क्या वर्तमान समय में 1977 जैसे हालात बन रहे हैं?
केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अपनी नाराजगी भरे स्वर में यह चेतावनी दी है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी की तरह मोदी को ले डूबेंगे उनके भक्त।शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि इंदिरा गांधी की तरह ही प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक उनके पतन का कारण बनेंगे। हिंदी अख़बार जनसत्ता के अनुसार, बृहनमुंबई महानगर पालिका के कार्यक्रम में मोदी के समर्थन में लगे नारों से चिढ़ी शिवसेना ने संपादकीय में कहा है कि आज ग़ैरज़रूरी तरीक़े से मोदी के समर्थन में नारे लगाने वाले असल में उनकी छवि को धूमिल कर रहे हैं।
इसमें आगे कहा गया है कि एक वक्त था जब इंदिरा गांधी के नाम के भी नारे लगाए जाते थे। इंदिरा इज़ इंडिया जैसे नारे लगाकर उनके भक्तों ने देश का अपमान किया था। इस अपमान से ऐसी चिंगारी पैदा हुई जिसका अंत उनकी हार में हुआ था। इंदिरा इज इंडिया का नारा सत्तर के दशक में कांग्रेस के पांच युवा नेताओं ने अपनी प्रधानमंत्री की प्रशंसा में लगाए गए थे। इन युवाओं को युवा तुर्क कहा जाता था। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर और असम के नेता बरुआ भी शामिल थे। इन लोगों ने अपने नेता के समर्थन में जो नारा दिया था वह इस प्रकार है ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा, इंडिया इज नाट इंडिया विदाउट इंदिरा’। इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए शिवसेना ने इतने समय के बाद कहा कि इन लोगों ने देश का अपमान किया था। यह बात काफी पुरानी है और इसके बाद कई बार इंदिरा गांधी चुनाव जीतीं और सरकार भी बनी। उनकी हार का कारण कुछ और था। शिवसेना तो अपनी भड़ास निकालने के लिए ऐसा कह रही है। इमरजेंसी और पांंच सूत्रीय कार्यक्रम के दौरान की गई ज्यादती और सरकारी कर्मचारियों का शोषण प्रमुख कारण थे, जिनसे इंदिरा गांधी की हार हुई थी।
यदि मोदी सरकार में तुलना की जाए तो यहां पर जबर्दस्ती भले ही न की जा रही हो लेकिन सरकारी कर्मचारियों का सख्त अनुशासन के नाम पर अपरोक्ष शोषण और उनको दिये जाने वाले भत्तों में कंजूसी आदि उनमें नाराजगी का कारण बना हुआ है। व्यापारियों में असंतोष फैला हुआ है। इससे कुछ-कुछ संकेत अवश्य मिलते हैं कि मोदी सरकार से लोग नाराज हैं लेकिन वर्तमान समय में यह स्थिति 1977 जैसी नहीं है, इसलिए मोदी नाम के जहाज के डूबने की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। संपादकीय में लिखा गया है कि नरेंद्र मोदी पर गर्व करने और उनके नाम पर उन्माद फैलाने में फर्क़ समझना चाहिए।
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