if one is engaged exclusively in the supply of exempted goods or services or both.

This Is Real GST For Second Hand Goods Dealers

Government clear all doubts and rumours

Government clear all doubts and rumours.Doubts have been raised regarding the applicability of the Margin Scheme under GST for dealers in second hand goods in general and for dealers in old and used empty bottles in particular.
Rule 32(5) of the Central Goods and Services Tax (CGST) Rules, 2017 provides that where a taxable supply is provided by a person dealing in buying and selling of second hand goods i.e., used goods as such or after such minor processing which does not change the nature of the goods and where no input tax credit has been availed on the purchase of such goods, the value of supply shall be the difference between the selling price and the purchase price and where the value of such supply is negative, it shall be ignored. This is known as the margin scheme.
Further, notification No.10/2017-Central Tax (Rate), dated 28.06.2017 exempts Central Tax leviable on intra-State supplies of second hand goods received by a registered person, dealing in buying and selling of second hand goods [who pays the central tax on the value of outward supply of such second hand goods as determined under sub-rule (5)] from any supplier, who is not registered. This has been done to avoid double taxation on the outward supplies made by such registered person, since such person operating under the Margin Scheme cannot avail input tax credit on the purchase of second hand goods.
Thus, Margin Scheme can be availed of by any registered person dealing in buying and selling of second hand goods [including old and used empty bottles] and who satisfies the conditions as laid down in Rule 32(5) of the Central Goods and Services Tax Rules, 2017. 

Get information about 'Operation Clean Money' here

Portal of 'Operation Clean Money' was launched on May 16, 2017. The following features of this Portal are:
All the information in a phased manner in a phased manner, training in general related questions, guide for the user, quick reference guide and verification process and other issues
Enabling citizen participation so that a tax-compliant society can be created and where every Indian feels proud of paying taxes. Citizens take oath to support 'Operation Clean Money' while sharing their experiences by educating them and providing information related to other citizens. A transparent tax administration should be ensured while sharing the available details and analyzing the cash deposit data.

‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ की जानकारी यहां पाएं

‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के पोर्टल  का शुभारंभ 16 मई 2017 को किया गया। इस पोर्टल की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:-
एक ही स्थान पर चरणबद्ध तरीके से सम्पूर्ण जानकारी, सामान्य तौर पर पूछे जाने वाले प्रश्न, उपयोगकर्ता के लिए मार्गदर्शिका, त्वरित संदर्भ मार्गदर्शिका और सत्यापन प्रक्रिया तथा अन्य मुद्दों से संबंधित प्रशिक्षण।
नागरिक सहभागिता को सक्षम करना ताकि कर-अनुपालन करने वाले समाज का निर्माण किया जा सके और जहां हर भारतीय कर भुगतान करने में गर्व का अनुभव करता हो। नागरिक दूसरे नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें शिक्षित कर अपने अनुभवों को साझा करते हुए व इससे संबंधित जानकारी उपलब्ध कराते हुए ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ को समर्थन प्रदान करने की शपथ लें। उपलब्ध विवरणों को साझा करते हुए तथा नकद जमा आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए एक पारदर्शी कर प्रशासन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

What to do suspect account holder

   Information about cases of depositing more funds and accounts in the accounts of the bank during the note-taking, the information portal will be available: http://bit.ly/GdGhldDadbaddhadguardhadbadhadbed.db.b. But e-filing has been made available in the window. The account holder can obtain information using the link of Cash transaction 2016 of the Compliance Section of the portal. The taxpayer can go to the office of the Income Tax Department without having to submit his answer online. All identified persons are being informed through email and SMS so that they can give their replies online.
The following information has been sent to promote voluntary compliance
It is necessary to give details of cash deposited in two lakh or more bank accounts in the income tax return (ITR). This description will be compared to information available with the Income Tax Department.
The taxpayer should ensure that the details of the amount deposited in the bank accounts (in the calculation of income) is also given in the ITR during the note-taking. The amount deposited in such a way should be added to taxable income during the tax selection.
The complete and true details of the cash deposited in the above period should be given in the ITR.

क्या करें संदिग्ध खाताधारक

   नोटबंदी के दौरान अपने खातों में अधिक धन जमा कराने के मामलों और खातों के संबंध में जानकारी पोर्टल . पर ई-फाइलिंग विंडो में उपलब्ध कराई गई है। खाताधारक पोर्टल के अनुपालन खंड के नकद लेनदेन 2016 के लिंक का उपयोग करके जानकारी प्राप्त कर सकता है। करदाता आयकर विभाग के कार्यालय गए बगैर भी अपना जवाब ऑनलाइन जमा कर सकता है। सभी पहचान किए गए व्यक्तियों को ईमेल और एसएमएस के माध्यम से सूचना दी जा रही है ताकि वे अपना जवाब ऑनलाइन दे सकें।
स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए निम्न जानकारियां प्रेषित की गई हैं
बैंक खातों में 2 लाख या इससे अधिक जमा की गई नकदी का विवरण आयकर रिटर्न (आईटीआर) में देना आवश्यक है। इस विवरण की तुलना आयकर विभाग के पास उपलब्ध जानकारी से की जाएगी।
करदाता यह सुनिश्चित करें कि नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में जमा राशि का विवरण (आय की गणना) आईटीआर में भी दिया गया है। इस तरह जमा की गई राशि को कर चुनाने के दौरान करयोग्य आय में जोड़ा जाना चाहिए।
उपर्युक्त अवधि में जमा की गई नकद राशि का पूर्ण और सत्य विवरण आईटीआर में दिया जाना चाहिए।

Noteban: More than five and a half million people come in net

During the cancellation, a large amount of cash was deposited for depositing money, the action started

In the second phase of 'Operation Clean Money', the Income Tax Department started action on the cases of high cash deposits.
Income Tax Department (ITD) has identified 5.56 lakh new people on the basis of financial transaction details (SFT) in the second phase of Operation Clean Money (OCM). These are those who had deposited cash in large quantities during the note-taking. Inconsistency has been found in their tax details and their cash deposits. In addition, 1.04 lakh others have also been identified, who did not disclose all the bank accounts during the e-verification in the first phase of the OCM. In the first phase 17.92 lakh people were identified for e-verification, out of which 9.72 lakh people have submitted online answers.
      In respect of the above cases and accounts, the information portal will be available: http://bbdthystemdurgahladdad.adbeththraddhadguard.gov.uk/des. But e-filing has been made available in the window. The account holder can obtain information using the link of Cash transaction 2016 of the Compliance Section of the portal.

नोटबंदी: साढ़े पांच लाख से अधिक लोग आए शिकंजे में

नोटबंदी के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी जमा कराने के दोषी पास गए, कार्रवाई शुरू

आयकर विभाग ने ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के दूसरे चरण में उच्च नकदी जमाओं के मामलों पर कार्रवाई प्रांरभ की।
आयकर विभाग (आईटीडी) ने ऑपरेशन क्लीन मनी (ओसीएम) के दूसरे चरण में वित्तीय लेनदेन के विवरण (एसएफटी) के आधार पर 5.56 लाख नए लोगों की पहचान की है। ये वो लोग हैं जिन्होंने नोटबंदी के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी जमा कराई थी। उनके कर विवरण और उनकी नकदी जमाओं में असंगति पायी गयी है। इसके अतिरिक्त 1.04 लाख अन्य लोगों की पहचान भी की गई है, जिन्होंने ओसीएम के पहले चरण में ई-सत्यापन के दौरान सभी बैंक खातों का खुलासा नहीं किया था। पहले चरण में 17.92 लाख लोगों की पहचान ई-सत्यापन के लिए की गई थी, जिनमें से 9.72 लाख लोगों ने ऑनलाइन जवाब जमा करा दिए हैं।
      उपरोक्त मामलों और खातों के संबंध में जानकारी पोर्टल द्धह्लह्लश्चह्य://द्बठ्ठष्शद्वद्गह्लड्ड&द्बठ्ठस्रद्बड्डद्गद्घद्बद्यद्बठ्ठद्द.द्दश1.द्बठ्ठ. पर ई-फाइलिंग विंडो में उपलब्ध कराई गई है। खाताधारक पोर्टल के अनुपालन खंड के नकद लेनदेन 2016 के लिंक का उपयोग करके जानकारी प्राप्त कर सकता है। 

Thursday, 13 July 2017

Rolling out of GST presents great opportunities : Kalraj Mishra

Ministry of MSME along with FICCI organized National Workshop on GST and Digital MSME New Delhi. Speaking on the occasion Shri Kalraj Mishra, Union Minister for MSME said that Ministry of MSME is giving special focus to the development of MSMEs all over the country and to effectively implement different Schemes and Programmes. It has also directed the banks to accelerate the pace of solving the loan related problems of the entrepreneurs.
He also informed the gathering that by rolling out GST, cascading of taxes will be overcome and this will significantly reduce the tax burden. Furthermore, this will pave the way for a formal economy hence will give a fillip to growth and employment generation. Therefore, MSMEs should see this as an opportunity rather than a challenge.
Minister also informed that the Ministry has taken up various efforts to popularize GST. Under office of Development Commissioner (MSME), GST cells have been established in Headquarter office , all MSME-DIs and Tool Rooms. NSIC has also set up a Facilitation Cell with a toll free number – 1800-111-955. Till now more than 12000 entrepreneurs have been trained for GST by various MSME field offices and training institutes.
He reiterated that that he himself has given information on GST at Guwahati and Agartala in North East. Minister has directed all officials to use social media i.e. Facebook and Twitter to provide information, to publish notification and to answer questions related to GST. Furthermore, more than 200 Additional Secretary/Joint Secretary level officers have been told to monitor the implementation of GST at district level. In this effort two Joint Secretaries of M/o MSME are involved.
Shri Mishra informed that a special issue of Laghu Udyog Samachar has been published by his Ministry focusing on GST. Furthermore, Secretary (MSME) has been included in the reviewing committee the Cabinet Secretary level. Central MSME Minister informed that along with GST, M/o MSME has taken effort to simplify the guidelines for implementation of its various schemes. E-initiatives have been taken in simplification of guidelines wherein PMEGP has been made online. Online Grievance Redressal and Monitoring Systems(CPGRAMS and IGMS) have been established. E-office and Mobile friendly website have been initiated and ‘My-MSME’ Mobile App, MSME-Data Bank Portal and Digital-MSME portal have been started. 

