पैनकार्ड यानी आयकर विभाग का एक ऐसा कार्ड जो आज के जमाने में अनेक सरकारी व बैंकिंग कार्यो में काम आता है। चाहे सरकारी या मल्टीनेशनल कंपनी अथवा प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं या व्यापार कर रहे हों अथवा अन्य ऐसा कोई कार्य कर रहे हों जिससे होने वाली आय का लेखा-जोखा रखना हो और आयकर के दायरे में आने वाली आय कर का भुगतान करना हो, इसके लिए पैन कार्ड का होना बहुत जरूरी है। यहीं नहीं कारोबार करने के अलावा अन्य प्रकार के व्यापारिक लेनदेन में भी पैन कार्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आइए जानते हैं पैनकार्ड के संबंध में आवश्यक कानूनी बातें, जो इस प्रकार हैं:-
पैन कार्ड : आयकर विभाग से जारी किया गया वह कार्ड जिसमें परमानेंट एकाउंट नंबर अर्थात स्थायी लेखा संख्या दर्ज रहती है।
आयकर अधिनिनियम 1961 की धारा 139ए में पैन कार्ड से संबंधित नियमों व शर्तों का उल्लेख किया गया है।
जब किसी व्यक्ति की टोटल इनकम यानी कुल आय आयकर अधिनियम के अन्तर्गत एग्जेम्प्ट (श्व3द्गद्वश्चह्ल) राशि वर्तमान वित्तीय वर्ष में दो लाख (2,00,000) रुपये से अधिक है तो उसे उस वर्ष के समाप्त होने के दो महीने के अन्दर पेन कार्ड बनवाने के लिए आवेदन अवश्य करना चाहिए।
यदि किसी व्यक्ति का टर्नओवर या ग्रास रिसीप्ट पांच लाख (5,00,000) रुपये से अधिक है तो उसे उस वित्तीय वर्ष में पैन का आवेदन करना अवश्य चाहिए।
निम्नलिखित परिस्थितियों में करदाता को अपने पैन कार्ड नंबर का उल्लेख करना अनिवार्य है।
(1).जब करदाता कोई स्थायी सम्पत्ति क्रय अथवा विक्रय करता हो जिसमी कीमत पांच लाख(5,00,000) रुपये से अधिक हो।
(2).बैंक में 50,000 रुपये अधिक की राशि एक समय में जमा करा रहा हो तो उसे जमा स्लिप में पैन नंबर लिखना अवश्य चाहिए।
(3).10,000 रुपये से अधिक की सिक्योरिटी क्रय अथवा विक्रय करता हो।
(4).बैंक में खाता खुलवाते समय पैन कार्ड का नंबर लिखना आवश्यक है।
(5).किसी होटल अथवा रेस्टोरेंट को एक समय में 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान करते समय पैन कार्ड का इस्तेमाल आवश्यक है।
(6).किसी विदेश यात्रा के संबंध में एक साथ 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान करते समय पैन नंबर का लिखना जरूरी है।
(7).50,000 रुपये से अधिक की कीमत के शेयर खरीदते समय भी पैन कार्ड का नंबर लिखना आवश्यक है।(8). किसी डीलर को 5,00,000 रुपये से अधिक की राशि का भुगतान करने समय भी पैन का नंबर लिखा जाना जरूरी है।
आइए जानते हैं पैनकार्ड के संबंध में आवश्यक कानूनी बातें, जो इस प्रकार हैं:-
पैन कार्ड : आयकर विभाग से जारी किया गया वह कार्ड जिसमें परमानेंट एकाउंट नंबर अर्थात स्थायी लेखा संख्या दर्ज रहती है।
आयकर अधिनिनियम 1961 की धारा 139ए में पैन कार्ड से संबंधित नियमों व शर्तों का उल्लेख किया गया है।
जब किसी व्यक्ति की टोटल इनकम यानी कुल आय आयकर अधिनियम के अन्तर्गत एग्जेम्प्ट (श्व3द्गद्वश्चह्ल) राशि वर्तमान वित्तीय वर्ष में दो लाख (2,00,000) रुपये से अधिक है तो उसे उस वर्ष के समाप्त होने के दो महीने के अन्दर पेन कार्ड बनवाने के लिए आवेदन अवश्य करना चाहिए।
यदि किसी व्यक्ति का टर्नओवर या ग्रास रिसीप्ट पांच लाख (5,00,000) रुपये से अधिक है तो उसे उस वित्तीय वर्ष में पैन का आवेदन करना अवश्य चाहिए।
निम्नलिखित परिस्थितियों में करदाता को अपने पैन कार्ड नंबर का उल्लेख करना अनिवार्य है।
(1).जब करदाता कोई स्थायी सम्पत्ति क्रय अथवा विक्रय करता हो जिसमी कीमत पांच लाख(5,00,000) रुपये से अधिक हो।
(2).बैंक में 50,000 रुपये अधिक की राशि एक समय में जमा करा रहा हो तो उसे जमा स्लिप में पैन नंबर लिखना अवश्य चाहिए।
(3).10,000 रुपये से अधिक की सिक्योरिटी क्रय अथवा विक्रय करता हो।
(4).बैंक में खाता खुलवाते समय पैन कार्ड का नंबर लिखना आवश्यक है।
(5).किसी होटल अथवा रेस्टोरेंट को एक समय में 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान करते समय पैन कार्ड का इस्तेमाल आवश्यक है।
(6).किसी विदेश यात्रा के संबंध में एक साथ 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान करते समय पैन नंबर का लिखना जरूरी है।
(7).50,000 रुपये से अधिक की कीमत के शेयर खरीदते समय भी पैन कार्ड का नंबर लिखना आवश्यक है।(8). किसी डीलर को 5,00,000 रुपये से अधिक की राशि का भुगतान करने समय भी पैन का नंबर लिखा जाना जरूरी है।
Atul Sharma,ICA
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