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Sunday, 12 October 2014

सच्ची लगन से मिलती है कामयाबी : नागर

कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफ जई को मिले संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार पर प्रधानाचार्य तेजपाल सिंह नागर की प्रतिक्रिया
गे्रटर नोएडा (ब्यूरो)। अधिकांश लोगों की यह आदत होती है कि अपनी किसी परेशानी के लिए वे खुद को जिम्मेदार नहीं मानते हैं बल्कि परिस्थितियों या दूसरे लोगों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। सच तो यही है कि अपनी असफलता के लिए दूसरों को दोषी मानन या तर्क विर्क करना बेमानी है, इससे हमारा ध्यान लक्ष्य से भटकता है और हमारी सोच सकारात्मक नहीं रह पाती है।
यह विचार श्रीसंत विनोबा इंटर कालेज बैदपुरा के प्रधानाचार्य तेजपाल सिंह नागर ने श्री कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की बालिका सुश्री मलाला यूसुफ जई को मिले संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार पर अपनी प्रतिक्रिया के रूप में व्यक्त किए हैं।
सफलता के आंकलन के लिए श्री नागर का कहना है कि अपनी योग्यता पर भरोसा रखें और उसे तराशने के लिए प्रयत्नशील रहें,ताकि आप अपनी शारीरिक,मानसिक, सामाजिक, आर्थिक अथवा व्यावसायिक सफलता को प्राप्त कर सकें। उनका मानना है कि यहद आप को जीवन में सफलता चाहिए तो अपनी कुशलता को निखारने का जोखिम लेते रहना होगा। इस बारे में श्री नागर का कहना है कि जीवन में हम हर पल जोखिम उठाते ही रहते हैं, रेल हो या सड़क मार्ग पर यात्रा करते वक्त  क्या हम रिस्क नहीं लेते तो क्या हम यात्रा करना बंद कर देते हैं। खेलने-खाने से लेकर जीवन के हर कम में रिस्क है,कही थोड़ा कम तो कहीं ज्यादा। इसी तरह परीक्षाओं में लाखों विद्यार्थी शामिल होते हें जबकि सफलता कुछ को ही मिलती है,तो क्या हम परीक्षा में शामिल होना बंद कर देते हैं? ऐसा नहीं बल्कि वास्तव में हमें किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करनी होती है तो हमें रिस्क लेना ही होता है और इससे ही लाभ मिलता है। इसके साथ ही श्री नागर ने अपने विचार में कहा कि यदि जीवन में कुछ कर दिखाना हो तो कंफर्ट जोन से बाहर ही आना होगा और अपने सामान्य रूटीन में बदलाव करना होगा तभी कुछ हासिल होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब कोई वस्तु खरीदते हैं तो उसके लिए कीमत चुकानी होती है। इसी तरह लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आपको मेहनत,प्रयास और रिस्क के रूप में कीमत चुकानी पड़ती है। सफलता प्राप्त करने के लिए आपको अपनी रणनीति बनानी होगी, उसके अनुसार काम करन होगा। विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानने का दृढ़ निश्चय करना होगा। उन्होंने बताया कि विश्व में जितने भी महान लोग हुए हैं, उनके जीवन दर्शन में हमें यही दिखाई देता है।

ठेकेदारों पर टीडीएस कटने के संबंध में नियम

कोई भी निवासी ठेकेदार, कोई काम करे या किसी काम के लिए या श्रम की पूर्ति करने के लिए प्रतिफल में किए गए भुगतानों के संबंध में आय करें तो टीडीएस की कटौती उदगम स्थान करनी चाहिए।
1. जब किसी ठेकेदार द्वाराएक बार में 30,000 रुपये से अधिक का बिल दिए जाने पर भुगतान करते समय टीडीएस काटना चाहिए।
2. ठेकेदार यदि इन्डीविजुअल या एचयूएफ है तो 1 प्रतिशत टीडीएस काटा जाए।
3. यदि ठेकेदार कोई पार्टनरशिप फर्म,कंपनी,समिति,प्राइवेट कंपनी आदि के माध्यम से कार्य करता है तो भुगतान करते समय 2 प्रतिशत टीडीएस काटने के पश्चात शेष राशि का चैक अथवा ऑन लाइन पेमेन्ट करनी चाहिए।
4. एक वर्ष में ठेकेदार के सभी बिलों को जोड़कर 75,000 रुपये से कम होने पर टीडीएस नहीं काटा जाए। अर्थात एक बिल 30,000 रुपये से अधिक अथवा सभी बिलों का योग 75,000 रुपये से अधिक होने पर ही 1 प्रतिशत इंन्डीविजुअल ठेकेदार अथवा अन्य के केस में 2 प्रतिशत टीडीएस काटा जाए।
आयकर अधिनियिम की 1961 की धारा 197 (1) में टीडीएस की दर कम करने का प्रावधान है बशर्ते कर निर्धारण अधिकारी आपके कर अदायगी को लेकर संतुष्ट हो।
ठेकेदार अपना पैन नंबर कर काटने वाले व्यक्ति को बताना चाहिए। यदि ठेकेदार अपने पैन नंबर को नहीं बताता है तो टीडीएस 20 प्रतिशत तक काटा जा सकता है। बैंक द्वारा दिए गए ब्याज पर टीडीएस काटने के संबंध में नियम: यदि आपके खाते में जमा रकम पर ब्याज की रकम 10,000 रुपये से अधिक होती है तो ऐसी परिस्थिति में बैँक ब्याज की राशि का 10 प्रतिशत टीडीएस काट लेगा।
यदि आपको अपने ब्याज पर 10 प्रतिशत टीडीएस की राशि काटने से बचाने के लिए बैँक में एक फर्म 15 जी जमा करना होगा।
अन्यथा बैँक आपके ब्याज में से 10 प्रतिश और 10 प्रतिशत का तीन प्रतिशत हिस्सा काट कर शेष राशि को आपके खाते में दिखाएगा।
Atul Sharma, ICA, M.com. Surajpur, Gr. Noida

आईटीएस कालेज में पॉवर सेक्टर पर लेक्चर आयोजित

ग्रेटर नोएडा। आईटीएस इंजीनियरिंग कालेज के इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक विभाग ने वास्टनेस एण्ड अपार्टुनिटी इन पॉवर सेक्टर इन करेन्ट सेनेरियो पर एक लेक्चर कराया। इस भाषणमाला के मुख्य वक्ता सीईआरसी दिल्ली के डिप्टी चीफ इंजीनियरिंग श्री विक्रम सिंह थे।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि ईईई विभाग के निदेशक व विभागाध्यक्ष ने की। इसके साथ मुख्य अतिथि के जीवन के बारे में बताया गया। श्री विक्रम सिंह सेन्ट्रल इलेक्ट्रिकल रेगुलेटरी कमीशन में डिप्टी चीफ इंजीनियरिंग पद पर कार्यरत हैं। वह सेंट्रल पॉवर इंजीनियरिंग सर्विस कैडर आफिसर हैं। श्री विक्रम ने अपनी मास्टर डिग्री इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में की और वह दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए हैं। श्री सिंह इनर्जी मैनेजमेंट एण्ड प्लानिंग ट्रेंड हैं। इस समय उनका कार्य डिटरमिनेशन ऑफ टैरिफ आफ द आईएसटीएस ओपन ऐसस को संभालना, आईएसटीएस से जुड़ाव,ग्रिड कोड,प्वाइंट आफ कनेक्शन एण्ड कंजेशन मैनेजमेंट से संबंधित कार्य है।
कार्यक्रम में उन्होंने प्रशंसाजनक लेक्चर दिया। ऊर्जा को ट्रांसमिट, उत्पन्न एवं वितरण का अवसर बताया। उसके बाद उन्होंने बताया कि कैसे हम प्लान करके विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को अपनी जरूरत के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
उनका मुख्य उददेश्य छात्रों को इस विभाग के बारे में विस्तृत जानकारी देना था। अंत में विभागाध्यक्ष ने छात्रों व संकाय सदस्यों का आभार जताया। ईईई विभाग के आईएन राव और पियूष चौबे ने भी कार्यक्रम में अपना अमूल्य सहयोग दिया।