GST:Reverse charge on gold ornaments for business not individual

Sale of old jewellery by an individual to a jeweller will not make the jeweller liable to pay tax under reverse charge mechanism on such purchases; However, if an unregistered supplier of gold ornaments sells it to registered supplier, the tax under RCM will apply.
In the GST Ki Master Class held yesterday, in one of the replies given to an on-the-spot-question, it was informed that purchase of old gold jewellery by a jeweller from a consumer will be subject to GST @ 3% under reverse charge mechanism in terms of the provisions contained in Section 9(4) of the CGST Act, 2017.
On further examination, it is felt that the issue needs to be clarified.
Section 9(4) of the said Act mandates that tax on supply of taxable goods (gold in this case) by an unregistered supplier (an individual in this case) to a registered person (the jeweller in this case) will be paid by the registered person (the jeweller in this case) under reverse charge mechanism. This provision, however, has to be read in conjunction with section 2(105) read with section 7 of the said Act. Section 2 (105) defines supplier as a person supplying the goods or services. Section 7 provides that a supply is a transaction for a consideration by a person in the course or furtherance of business.
Even though the sale of old gold by an individual is for a consideration, it cannot be said to be in the course or furtherance of his business (as selling old gold jewellery is not the business of the said individual), and hence does not qualify to be a supply per se. Accordingly, the sale of old jewellery by an individual to a jeweller will not attract the provisions of Section 9(4) and jeweller will not be liable to pay tax under reverse charge mechanism on such purchases. However, if an unregistered supplier of gold ornaments sells it to registered supplier, the tax under RCM will apply

YEH DESH HAI TUMHARA NETA TUMHI HO KAL KE

Students of Kendriya Vidyalaya No.1, GCF, Jabalpur which was declared first

"I was not this lucky to gain this experience in my student life"

Minister S.S. Ahluwalia distributes Prizes for the 29th National Youth Parliament Competition, 2016-2017 for Kendriya Vidyalayas and 51st Youth Parliament Competition, 2016-17 for Delhi Schools 

Minister of State for Agriculture & Farmers Welfare and Parliamentary Affairs S.S. Ahluwalia, presided over the Prize Distribution Function of the 29th National Youth Parliament Competition 2016-17, for Kendriya Vidyalayas and 51st Youth Parliament Competition, 2016-17 for Delhi Schools, held New Delhi. Students, Principals and teachers in charge of 25 Kendriya Vidyalayas and 33 Delhi Schools received Trophies and Prizes from the Minister.
The Youth Parliament Scheme aims at inculcating among the younger generations the spirit of self-discipline, tolerance of diverse opinion, righteous expression of views and other virtues of a democratic way of life. Besides, the scheme also acquaints the students with the practices and procedures of Parliament, techniques of discussion and debate and develops in them self-confidence, quality of leadership and the art and skill of effective oratory – the hallmarks of democracy.
Shri Ahluwalia congratulated the winners and participating schools, students and teachers for their immaculate performances. He said that these children are very lucky to have a close experience about the conduct of business in the Parliament in their student life because of the National Youth Parliament Scheme run by the Government. "I was not this lucky to gain this experience in my student life", the Minister added.
Shri Ahluwalia gave his valuable inputs to the students about the important nuances of conduct of business in the Parliament and encouraged them to focus on developmental issues of social importance in their future performances. He also suggested the audience to refer the website of both Houses of Parliament and become aware about their functioning in detail. Further, Shri Ahluwalia encouraged students and schools to move towards a digital and paper less learning ecosystem.
The Minister also directed officials of the Ministry to find out whether any student who is a product of Youth Parliament Scheme has actually become an MP in the present times. This would be a parameter for the success of the scheme in true sense, he added.
Shri Ahluwalia distributed the prizes to students and Vidyalayas for their meritorious performance in the competition which was held during the academic year. On this occasion, the students of Kendriya Vidyalaya No.1, GCF, Jabalpur which was declared first in the 29th National Youth Parliament Competition 2016-17, for Kendriya Vidyalayas, presented a short sitting of “Youth Parliament”. Winner of the 51st Youth Parliament Competition, 2016-17 among Delhi Schools was Rukmini Devi Public School, CD Block, Pitampura, Delhi-34.
From a modest beginning in 1966 when the first Competition was organized by the Ministry of Parliamentary Affairs in 16 schools of the Delhi Administration, the Youth Parliament Scheme now covers 1200 schools in NCT of Delhi, 1200 Kendriya Vidyalayas, 600 Jawahar Navodaya Vidayalayas and 300 Universities/Colleges all over country.

सारी आरडब्ल्यूए सेवाएं महंगी नहीं होंगी

20 लाख से अधिक टर्नओवर वाली आरडब्ल्यूए सेवाओं पर लगेगा कर

मीडिया में कुछ ऐसी रिपोर्टें आई हैं कि आवासीय कल्याण समिति (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, आरडब्ल्यूए) द्वारा दी गई सेवाएं जीएसटी के अन्तर्गत महंगी हो जाएंगी। ये समाचार पूरी तरह आधारहीन है।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी के अन्तर्गत आरडब्ल्यूए द्वारा अपने सदस्यों को दी गई सेवाओं के बदले प्रतिपूर्ति या अंशदान (अधिकतम सीमा 5000 रुपये प्रति माह) जीएसटी के अन्तर्गत करमुक्त है।
इसके अतिरिक्त यदि किसी आरडब्ल्यूए का टर्नओवर किसी वित्तवर्ष में बीस लाख रुपये से ज्यादा है तो वस्तुओं या सेवाओं पर जीएसटी के अन्तर्गत कर छूट मिल सकती है यदि शुल्क की सीमा प्रति सदस्य 5000 रुपये से अधिक है।
आरडब्ल्यूए को जीएसटी के अन्तर्गत कर देना होगा यदि प्रति व्यक्ति मासिक शुल्क रुपये 5000 से अधिक है और आरडब्ल्यूए का वार्षिक टर्नओवर 20 लाख या इससे अधिक है। जीएसटी के अन्तर्गत आरडब्ल्यूए पर कर का बोझ कम होगा, क्योंकि कैपिटल गुड्स (जेनरेटर, वाटर पम्प, लॉन फर्नीचर आदि), वस्तु  (नल, टोटी, पाइप, साफ-सफाई के अन्य उपकरण) तथा सेवाएं (मरम्मत, संचालन) पर उनके द्वारा दिए गए कर के संदर्भ में वो आईटीसी पाने के हकदार होंगे। कैपिटल गुड्स और वस्तुओं पर दिये जाने वाले कर पर जीएसटी लागू होने से पहले आईटीसी की सुविधा नहीं थी। इस प्रकार आरडब्ल्यूए का यह खर्च कम हो गया।  
जीएसटी लागू होने के पश्चात आरडब्ल्यूए द्वारा अपने सदस्यों को दी जाने वाली सेवाओं के संदर्भ में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

छात्रावास सुविधा के वार्षिक शुल्क पर जीएसटी नहीं

विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों को शैक्षणिक संस्थानों द्वारा दी जाने वाली सेवाएं जीएसटी से मुक्त 

केन्द्र सरकार ने स्पष्ट करते हुए बताया है कि इस तरह की कुछ खबरें आई हैं कि छात्रावासों में रहने के लिए विद्यार्थियों द्वारा दिये जाने वाले वार्षिक शुल्क या फीस पर 18 प्रतिशत की दर से वस्तु और सेवा कर लगाया जायेगा। ऐसी खबरों में सच्चाई नहीं है। जीएसटी में शिक्षा और संबंधित सेवाओं के कर दायित्व में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है सिवाए इसके कि शिक्षा से जुड़े कुछ मदों पर कर की दरों में कमी की गई है।
शैक्षणिक संस्थान द्वारा विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों को दी जाने वाली सेवाएं पूरी तरह से मुक्त हैं। शैक्षणिक संस्थान  की परिभाषा निम्नलिखित हैं :
(1)    स्कूल पूर्व शिक्षा तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय या समकक्ष तक शिक्षा।
(2)    विधि द्वारा मान्य योग्यता प्राप्त करने के लिए पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में शिक्षा।
(3)    स्वीकृत व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में शिक्षा।
इस तरह स्कूल पूर्व शिक्षा तथा उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा या विधि द्वारा मान्य योग्यता के लिए शिक्षा प्रदान करने वाले शैक्षणिक संस्थानों द्वारा दी जाने वाली भोजन/ आवास सेवाएं जीएसटी से पूरी तरह मुक्त हैं। शैक्षणिक संस्थान द्वारा विद्यार्थियों को दी जाने वाली आवासीय सुविधा के लिए जाने वाले शुल्क जीएसटी के दायरे में नहीं आते।

Wednesday, 12 July 2017

Mobile app “GST Rates Finder soon available on ios platform

Mobile app “GST Rates Finder” which is available on android platform to be soon available on ios platform as well.              
CBEC Mobile app “GST Rates Finder” which is available on android platform and soon will be available on ios platform as well. To install "GST Rate Finder", user of Android mobile has to first open Google Play Store and in the search option has to type GST Rate Finder. There may be many more apps available with similar names. The user has to download the app with CBEC Logo i.e.Once downloaded and installed the icon will appear on the screen of the mobile. Now this mobile app is ready to operate and it will also operate in off-line mode. After clicking the icon with the above logo for the mobile app, home screen will appear. On this screen the most important feature is Quick Search.  The user can search for any goods and services by typing the name or chapter heading of the commodity or services.If the user is not aware of the Chapter Heading of HSN then the user can type the name of the Goods or Services. For e.g. if the user search for Taxi related services then , Taxi has to typed in Quick Search. This search will provide the list of Goods and Services containing the name "Taxi", which was typed in the search box. Now the user may scroll the list and click on the specific category which the user is searching and as a result of the click, a window will pop-up.This window will contain details like “GST rate”, “Chapter heading of the HSN”, and description of services. If still the user is not satisfied then a link of CBEC website is available on the home screen. This link will open the GST page of the CBEC website. The details are available on this website.  If the user is aware of the chapter heading or the HSN Code then the specific HSN code can be typed in Quick search box and the user can immediately see the specific description.For example, any person who has been billed by a hotel or restaurant or for footwear can cross verify the rates through this mobile app.  It will increase transparency and truly empowers every citizen of the nation and serves as a ready reckoner for one and all.

