ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। बुजुर्गों में मास्टरजी और युवाओं-छात्र-छात्राओं में गुरुजी के नाम से लोकप्रिय वैदपुरा स्थित श्रीसंत विनोवा भावे कालेज के प्रधानाचार्य श्री तेजपाल सिंह नागर को विकास की प्रतिमूर्ति कहा
जाए तो अतिशयोक्त न होगा। श्री नागर जिस क्षेत्र में हर जगह अपनी अदम्य क्षमता और अनूठी कार्यशैली का परिचय दिया। समाजसेवा और दानवीरता में अग्रणी श्री नागर की विकास यात्रा निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। उनका मानना है कि समाज की सेवा करके ही उन्हें शांति मिलती है। श्री नागर समाज सेवा के लिए कोई निश्चित क्षेत्र नहीं मानते, उनका कहना है कि चाहे आप जिस क्षेत्र में हों अपने कार्य से समाज के लोगों का कल्याण करें, यही समाज सेवा है। उनकी राय के अनुसार सभी इंसान ईश्वर की संतान है, सभी आपस में बंधु-बांधव हैं। श्री नागर बसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करते हैं। गत दिनों सूरजपुर एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने आए श्री नागर से हुईं भेंट के आधार पर उनका संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है। इससे यह स्पष्ट झलकता है कि वे समाज के निचले तबके को ऊपर उठाने और शिक्षा की लौ जगाने के साथ ही मौका मिलते ही राजनीति में शिरकत करके समाज के कल्याण का कार्य किया।
वर्तमान समय में गौतमबुद्धनगर जनपद के आकिलपुर जागीर ग्राम में 12.10.1957 को चौधरी नत्थू शाह के सुपुत्र श्री हीरा सिंह एवं श्रीमती फूलवती के परिवार में छोटे पुत्र के रूप में जन्म लिया। बड़े भाई श्री विनोद नागर इंजीनियर पद पर कार्यरत हैं। श्री तेजपाल सिंह नागर ने मिहिर भोज इंटर कालेज दादरी से 1971 में हाई स्कूल और 1973 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद गाजियाबाद के एमएमच कालेज से बीएससी की परीक्षा 1976 में उत्तीर्ण की। तत्पश्चात श्री नागर ने हिंदी, इतिहास और राजनीति शास्त्र में परास्नातक (एमए)डिग्री हासिल की। गुडग़ांव से बीएड की शैक्षिक योग्यता हासिल कर शिक्षा की अलख जगाने का संकल्प लिया। इसके पश्चात 1981 मेें मिहिर भोज इंटर कालेज में अध्यापक पद से शिक्षाटन का कार्य प्रारंभ किया और 2008 तक कार्यरत रहे। इसके बाद 2008 में ही माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड इलाहाबाद ने उन्हें प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त किया। सबसे पहले उन्होंने गाजियाबाद के फरीदनगर स्थित आदर्श जनता इंटर कालेज में कार्यभार संभाला। इसके बाद 15 नवंबर 2008 को वैदपुरा के श्रीसंत विनोवा भावे इंटर कालेज में प्रधानाचार्य का पद सुशोभित किया। तब से आज तक वहां रह कर कालेज की कायापलट कर दी। इसके साथ ही साथ क्षेत्र का भी विकास कराया।
राजनीति के क्षेत्र में विद्यार्थी जीवन से रुझान रखने वाले श्री नागर मिहिर भोज इंटर कालेज में एक वर्ष छात्र संघ के अध्यक्ष और एक वर्ष महामंत्री पद पर रहे हैं। यही नहीं श्री नागर 1995 से लेकर 2010 तक जनपद के वार्ड नं. दो के लिए लगातार तीन योजनाओं के लिए जिला पंचायत के सदस्य रहे। क्षेत्र की जनता के बीच अत्यधिक लोकप्रिय होने के कारण तीनों बार भारी मत मिले। श्री नागर दादरी सहकारी संघ के अध्यक्ष पद पर 1992-1995 तक तीन वर्ष रहे। \श्री नागर ने बताया कि जिला पंचायत सदस्य के रूप में इतने अधिक विकास कार्य कराए कि क्षेत्र के लोग आज भी उन्हें याद ही नहीं करते बल्कि स्नेह और सम्मान भी देते है। उन्होंने बताया कि मंडी परिषद से बिसाड़ा तक सीसी रोड, सिलारपुर की सीसी रोड, दुजाना-कचैड़ा तक सीसी रोड,जैसे अनेक विकास कार्य कराए। शिक्षा के क्षेत्र में जैतवारपुर, आकलपुर,उड़ी खेड़ा, विसमौली, धूम मानिकपुर, कलासपुर,बड़पुरा और अच्छेजा में जूृनियर हाई स्कूल खुलवाए। यहीं नहीं ढोकलपुरा,शाहपुर, राजदपुर, दुजाना खेड़ा में प्राइमरी स्कूल भी बनवाकर क्षेत्र की जनता की शिक्षा की समस्या खत्म करवाई। क्षेत्र के लोगों को शिक्षा के लिए भटकना नहीं पड़ा और अपने ही क्षेत्र में शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हो गई।
