अपने धाम में महर्षि नारद जी महाराज यह सोच कर आराम फरमा रहे थे कि पृथ्वीलोक पर हमारे नारायण के अवतार के रूप में नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी ने सत्ता संभाल रखी है, अब वहां भी स्वर्ग के समान सारी सुविधाएं मिल रहीं होगी। वहां अब लोग सारे ऐशोआराम के साथ अपना जीवन गुजार रहे होंगे। हाल-चाल लेने की अपनी आदत के मुताबिक नारदजी ने अपने कान-ध्यान लगा कर खबर लेने का प्रयास किया तो उनके कान शोर शराबे से फट पड़े। अब उन्हें चैन न पड़ा और वह तत्काल चल दिए। सबसे पहले वह राजधानी दिल्ली पहुंचे तो उन्हें जंतर-मंतर के आस-पास सबसे अधिक शोर शराबा सुनाई पड़ा। जहां पर बहुत से सत्ता विरोधी नेता,पदाधिकारी,कार्यकर्ता और असंतुष्ट व्यापारी व जनता जनार्दन के लोग भी नारायण अवतारी श्री मोदी के खिलाफ अपना रोष प्रकट करने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान नारे लगा रहे थे। इन नारों में कुछ ऐसे थे
काम का न काज का दुश्मन अनाज का कौन......?
लाभ न का न हानि का दुश्मन कामकाज का कौन......?
राम का न रहीम का,दुश्मन रामराज का कौन......?
इन नेताओं में एक नेता मोदी का रूप धर के उपस्थित लोगों से उन्हीं के अंदाज में पूछ रहा था? भाइयो-बहनों क्या अच्छे दिन आए.....नहीं -नहीं।
आपके खातों में 15-15 लाख रुपये आऐ.....नहीं-नहीं।
नोटबंदी से सारे कालेधन वाले पकड़े गए....नहीं-नहीं।
इस नारेबाजी के बीच नारदजी ने सोचा कि कोई हमें देख भी न पाए और सबसे ज्यादा लोगों को हम आसानी से देख ले। यही सोच कर वे उस विशाल पुतले में घुस गए जिसे प्रदर्शनकारी विरोध जताने के लिए लाए थे। उस पुतले में घुसे नारदजी तमाशा देख ही रहे थे कि नारेबाजी के बीच किसी ने सड़ा अंडा फेंका। नारदजी बोले-नारायण-नारायण कितनी बदबू है। तभी एक सड़ा टमाटर पुतले के मुंह पर भच्च से पड़ा तो नारदजी बेहोश हो गए। अब लोगों ने पुतले को गिरा कर उस पर जूता-लात से मारना शुरू कर दिया। नारदजी को होश आया तो उन्हें कुछ समझ में नहीं आया कि ये हो क्या रहा है क्योंकि स्वर्ग में ऐसा प्रदर्शन तो होता नहीं। वे अभी इस तमाशे को देख ही रहे थे कि कुछ लोग हाथ में जलते हुए सरकंडे,मशाल लेकर आगे बढ़ रहे थे तब भी नारद जी को कुछ समझ में न आया और आगे बढ़ कर जब नारेबाजी के बीच जब लोगों ने पुतले को जलाना शुरू कर दिया तो नारद जी तब सारा माजरा समझ में आ गया। जान खतरे में देख कर नारद जी जोर-जोर से बचाओ-बचाओ की आवाज लगाकर चिल्लाए लेकिन वहां उनकी कौन सुनने वाला था। तब तक पुतले में आग लग चुकी थी और लोग थोड़ी दूर जाकर घेरा बनाकर लोग खड़े होकर नारेबाजी कर रहे थे। तभी नारदजी ने पुतले से बाहर निकलने का प्रयास कि तो वहां खड़े लोग भूत-भूत कह कर भाग खड़े हुए। नारदजी ठहरो-ठहरो चिल्लाते रहे लेकिन वहां लोग सिर पर पैर रखकर भागते रहे पूरा इलाका खाली हो गया। भागने वाले कुछ नेताओं ने सबसे पहले प्रेस कांफ्रेंस की और कहा कि भूत भेज कर हम लोगों को डरवाने की कोशिश की है। यह आरोप लगाया कि ये तांत्रिक सरकार है, जादूगरी सरकार है ये कुछ भी कर सकती है। जनता को सजग हो जाना चाहिए। यह बात धीरे-धीरे पूरे देश में टीवी चैनलों के माध्यम से पहुंच गई। सभी टीवी चैनलों की टीआरपी टॉप पर पहुंच रही थी। तभी नारदजी निकल कर उसी रास्ते आगे बढ़े तो वहां मौजूद नेताओं ने प्रेस वालों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि देखों वह भूत आ रहा है, देखो कितना ढीठ है, हमारा पीछा यहां तक कर रहा है?