16 जुलाई तक देश के सभी भागों में होगी भारी वर्षा

मौसम विभाग ने दी गंभीर मौसम की चेतावनी

भारतीय मौसम विभाग ने 12 से 16 जुलाई के लिए भारी वर्षा की चेतावनी दी है। मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान देश के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी भाग के मैदानी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में भारी वर्षा होने की भविष्यवाणी की है।
मौसम विभाग के अनुसार  मध्यप्रदेश के पूर्वी और पश्चिम भाग में कहीं-कहीं भारी से भारी बारिश हो सकती है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के विदर्भ एवं कोंकण क्षेत्र, झारखंड, पश्चिम बंगाल का गांगेय क्षेत्र, अण्डमान एवं निकोबार प्रायद्वीप, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, गुजरात और गोवा में कहीं-कहीं भारी बारिश का पूर्वानुमान है।
मौसम विभाग ने चेतावनी देते हुए बताया कि 13 जुलाई को पश्चिमी मध्यप्रदेश के विभिन्न इलाकों में कहीं-कहीं भारी से भारी बारिश का अनुमान है। महाराष्ट्र्र के कोंकण और गोवा में भी छिटपुट जगहों पर भारी से भारी बारिश हो सकती है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी राजस्थान, पूर्वी मध्यप्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल के गांगेय क्षेत्र, अण्डमान एवं निकोबार प्रायद्वीप, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, गुजरात और मध्य महाराष्ट्र में कहीं-कहीं भारी बारिश का पूर्वानुमान है।
इसी तरह 14 जुलाई को सौराष्ट्र और कच्छ में कुछ जगहों पर भारी बारिश हो सकती है। पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, कोंकण और गोवा में भी कहीं-कहीं भारी से भारी बारिश का अनुमान है। मध्य महाराष्ट्र्र में कहीं-कहीं भारी से भारी बारिश और पश्चिमी राजस्थान, ओडिशा और तटीय कर्नाटक में छिटपुट जगहों पर भारी बारिश का अनुमान है। इसके अलावा 15 जुलाई को गुजरात राज्य में छिटपुट जगहों पर मूसलाधार बारिश हो सकती है। पूर्वी राजस्थान में कहीं-कहीं भारी बारिश का अनुमान है। कोंकण और गोवा में भी मूसलाधार बारिश हो सकती है। पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी मध्यप्रदेश, ओडिशा, मध्य महाराष्ट्र्र और तटीय एवं दक्षिणी कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भारी बारिश का अनुमान है।  मौसम विभाग के अनुसार 16 जुलाई को सौराष्ट्र और कच्छ के छिटपुट इलाकों में भारी से भारी बारिश हो सकती है। ओडिशा, अण्डमान एवं निकोबार प्रायद्वीप, गुजरात, कोंकण, गोवा और तटीय एवं दक्षिणी कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भारी बारिश का पूर्वानुमान है।

Tuesday, 11 July 2017

Aadhaar an effective instrument in removing Corruption

We have saved Rs. 50,000 Crore by removing corruption:Law Minister


CSC SPV organised a workshop on “Aadhaar Services through CSC – A Unique Initiative” to showcase the impact and progress made by the Village Level Entrepreneurs (VLEs) in delivering Aadhaar services among the poor and marginalized communities in India, through the Common Services Centres (CSCs).
Union Minister for Electronics & IT and Law Justice,Ravi Shankar Prasad inaugurated the event held at India Habitat Centre, New Delhi. He appreciated the efforts of the enterprising VLEs in providing key services at the grassroots level.
Minister said, “I have great expectation from CSC VLEs. Our VLEs are change makers of India. CSCs have given employment to 10 lakh people in India. I am confident that in near future, one crore people will work in CSCs.”
Recounting the strength of VLEs in mobilizing citizens under Government campaigns, the Hon’ Minister said: “I am happy to note that the VLEs have trained 2 crore people in the Cashless India movement.”  “Recently, Union Textile Minister Smt. Smriti Irani sought the support of VLEs in the expansion of handloom. All the departments of the government want to involve VLEs for their services,” he said.
He added, “Aadhaar is an effective instrument in removing corruption. We have saved Rs. 50,000 Crore by removing corruption.” He expressed the hope that the VLEs would rise to the occasion and help the government in making India corruption-free.
Minister was addressing around 600 VLEs from States of Uttar Pradesh, Haryana, Rajasthan, Madhya Pradesh, Punjab, and Himachal Pradesh. The workshop, organised at the India Habitat Centre, New Delhi, also brought together senior officials from Ministry of Electronics & IT, UIDAI, Department of Fertilizers and Department of Food & Civil Supplies.

No GST is applicable on prasad distribution in all religious institutions

No GST is applicable on free food supplied in anna kshetras run by religious institutions; 
prasadam supplied by religious places like temples, mosques, churches, gurudwaras, dargahs, etc. attracts Nil CGST and SGST or IGST, as the case may be. 
There are media reports suggesting that GST applies on free food supplied in anna kshetras run by religious institutions. This is completely untrue. No GST is applicable on such food supplied free.
Further, prasadam supplied by religious places like temples, mosques, churches, gurudwaras, dargahs, etc. attracts Nil CGST and SGST or IGST, as the case may be.
However, some of the inputs and input services required for making prasadam would be subject to GST. These include sugar, vegetable edible oils, ghee, butter, service for transportation of these goods etc. Most of these inputs or input services have multiple uses. Under GST regime, it is difficult to prescribe a separate rate of tax for sugar, etc. when supplied for a particular purpose.
Further, GST being a multi-stage tax, end use based exemptions or concessions are difficult to administer. Therefore, GST does not envisage end use based exemptions. It would, therefore, not be desirable to provide end use based exemption for inputs or input services for making prasadam or food for free distribution by religious institutions.

जब कर्ण ने कृष्ण व कुन्ती की चक्रवर्ती सम्राट की पेशकश ठुकरा दी थी

दुर्योधन के साथ शान्ति वार्ता के विफल होने के पश्चात श्रीकृष्ण, कर्ण के पास जाते हैं, जो दुर्योधन का सर्वश्रेष्ठ योद्धा है। वह कर्ण का वास्तविक परिचय उसे बतातें है, कि वह सबसे ज्येष्ठ पाण्डव है और उसे पाण्डवों की ओर आने का परामर्श देते हैं। कृष्ण उसे यह विश्वास दिलाते हैं कि चूँकि वह सबसे ज्येष्ठ पाण्डव है, इसलिए युधिष्ठिर उसके लिए राजसिंहासन छोड़ देंगे और वह एक चक्रवती सम्राट बनेगा। पर कर्ण इन सबके बाद भी पाण्डव पक्ष में युद्ध करने से मना कर देता है, क्योंकि वह अपने आप को दुर्योधन का ऋणी समझता था और उसे ये वचन दे चुका था कि वह मरते दम तक दुर्योधन के पक्ष में ही युद्ध करेगा। जब महाभारत का युद्ध निकट था। तब माता कुन्ती कर्ण से भेंट करने गई और उसे उसकी वास्तविक पहचान का ज्ञान कराया। वह उसे बताती हैं कि वह उनका पुत्र है और ज्येष्ठ पाण्डव है। वह उससे कहती हैं कि वह स्वयं को कौन्तेय कहे नाकी राधेय और तब कर्ण उत्तर देता है कि वह चाहता है कि सारा सन्सार उसे राधेय के नाम से जाने नाकी कौन्तेय के नाम से। कुन्ती उसे कहती हैं कि वह पाण्डवों की ओर हो जाए और वह उसे राजा बनाएगें। तब कर्ण कहता है कि बहुत वर्ष पूर्व उस रंगभूमि में यदि उन्होनें उसे कौन्तेय कहा होता तो आज स्थिति बहुत भिन्न होती। पर अब किसी भी परिवर्तन के लिए बहुत देर हो चुकी है और अब ये सम्भव नहीं है।
महाभारत का युद्ध आरम्भ होने से पूर्व, भीष्म ने, जो कौरव सेना के प्रधान सेनापति थे, कर्ण को अपने नेतृत्व में युद्धक्षेत्र में भागीदारी करने से मना कर दिया। यद्यपि दुर्योधन उनसे निवेदन करता है, लेकिन वे नहीं मानते। और फिर कर्ण दसवें दिन उनके घायल होने के पश्चात ग्यारहवें दिन ही युद्धभूमि में आ पाता है।

