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Monday, 25 August 2014

देश की जरूरतों को पूरा करने में आईआईटी सहयोग दें:राष्ट्रपति


नई दिल्ली(ब्यूरो)। राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आईआईटी से आग्रह किया कि वह अग्रणी प्रौद्योगिकी विकसित करने के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभाएं और उनका उपयोग देश की कई प्रकार की आवश्यकताओं को पूरा करने में करे तथा यह प्रौद्योगिकी अन्य विकासशील देशों को भी निर्यात की जाए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के अध्यक्षों, बोर्ड ऑफ गर्वनर्स और निदेशकों के सम्मेलन के समापन सत्र में दिए अपने संबोधन में यह बात कही।
राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी द्वारा तैयार की गई प्रस्तुतियों में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता झलकती है और लगता है कि आईआईटी उद्योग और अकादमिक संस्थानों के साथ सहयोग करके अग्रणी अनुसंधान करना चाहते है। आईआईटी से कुछ बेहतर सुझाव मिले हैं, जिनमें बढिय़ा व्यवहारकुशल प्रौद्योगिकी को साझा करना, अनुसंधान पत्रों के प्रकाशन की संख्या को बढ़ाने के प्रयास करना, प्रतिवर्ष 3 से 5 अनुसंधान पत्र प्रकाशित करने का लक्ष्य, बेहतर फैकल्टी के लिए डॉक्टरेट की उपाधि को बढ़ावा देना, पाठ्यक्रम में लगातार सुधार और संशोधन करना और प्रत्येक वर्ष हर आईआईटी में कंपनियों के निर्माण का प्रयास करना शामिल है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वे ईशान विकास की परिकल्पना के बारे में जानकर अति प्रसन्न हुए। ईशान विकास.पूर्वोत्तर राज्यों के स्कूली बच्चों को स्कूल से अवकाश के दौरान आईआईटी और आईआईएसईआरएस से जोडऩे की एक व्यापक योजना है। इस कदम को जल्द से जल्द कार्यान्वित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय और आईआईटी की परिषदों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।  राष्ट्रपति ने कहा कि सीखने में समर्थ प्रौद्योगिकी और विशाल मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम (एमओओसी) विषय पर आईआईटी.दिल्ली के निदेशक द्वारा तैयार की गई प्रस्तुती को देखकर वे प्रसन्न हुए। यह पाठ्यक्रम काफॅी आगे के है और भारत में पढ़ाने की पारंपरिक पद्धतियों विशेष रूप से उच्च शिक्षा में सहायता के लिए इनका उपयोग किया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि इन पाठ्यक्रमों के लिए स्पष्ट समयसीमा सुनिश्चित की जानी चाहिए और देश की जरूरतों को ध्यान में रखकर इन पाठ्यक्रमों को विकसित किया जाना चाहिए। एकदिवसीय सम्मेलन में विश्व स्तर पर आईआईटी की रैंकिंग को सुधारने के लिए आवश्यक कदमों, अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन देने, अध्यापन में प्रौद्योगिकी का उपयोग और ऑनलाइन सीखने की प्रक्रिया आदि पर विचार किया गया।
 आईआईटी की समुदायों के साथ साझेदारीए संसाधन और संस्थान के पूर्व छात्रों को संघटित करने पर विचार किया गया। सम्मेलन में आईआईटी के 29 अध्यक्षए बोर्ड ऑफ गर्वनर्स और निदेशकों ने भाग लिया।

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