हर सांसद तीन गांवों में बुनियादी ढांचा अवश्य विकसित कराएगा

प्रधानमंत्री ने किया सांसद आदर्श ग्राम योजना का शुभारंभ, 2016 तक सांसद एक गांव का कल्याण करेगा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई)Ó नामक महत्वाकांक्षी ग्राम विकास परियोजना का शुभारंभ किया जिसके तहत हर सांसद पर वर्ष 2019 तक तीन गांवों में बुनियादी एवं संस्थागत ढांचा विकसित करने की जिम्मेदारी होगी। योजना का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि इसके तहत यह लक्ष्य रखा गया है कि 2016 तक प्रत्येक सांसद की अगुवाई में एक गांव का विकास किया जाए। लोक नायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर इस परियोजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य गांवों में रहने वाले लोगों को उन्नत बुनियादी सुविधाएं और बेहतर अवसर मुहैया कराना है। उन्होंने कहा, ''हम लगभग 800 सांसद हैं (दोनों सदनों को मिलाकर)। अगर हममें से प्रत्येक 2019 से पहले एक गांव का विकास करता है, हम तकरीबन 2500 गांव तक ऐसा कर सकेंगे। अगर इस योजना की रोशनी में राज्य भी अपने विधायकों के लिए ऐसी योजना बनाते हैं तो इसमें छह से सात हजार गांव और जुड़ सकते हैं।ÓÓ
उनके अनुसार अगर एक ब्लाक में एक गांव विकसित होता है तो इसका असर 'वाइरलÓ की तरह फैलेगा और विकास की ललक अन्य गांवों को भी आकर्षित करेगी। उन्होंने कहा इस योजना को लचीला रखा गया है और सांसद को किसी भी गांव को चुनने की आजादी होगी। लेकिन एक शर्त यह है कि यह गांव उसका या उसकी ससुराल का नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, ''मुझे भी वाराणसी में एक गांव चुनना है।ÓÓ उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह वहां जाकर चर्चा करेंगे और गांव को चुनेंगे। उन्होंने कहा, इस योजना के जरिए ऐसा माहौल बनाया जाना चाहिए जिससे कि हर व्यक्ति अपने गांव के लिए गर्व महसूस करे।

Sunday, 5 October 2014

देश में गौ हत्या होना शर्मिंदगी की बात:महेेन्द्र कुंमार आर्य

प्रधानमंत्री ने मांग नहीं मानी तो भड़क सकता है आंदोलन, आर्यसमाजके नेताओं ने जताई आशंका
नई दिल्ली (ब्यूरो)। गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने का कानून जल्द नहीं बना तो बड़ा आंदोलन हो सकता है, जिसे सरकार के लिए संभाल पाना मुश्किल होगा।
जंतर-मंतर पर गुरुवार को आयैसमाज के तत्वावधान में अखिल भारतीय राज्यार्य सभा द्वारा गौ माता व राष्ट्र भाषा हिन्दी की रक्षा के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने के लिए आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए आर्य समाज और राज्यार्य सभा के वक्ताओं ने केन्द्र सरकार को चेतावनी दी।
हवन पूजन के बाद शुरू हुए सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय राज्यार्य सभा के महामंत्री महेन्द्र सिंह आर्य ने कहा कि गौ हत्या के लिए सिर्फ एक वधिक ही दोषी नहीं होता है, इसके लिए वह आठ व्यक्ति बराबर के पाप के भागीदार हैं जो गाय को मारने की सलाह देते हों, मांस के काटने वाले, पशु आदि को मारने वाले,पशुओं को कसाइयों के हाथ बेचे जाने वाले, मांस के पकाने वाले, मांस को परोसने वाले और मांस को खाने वाले। उन्होंने कहा कि गौ आदि पशुओं के नाश होने से राजा और प्रजा दोनो का नाश हो जाता है क्योंकि जब पशु न्यून होते हैं तब दूध आदि पदार्थ तथा खेली आदि के कार्यों में कमी आती है, इससे सारी व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
आर्य नेता अनिल आर्य ने कहा कि हमारा देश दूध-पनीर बेचने में नहीं बल्कि मांस बेचने मे अव्वल है, यह बड़ी शर्मिंदगी की बात है। उन्होंने कहा कि नवंबर 1966 में करपात्री जी और शंकराचार्य जी के नेतृत्व में इसी जंतर-मंतर पर गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ था और आज भी हम इसी जंतर मंतर पर हैं। उन्होंने कहा कि लगता है कि इस तरह से बात नहीं बनने वाली बल्कि इसके लिए हमें अपने सांसदों को घेरना होगा और उन पर दबाव बनाना होगा। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के प्रतिनिधि अपने सांसदों को ज्ञापन लेकर उनसे यह आश्वासन लें कि वह संसद में गौ हत्या पर प्रतिबंध के लिए आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह से छह महीन के भीतर सभी 550 सांसदों पर दबाव बनाया जाए तो वो दिन दूर नहीं जब गौ हत्या पर प्रतिबंध का कानून बन सके। उन्होंने कहा कि हम लोग गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा पर सबसे पहले दबाव बनाना शुरू करें। इसी तरह हर क्षेत्र के सांसद को दबाव में लिया जाए। उन्होंने कहा कि गौ हत्या पर प्रतिबंध की मांग उठाना कोई सांप्रदायिक नहीं है, क्योंकि गाय का दूध तो हिंदू के बच्चे को ही नहीं चाहिए बल्कि  मुस्लिम, सिख और इसाई के बच्चे को भी दूध चाहिए। इसी कड़ी में सम्मेलन को संबोधित करते हुए करण सिंह आर्य ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मांग नहीं मानी गई तो व्यापक आंदोलन होगा जो सरकार के संभाले नहीं संभलेगा।
स्वामी दयानंद जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हमारी मांगें सुननी होगी तभी गौ हत्या बंद हो सकेगी। फर्रुखाबाद से पधारे वीरेन्द्र वैद्य ने भी अपने विचार रखे। जयवीर नागर ने काफी जोशीला भाषण दिया। इस बीच मध्य प्रदेश के अनूपपुर से पधारी स्वामी जी ने कहा कि विनोवा भावे ने कहा था कि गौ हत्या बंद न हुई तो बगावत हो सकती है। उत्तराखण्ड से आए स्वामी श्री रामचंन्द्र मुनि ने कहा कि केवल गाय के दूध में ही तीनों तरह के गुण बलवर्धक, रोग नाशक और बुद्धिवर्धक होते हैं। जिस शिशु की माता किसी कारण से मर जाती है उसे गाय का दूध पिलाओं तो वह जीवित रहता है।  इसके बाद सूर्य पाल आर्य और दीपक आर्य ने भी उपस्थित लोगों को संबोधित किया।
सूरजपुर से आर्य समाज के प्रधान श्री महेन्द्र कुमार आर्य ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमें यह जानते हुए शर्मिंदगी महसूस हो रही है कि भारतवर्ष में गौ हत्याएं हो रहीं हैं। उन्होंने कहा कि नन्द शब्द का अर्थ बहुत ही महत्वपूर्ण है, नन्द शब्द उस व्यक्ति के नाम के आगे लगाया जाता था जिसके पास एक लाख गायें हों। श्री महेन्द्र कुमार आर्य ने कहा कि प्राचीन काल में 12 लाख मनुष्यों की आबादी पर 42 लाख गायें हुआ करतीं थीं, उस समय न तो कोई रोगी नहीं था सब बलिष्ठ होते थे और अर्थव्यवस्था भी ठीक थी। आज सात सौ वर्षों बाद देश में दस व्यक्तियों के बीच में भी एक गाय नहीं है।
उन्होंने कहा कि महाभारत काल के बाद से गायों की संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है। महर्षि दयानंद ने गायों पर आठ पुस्तकें लिख कर लोगो को जागरुक किया था, उस समय गाय को समाज में पूज्य माना जाता था। उन्होंने बताया कि जिस शिशु की मां का किसी कारण से जन्म देने के बाद निधन हो जाता है तो उस बच्चे को गाय का दूध पिला कर जीवित रखा जाता है। यह गुण सिर्फ गाय के दूध में ही होता है।
गाजियाबाद से आर्य प्रतिनिधि सभा के उपाध्यक्ष श्रद्धानंद शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इसके बाद संयोजक और गौ कृष रक्षिणी सभा के अध्यक्ष संतराम प्रधान ने दिल्ली में गायों के पालने पर प्रतिबंध का उल्लेख किया और हाल ही में दिल्ली पुलिस द्वारा गौ तस्करों के खिलाफ कार्यवाही करने पर लापरवाही का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने गौ तस्करों से गायें मुक्त करवाई और गो तस्करों पर कार्यवाही करवाई।
 बताया कि आज भी वह 200 ऐसी गायें पाल रहे हैं जो इन तस्करों से छुड़ाई गई हैं और जो दूध भी नहीं देती हैं।  अंत में रक्षपाल देव ने गाय की रक्षा के सात सूत्रीय संकल्प लेने का आह्वान किया। सूरजपुर से सम्मेलन में भाग लेने के लिए आर्य समाज के प्रधान महेन्द्र कुमार आर्य के नेतृत्व में मास्टर हरिराज, मास्टर किताब सिंह, मास्टर ऋषिपाल, मास्टर पंकज आर्य, बनारस लोकेश आर्य, धर्मवीर आर्य, आचार्य जनमेजय शास्त्री और  महासय देवानंद आर्य भी शामिल थे।