Monday, 10 July 2017

GST:These are 7 rumour and realty

The rumour mills have gone on an overdrive mode since the launch of GST. Here’s a reality check by ET Wealth for both GST supporters and its detractors.
1. Now it’s one nation one tax
Myth : Since GST will replace all other taxes on all goods and services, we are in a single tax regime.
Reality : Though this was the original idea, petroleum products—petrol, diesel—are still outside GST’s ambit and, therefore, their tax rates vary significantly across states.
For example, petrol is still sold in Mumbai at Rs 74.30 per litre (as on 5 July) compared to Rs 63.12 in New Delhi. Similarly, some other items, such as liquor, have also been kept out of GST for now.
2. Small businesses will suffer
Myth : The life of small businessmen will become difficult under GST because of computerised billing, need for Internet connectivity.
Reality : Shops can do manual billing under GST and Net connectivity is needed only at the time of filing monthly return and can be managed from a cyber cafe.
3. Prices will shoot up
Myth : Personal expenses will go up on account of GST making it inflationary because tax rates have been fixed at higher levels—18%, 28%.
Reality : Though the GST rates seem high, it is only because the entire tax is now visible to the consumer. Earlier most taxes—central and state excise, additional excise, purchase tax, etc.—did not reflect on your bill. If one adds up all the taxes, it would have been more for most items (ie effective tax rates will be lower for most products).
For example, the price of chicken dish in Kerala should fall because there was a 14.5% tax on live chicken earlier, which has come down to zero now under GST.
4. Corporates may try to profiteer but govt won’t
Myth : Business will try to rob you of the GST benefits, but the government won’t make money at your expense.
Reality : Some state governments are also acting greedy and not passing on the GST benefits to consumers. For example, the Maharashtra government has increased the vehicle registration tax by 2% after auto firms passed on the GST benefit by cutting prices by 2-3%.
5. No tax other than GST is now a reality
Myth : For every good or service that has been brought under GST, there won’t be any additional tax.
Reality : GST only subsumes central and state taxes and the levies charged by local bodies are still outside its ambit. Using this loophole, the Tamil Nadu government has allowed its local bodies to charge 30% tax on movie tickets over and above GST. GST is 18% for movie tickets up to Rs 100 and 28% for tickets that cost more than Rs 100.
But because of local body levies, tax in Tamil Nadu will be 48% for tickets up to Rs 100 and 58% for tickets that cost more. Not surprisingly, the cinema hall owners in the state went on strike. “Action of the Tamil Nadu government is against the spirit of the GST and the GST council should take action against it,” says Amit Sarkar, Partner and Head, Indirect Taxes, BDO India.
6. Economic growth will rise
Myth : GST will push up the economic growth.
Reality : Real economic growth comes from both organised and unorganised sectors. Tax evasion becomes difficult in GST, so cost advantage of unorganised sector goes and this will result in some businesses shifting to the organised sector. So, what happens will not be an in increase in ‘real’ economic growth but an increase in ‘recorded’ economic growth. However, there will be a small uptick in ‘real’  economic growth due to the improvement in the ease of doing business.
7. Pay GST twice for card payments
Myth : GST will be charged twice, if you make payments via credit card.
Reality : There is no additional GST for credit card payments and the confusion arose only because there is GST on additional fees—convenience charges—levied by companies. For example, you make a Rs 10,000 payment and a company charges Rs 50 as convenience fee for helping you make the payment via the credit card, you have to pay 18% GST on that fee too—earlier you paid a 15% tax on it. So the 3% increase is very small—just Rs 1.5 on Rs 50.


GST: Gift of Rs 50,000 to be Tax Free!

Gifts up to a value of Rs 50,000/- per year by an employer to his employee are outside the ambit of GST. However, gifts of value more than Rs 50,000/- made without consideration are subject to GST, when made in the course or furtherance of business.
It is being reported that gifts and perquisites supplied by companies to their employees will be taxed under GST. Gifts upto a value of Rs 50,000/- per year by an employer to his employee are outside the ambit of GST. However, gifts of value more than Rs 50,000/- made without consideration are subject to GST, when made in the course or furtherance of business.
The question arises as to what constitutes a gift. Gift has not been defined in the GST law. In common parlance, gift is made without consideration, is voluntary in nature and is made occasionally. It cannot be demanded as a matter of right by the employee and the employee cannot move a court of law for obtaining a gift.
Another issue is the taxation of perquisites. It is pertinent to point out here that the services by an employee to the employer in the course of or in relation to his employment is outside the scope of GST (neither supply of goods or supply of services). It follows therefrom that supply by the employer to the employee in terms of contractual agreement entered into between the employer and the employee, will not be subjected to GST. Further, the Input Tax Credit (ITC) Scheme under GST does not allow ITC of membership of a club, health and fitness centre [section 17 (5) (b) (ii)]. It follows, therefore, that if such services are provided free of charge to all the employees by the employer then the same will not be subjected to GST, provided appropriate GST was paid when procured by the employer. The same would hold true for free housing to the employees, when the same is provided in terms of the contract between the employer and employee and is part and parcel of the cost-to-company (C2C). 

Now Income Tax payer can direct connect to Govt

FM launches a new tax payer service module ‘Aaykar Setu’

FM launches a new tax payer service module ‘Aaykar Setu’ that compiles various tax tools, live chat facility, dynamic updates, and important links to various processes within the Income Tax Department in a single module; Says that this e-initiative would not only provide better taxpayer services but would also help in reducing the direct physical interface between assesses and tax assessing authorities.
 A new tax payer service module ‘Aaykar Setu’, was launched here today by the Union Finance Minister, Shri Arun Jaitley. To enhance mobile access experience, a mobile responsive android version was also released along with the desktop version. Shri Jaitley stressed on the Government’s commitment towards continuously upgrading tax payer services. He said that this e-initiative would help in reducing physical interface between assesses and tax assessing authorities and thereby minimizing the chances of any tax harassment.  
The new step is an effort by the Income Tax Department (ITD) to directly communicate with the taxpayers, on a range of multiple informative and useful tax services aimed at providing tax information at their fingertips. The module compiles various tax tools, live chat facility, dynamic updates, and important links to various processes within the Income Tax Department in a single module. The tax payers will also be able to receive regular updates regarding important tax dates, forms and notifications on mobile numbers registered with the ITD.
 All taxpayers who wish to receive such SMS alerts are advised to register their mobile numbers in the Aaykar Setu module.
 The Central Board of Direct Taxes (CBDT) constantly endeavours to provide better taxpayer services and reduce taxpayer grievances.  New schemes and e-initiatives to educate the taxpayers and deliver tax payer services in an effective manner are key to this effort.

जीएसटी आज की दुनिया में अत्यंत महत्वपूर्ण है: डॉ. जितेंद्र सिंह

केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि ‘जीएसटी आज की वैश्विक दुनिया में अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोई भी अकेला देश या राज्य अलग-थलग रहते हुए भी आर्थिक दृष्टि से प्रगति करने की उम्मीद नहीं कर सकता है।’
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि  वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठों राज्यों के लिए विशेष महत्व है। उन्होंने कहा  कि यही बात उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों पर भी लागू होती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने नैनीताल में मीडिया को बताया कि जीएसटी के तहत भारतीय संघ के सभी राज्यों को समान अवसर प्रदान करने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि यह न्यायसंगत निष्पक्ष प्रणाली कुछ इस तरह से तैयार की गई है कि कई विकसित और विनिर्माण राज्य आगे चलकर अपेक्षाकृत कम विकसित या मुख्य रूप से उपभोक्ता राज्यों की अर्थव्यवस्था में योगदान देंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा  कि जीएसटी को लागू करने की प्रक्रिया के दौरान उन्होंने महसूस किया कि पूर्वोत्तर के कुछ ऐसे स्थानीय उत्पाद हैं जो जीएसटी लागू होने के बाद जाहिरा तौर पर कर योग्य हो गए है, जबकि ये जीएसटी लागू होने से पहले कर-मुक्त थे। उन्होंने कहा, हालांकि स्थानीय घरेलू व्यापारियों को यह समझाया गया है कि पहले इन उत्पादों की कीमतों में कच्चे माल, इत्यादि पर देय कुछ निश्चित कर भी शामिल थे, जो कि दिखाई नहीं देते थे, लेकिन अब एकमात्र अंतर यह है कि जीएसटी एक दृश्यमान टैक्स है। हालांकि, उत्पाद की अंतिम लागत लगभग समान ही होगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू करने के एकमात्र निर्णय ने पूरे भारत के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में इन राज्यों की भागीदारी एवं आत्मसम्मान पर मूल्यवर्द्धन का बड़ा दीर्घकालिक प्रभाव डाला है। उन्होंने एक सौहार्दपूर्ण फॉर्मूला तैयार करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली को पूर्ण श्रेय दिया, जिसमें फंड के केंद्रीय हिस्से से विनिर्माण राज्यों को भरपाई की जाएगी और ऐसे में उनके साथ बराबरी करने के कारण गैर-विनिर्माण राज्यों के खिलाफ कोई भी शिकायत करने का मौका उन्हें नहीं मिलेगा।

