एसएससी की परीक्षाओं के बाद युवाओं की पसंद बैंकों की जॉब होती है। आज का युवा एसएससी के साथ बैंक पीओ और बैँक क्लर्क की परीक्षा की तैयारी करता है। देश में आजकल बैंकों के कॉन्सालिडेटेड का मामला बहुत तेजी से उछल रहा है। केन्द्र सरकार देश में एसबीाआई जैसी केवल सात बैंकें ही चलाना चाहती है। क्षेत्रीय और छोटी बैंकों को इन सभी सातों बैंकों में मर्ज किया जा रहा है। अभी हाल ही में सुनने में आया था कि नौ बैंकों का अन्य बड़ी बैंकों में मर्ज किया जा रहा है। इन बैंकों के नाम हैं सेन्ट्रल बैँक आफ इंडिया, आईडीबीआई, देना बैंक, यूको बैंक, बैँक आफ महाराष्ट्र आदि-आदि। इन बैँकों के मर्जर से आम ग्राहकों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला लेकिन इन बैँकों में नौकरी चाहने वाले युवाओं के भविष्य पर अवश्य ही फर्क पडऩे वाला है। निजी और छोटी बैँकों में नौकरी दिलाने वाला बोर्ड कमजोर होगा और उसकी शक्तियां घटने से जॉब मिलने में भी परेशानी होगी। जॉब संख्या भी प्रभावित होगी। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अब केवल उन्हीं युवाओं को बैंकों की नौकरी मिल सकेगी जो एसबीाआई लेबल की तैयारी कर पाएंगे।
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