जानकारी : टीडीएस के बारे में जानें

Atul Sharma, ICA,M.com
टीडीएस से अर्थ है उद्गम स्थान पर कर की कटौती। कोई व्यक्ति भुगतान करते समय निर्धारित दर से टैक्स काट ले तथा शेष रकम को प्राप्तकर्ता को देख कर काटी हुई रकम सरकारी आयकर विभाग में जमा करा दे।
इस प्रकार उद्गम स्थान पर कर की कटौती टीडीएस कहलाती है। आयकर अधिनियम 1961 में विभिन्न प्रकार के भुगतानों पर कर की कटौती भुगतान करते समय की जाती है। जिसमें अधिकांश प्रमुख कटौती का उल्लेख हम कर रहे हैं:-
1. वेतन (सेलरी)
2. इन्टरेस्ट ऑन सिक्योरिटीज
 3. ठेकेदार व उप ठेकेदार को किया गया भुगतान
4.इंश्योरेंस बीमा कमीशन
 5. कमीशन अथवा दलाली पर कर की कटौत
6. किराये के भुगतान के संबंध में
7.पेशेवर एवं तकनीकी सेवाओं की फीस पर कटौती
8. स्थायी सम्पत्ति के विक्रय पर कर की कटौती
9. बैँक ब्याज पर कर की कटौती
वेतन में से अधिक टीडीएस कंपनी द्वारा काटा जाना
उपरोक्त टीडीएस में से हम वेतनभोगियों की आय पर टीडीएस काटे जाने के सम्बन्ध मे आयकर अधिनियम की 1961 की धारा 192 के प्रवधान का उल्लेख कर रहे हैंं।
1.कर का आधार
यदि किसी इम्लाई की अनुमानित टैक्सेबल सैलरी एक्जम्पशन लिमिट (2,00,000) से अधिक है तथा टैक्स रिलीफ अंडर सेक्सन 89 को घटाने के बाद भी टैक्स देय है तो वेतन देने वाला इम्पलॉयर को वेतन भुगतान करने से पूर्व टीडीएस काट करके इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट में चालान अथवा ऑन लाइन भुगतान के माध्यम से जमा कराए।
2.अधिकांशत: इम्पलॉयर औसत कर भुगतान के आधार पर कर की कटौती करते हैं।
3. कम्पनी अथवा इंटरप्राइजेज अपने कर्मचारियों के बीमा अथवा अन्य आय के सम्बन्ध में जानकारी लेकर उसके पश्चात उचित कर की कटौती करें।4. यदि आय से अधिक कर कटौती किए जाने पर वेतन कम मिलता है तथा बाद में रिफण्ड की राशि को प्राप्त करना सरल नहीं है।
टीडीएस शिड्यूल् आन सैलरी इम्पलाइज 1. कर्मचारी के वेतन संबंध में अनुमानित कर की गणना अधिकोश पेशेवर व्यक्त निम्र प्रकार से करते हैं। कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के अनुसार 1. यदि कर्मचारी की आय दो लाख (2,00,000)सालाना से कम है तो उसके वेतन के 2,00,000 तक कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा।
2. यदि कर्मचारी की आय दो लाख (2,00,000) से अधिक किन्तु अगले तीन लाख (3,00,000) के मध्य में है तो टीडीएस दस प्रतिशत की दर से तथा टीएस पर एजूकेशन सेस तीन प्रतिशत लगाकर काटा जाता है। 3. यदि कुल आय (2,00,000+3, 00,000) पांच लाग है तो अगले पांच लाख की राशि तक 20 प्रतिशत टीडीएस तथा तीन प्रतिश टीडीएस पर एसएचईसी लगाया जाता है। 4. कुल आय  दस लाख (10,,00,000) से अधिकतम राशि पर 30 प्रतिशत की दर से तथा तीन प्रतिशत टीडीएस पर एसएचईसी लगाकर टीडीएस काटा जाता है।