Sunday, 9 July 2017

श्रीकृष्ण भी विदुर से घबराते थे

विदुर का अर्थ कुशल, बुद्धिमान अथवा मनीषी। अपनी विदुर नीति, न्यायप्रियता एवं निष्पक्षता के लिए सुविख्यात धर्मज्ञ महाराज विदुर महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक हैं। वो हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, कौरवों और पांडवों के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था।
राजा पांडु बने तो प्रधानमंत्री विदुर बने
बड़े होने पर जब राज्याभिषेक का समय आया तो सबसे बड़े होने के कारण धृतराष्ट्र ही उत्तराधिकारी थे लेकिन विदुर की नीति के चलते ही भीष्म को पाण्डु को राजगद्दी सौंपनी पड़ी क्योंकि विदुर ने ही धृतराष्ट्र के नेत्रहीन होने के कारण राजपद न दिए जाने का सुझाव दिया था।  विदुर एक दासी  पुत्र  होने के कारण भले ही राजा बनने के अधिकार से वंचित रहे। लेकिन अपनी सूझबूझ तथा समझदारी के दम पर उन्हें हस्तिनापुर का प्रधानमंत्री बनाया गया। पाण्डु को राज्य सौंपने के पीछे विदुर के फैसले का भी साथ था, जिसका विरोध धृतराष्ट्र ने किया था। क्योंकि ज्येष्ठ पुत्र के साथ पर अनुज को राज्य की गद्दी सौंप देना धृतराष्ट्र को कभी भी गंवारा ना था। लेकिन तब वे अपने नेत्रहीन होने के कारण कुछ कर भी नहीं सकते थे। लेकिन राजा पाण्डु की मृत्यु के बाद राज्य की गद्दी उन तक वापस लौट ही आई।
राजा धृतराष्ट्र को रानी गांधारी से कौरव और पाण्डु को  पांच पाण्डवों की प्राप्ति हुई। पाण्डु की मृत्यु के पश्चात कुंती अपने पुत्रों को लेकर हस्तिनापुर लौट आईं जहां उनके लालन-पोषण एवं विद्या की जिम्मेदारी भीष्म ने ली।
द्रौपदी कांड के समय विदुर ने ही विरोध किया
कौरव एवं पाण्डवों के बीच हमेशा ही अनबन रही, जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने अर्जुन की पत्नी द्रौपदी की इज्जत को भरी सभा में तार-तार करने की कोशिश की। कौरवों की उस भरी सभा में एकमात्र विदुर ही थे जिन्होंने द्रौपदी को दांव पर लगाने के लिए पांडवों को लताड़ा था तो उसे बेइज्जत करने के प्रयास के लिए कौरवों का जमकर विरोध किया था। दुर्योधन-दुशासन को खरी-खोटी सुनाने के साथ धृतराष्ट्र को भी इस कृत्य के लिए जिम्मेदार माना था क्योंकि वह राजा थे। इसके अलावा भीष्म,द्रोण,कृपाचार्य और अन्य महान हस्तियों की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगाया था।  लेकिन किसी ने उनकी एक ना सुनी।
दुर्योधन ने किया विदुर का अपमान
जब कौरव-पाण्डवों में बहस का मुद्दा युद्ध तक पहुंच गया, तब श्रीकृष्ण हस्तिनापुर आए ताकि दोनों गुटों में सुलह करा सके। उनके आने की खबर कौरवों में ज्येष्ठ दुर्योधन को मिल गई थी, इसलिए उसने उनके रहने का इंतज़ाम एक अच्छे स्थान पर करा दिया लेकिन श्रीकृष्ण ने उस स्थान पर जाने से साफ मना कर दिया और कहा कि वे विदुर एवं उनके परिवार के साथ रहना पसंद करेंगे। उस समय तो दुर्योधन कुछ नहीं बोला लेकिन अगली ही सुबह भरी सभा में उसने विदुर को दुश्मनों (श्रीकृष्ण) का साथ देने के लिए जिम्मेदार ठहराया।
सभा में हथियार तोड़ दिया
इसके साथ ही जब दुर्योधन ने लगातार विदुर के खिलाफ विषबमन करना जारी रखा और कहा कि वह केवल दुश्मनों का ही साथ नहीं दे रहे बल्कि साथ ही विदुर एक दासी का पुत्र है, और उसका अतीत क्या है? इस सब पर भी उंगली उठाई। जिससे क्रोधित होकर विदुर ने उससे कहा कि यदि वह उस पर विश्वास ही नहीं करता तो वह यह युद्ध लडऩा ही नहीं चाहते। तत्पश्चात विदुर ने सबके सामने सभा में ही अपना हथियार तोड़ दिया।
धूृतराष्ट्र को दिया दो टूक जवाब
संधि कराने में श्रीकृष्ण के नाकाम रहने के बाद सबसे पहले विदुर ही राजा धृतराष्ट्र के पास प्रधानमंत्री की हैसियत से अंतिम बार गए। उन्होंने राष्ट्रहित की दुहाई देकर युद्ध टालने के लिए बहुत मनुहार की। किन्तु पुत्र मोह और बाल हठ के चलते जब युद्ध होना निश्चित हो गया और राजा धृतराष्ट्र और दुर्योधन ने प्रधानमंत्री पद के दायरे में रहने के लिए कहा तो विदुर ने तत्काल ही प्रधानमंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया और निष्पक्ष बने रहे। जब युद्ध सत्रहवें दिन में प्रवेश कर गया तब धृतराष्ट्र ने विदुर को छोटे भाई की हैसियत से बुलवाकर कहा कि अब युद्ध समाप्त करवा दो तो विदुर ने जवाब दिया कि दासी पुत्र की हैसियत नहीं है कि वह इतना बड़ा युद्ध रुकवा सके।
श्रीकृष्ण भी विदुर से घबराते थे
ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण जानते थे कि दुर्योधन कुछ ऐसा ही करेगा इसलिए उन्होंने स्वयं विदुर के यहां रहने का फैसला किया था। क्योंकि यदि विदुर कौरवों की ओर से युद्ध का हिस्सा बन जाते तो पाण्डवों को हारने से कोई रोक नहीं सकता था। क्योंकि विदुर के पास एक ऐसा हथियार था जो अर्जुन के ‘गांडीव’ से भी कई गुणा शक्तिशाली था। कहते हैं कि युद्ध के दौरान क्रोधित होकर दुर्योधन ने श्रीकृष्ण के सामने एक चेतावनी रखी थी। उसने कहा कि वह जब चाहे विदुर को हुक्म देकर युद्ध लडऩे के लिए तैयार कर सकता है। लेकिन तभी श्रीकृष्ण ने कहा कि यदि विदुर द्वारा वचन तोडक़र युद्ध में आने का फैसला लिया गया तो वह भी उसे दिया हुआ अपना वचन भूल जाएंगे। जिसके अनुसार श्रीकृष्ण ने केवल पाण्डवों का सारथी बनने का फैसला किया था, क्योंकि यदि वे स्वयं हथियार उठाते तो यह युद्ध कुछ ही पलों में समाप्त हो जाता और पाण्डव खुद ही विजेता घोषित हो जाते। इसलिए ना चाहते हुए भी कभी भी दुर्योधन ने विदुर को युद्ध का हिस्सा बनने के लिए उत्तेजित नहीं किया।

Saturday, 8 July 2017

कतरन: जीएसटी पर सरकार का नया फरमान

30 सितम्बर तक नई एमआरपी दो वरना जुर्माना

जीएसटी का भूत आजकल देश के व्यापारियों पर सिर चढ़ कर बोल रहा है। एक जुलाई से लागू हुए इस नए कर सिस्टम से देश का व्यापारी परेशान है। सरकार के रोज-रोज नए फरमान जारी हो रहे हैं। इसी तरह का एक और फरमान जारी हो गया है। इस फरमान के बारे में जानकारी दे रही है हिंदुस्तान टाइम्स की एक ख़बर, जिसके अनुसार, सरकार ने कंपनियों को अपने उत्पादों के लेबल पर जीएसटी के मुताबिक एमआरपी प्रिंट करने को कहा है।  सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर कंपनियां ऐसा करने में असफल रहती हैं तो उन पर एक लाख रुपये तक का ज़ुर्माना लगाया जा सकता है। कंपनियों को इसे लागू करने के लिए 30 सितम्बर तक का मौका दिया गया है।

कतरन: आईआईटी की प्रवेश प्रक्रिया पर रोक

काउंसिलिंग  पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

आईआईटी में प्रवेश पाने वाले उन लोगों के लिए यह बुरी खबर साबित होगी जिन्हें गलत सवाल पर मिले ग्रेस के अंकों के आधार पर आईआई टी में प्रवेश मिलने जा रहा है। क्योंकि नवभारत टाइम्स ने खबर दी है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी आईआईटी संस्थानों में 2017 के नतीजों के आधार पर आगे की काउंसिलिंग और प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। आईआईटी जेईई पेपर में ग़लत सवाल परर तमाम स्टूडेंट् को ग्रेस के रूप में 18 नंबर दिए जाने को अदालत में चुनौती दी गई थी। अदालत के इस फ़ैसले से 36 हज़ार छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है, क्योंकि अगर मेरिट लिस्ट फिर से बनने की सूरत में उन्हें फिर से पूरी प्रक्रिया दोहरानी पड़ सकती है।

कतरन: बेचारे इंजीनियर रह जाएंगे कुंवारे

आज के आधुनिक युग में लोग अपने बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनाने का सपना देखते हैं। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि इंजीनियर बनकर उनके बच्चे बेकार हो जाएंगे और उनकी शादी तक के लाले पड़ जाएंगे। द इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार आईटी सेक्टर में छंटनी और अनिश्चितता के चलते मैट्रिमोनियल वेबसाइट में आईटी इंजीनियरों की डिमांड कम हो गई है। अख़बार के अनुसार, पारंपरिक शादियों में आईटी इंजीनियरों के प्रति उत्साह में कमी आई है. अमरीका में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के आदेश के कारण भारतीय आईटी कंपनियां अमरीका में ही नियुक्तियां कर रही हैं। इसके अलावा आईटी सेक्टर में ऑटोमेशन के कारण आने वाले समय और छंटनी की आशंका भी इस पेशे को अस्थिर बना रहा है।

कतरन: आधार कार्ड पर फैसला बड़ी पीठ के हवाले

आधार कार्ड को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चल रहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकारी विभागों में कई जगह आधार कार्ड आवश्यक कर दिए गए हैं। इसके अलावा आधार कार्ड और पैन कार्ड को खातों से अटैच करने के मामले को लेकर नए नए विवाद सामने आ रहे हैं। इस बीच द स्टेट्समैन की एक ख़बर के अनुसार, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड से जुड़े मु्द्दों पर अंतिम फ़ैसला एक बड़ी पीठ लेगी। ख़बर के मुताबिक अगर ज़रूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इसके लिए एक संविधान पीठ की स्थापना कर सकते हैं। इस समय तीन सदस्यीय पीठ मामले की सुनवाई कर रही है।

कतरन: इंदिरा गांधी की तरह मोदी का जहाज डूबेगा?