डरपोक पत्रकार तो नेताओं से साथ ही नौ-दो ग्यारह हो लिये परन्तु कुछ ऐसे भी पत्रकार थे जो इस मौके को छोडऩा नहीं चाहते थे और वे आगे बढ़ कर नारदजी के पास पहुंचे तो उन्होंने अपनी सारी आपबीती बताई। प्रेस वालों ने कहा कि आप देवाधिकार कानून के तहत थाने में इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जानलेवा हमले की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखा देते। नारदजी ने कहा कि हमें रिपोर्ट नहीं लिखानी है लेकिन सच्चाई तो बतानी ही है। अपनी सच्ची कहानी अवश्य पुलिस अधिकारियों को सुनाएंगे। थाने में पे्रस वालों के साथ सच्ची कहानी सुनाने के बाद नारदजी ने वापस जाने की इजाजत मांगी तो काफी शोर शराबा सुनकर वहां पर जीएसटी वाले पहुंच गए और बोले बाबाजी आपने स्वर्ग से आकर अनेक कानून तोड़े और कितनी हवा ली, कितना पानी पिया और क्या-क्या किया। आपको इसका जीएसटी देना पड़ेगा। नारदजी चौंक गए ये जीएसटी क्या बला है? आपको नहीं मालूम यह एक जुलाई से हमारे देश में लागू हो गया है। यह सभी प्रकार के टैक्सों का बाप है, अब इससे कोई नहीं बच सकता, आप भी नहीं? नारदजी को चक्कर आ गया और वहीं धड़ाम से गिर पड़े। जीएसटी वालों को नारदजी को उठाया और अस्पताल पहुंचाया। अब नारदजी अस्पताल में आराम फरमा रहे हैं।
काम का न काज का दुश्मन अनाज का कौन......?
लाभ न का न हानि का दुश्मन कामकाज का कौन......?
राम का न रहीम का,दुश्मन रामराज का कौन......?