आपके साप्ताहिक सितारे


  • छह अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक का राशिफल

मेष: परिवार में मंगल कार्य का आयोजन हो सकता है। बुद्धि में नवीनता आने का योग है। कठोर श्रम से सफलता मिलेगी। आत्म विश्वास से कार्य करें, सफलता अवश्य मिलेगी। स्वास्थ्य की चिंता सता सकती है। भूमि-भवन हेतु संयोग बन सकता है। शुभ रंग-लाल। उपाय: जलता दीपक जल में प्रवाहित करें।
वृष: मान-सम्मान की प्राप्ति संभव है। लक्ष्मी जी की कृपा हो सकती है। साझेदारी टूटने की स्थिति आ सकती है। किसी पुराने मित्र का वियोग संभव है। तीर्थ यात्रा का संयोग भी बन सकता है। शुभ रंग-सिल्वर। उपाय: सोमवार को दूध का दान करें।
मिथुन: मन भटक सकता है। बौद्धिक प्रतिभा उत्तम रहेगी। व्यापार में लाभ-हानि सम रह सकता है। देवी दर्शन से लाभ मिलेगा। भाइयों से भी लाभ मिलने का योग है। शुभ रंग-ब्ल्यू। उपाय- शनि मंदिर का दर्शन करेें।
कर्क :कार्य व्यवहार में लाभ का योग है। व्यय पर नियंत्रण रखें। शत्रु आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे। रक्त विकार से शरीर प्रभावित हो सकता है। कहीं की यात्रा न करें। शुभ रंग-स्कारलेट। उपाय: भौमवार को गुड़ का दान करें।
सिंह: घर-परिवार में आनन्दोत्सव का योग है। चिर वांछित कार्य में सफलता मिलेगी। नये लोगों से सम्पर्क भी बढ़ेंगे। स्वजनों से मन मुटाव हो सकता है। द्रव्य लाभ के भी योग हैं। शुभ रंग-नीला। उपाय: तुलसी दल का सेवन करें।
कन्या: भाई-बंधुओं के सहयोग से रुक कार्य पूर्ण होगा। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। अतिथि सत्कार पर खर्च बढ़ सकता है। अपने धैर्य को कम न होने दें। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। शुभ रंग-पीला। उपाय: सूर्य को प्रतिदिन जल दें।
तुला: पूंजी के आवागमन से आप प्रसन्न होंगे। सुख-सुविधा में वृद्धि का योग है। विद्यार्थियों के लिए समय उत्तम है। पढ़ाई-लिखाई में रुचि बढ़ेगी। मित्रों से विरोध हो सकता है। शुभ रंग-अम्बर। उपाय: रविवार को गणेश पूजन अवश्य करें।
वृश्चिक: लाभ-हानि का लेखा-जोखा चिंतनीय हो सकता है। व्यापार में सामान्य लाभ के योग हैं। परिवार में अनबन की स्थिति आ सकती है। दिनचर्या को सुव्यवस्थित रखें। आलस्य को त्यागें। शुभ रंग-हरा। उपाय: कनेर का फूल गुरु प्रतिमा पर चढ़ावें।
धनु:ग्रहों के प्रभाव से बिगड़ें कार्य बन सकते हैं। अकाराण लोगों से विरोध हो सकता है। संतान से चिंतित हो सकते हैँ। महत्वपूर्ण योजनाओं को समय से पूर्व सार्वजनिक न करें। सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति सजग रहें। शुभ रंग-लाल। उपाय: गुलाब का फूल पर्स में रखें।
मकर: कार्य क्षमता में वृद्धि होगी। धन-यश में भी वृद्धि का योग है। बड़े-बुजुर्गो से वैमनस्यता हो सकती है। किसी बड़े समारोह के साक्षी हो सकते हैं। मनोबल को कम न होने दें। शुभ रंग-सफेद। उपाय: गुरुवार को केसर का तिलक लगावें।
कुंभ:   परोपकार द्वारा यश प्राप्त होगा। स्वास्थ्य के प्रति चिंता बढ़ सकती है। दौड़-धूप की स्थिति बन रही है। प्रतापी पुरुषों से सम्पर्क बढ़ सकता है। महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण रखें। शुभ रंग-हल्का लाल। उपाय: मंगल को हनुमान जी की पूजा करें।
मीन : यह सप्ताह शुभ रहेगा। साहसिक कार्य करेंगे। भाइयों से सचेत रहना होगा। देवी दर्शन के लिए यात्रा हो सकती है। दाम्पत्य जीवन ठीक-ठाक रहेगा। शुभ रंग-बैगनी। उपाय: विटामिन्स का सेवन जरूर करें।
जानकारी 

रामलीला : रावण वध के साथ बुराई का हुआ अंत

सूरजपुर कसबे में आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वावधान में चल रर्ही रामलीला शनिवार को हुई संपन्न
ग्रेटर नोएडा।  मेघनाथ तेहि अवसर भवाऊ, कहीं बहुरुपा पिता समझाऊ Ó गोस्वामी तुलसी दास जी की इसी चौपाई के साथ सूरजपुर कसबे में आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वावधान में चल रर्ही रामलीला का मंचन शुरू हुआ। इस चौपाई में मेघनाथ लंकेश को कुम्भकर्ण के मृत्यु पर प्राचीन कहानियां सुनाते हुए समझा रहा है। अगले प्रसंग में मेघनाथ के वध का मंचन हुआ। युद्ध में मेघनाथ के मरने के बाद उसकी पत्नी सुलोचना द्वारा सती होने का प्रसंग बड़ी ही मार्मिकता से वृन्दावन के कलाकारों ने मंचित किया। मेघनाथ की पत्नी सुलोचना का राम के युद्ध शिविर में आना, अपने पति के शीश व भुजाओं को लेकर जाना और उसके साथ सती होने का दृश्य देख दर्शक भावुक हो उठे। इसके बाद अहिरावण वध का मंचन किया गया गया। अंतिम प्रसंग में रावण वध का मंचन किया गया जिसमे श्रीराम व रावण का भीषण युद्ध दिखाया गया । राम व रावण के युद्ध के बीच लंकापति रावण अपने माया के जाल में श्रीराम को फंसाने का प्रयास करता है लेकिन रावण के भाई विभीषण श्रीराम को उसके मायाजाल व उसके मृत्यु के रहस्य के बारे में बता देते है। जिसके बाद श्रीराम अपने दिव्य बाण से रावण का वध कर देते है। रावण के धराशायी होते ही रामलीला मैदान में श्रीराम के जयकारों की गूंज होने लगी। जिसके बाद देर शाम रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतले का दहन कर असत्य पर सत्य की विजय का सन्देश दिया गया। इस मौके पर बाबू राम जिंदल, राजू प्रधान, जयदेव शर्मा, योगेश अग्रवाल, भोपाल भाटी, डॉ. ईश्वर सिंह, मूल चंद शर्मा आदि मौजूद रहे।