क्या वर्तमान समय में 1977 जैसे हालात बन रहे हैं?

केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अपनी नाराजगी भरे स्वर में यह चेतावनी दी है कि  पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी की तरह मोदी को ले डूबेंगे उनके भक्त।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि इंदिरा गांधी की तरह ही प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक उनके पतन का कारण बनेंगे। हिंदी अख़बार जनसत्ता के अनुसार, बृहनमुंबई महानगर पालिका के कार्यक्रम में मोदी के समर्थन में लगे नारों से चिढ़ी शिवसेना ने संपादकीय में कहा है कि आज ग़ैरज़रूरी तरीक़े से मोदी के समर्थन में नारे लगाने वाले असल में उनकी छवि को धूमिल कर रहे हैं।
इसमें आगे कहा गया है कि एक वक्त था जब इंदिरा गांधी के नाम के भी नारे लगाए जाते थे। इंदिरा इज़ इंडिया जैसे नारे लगाकर उनके भक्तों ने देश का अपमान किया था। इस अपमान से ऐसी चिंगारी पैदा हुई जिसका अंत उनकी हार में हुआ था। इंदिरा इज इंडिया का नारा सत्तर के दशक में कांग्रेस के पांच युवा नेताओं ने अपनी प्रधानमंत्री की प्रशंसा में लगाए गए थे। इन युवाओं को युवा तुर्क कहा जाता था। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर और असम के नेता बरुआ भी शामिल थे। इन लोगों ने अपने नेता के समर्थन में जो नारा दिया था वह इस प्रकार है ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा, इंडिया इज नाट इंडिया विदाउट इंदिरा’। इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए शिवसेना ने इतने समय के बाद कहा कि इन लोगों ने देश का अपमान किया था। यह बात काफी पुरानी है और इसके बाद कई बार इंदिरा गांधी चुनाव जीतीं और सरकार भी बनी। उनकी हार का कारण कुछ और था। शिवसेना तो अपनी भड़ास निकालने के लिए ऐसा कह रही है। इमरजेंसी और पांंच सूत्रीय कार्यक्रम के दौरान की गई ज्यादती और सरकारी कर्मचारियों का शोषण प्रमुख कारण थे, जिनसे इंदिरा गांधी की हार हुई थी।
यदि मोदी सरकार में तुलना की जाए तो यहां पर जबर्दस्ती भले ही न की जा रही हो लेकिन सरकारी कर्मचारियों का सख्त अनुशासन के नाम पर अपरोक्ष शोषण और उनको दिये जाने वाले भत्तों में कंजूसी आदि उनमें नाराजगी का कारण बना हुआ है। व्यापारियों में असंतोष फैला हुआ है। इससे कुछ-कुछ संकेत अवश्य मिलते हैं कि मोदी सरकार से लोग नाराज हैं लेकिन वर्तमान समय में यह स्थिति 1977 जैसी नहीं है, इसलिए मोदी नाम के जहाज के डूबने की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। संपादकीय में लिखा गया है कि नरेंद्र मोदी पर गर्व करने और उनके नाम पर उन्माद फैलाने में फर्क़ समझना चाहिए।

Now Know the GST rate from app

Government to prepare to help new Taxpayer

The Central Board of Excise and Customs (CBEC) takes certain initiatives for Ease of Doing Business under the GST regime.
Finance Minister  Arun Jaitley launches a Mobile App “GST Rates Finder” to help users to find rates of GST for various goods and services.
The Union Finance Minister Shri Arun Jaitley launched a mobile app “GST Rates Finder” in his chamber in the national capital  which is now available on android platform and will soon be available on iOS platform as well.  This Mobile app helps users to find rates of GST for various goods and services. It can be downloaded on any smart phone and can work in offline mode, once downloaded.  The user can determine the GST rate for a good or a service by entering the name or Chapter heading of the commodity or service. The search result will list all the Goods and Services containing the name which was typed in the Search Box. The user can scroll down the list of description and when any specific item on the list is clicked, the display window will pop-up, containing details such as GST rate, description of goods or services and the Chapter heading of the Harmonised System of Nomenclature (HSN). For example, any person who has been billed by a hotel or a restaurant or for footwear can cross verify the correctness of the rate of GST charged.
CBEC has also provided a GST rate finder on its portal cbec-gst.gov.in to help the taxpayers know the applicable GST rate on their supplies of goods and services. A taxpayer can search for applicable CGST, SGST, UTGST rate and Compensation Cess on a supply. The search can be made based on description of goods or services or HSN Chapter or section or heading number.
These initiatives are aimed to serve as a ready reckoner on GST rates. This will empower not only the taxpayers, but every citizen of the nation, to ascertain the correct GST rate on goods and services.

