राजीव गांधी तो इटली जाने को तैयार हो गए थे
इंदिरा गांधी जैसी ग़लती दोहराने की हिम्मत किसी में नहीं होगी. हालांकि बाद में उन्होंने फिर से संविधान बहाल किया। इमरजेंसी से जो सबक हमने सिखा है वो बेकार नहीं जाने वाला। लोगों में वो पुराना आत्मविश्वास मौजूद है कि उनकी आज़ादी में बेडिय़ां नहीं लगाई जा सकी थी और ना ही उन्हें असहमत होने से रोका जा सका था। इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र आरके धवन ने एक बार सोनिया गांधी के बारे में बताया था कि उन्हें इमरजेंसी लगने के बारे में कोई भान नहीं था।जब वो इमरजेंसी के बारे में सुनी तो ये उनकी सोच से विपरीत था।कहा जाता है कि वो और उनके पति राजीव गांधी इमरजेंसी के बाद इटली लौटने के बारे में सोच रहे थे ताकि खुले माहौल में अपने बच्चों की परवरिश कर सकें। आरके धवन के इमरजेंसी पर सोनिया गांधी के इस नज़रिए को बताने के बाद उनके लिए जरूरी हो गया कि वो अपना पक्ष रखे। चालीस साल के बाद भी लेकिन गांधी परिवार इस पर स्पष्ट रूख के साथ सामने नहीं आया है। जो कुछ हुआ इसकी अकेली जिम्मेवारी उन्हीं की थी। चुनाव में सरकारी तंत्र का ग़लत दुरुपयोग करने की वजह से इंदिरा गांधी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोषी करार दिया था। आरके धवन की बात से ऐसा लगता है कि गांधी परिवार में इमरजेंसी को लेकर कोई अफ़सोस की भावना नहीं थी। हालांकि मनमोहन सिंह ने इस सोची-समझी चुप्पी को संभालने की बहुत कोशिश की। लेकिन अच्छा तो यह होगा कि जल्दी ही गांधी परिवार अवाम से इमरजेंसी के लिए माफ़ी मांग लें। यह उनके लिए अच्छा होगा और देश के लिए भी।
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