पीएम वायदा पूरा करें वरना भरोसा उठ जाएगा : स्वामी

जंतर-मंतर पर आर्य समाज के सम्मेलन में स्वामी अग्निवेश की चेतावनी
नई दिल्ली (ब्यूरो)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में गौवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगाने के अपने वायदे को पूरा करने  में देर न करें वरना देश की जनता का भरोसा उठ जाएगा।
जंतर-मंतर पर गुरुवार को आयैसमाज के तत्वावधान में अखिल भारतीय राज्यार्य सभा द्वारा गौ माता व राष्ट्र भाषा हिन्दी की रक्षा के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने के लिए आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने यह चेतावनी दी। उन्होंने उपस्थित लोगों को लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रचार के दौरान श्री मोदी की रिकार्डिंग सुनाई, जिसमें श्री मोदी ने तत्कालीन सरकार पर गौ हत्या और गौं मांस के निर्यात में भारत के अव्वल आने में अपने गंभीर आरोप लगाए और साथ ही यह वादा भी किया कि सत्ता में आने के बाद गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।  श्री मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने गौ मांस के कारखाने को लगाने वाले को 50 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। एक नहीं दस कारखाना लगाने वाले भी सामने आएंगे तो उन्हें भी यह सब्सिडी दी जाएगी। स्वामी अग्निवेश ने कहा कि मैं केन्द्र में बहुमत से काबिज होने वाली मोदी सरकार को यह याद दिलाना चाहता हूं कि अब वह समय आ गया है कि वह अपना यह वादा पूरा करें और गौ माता की रक्षा करें।उन्होंने कहा कि सत्ता मे आने के लगभग 158 दिन बाद भी प्रधानमंत्री अथवा किसी भी मंत्री के मुख से गौहत्या पर प्रतिबंध के बारे मेंं एक शब्द भी नहीं सुना है। ऐसी स्थिति में यह सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं।
स्वामी अग्निवेश ने प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि साफ जगह पर झाड़ू लगा कर फोटो खिंचवा कर राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को चाहिए था कि वह राष्ट्रपिता के परम प्रिय सिद्धांत को मानते हुए देश भर में कश्मीर से कन्याकुमारी तक गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनवाते, जो वास्तव में सच्ची श्रद्धांजलि होती। उन्होंने कहा कि सफाई अभियान अभी रुक सकता था लेकिन देश में लाखों गउओं का वध रोका जाना बहुत जरूरी था।
उन्होंने कहा कि गौहत्या करके देश के संविधान और उच्चतम न्यायालय के आदेश को रौंदा जा रहा है। संविधान की धारा 48 में किसी भी दुधारू पशु की हत्या पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है और 26 अक्टूबर 2006 को जस्टिस लाहौटी की अगुआई में सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने यह निर्णय दिया था कि गौ माता की रक्षा करना संवैधानिक कर्तव्य है और गौ की हत्या करना संवैधानिक अपराध है। इसके बाद भी गौ माता का वध देश भर में हो रहा है, इसके लिए केन्द्र सरकार जिम्मेदार है, राज्य सरकारें भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहीं हैँ। उन्होंने कहा कि मैँने अपने 75 वें जन्म दिन पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली को एक ज्ञापन देकर गौ हत्या पर रोक लगाने की मांग की थी जिस पर उन्होंने आश्वासन भी दिया था लेकिन अभी तक कुछ भी संकेत नहीं मिले हैं। साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी 31 अक्टूबर को इसी जंतर मंतर पर विशाल आंदोलन होगा और उसमें देश भर से लाखों लोग आएंगे। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि प्रधानमंत्री भी उस दिन हमारे स्टेज पर आएं हम उनका स्वागत करेंगे और यह सवाल भी पूछेंगे कि अब आप पूर्ण बहुमत वाली सरकार के प्रधानमंत्री हैं तो अब वह कौन सी मजबूरी है कि आप फैसला नहीं कर पा रहे हैँ। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जब तक लाखों लोग संसद के बाहर जमा नहीं होंगे तब तक सरकार कुछ करने वाली नहीं। साथ ही यह भी कहा कि गौ माता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया जाए तो गौ हत्या स्वत: रुक जाएगी।
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपिता के दूसरे प्रिय विषय शराबबंदी पर जोर देना चाहिए। संविधान की धारा 47 मे शराब पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है जबकि सरकार स्वयं शराब के ठेके खुलवाती है राजस्व के लिए लाइसेंस दिए जाते हेँ, इससे गरीब परिवार उजड़ रहा है, बच्चे अनाथ हो रहे हैँ। उन्होंने कहा कि आंदोलन चलवाकर हरियाणा में शराबबंदी करवा दी गई थी लेकिन आस पास के राज्यों में ऐसा न होने के कारण शराब की तस्करी बहुत ज्यादा हो गई तो लगभग डेढ़ साल बाद ही वहां से भी शराबबंदी हटवा दी गई। इसलिए पूरे देश में एक साथ शराबबंदी का कानून लगवाना होगा तभी यह कारगर होगा। 

Monday, 22 September 2014

नवरात्रों में बरसेगी मां दुर्गा की कृपा

नवरात्र का महत्व: नवरात्र में आदिशक्ति भगवती दुर्गा की पूजा-अर्चना का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। यद्यपि शास्त्रों में चार नवरात्रों के बारे में बताया गया है, जिनमें वासंती व शारदीय नवरात्रों की विस्तृत व्याख्या की गई है। वासंती नवरात्र चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तथा शारदीय नवरात्र का अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होता है।
नवरात्र में महाकाली,महासरस्वती एवं महालक्ष्मी की उपासना तथा दुर्गा सप्तशती के पाठ का विधान है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रों में भगवती पृथ्वीलोक के निवासियों के कल्याण हेतु पधारतीं हैं तथा नौ दिनों तक निवास करतीं हैं। शास्त्रों में ऐसा भी उल्लेख आया है कि भगवती के आगमन और प्रस्थान के लिए प्रत्येक वर्ष अलग-अलग सवारी हैं। लोक प्रचलित धारणाओं में इन सवारियों से उस वर्ष के फलाफल की गणना भी की जाती है। इस वर्ष माता की सवारी डोली है, जिसका फर अशुभ है। नौ दिनो में भगवती के नौ रूपों की पूजा-अर्चना होती है।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघंटेति, कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति,षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमम् कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमम्।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता।।
भगवती के उपयुक्त स्वरूपों के नाम वेद भगवान के द्वारा ही प्रतिपादित हुए हैं। इसलिए ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव से सुपूजित देवी की आराधना के कारण हिंदू धर्म में नवरात्र का महत्व बढ़ जाता है।
कलश स्थापन विधि: इस वर्ष शारदीय नवरात्रारंभ दिनांक 25 सितंबर 2014 दिन गुरुवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट के बीच हो रहा है।
कलश स्थापना से पूर्व स्नान-ध्यान के बाद मिट्टी द्वारा बेदी निर्माण करके जौ वपन पूर्वक जल से परिपूर्ण मिट्टी का कलश वैदिक मंत्रों द्वारा स्थापित कर देवी का पूजन करना चाहिए। कलश पर वरुण का पूजन करके भगवती का आवाहन पूजन करना चाहिए। प्रथमत: संकल्प में देश-काल-गोत्र-प्रवर आदि का उच्चारण करके पूजा प्रारंभ की जाती है।
ऊं जयंती मंगला काली,भद्र काली,कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
आदि मंत्रों से षोडशोपचार पूजन कर प्रार्थना करनी चाहिए।
पाठ विधि: मुख्यत: पाठ दो तरह का होता है।
1.सामान्य पाठ: इसके अंतर्गत दुर्गा सप्तशती में लिखित तेरह अध्याय को प्रतिदिन पढ़ते हैं।
2. संपुट पाठ: इस पाठ में प्रत्येक श्लोक को संपुटित मंत्र द्वारा बांध कर पाठ करते हैं।
ऐसा विधान है कि दुर्गा सप्तशती के पाठ के पूर्व कवच,अर्गलास्त्रोत, कीलक मंत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
कवच: कवच पाठ का अर्थ है रक्षक। मार्कण्डेय ऋषि के अनुरोध पर स्वयं ब्रह्मा जी ने मनुष्यों की रक्षा करने वाला साधन कवच का वर्णन किया है। कवच पाठ से मान अपने आपको सुरक्षित एवं निर्भय बना लेता है।
अर्गला: अर्गला का अर्थ है वह यंत्र जिससे कपाट को बंद किया जा सके। अर्गला पाठ से भक्त माता से कहता है कि आप सभी विपदाओं से बचाने हेतु अपनी शरण में ले लें।
कीलक: कीलक मंत्र का अर्थ है मंत्रों की सिद्धि में बाधक घटकों का नाश करना।
दुर्गा सप्तशती का प्रत्येक अध्याय कथानक के रूप में है और ये सब ध्यान मंत्र से प्रारंभ होता है।
प्रथमं शैलपुत्री च
नवरात्र के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है। माता की उपासना-आराधना हेतु इस मंत्र का पाठ करें
वंदे वांछित लाभाय चन्द्रार्ध शेखरम।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्री यशश्विनीम।।
मंत्रोच्चार के बाद भगवती की मूर्ति पर पुष्प अर्पित करें और उनके स्वरूप का ध्यान करें।

