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Sunday, 14 September 2014

इंडीविजुअल कैसे इनकम टैक्स में अपना रेजीडेंशियल स्टेटस जानें

इंडीविजुअल कैसे इनकम टैक्स में अपना रेजीडेंशियल स्टेटस जानें
इनकम टैक्स में सर्वप्रथम करदाता को अपना रेजीडेंशियल स्टेटस जानना चाहिए।
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 6 में इंडिविजुअल को तीन कैटेगरी में विभाजित किया गया है
(1). रेजीडेंट (आर)
(2). नाट ऑर्डिनरी रेजीडेंट (एन ओ आर)
(3). नान-रेजीडेंट (एन आर)
रेजीडेंट :
यदि कोई व्यक्ति गत वर्ष में 182 दिन या उससे अधिक भारत में रहा हो अथवा गत वर्ष में 60 दिन तथा उससे पूर्व के चार वर्षों में 365 दिन या उससे अधिक भारत में किसी भी स्थान पर रहा हो। वह व्यक्ति रेजीडेंट कहलाता है।
नाट आर्डिनरी रेजीडेंट:
यदि व्यक्ति रेजीडेंट की दो शर्तें (182 दिन से अधिक , 60 दिन गत वर्ष, उससे पूर्व 4 वर्षों में 365 दिन) में से कोई एक पूरी करे तथा (1). गत वर्ष से पूर्व के 10 वर्षों में से 2 वर्ष तथा
(2). गत वर्ष से पूर्व के 7 वर्षों में से 729 दिन से अधिक भारत में किसी भी स्थान रहा है तो वह व्यक्ति नाट आर्डिनरी रेजीडेंट  कहलाता है। उपरोक्त में से कोई भी एक पूरी शर्त करे अथवा दोनों।
नान रेजीडेंट
वह व्यक्ति जो भारत में 182 दिन तथा गत वर्ष में 60 दिन व उससे पूर्व के चार वर्षों में 365 दिन या उससे अधिक दिन भारत में किसी भी स्थान पर नहीं रहा हो। वह मूलत: 182 दिन से कम दिन भारत में रहा हो। अत: वह नान रेजीडेंट कहलाता है।
यदि कोई विदेशी व्यक्ति भारत में 182 दिन तक या उससे अधिक रहता है तो वह भारत में इनकम टैक्स के लिए उत्तरदायी है।
शर्त: इंडियन ओरिजन: इंडिविजुअल के माता-पिता या दादा-दादी (पैरेंटस या ग्रांड पैरेंटस ) अविभाजित भारत में जन्में हों।
Advise of Consultant Atul Sharma, ICA

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