जाए तो अतिशयोक्त न होगा। श्री नागर जिस क्षेत्र में हर जगह अपनी अदम्य क्षमता और अनूठी कार्यशैली का परिचय दिया। समाजसेवा और दानवीरता में अग्रणी श्री नागर की विकास यात्रा निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। उनका मानना है कि समाज की सेवा करके ही उन्हें शांति मिलती है। श्री नागर समाज सेवा के लिए कोई निश्चित क्षेत्र नहीं मानते, उनका कहना है कि चाहे आप जिस क्षेत्र में हों अपने कार्य से समाज के लोगों का कल्याण करें, यही समाज सेवा है। उनकी राय के अनुसार सभी इंसान ईश्वर की संतान है, सभी आपस में बंधु-बांधव हैं। श्री नागर बसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करते हैं। गत दिनों सूरजपुर एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने आए श्री नागर से हुईं भेंट के आधार पर उनका संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है। इससे यह स्पष्ट झलकता है कि वे समाज के निचले तबके को ऊपर उठाने और शिक्षा की लौ जगाने के साथ ही मौका मिलते ही राजनीति में शिरकत करके समाज के कल्याण का कार्य किया।
वर्तमान समय में गौतमबुद्धनगर जनपद के आकिलपुर जागीर ग्राम में 12.10.1957 को चौधरी नत्थू शाह के सुपुत्र श्री हीरा सिंह एवं श्रीमती फूलवती के परिवार में छोटे पुत्र के रूप में जन्म लिया। बड़े भाई श्री विनोद नागर इंजीनियर पद पर कार्यरत हैं। श्री तेजपाल सिंह नागर ने मिहिर भोज इंटर कालेज दादरी से 1971 में हाई स्कूल और 1973 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद गाजियाबाद के एमएमच कालेज से बीएससी की परीक्षा 1976 में उत्तीर्ण की। तत्पश्चात श्री नागर ने हिंदी, इतिहास और राजनीति शास्त्र में परास्नातक (एमए)डिग्री हासिल की। गुडग़ांव से बीएड की शैक्षिक योग्यता हासिल कर शिक्षा की अलख जगाने का संकल्प लिया। इसके पश्चात 1981 मेें मिहिर भोज इंटर कालेज में अध्यापक पद से शिक्षाटन का कार्य प्रारंभ किया और 2008 तक कार्यरत रहे। इसके बाद 2008 में ही माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड इलाहाबाद ने उन्हें प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त किया। सबसे पहले उन्होंने गाजियाबाद के फरीदनगर स्थित आदर्श जनता इंटर कालेज में कार्यभार संभाला। इसके बाद 15 नवंबर 2008 को वैदपुरा के श्रीसंत विनोवा भावे इंटर कालेज में प्रधानाचार्य का पद सुशोभित किया। तब से आज तक वहां रह कर कालेज की कायापलट कर दी। इसके साथ ही साथ क्षेत्र का भी विकास कराया।
राजनीति के क्षेत्र में विद्यार्थी जीवन से रुझान रखने वाले श्री नागर मिहिर भोज इंटर कालेज में एक वर्ष छात्र संघ के अध्यक्ष और एक वर्ष महामंत्री पद पर रहे हैं। यही नहीं श्री नागर 1995 से लेकर 2010 तक जनपद के वार्ड नं. दो के लिए लगातार तीन योजनाओं के लिए जिला पंचायत के सदस्य रहे। क्षेत्र की जनता के बीच अत्यधिक लोकप्रिय होने के कारण तीनों बार भारी मत मिले। श्री नागर दादरी सहकारी संघ के अध्यक्ष पद पर 1992-1995 तक तीन वर्ष रहे। \श्री नागर ने बताया कि जिला पंचायत सदस्य के रूप में इतने अधिक विकास कार्य कराए कि क्षेत्र के लोग आज भी उन्हें याद ही नहीं करते बल्कि स्नेह और सम्मान भी देते है। उन्होंने बताया कि मंडी परिषद से बिसाड़ा तक सीसी रोड, सिलारपुर की सीसी रोड, दुजाना-कचैड़ा तक सीसी रोड,जैसे अनेक विकास कार्य कराए। शिक्षा के क्षेत्र में जैतवारपुर, आकलपुर,उड़ी खेड़ा, विसमौली, धूम मानिकपुर, कलासपुर,बड़पुरा और अच्छेजा में जूृनियर हाई स्कूल खुलवाए। यहीं नहीं ढोकलपुरा,शाहपुर, राजदपुर, दुजाना खेड़ा में प्राइमरी स्कूल भी बनवाकर क्षेत्र की जनता की शिक्षा की समस्या खत्म करवाई। क्षेत्र के लोगों को शिक्षा के लिए भटकना नहीं पड़ा और अपने ही क्षेत्र में शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हो गई।
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