आपके साप्ताहिक सितारे

23 सितंबर से 28 सितंबर 2014 तक
मेष: यह सप्ताह सामान्य शुभदायक रहेगा। विरोधी पराजित होंगे। पत्नी का स्वास्थ्य बाधायुक्त रहेगा। साहित्य, संगीत में मन लगेगा। नया मेल-मिलाप संभव हो सकेगा। शुभ रंग-भूरा। उपाय:सफेदे का पत्ता पर्स में रखें।
वृष: धन हानि, निरर्थक वैर की स्थिति आ सकती है। आकस्मिक धन लाभ का योग बन रहा है। व्यवसायिक उन्नति से आत्मविश्वास बढ़ेगा। आया-निर्यात फायदेमंद रहेगा। धर्म में प्रवृत्ति बढ़ेगी। शुभ रंग- लाल। उपाय: मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर लगाएं।
मिथुन: विरोधी सक्रिय हो सकते हैं। व्यापार मेंं सामान्य लाभ का योग है। ऋण भार बढऩे की आशंका है। अचानक शुभ समाचार भी मिल सकता है। बनते-बिगड़ते परिवेश में नवीन योजना सफल होगी। शुभ रंग-नारंगी। उपाय: सूर्यदेव को मीठा जल अर्पित करें।
कर्क :आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी। विरोधी सक्रिय हो सकते हैं। परम मित्र के सहयोगसे नवीन कार्य संपन्न हो सकता है। आपकी महत्वाकांक्षा साकार रूप लेगी। किसीभी मुद्दे को गंभीरता से न लें। शुभ रंग-फिरोजी। उपाय: चांदी का सिक्का पर्स में रखें।
सिंह: व्यापार में लाभ तथा नौकरी में पदोन्नति का योग है। धार्मिक कार्यों में बाधा आ सकती है। भाई-बंधुओं की उन्नति होगी। सत्कर्म से अभीष्ट सिद्धि मिल सकती है। नव निर्माण का विचार मन में जन्म ले सकता है। शुभ रंग-हरा। उपाय: शनिवार को गरीबों को दान दें।
कन्या: शत्रु प्रभावी हो सकते हैं। न्यायालीय कार्यों में धन व्यय संभव है। प्रेम प्रसंग का चक्कर भी चल सकता है जिंदगी की पुरानी जंग में विजय मिल सकती है। व्यक्तिगत समस्याओं का हल स्वयं ढूंढें। शुभ रंग-ब्ल्यू। उपाय: शुक्रवार को जिमीकंद का सेवन करें।
तुला: शनि की साढ़े साती का पूर्ण प्रभाव रहेगा। शारीरिक पीड़ा तथा आर्थिक कठिनाई आ सकती है। लंबी यात्रा का योग भी बन रहा है। दाम्पत्य जीवन में सरसता बनी रह सकती है। विरोधी पराजित हो सकते हैं शुभ रंग -हरा। उपाय: मंगलवार को घर के चारों कोनों पर तिलक लगाएं।
वृश्चिक: शनि की साढ़े साती का प्रभाव पूर्णरूपेण रहेगा। मानसिंक कष्ट तथा आर्थिक क्षति की संभावना है। उच्चाधिकारी से वाद-विवाद का योग भी प्रबल है। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। व्यापार में लाभ का योग बन रहा है। शुभ रंग-सिलेटी।उपाय:बुधवार को तुलसीदल की चाय लें।
धनु:सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। दाम्पत्य जीवन सुखी रहेगा। ऋण भार बढऩे का योग है। किसी अनजान से फायदा मिल सकता है। स्वजनों से सुख
मकर:यह सप्ताह सामान्य शुभदायक है। आकस्मिक धन लाभ का योग है। व्यपार में सामान्य लाभ होगा। कर्मांेद्योग में तत्परता बनी रहेगी। सिी व्यक्ति से भावनात्मक लगाव से लाभ हो सकता है। शुभ रंग-सफेद। उपायमंगलवार को तांबे में पात्र में सुपारी दान करें।का योग भी है। किसी भी चुनौतीका मुकाबला डट कर करें। शुभ रंग-पीला। उपाय: रविवार को आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
कुंभ: अपयय के कारण ऋण भार बढ़ सकता है। संतान सुख की प्राप्ति भी संभव है। चोट-चपेट की
संभावना बन रही है। सरकारी लाभ की संभावना कम है। नए काम का विचार पूरा हो सकता है। शुभ रंग- स्कारलेट। उपाय: मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करें।
मीन:मानसिक क्लेश तथा निरर्थक यात्राएं हो सकतीं हैं। सुख साधनों की प्राप्ति संभव है। माता-पिता को धार्मिक यात्राओं का लाभ मिलेगा। कोई नई योजना बन सकती है। नए मित्रों से मदद मिल सकती है। शुभ रंग-लाल। उपाय मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर लगाएं।
डॉ. सिद्धनाथ तिवारी
आयुर्वेदज्ञ एवं ज्योतिषज्ञ
मोबाइल :नं. 9213382493

GITA GYAN: Basic knowledge of real-life

2nd issue
Bhagvad-Gita is the widely read theistic science summarized in the Gita Manatmya (Glorification of Gita). There it says that one should read Bhavad-gita very scrutinizingly with the help of a person who is devotee of Shri Krishna and try to understand it without personally motivated interpretations. The example clear understanding is there in the Bhavad-gita itself, in the way the teacing is understood by Arjuna, who heard the Gita directly from the Lord. If someone is fortunate enough to understand the Bhavad-gita in that line of disciplic succession, without motivated interpretation, then he surpasses all studies of Vedic wisdom, and all scriptures of the world. One will find in the Bhagavad-gita all that is contained in other scriptures, but the reader will also find things which are not to be found elsewhere. That is the specific standard of the Gita. It is the perfect theistic science because it is directly spoken by the Supreme Personality of Godhead,Lord Shri Krishna.
The topics discussed by Dhritrashtra and Sanjay, as described in the Mahabharat, form the basic principle evolved on the battlefield of Kurukshetra, which is a sacred place of pligrimage from the immemorial time of the vedic age. It was spoken by the lord when he was present personally on this planet  for the guidance of mankind.
The word dharma-kshetra (a place where religious retuals are performed) is significant because, on the Battelefield of Kurukshetra, the Supreme Personality of Godhead was present on the side of Arjuna. Dhritrashtra, the father of Kurus, was highly doubtful about the possibility of his sons' ultimate victory. int his doubt, he inqirred from his seceretary Sanjaya,"what did they do?
Dharm-kshetre kuru-kshetre  samveta yuyutsavah
mamkah pandavas schaiv kimkurvata sanjaya
Dharitrashtra  said: O Sanjay, after my sons and the sons of Pandu assembled in the place of pilgrimage at Kurukshetra, desiring to fight, what did they do? Dhritrashtra was confident that both his sons and sons of  his younger brother Pandu were assmbled in that field at Kurushetra for a determined engagement of the war. Still, his inquiry is significant. He did not want a compromise between the cousins and brothers, and he wanted to sure of the fate of his sons on the battlefield. Because the battle was arranged to be fought at Kurukshetra,which is mentioned elsewhere in the Vedas as a place of worship-even for the denizens of heaven-Drritrashtra became very fearful about the influence of the place of the outcome of the battle. He knew very well that this would influence Arjuna and the sons and the sons of Pandu favourably,beause by nature they were all virtuous. Sanjay was a student of Vyasa, and therefore, by the mercy of Vyasa, Sanjaya was able to envision the Battlefield of Kurushetra even while he was in the room of Dhritrashtra. And so Dhritrashtra asked him about the situtation on the battlefield.
Both the Pandavas and sons of Dhritrashtra belong to the same family, but Dhritrashtra's mind is disclosed herein. He deliverately claimed only his sons as Kurus, and he separated the sons of Pandu from the family heritage. One can thus understand the specific position of Dhritrashtra in his relationship with his nephews the sons of Pandu. As in the paddy field the unnecessary plants are taken out, so it is expected  from the very beginning of these topics that in the religious field of Kurushetra, where the father of religion,Shri Krishna, was present, the unwanted plants like Dhritrashtra's son Duryodhana and others would ne wiped out and the thoroughly religious persons, headed by Yudhishthira, would be established by the Lord. This is the significance of the words dharma-kshetra and kuru-kshetra,apart from their historical and Vedic importance
JAI SHRI KRISHNA
(to be continue)

