केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित जीएसटी यानी वस्त एवं सेवा कर प्रणाली से अपना घर खरीदने वालों पर अलग से कोई बोझ नहीं पड़ेगा। यह खबर अवश्य ही उन लोगों के लिए खुशखबरी साबित होगी जो नोटंबंदी के बाद रियल एस्टेट में मंदी आने की बाट जोह रहे हैं और सस्ती संपत्ति लेकर अपना घर खरीदना चाहते हैं।
कर विशेषज्ञों की राय मानें तो जीएसटी से घर खरीदने वालों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पडऩे वाला है। रियल एस्टेट को जीएसटी की आंशिक दायरे में लाते हुए कार्य अनुबंधित के तहत कुल 12 प्रतिशत की लेवी लगाई जाएंगी। यह राशि घर खरीदने वालों के लिए सामान्यतया ही होगी।
रियल एस्टेट पर लगने वाले मुख्य अप्रत्यक्ष करों में एक्साइज ड्यूटी,वैट और सर्विस टैक्स कुल 9-11 प्रतिश लगाया जाता है। इसके अलावा राज्य द्वारा स्टाम्प ड्यूटी के रूप में ली जाने वाली लेवी है। जीएसटी में स्टाम्प ड्यूटी को छोडक़र सारे अप्रत्यक्ष करों को एक कर दिया गया है। इस कर से डेवलपरों को छूट भी दी गई है। हालांकि यह सेक्टर अभी तक जमीन की कीमत और उस पर लगने वाले किसी कर के निर्णय का इंतजार कर रहा है।
अप्रत्यक्ष करों के विशेषज्ञ प्रतीक जैन का कहना है कि वर्तमान समय में रियल एस्टेट पर सामान्य अप्रत्यक्ष्त्रा करों का आंकड़ा 9-11 प्रतिशत है। इसमें राज्य की स्टाम्प ड्यूटी शामिल नहीं है। जबकि जीएसटी के तहत करों का आंकड़ा 12 प्रतिशत तक पहुंचने वाला है। इससे रियल एस्टेट की प्रापर्टी के रेट में उछाल आने की संभावना नहीं है।
जानकार लोगों के अनुसार प्रोजेक्ट डेवलपरों पर बिल्डिंग मटेरियल और निर्माण कार्य के कारीगरों पर लगने वाले कर का ढांचा बहुत सरल कर दिया गया है। इससे डेवलपरों पर उतना अधिक बोझ नहीं पड़ेगा। इससे घर खरीदने वालों को काफी राहत मिलेगी।
वर्तमान समय में डेवलपर मटैरियल पर एक्साइज ड्यूटी, सेन्ट्रल सेल्स टैक्स और चुंगी के नाम पर घर खरीदने वालों से अधिक से अधिक वसूली करते हैं जो जीएसटी के लागू होने के बाद नहीं कर पाएंगे। इसका लाभ सीधे घर खरीदने वालों को मिलेगा।
कर विशेषज्ञों की राय मानें तो जीएसटी से घर खरीदने वालों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पडऩे वाला है। रियल एस्टेट को जीएसटी की आंशिक दायरे में लाते हुए कार्य अनुबंधित के तहत कुल 12 प्रतिशत की लेवी लगाई जाएंगी। यह राशि घर खरीदने वालों के लिए सामान्यतया ही होगी।
रियल एस्टेट पर लगने वाले मुख्य अप्रत्यक्ष करों में एक्साइज ड्यूटी,वैट और सर्विस टैक्स कुल 9-11 प्रतिश लगाया जाता है। इसके अलावा राज्य द्वारा स्टाम्प ड्यूटी के रूप में ली जाने वाली लेवी है। जीएसटी में स्टाम्प ड्यूटी को छोडक़र सारे अप्रत्यक्ष करों को एक कर दिया गया है। इस कर से डेवलपरों को छूट भी दी गई है। हालांकि यह सेक्टर अभी तक जमीन की कीमत और उस पर लगने वाले किसी कर के निर्णय का इंतजार कर रहा है।
अप्रत्यक्ष करों के विशेषज्ञ प्रतीक जैन का कहना है कि वर्तमान समय में रियल एस्टेट पर सामान्य अप्रत्यक्ष्त्रा करों का आंकड़ा 9-11 प्रतिशत है। इसमें राज्य की स्टाम्प ड्यूटी शामिल नहीं है। जबकि जीएसटी के तहत करों का आंकड़ा 12 प्रतिशत तक पहुंचने वाला है। इससे रियल एस्टेट की प्रापर्टी के रेट में उछाल आने की संभावना नहीं है।
जानकार लोगों के अनुसार प्रोजेक्ट डेवलपरों पर बिल्डिंग मटेरियल और निर्माण कार्य के कारीगरों पर लगने वाले कर का ढांचा बहुत सरल कर दिया गया है। इससे डेवलपरों पर उतना अधिक बोझ नहीं पड़ेगा। इससे घर खरीदने वालों को काफी राहत मिलेगी।
वर्तमान समय में डेवलपर मटैरियल पर एक्साइज ड्यूटी, सेन्ट्रल सेल्स टैक्स और चुंगी के नाम पर घर खरीदने वालों से अधिक से अधिक वसूली करते हैं जो जीएसटी के लागू होने के बाद नहीं कर पाएंगे। इसका लाभ सीधे घर खरीदने वालों को मिलेगा।
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