इन नेताओं में एक नेता मोदी का रूप धर के उपस्थित लोगों से उन्हीं के अंदाज में पूछ रहा था? भाइयो-बहनों क्या अच्छे दिन आए.....नहीं -नहीं।
आपके खातों में 15-15 लाख रुपये आऐ.....नहीं-नहीं।
नोटबंदी से सारे कालेधन वाले पकड़े गए....नहीं-नहीं।
इस नारेबाजी के बीच नारदजी ने सोचा कि कोई हमें देख भी न पाए और सबसे ज्यादा लोगों को हम आसानी से देख ले। यही सोच कर वे उस विशाल पुतले में घुस गए जिसे प्रदर्शनकारी विरोध जताने के लिए लाए थे। उस पुतले में घुसे नारदजी तमाशा देख ही रहे थे कि नारेबाजी के बीच किसी ने सड़ा अंडा फेंका। नारदजी बोले-नारायण-नारायण कितनी बदबू है। तभी एक सड़ा टमाटर पुतले के मुंह पर भच्च से पड़ा तो नारदजी बेहोश हो गए। अब लोगों ने पुतले को गिरा कर उस पर जूता-लात से मारना शुरू कर दिया। नारदजी को होश आया तो उन्हें कुछ समझ में नहीं आया कि ये हो क्या रहा है क्योंकि स्वर्ग में ऐसा प्रदर्शन तो होता नहीं। वे अभी इस तमाशे को देख ही रहे थे कि कुछ लोग हाथ में जलते हुए सरकंडे,मशाल लेकर आगे बढ़ रहे थे तब भी नारद जी को कुछ समझ में न आया और आगे बढ़ कर जब नारेबाजी के बीच जब लोगों ने पुतले को जलाना शुरू कर दिया तो नारद जी तब सारा माजरा समझ में आ गया। जान खतरे में देख कर नारद जी जोर-जोर से बचाओ-बचाओ की आवाज लगाकर चिल्लाए लेकिन वहां उनकी कौन सुनने वाला था। तब तक पुतले में आग लग चुकी थी और लोग थोड़ी दूर जाकर घेरा बनाकर लोग खड़े होकर नारेबाजी कर रहे थे। तभी नारदजी ने पुतले से बाहर निकलने का प्रयास कि तो वहां खड़े लोग भूत-भूत कह कर भाग खड़े हुए। नारदजी ठहरो-ठहरो चिल्लाते रहे लेकिन वहां लोग सिर पर पैर रखकर भागते रहे पूरा इलाका खाली हो गया। भागने वाले कुछ नेताओं ने सबसे पहले प्रेस कांफ्रेंस की और कहा कि भूत भेज कर हम लोगों को डरवाने की कोशिश की है। यह आरोप लगाया कि ये तांत्रिक सरकार है, जादूगरी सरकार है ये कुछ भी कर सकती है। जनता को सजग हो जाना चाहिए। यह बात धीरे-धीरे पूरे देश में टीवी चैनलों के माध्यम से पहुंच गई। सभी टीवी चैनलों की टीआरपी टॉप पर पहुंच रही थी। तभी नारदजी निकल कर उसी रास्ते आगे बढ़े तो वहां मौजूद नेताओं ने प्रेस वालों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि देखों वह भूत आ रहा है, देखो कितना ढीठ है, हमारा पीछा यहां तक कर रहा है?
डरपोक पत्रकार तो नेताओं से साथ ही नौ-दो ग्यारह हो लिये परन्तु कुछ ऐसे भी पत्रकार थे जो इस मौके को छोडऩा नहीं चाहते थे और वे आगे बढ़ कर नारदजी के पास पहुंचे तो उन्होंने अपनी सारी आपबीती बताई। प्रेस वालों ने कहा कि आप देवाधिकार कानून के तहत थाने में इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जानलेवा हमले की रिपोर्ट क्यों नहीं लिखा देते। नारदजी ने कहा कि हमें रिपोर्ट नहीं लिखानी है लेकिन सच्चाई तो बतानी ही है। अपनी सच्ची कहानी अवश्य पुलिस अधिकारियों को सुनाएंगे। थाने में पे्रस वालों के साथ सच्ची कहानी सुनाने के बाद नारदजी ने वापस जाने की इजाजत मांगी तो काफी शोर शराबा सुनकर वहां पर जीएसटी वाले पहुंच गए और बोले बाबाजी आपने स्वर्ग से आकर अनेक कानून तोड़े और कितनी हवा ली, कितना पानी पिया और क्या-क्या किया। आपको इसका जीएसटी देना पड़ेगा। नारदजी चौंक गए ये जीएसटी क्या बला है? आपको नहीं मालूम यह एक जुलाई से हमारे देश में लागू हो गया है। यह सभी प्रकार के टैक्सों का बाप है, अब इससे कोई नहीं बच सकता, आप भी नहीं? नारदजी को चक्कर आ गया और वहीं धड़ाम से गिर पड़े। जीएसटी वालों को नारदजी को उठाया और अस्पताल पहुंचाया। अब नारदजी अस्पताल में आराम फरमा रहे हैं।
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