Sunday, 21 September 2014

भारत और दक्षिण कोरिया के सांस्कृतिक संगम का अनूठा नजारा दिखा

ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। गांव वैदपुरा में स्थित संत विनोबा इंटर कालेज में शुक्रवार को भारत और दक्षिण कोरिया के सांस्कृतिक संगम का अनूठा नजारा दिखा। इस नजारे को देख हजारों लोग अभिभूत हो गए।
वैदपुरा के श्रीसंत विनोवा भावे इंटर कालेज में पिछले चार दिनों से कोरियाई प्रशिक्षकों द्वारा यहां के विद्यार्थियों को स्मार्ट क्लास में लैपटॉप के प्रशिक्षण के साथ ही साइंस और कविता तथा साफ सफाई का भी प्रशिक्षण दिया गया। इस कार्यक्रम का आगाज गत 15 सितम्बर को वैदपुरा कालेज में बनी स्मार्ट क्लास की लैब में 40-40 बच्चों के दो बैच को लैपटाप का प्रशिक्षण के साथ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सैमसंग इंडिया के एमडी बीडी पार्क ने किया। कार्यक्रम का समापन सैमसंग इंडिया के निदेशक पार्क यांग ने किया। इस कार्यक्रम के आयोजन में आलम्ब संस्था, संस्था प्लान ने सहयोग दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य तेजपाल सिंह नागर ने छात्रों से कहा कि दक्षिण कोरियाई लोग काफी मेहनत करते हैं , वे परिश्रम करते समय किसी तरह का संकोच भी नहीं करते हैं। हमें उनके इससे प्रेरणा लेकर कठिन परिश्रम करते हुए शिक्षा में नए आयाम स्थापित करने हैं। गैर सरकारी संस्था प्लान के निदेशक असीम कपूर ने आयोजन के लिए सभी सहयोगी संस्थाओं के प्रति आभार व्यक्त किया। इसके अलावा विद्यालय के  प्रधानाचार्य श्री नागर, शिक्षकों और बच्चों के प्रति भी आभार जताया।
शुक्रवार को कार्यक्रम का भव्य समापन हुआ। समापन समारोह में सुबह पहले आउटडोर एवं इनडोर गेम का आयोजन किया गया। आउटडोर गेम में 10 तरह के खेलों का आयोजन किया तथा इन्डोर गेम में आठ तरह के खेलों का आयोजन हुआ। इन खेलों में 18 टीमों ने भाग लिया। इन टीमों में 120 बच्चों ने भाग लिया।
इसके बाद मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रम भारतीय व दक्षिण कोरियाई बच्चों और प्रशिक्षकों द्वारा आयोजित किया गया।
वैदपुरा स्कूल के बच्चों ने भव्य आकर्षक यशोदा री मैया, एक पंजाबी गीत के साथ चक दे इंडिया पर कार्यक्रम प्रस्तुत कर उपििस्थत लोगों का मन मोह लिया। वैदपुरा स्कूल के बच्चों को सांस्कृूतिक कार्यक्रम  के लिए विद्यालय की शिक्षिकाओं श्रीमती विमलेश कुमारी,सुश्री शकुंतला शर्मा और सुश्री ममता नागर जमकर प्रशिक्षित किया। उनके प्रशिक्षण से तैयार बच्चों ने बहुत ही आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तु किया। इसके लिए बच्चों की तारीफ के साथ ही उन्हें तैयार करने वाले इन हस्तियों की भी जमकर प्रशंसा की गई। इसके बाद दक्षिण कोरियाई प्रशिक्षकों ने ड्रम वादन और अन्य परंपरागत नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को झूमने को विवश कर दिया। स्मार्ट क्लास में बच्चों को लैपटाप पर कम्यूटर की बेसिक जानकारी के अलावा फोटों,कैमरे व मैमोरी कार्ड से संबंधित टेकनॉलॉजी का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा मूवी बनाना व टीपीटी तैयार करना भी सिखाया गया। इसके अलावा चार दिनों के दौरान साइंस की क्लास भी कोरियाई प्रशिक्षकों द्वारा चलाई गई। इस क्लास मेंबच्चों को पानी को शुद्ध करने की विधि,साबुन बनाने की विधि, शरीर के जोड़ों के बारे में जानकारी देना व उनके महत्व को समझाया गया। इसके अलावा कई प्रैक्टिकल भी करवाए गए। इन प्रैक्टिकल के बारे में टैबलेट से भी जानकारी दी गई। इस क्लास में प्रतिदिन 40 बच्चों ने प्रशिक्षण लिया। इस तरह से 160 बच्चों को प्रशिक्षित किया गया।
छात्र-छात्राओं में साहित्यिक विकास को गति देने के लिए कविता की क्लास चलाई गई। इस क्लास में 20-20 बच्चों के दो बैच रोजाना चलाए गए। इनमें बच्चों को माता-पिता, एवं पशुओं व अन्य उदाहरण के रेखाचित्र बनवाए जाते थे और फिर उनसे इन चित्रों के आधार पर कविता रचने की कला को सिखाया जाता था।
यह क्लास सुबह नौ बजे से 11 बजे और फिर 11.30बजे से दोपहर एक बजे तक चलाई जाती थी। इसके साथ बच्चों में अच्छे स्वास्थ्य के लिए साफ-सफाई का प्रशिक्षण दिया गया। इस क्लास में रोजाना 40 बच्चों ने प्रशिक्षण लिया। इसमें बच्चों को हाथ एवं शरीर व कपड़ों की साफ सफाई के बारे में बताया गया। कोरियाई दल ने बच्चों को टूथ ब्रश साबुन आदि उपयोगी वस्तुओं की किट देकर प्रोत्साहित किया। 