Friday, 7 July 2017

महंगाई एवं आवास भत्ता इस तरह से होगा लागू

सरकारी कर्मियों को सरकार की ओर से तोहफा

भत्तों पर 7वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की सिफारिशों पर केंद्र सरकार का निर्णय कल अर्थात 6 जुलाई, 2017 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया; सभी भत्तों को 1 जुलाई, 2017 से प्रभावी मान लिया गया।
भत्तों पर 7वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की सिफारिशों पर केंद्र सरकार के निर्णय वाले प्रस्ताव को 6 जुलाई, 2017 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है।
भत्तों पर समिति (सीओए) की रिपोर्ट और ई-सीओएस की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए केबिनेट ने इससे पहले 28 जून, 2017 को हुई अपनी बैठक में 34 भत्तों में संशोधनों को मंजूरी दी थी। सभी भत्तों को 01 जुलाई, 2017 से प्रभावी मान लिया गया है। संबंधित मंत्रालयों को अब यह सलाह दी गई है कि वे अपने मंत्रालय से संबंधित भत्तों पर अपने आदेश को तत्काल जारी करें,  ताकि भत्तों की संशोधित दरों को सरकारी कर्मचारियों के चालू माह के वेतन बिलों में समाहित किया जा सके।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत भत्तों की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं :
कैबिनेट ने 34 संशोधनों के साथ भत्तों पर 7वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की सिफारिशों को मंजूरी दी है – संशोधित दरें 01 जुलाई, 2017 से प्रभावी हो चुकी हैं।
इससे असैन्य क्षेत्र के 34 लाख कर्मचारी और रक्षा बलों के 14 लाख सैन्य कर्मी लाभान्वित होंगे।
7वें सीपीसी ने 197 भत्तों पर गौर किया था और 53 भत्तों को समाप्त करने तथा 37 भत्तों को अन्य भत्तों में समाहित करने की सिफारिश की।
7वें सीपीसी ने उन संशोधित दरों की सिफारिश की है जो महंगाई भत्ते (डीए) के अनुरूप हैं।
पूरी तरह से डीए-अनुक्रमित भत्तों में कोई वृद्धि नहीं। गैर-डीए अनुक्रमित भत्तों को 2.25 गुना एवं आंशिक डीए-अनुक्रमित भत्तों को 1.5 गुना बढ़ाया गया है और शून्य आधारित भत्तों को 0.8 गुना तर्कसंगत किया गया है।
जोखिम और कठिनाई से जुड़े भत्तों के लिए जोखिम एवं कठिनाई मैट्रिक्स विकसित किया गया।
7वें सीपीसी ने प्रति वर्ष 29,300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पडऩे का अनुमान लगाया है, संशोधनों से 1448.23 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
उन भत्तों की संख्या जिन्हें समाप्त एवं विलय किये जाने की सिफारिश की गई है :
सरकार ने विशिष्ट कार्यरत जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 12 भत्तों को समाप्त न करने का निर्णय लिया है।
कई भत्तों के विशिष्ट स्वरूप को ध्यान में रखते हुए विलय किये जाने वाले 37 भत्तों में से 3 भत्तों की अलग पहचान आगे भी बनी रहेगी।
आवास किराया भत्ता (एचआरए)
एचआरए का भुगतान क्रमश: एक्स, वाई एवं जेड शहरों के लिए 24, 16 और 8 फीसदी की दर से किया जाएगा।
एक्स, वाई एवं जेड शहरों के लिए एचआरए 5400, 3600 एवं 1800 रुपये से कम नहीं होगा, 18000 रुपये के न्यूनतम वेतन के 30, 20 एवं 10 फीसदी की दर से इसकी गणना की जाएगी, इससे 7.5 लाख से भी ज्यादा कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
7वें सीपीसी ने डीए के 50 एवं 100 फीसदी के स्तर पर पहुंचने की स्थिति में एचआरए में संशोधन की सिफारिश की थी, हालांकि सरकार ने डीए के क्रमश: 25 एवं 50 फीसदी से ज्यादा होने की स्थिति में दरों में संशोधन करने का निर्णय लिया है।
सियाचीन भत्ता :
अत्यंत जोखिम एवं कठिनाई को ध्यान में रखते हुए सियाचीन भत्ते की दरों को 14000 रुपये प्रति माह (सैनिकों के लिए) से बढ़ाकर 30000 रुपये और 21000 रुपये प्रति माह (अधिकारियों के लिए) से बढ़ाकर 42500 रुपये कर दिया गया है।
ड्रेस भत्ता :
सरकार ने रखरखाव के साथ-साथ साफ-सफाई की निहायत जरूरत को ध्यान में रखते हुए नर्सों को हर महीने ड्रेस भत्ता देने का निर्णय लिया है।
विशेष संरक्षण समूह के लिए ड्रेस भत्ते की ऊंची दर को सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
दुर्गम स्थल भत्ता :
7वें सीपीसी ने सिफारिश की थी कि एसडीए के साथ दुर्गम स्थल भत्ता (टीएलए) नहीं दिया जाए, लेकिन सरकार ने एसडीए की संशोधित दरों के साथ पूर्व संशोधित दरों पर एससीएलआरए का विकल्प देने का निर्णय लिया है।
सभी श्रेणियों को भुगतान किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण भत्तों के बारे में सिफारिशें :
बाल शिक्षा भत्ते को 1500 रुपये प्रति माह प्रति बच्चे (अधिकतम 2 बच्चे) से बढ़ाकर 2250 रुपये प्रति बच्चे और हॉस्टल सब्सिडी को 4500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 6750 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
दिव्यांग महिलाओं के लिए बच्चों की देखभाल हेतु विशेष भत्ते को 1500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 3000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
असैन्य लोगों के लिए उच्च योग्यता प्रोत्साहन को 2000-10000 रुपये (अनुदान) से बढ़ाकर 10000-30000 रुपये (अनुदान) कर दिया गया है।
वर्दीधारी सेवाओं के लिए भुगतान किये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण भत्तों के संबंध में सिफारिशें : सीएपीएफ, पुलिस, भारतीय तटरक्षक और सुरक्षा एजेंसियां
राशन मनी भत्ते को समाप्त करने और शांतिपूर्ण क्षेत्रों में कार्यरत रक्षा अधिकारियों को फ्री राशन मुहैया कराने का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया, राशन मनी भत्ते (आरएमए) को बैंक खाते में डाल दिया जाएगा।
तकनीकी भत्ते (टियर-2) का विलय नहीं किया जाएगा, सरकार ने 4500 रुपये प्रति माह की दर से तकनीकी भत्ते (टियर-2) को जारी रखने का निर्णय लिया है- पाठ्यक्रमों की समीक्षा की जाएगी।
वैमानिकी भत्ते को 300 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 450 रुपये प्रति माह कर दिया गया है और इसे भारतीय तटरक्षक कर्मियों को भी दिया जाएगा।
उग्रवाद से निपटने संबंधी कार्यों (सीआई परिचालन) से जुड़े भत्ते को 3000-11700 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 6000-16900 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
समुद्री कमांडों को दिये जाने वाले मार्कोस एवं गाड़ी भत्ते को 10500-15750 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 17300-25000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
समुद्र में जाने से संबंधित भत्ते के लिए 12 घंटे की शर्त को घटाकर 4 घंटे कर दिया गया है और दरों को 3000-7800 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 6000-10500 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सीआरपीएफ कर्मियों को दिए जाने वाले कोबरा भत्ते को 8400-16800 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 17300-25000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
संशोधित फील्ड, फील्ड एवं अत्यंत सक्रिय फील्ड क्षेत्र भत्ते को 1200-12600 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 6000-16900 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
उड़ान भत्ते को 10500-15750 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 17300-25000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। यह भत्ता बीएसएफ के हवाई प्रकोष्ठ को भी दिया जाएगा।
अधिक ऊंचाई से जुड़े भत्ते को 810-16800 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 2700-25000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
रक्षा कर्मियों के लिए उच्च योग्यता भत्ते को 9000-30000 रुपये प्रति माह (अनुदान) से बढ़ाकर 10000-30000 रुपये प्रति माह (अनुदान) कर दिया गया है।
टेस्ट पायलट एवं फ्लाइट टेस्ट अभियंता भत्ते को 1500/3000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 4100/5300 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
अतिरिक्त फ्री रेलवे वारंट (अवकाश यात्रा रियायत) अब सीएपीएफ कर्मियों को भी दिया जाएगा।
प्रादेशिक सेना भत्ते को 175-450 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 1000-2000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
रक्षा कर्मियों के लिए प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ते की सीमा 2000-4500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 4500-9000 रुपये प्रति माह कर दी गयी है।
टुकड़ी भत्ते को 165-780 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 405-1170 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
पैरा कूद प्रशिक्षक भत्ते को 2700/3600 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 6000/10500 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
सरकार ने परिचालन एवं गैर-परिचालन से जुड़े कार्यों के लिए विशेष संरक्षण समूह हेतु विशेष सुरक्षा भत्ते को बढ़ाकर मूल वेतन का क्रमश: 55 और 27.5 प्रतिशत कर दिया है।
अन्य केंद्रों में कार्यरत पीबीओआर और उनके परिवारों के लिए आवास प्रावधानों में काफी वृद्धि की गई है और इसे एचआरए से जोड़ दिया गया है तथा प्रक्रिया सरल कर दी गई है।
भारतीय रेल कर्मियों को अदा किए जाने वाले भत्ते :
अतिरिक्त भत्ते को 500/1000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 1125/2250 रुपये प्रति माह कर दिया गया है और अब इसे लोको पायलट गुड्स तथा वरिष्ठ यात्री गार्डों को भी 750 रुपये प्रति माह की दर से दिया जाएगा।
रेलवे के ट्रेन नियंत्रकों के लिए 5000 रुपये प्रति माह की दर से विशेष ट्रेन नियंत्रक भत्ता शुरू किया गया है।
अस्पतालों में कार्यरत नर्सों एवं अनुसचिवीय कर्मचारियों को अदा किए जाने वाले भत्ते
सरकार ने नर्सिंग भत्ते की दर को 4800 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 7200 रुपये प्रति माह कर दिया है।
ऑपरेशन थियेटर भत्ते को समाप्त नहीं किया गया है और दरों को 360 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 540 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
अस्पताल मरीज देखभाल भत्ते/मरीज देखभाल भत्ते को 2070-2100 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 4100-5300 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
7वें सीपीसी की सिफारिशों को संशोधित किया गया और अनुसचिवीय कर्मचारियों के लिए एचपीसीए/पीसीए को जारी रखा जाएगा।
पेंशनभोगियों को भत्ते :
पेंशनभोगियों के लिए निश्चित चिकित्सा भत्ते को 500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
शत-प्रतिशत दिव्यांगता पर निरंतर उपस्थिति भत्ते को 4500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 6750 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
वैज्ञानिक विभागों के कर्मियों को दिए जाने वाले भत्ते :
7वें सीपीसी ने प्रक्षेपण अभियान भत्ते और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भत्ते को समाप्त करने की सिफारिश की थी जिसे स्वीकार नहीं किया गया है और दरों को 7500 रुपये प्रति वर्ष से संशोधित कर 11250 रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है।
डीएई के गैर-राजपत्रित कर्मचारियों के लिए प्रोफेशनल अपडेट भत्ता 11250 रुपये प्रति वर्ष की बढ़ी हुई दर के साथ जारी रहेगा।
अंटार्कटिका भत्ता – गर्मियों के लिए दरों को 1125 रुपये प्रतिदिन से संशोधित कर 1500 रुपये प्रतिदिन और सर्दियों के लिए दरों को 1688 रुपये प्रतिदिन से संशोधित कर 2000 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है।
डाक विभाग एवं रेल कर्मियों को अदा किए जाने वाला भत्ता :
साइकिल भत्ते को समाप्त नहीं किया गया है, डाकियों और रेलवे के ट्रैक कर्मियों की कार्यात्मक आवश्यकताओं हेतु इसकी दरें 90 रुपये प्रति माह से दोगुनी कर 180 रुपये प्रति माह कर दी गई हैं।

