new

Monday, 19 June 2017

.....कि बाप-बाप ही होता बेटा-सिर्फ बेटा

तुक्के से कोई तीर निशाने पर लग जाए तो बेटा बाप नहीं बन जाता है।
छोटी-छोटी बातों को लेकर बाप नहीं बेटा ही छिन-छिन में तन जाता है।
चैम्पियंस ट्रॉफी पर शोर मचाने वालों क्या वल्र्ड कप की याद आती है।
बड़े-बड़े मैचों में पाकिस्तानी दोस्तो भारत के सामने घिग्घी क्यो बंद जाती है।
जरा सी जीत पर ओछी हरकतें करके स्वयं साफ संदेश पाक है देता।
....कि बाप-बाप ही होता है और बेटा सिर्फ बेटा
क्रिकेट में एक बार जीत क्या गए खुद को समझ बैठे हैं खुदा।
अपनी खीझ मिटाने के लिए हर पाकिस्तानी अपने राग में है जुटा।
इसका क्या मतलब होता है मैं देता हूं बता।
...कि बाप-बाप ही होता है और बेटा सिर्फ बेटा।

No comments:

Post a Comment