जीएसटी से शिक्षा महंगी नहीं सस्ती हुई

केन्द्र सरकार ने दिया स्पष्टीकरण

केंद्र सरकार ने बताया, ‘’जीएसटी व्यवस्था में स्कूल के बस्तों जैसी शिक्षा की कुछ मदों पर कर दर घटाने के अतिरिक्त शिक्षा से संबंधित किसी भी विषय में कोई बदलाव नहीं किया गया’’
सरकार ने इन खबरों का खंडन किया कि जीएसटी के अंतर्गत शिक्षा महंगी हो जाएगी, इसकी बजाए शैक्षणिक संस्थानों द्वारा विद्यार्थियों,अध्यापकों और कर्मचारियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं में कर में छूट दी गई है
केंद्र सरकार ने ऐसी सभी खबरों का खंडन किया है कि जीएसटी के अंतर्गत शिक्षा महंगी हो जाएगी।  सरकार का कहना है कि ऐसी खबरें पूरी तरह निराधार हैं। वास्तविकता तो यह है कि जीएसटी व्यवस्था में स्कूल के बस्ते आदि जैसी मदों पर कर की दरों में कटौती किए जाने के सिवा शिक्षा से संबंधित किसी भी विषय में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि किसी शैक्षणिक  संस्था द्वारा विद्यार्थियों, अध्यापकों और कर्मचारियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं में कर में छूट प्रदान की गई है:
  (ए) स्कूल –पूर्व शिक्षा और उच्चतर माध्यमिक स्कूल तक शिक्षा या समकक्ष शिक्षा,
(बी) वर्तमान में लागू किसी भी कानून के तहत अहर्ता प्राप्त करने के लिए पाठ्यक्रम के भाग के रूप में शिक्षा दी गई है,
 (सी) किसी स्वीकृत व्यवसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम के भाग के रूप में शिक्षा
किसी शैक्षणिक संस्थान का विद्यार्थियों, अध्यापकों और कर्मचारियों को उपलब्ध कराई जाने वाली परिवहन सुविधा (स्कूल-पूर्व शिक्षा और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा या समकक्ष प्रदान करने वाला) के लिए जीएसटी से छूट प्रदान की गई है। इसी तरह उच्चतर माध्यमिक स्कूल या समकक्ष सेवाएं प्रदान करने वाले शैक्षिक संस्थान को केंद्र सरकार, राज्य सरकार या संघशासित प्रदेश द्वारा प्रायोजित मध्याह्न भोजन योजना सहित केटरिंग को भी जीएसटी से छूट प्रदान की गई है। इसके अलावा, ऐसे शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा या स्वच्छता या हाउसकीपिंग सेवाओं को भी जीएसटी से छूट दी गई है। अंतत: ऐसे  संस्थानों में प्रवेश से संबंधित या परीक्षाओं का संचालन करने से संबंधित सेवाओं को भी जीएसटी से छूट प्रदान की गई है।
इस प्रकार, उच्चतर माध्यमिक स्कूल स्तर तक की शिक्षा में आउटपुट सेवाओं और ज्यादातर इनपुट सेवाओं पर जीएसटी का प्रभाव नहीं पड़ेगा। शिक्षण संस्थाओं में निजी लोगों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली परिवहन, कैन्टीन आदि जैसी कुछ इनपुट सेवाओं पर जीएसटी से पहले की व्यवस्था में भी सेवा कर लगता था और जीएसटी व्यवस्था में भी यह जारी है।
इसके अलावा, आयकर अधिनियम की धारा 12एए के अंतर्गत पंजीकृत किसी इकाई की ओर से परोपकारी कार्यों के तहत निम्नलिखित लोगों की शैक्षिक प्रगति से संबंधित कार्यक्रम या कौशल विकास सेवाओं :
(क) त्यागे गए, अनाथ या बेघर बच्चे
(ख) शारीरिक अथवा मानसिक शोषण और सदमे के शिकार व्यक्ति
(ग)  कैदी
(घ)  ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 65 साल से अधिक आयु के लोगों को भी जीएसटी से छूट प्रदान की गयी है। इस प्रकार जीएसटी के कारण शैक्षणिक और अन्य सेवाओं के कराधान में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

Thursday, 6 July 2017

India Will Be Necome Global Manufacturing Hub Soon: Modi

GST also open Manufacturing market for World’s country

Some India’s businessmen  are opposing of GST Tax system bur our Prime Minister asserted that GST will be proved landmark for Indian business. He says that India will sortly become global manufacturing hub. This is good signal for Indian Youth.
Prime Minister Narendra Modi asserted that GST was by far the biggest business and economic reform of India and that the country was moving towards the modern tax regime, which was transparent, stable and predictable.
“We have resolved a number of regulatory and policy issues facing businesses and companies. We have worked very sincerely for ease of doing business. We are positioning India as a global manufacturing hub. This is necessary for us to take advantage of youth energy. For this, we have launched Make in India,” Modi said while addressing the first joint meeting of Indo-Israel CEOs forum.
nviting the Israeli industry to participate in ‘Startup India’ initiative, PM Modi launched India-Israel StartUp Bridge to encourage startups of the two countries to work together to come up with innovative solutions for tackling challenges in agriculture, water and healthcare sectors.
“There is a lot of potential for India-Israel partnership and I am happy that startup bridge has been formally launched today. Israel is known as startup nation. It has a unique sense and ecosystem  for innovation and incubation. Credit must go to the Israeli entrepreneurs,” the PM noted
“The driving force is opportunities for the betterment of lives of people.” Modi also hoped that CEOs and talents of India and Israel can together sow seeds of miracles. Inaugurating the Innovation Bridge, both Indian and Israeli PMs asserted “Innovation is life”. The CEOs of both sides concluded MoUs worth $5 billion on the sidelines of the conclave. The CEOs forum set a target to increase bilateral trade from the current $5 billion to $20 billion within five years. The forum also set up six joint committees, coveringstartups, pharmaandlifesciences, homeland security, agriculture, energy and water sectors.

“JIGYASA” - Student-Scientist connect Each-other

This is the Mile of Stone for Kendriya Vidyalaya’s Students 

1151 Kendriya Vidyalayas connect with 38 CSIR Laboratories targeting one lakh students and nearly 1000 teachers annually.

On the occassion of the birthday of Shri Shyama Prasad Mukherjee.Jigyasa, a student- scientist connect programme was officially launched in the national capital, Shri Mukherjee is an inspirational figure and a role model for all Indians.
Council of Scientific and Industrial Research (CSIR), has joined hands with Kendriya Vidyalaya Sangathan (KVS) to implement this programme. The focus is on connecting school students and scientists so as to extend student’s classroom learning with that of a very well planned research laboratory based learning.
Memorandum of Understanding signing ceremony was held in the presence of Dr. Harsh Vardhan, Minister of Science & Technology, Earth Sciences, Environment, Forests and Climate Change and Shri Prakash Javadekar, Minister of Human Resource Development.
Addressing the gathering, the Minister for Science & Technology, Dr Harshvardhan said, that the Jigyasa programme was inspired by Prime Minister Narendra Modi’s vision of a new India and “Scientific Social Responsibility (SSR)” of scientific community and institutions. It is a historic day when two ministries are collaborating on the Youth who are the future of the nation. The day also coincides with the birthday of Shri Shyama Prasad Mukherjee who is an inspirational figure and a role model for all Indians.
Speaking on the occasion, Union Minister of Human Resource Development Shri Prakash Javadekar said that “to inculcate scientific temper among the students we have to make them aware about the impact of science on the society. Science has played a very important role in changing our lives”. Thanking Dr Harshvardhan and CSIR, Shri Javadekar further said that access to these premier institutions is only the beginning. CSIR will also talent hunt among the visiting students for furthering the cause of scientific development. The Minister also informed that he will personally review the status periodically.
CSIR has been contributing for several decades for socio-economic development in the country.  It has been through development and deployment of knowledge base focused at Technology and Innovation. CSIR has also been playing a key role in human resource development, in particular training of the young researchers through Ph. D. programmes in diverse fields.
The “JIGYASA” would inculcate the culture of inquisitiveness on one hand and scientific temper on the other, amongst the school students and their teachers. The Programme is expected to connect 1151 Kendriya Vidyalayas with 38 National Laboratories of CSIR targeting 100,000 students and nearly 1000 teachers annually.
The program will also enable the students and teachers to practically live the theoretical concepts taught in science by visiting CSIR laboratories and by participating in mini-science projects. The model of engagement includes:
·         Student Residential Programmes;
·         Scientists as Teachers and Teachers as Scientists;
·         Lab specific activities / Onsite Experiments;
·         Visits of Scientists to Schools/Outreach Programmes;
·         Science and Maths Clubs;
·         Popular Lecture Series/ demonstration programme at Schools;
·         Student Apprenticeship Programmes;
·         Science Exhibitions;
·         Projects of National Children’s Science Congress;
·         Teacher Workshops; and
·         Tinkering Laboratories.
“JIGYASA” is one of the major initiative taken up by CSIR at national level, during its Platinum Jubilee Celebration Year.  CSIR is widening and deepening its Scientific Social Responsibility further with the programme.

Wednesday, 5 July 2017

Minister congratulates North Eastern States for successful implementation of GST

The Union Minister of State (Independent Charge) for Development of North Eastern Region (DoNER), MoS PMO, Personnel, Public Grievances, Pensions, Atomic Energy and Space, Dr Jitendra Singh today, congratulated all the eight North-Eastern States for successful implementation of GST and said, the North-Eastern States have set an example by being highly supportive right from the beginning of the GST exercise, in spite of several diversities, contradictions and constraints of the region. He commended the unassuming approach of the eight State Governments of different political parties as well as the various trade bodies and their representatives from the region, who, from time to time, came forward with their apprehensions and sought responses with an open mind, which paved the way for amicable solution to each of the issues related to GST roll-out in the region. 
Speaking to Nagaland Minister for Roads & Bridges, designate in GST Council, Shri Y. Vikheho Swu, who called on him to discuss the arrangements post-roll-out of GST in the State, Dr Jitendra Singh had a word of praise for Nagaland, which happens to be one of the most peripheral Indian States with its immediate borders with foreign countries and with constant hassles emanating from topography, inadequate connectivity, transport limitations etc.

Shri Vikheho Swu gave a detailed resume of the manner in which everything was being managed smoothly following the GST roll-out on the midnight of June 30th and July 1st. He also wanted Dr Jitendra Singh to ensure that the All India Services officers engaged in implementation and management of GST should not be transferred or posted elsewhere for the time being.

Dr Jitendra Singh also had a word of praise for the literate approach and sagacious wisdom of the traders as well as consumers of North-Eastern region who were always open to reason. Citing an example, he said, when it was pointed out that some of the local handloom / handicraft products had come under the gambit of GST, even though these were tax-free earlier, the grievance got instantly resolved when it was explained that earlier, several of the taxes on raw material, etc., were embedded and hence not visible, whereas now it is only one tax, the GST, which is visible with no other invisible taxes, and hence the ultimate cost could remain the same or even less.

In the long run, Dr Jitendra Singh said that the GST will prove to be a blessing for the Northeast as it will offer the peripheral States an opportunity to grow side by side along with the more developed States of India.