पैनकार्ड के संबंध में आवश्यक कानूनी बातें

पैनकार्ड यानी आयकर विभाग का एक ऐसा कार्ड जो आज के जमाने में अनेक सरकारी व बैंकिंग कार्यो में काम आता है। चाहे सरकारी या मल्टीनेशनल कंपनी अथवा प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं या व्यापार कर रहे हों अथवा अन्य ऐसा कोई कार्य कर रहे हों जिससे होने वाली आय का लेखा-जोखा रखना हो और आयकर के दायरे में आने वाली आय कर का भुगतान करना हो, इसके लिए पैन कार्ड का होना बहुत जरूरी है। यहीं नहीं कारोबार करने के अलावा अन्य प्रकार के व्यापारिक लेनदेन में भी पैन कार्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आइए जानते हैं पैनकार्ड के संबंध में आवश्यक कानूनी बातें, जो इस प्रकार हैं:-
पैन कार्ड   : आयकर विभाग से जारी किया गया वह कार्ड जिसमें परमानेंट एकाउंट नंबर अर्थात स्थायी लेखा संख्या दर्ज रहती है।
आयकर अधिनिनियम 1961 की धारा 139ए में पैन कार्ड से संबंधित नियमों व शर्तों का उल्लेख किया गया है।
जब किसी व्यक्ति की टोटल इनकम यानी कुल आय आयकर अधिनियम के अन्तर्गत एग्जेम्प्ट (श्व3द्गद्वश्चह्ल) राशि वर्तमान वित्तीय वर्ष में दो लाख  (2,00,000) रुपये से अधिक है तो उसे उस वर्ष के समाप्त होने के दो महीने के अन्दर पेन कार्ड बनवाने के लिए आवेदन अवश्य करना चाहिए।
यदि किसी व्यक्ति का टर्नओवर या ग्रास रिसीप्ट पांच लाख (5,00,000) रुपये से अधिक है तो उसे उस वित्तीय वर्ष में पैन का आवेदन करना अवश्य चाहिए।
निम्नलिखित परिस्थितियों में करदाता को अपने पैन कार्ड नंबर का उल्लेख करना अनिवार्य है।
(1).जब करदाता कोई स्थायी सम्पत्ति क्रय अथवा विक्रय करता हो जिसमी कीमत पांच लाख(5,00,000)  रुपये से अधिक हो।
(2).बैंक में 50,000 रुपये अधिक की राशि एक समय में जमा करा रहा हो तो उसे जमा स्लिप में पैन नंबर लिखना अवश्य चाहिए।
(3).10,000 रुपये से अधिक की सिक्योरिटी क्रय अथवा विक्रय करता हो।
(4).बैंक में खाता खुलवाते समय पैन कार्ड का नंबर लिखना आवश्यक है।
(5).किसी होटल अथवा रेस्टोरेंट को एक समय में 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान करते समय पैन कार्ड का इस्तेमाल आवश्यक है।
(6).किसी विदेश यात्रा के संबंध में एक साथ 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान करते समय पैन नंबर का लिखना जरूरी है।
(7).50,000 रुपये से अधिक की कीमत के शेयर खरीदते समय भी पैन कार्ड का नंबर लिखना आवश्यक है।(8). किसी डीलर को 5,00,000 रुपये से अधिक की राशि का भुगतान करने समय भी पैन का नंबर लिखा जाना जरूरी है।
Atul Sharma,ICA

सूरजपुर में रामलीला की भव्य शोभा यात्रा 23 को निकलेगी

ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। सूरजपुर में आगामी 23 सितंबर से शुरू होने वाली भव्य रामलीला का आगाज भव्य शोभा यात्रा से होगा। यह शोभा यात्रा सायं 5 बजे रामलीला स्थल पुलिस चौकी के पास वाले खाली मैदान से प्रारंभ होगी। इस शोभा यात्रा में विभिन्न झांकियों के अलावा बैंड,डीजे आदि होंगे।
यह जानकारी देते हुए श्री आदर्श रामलीला कमेटी के महामंत्री पं. जयदेव शर्मा ने बताया कि इस वर्ष रामलीला को भव्य रूप देने के लिए इस शोभा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि रामलीला पूर्व कार्यक्रम के अनुसार 23 सितंबर से प्रारंभ होगी। 23 सितबर को भूमि शुद्धिकरण प्रात: 11 बजे किया जाएगा। शाम को शोभा यात्रा निकाली जाएगी। उसी दिन सायं सात बजे से होने वाली रामलीला में श्रीगणेश पूजन, नारद मोह, रावण कुंभकरण जन्म की लीला का मंंचन होगा।
रामलीला मेले का मुख्य आकर्षण: इस बार रामलीला मेले का मुख्य आकर्षण मेला स्थल पर लगने वाले विभिन्न झूले व बच्चों के मनोरंजन के साधनों के अलावा खानपान के स्टाल होंगे।
रामलीला स्थल पर बड़ा झूला, मौत का कुआं, जादू शो, पिघलने वाली लड़की, मिक्की माउस, घोड़ा चक्का के अलावा मनोरंजन के लिए अन्य स्टाल भी लगाए जाएंगे। इसके अलावा मुरादाबाद का हलवा पराठा, सॉफ्टी आदि खाने-पीने के आकर्षक स्टाल लगाए जाएंगे। इसके साथ ही इस बार आयोजन पुलिस चौकी से सटे खाली मैदान पर होने से आने जाने वालों को काफी सुविधा भी होगी।
कार्यक्रम
भूमि शुद्धीकरण प्रात: ११ बजे से                  : २३ सितंबर २०१४
शोभायात्रा सायं ५ बजे से                          : २३ सिंतबर २०१४
श्री गणेश पूजन, नारद मोह, रावण, कुंभकरण जन्म  : २३ सितंबर २०१४
श्री राम जन्म ,ताडका बध,अहिल्या उद्धार          : २४ सितंबर २०१४
धनुष यज्ञ परशुराम-लक्ष्मण संवाद                  : २५ सितंबर २०१४
श्री राम विवाह, कैकेई का वरदान                  : २६ सितंबर २०१४
श्री राम वन गमन,दशरथ मरण                      : २७ सितंबर २०१४
भरत मिलाप,सूर्प्रणखा कु रूप                       : २८ सितंबर २०१४
सीता हरण , जटायु उद्धार                         : २९ सितंबर २०१४
बालि वध, सीता की खोज                         : ३० सितंबर २०१४
लंका दहन विभीषण शरणागत                      : ०१अक्टूबर २०१४
अंगद रावण संवाद                                 :०२ अक्टूबर २०१४
लक्ष्मण शक्ति, कुम्भकरण-मेघनाथ वध              :०३ अक्टूबर २०१४  
सुलोचना सती, रावण वध ,राजतिलक               : ०४ अक्टूबर २०१४
लक्षमण रावण संवाद                               : ३ अक्टूबर २०१४
रावण दहन                                        : ४ अक्टूबर २०१४

जगत फार्म मार्केट में पार्किंग की समस्या से हो रही परेशानी

ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। ग्रेटर नोएडा के कनाट प्लेस माने जाने वाले जगत फार्म में भी कनाट प्लेस की तरह पार्किंग की समस्या से दुकानदार और आने वाले ग्राहक दोनो रूबरू हो रहे हैं।
प्रभावित लोगों का कहना है कि कुछ ऐसे प्लाजा है जिनके सामने पार्किंग की कोई जगह नहंीं है जबकि जगतफार्म में आने वाले ग्राहक कई मीलों से अपने वाहन से आतो है। शॉपिंग करने में परेशानी आने के कारण उन स्थानों से शॉपिंग करते हैं जहां पर उनको वाहन खड़ा करने की सुविधा होती है।
कुछ ऐसे मॉल व प्लाजा है जिनके सामने पार्किंग की कोई जगह नहीं हैं वहां के दुकानदारों को इस समस्या से खामियाजा उठाना पड़ रहा है।
अमृतप्लाजा की ओर से प्रवेश करने वालों के सामने यह समस्या विकट है। प्रवेश द्वारा से चंद कदम की दूरी पर अमृतप्लाजा,परवीन प्लाजा, गुरबक्श प्लाजा, सामने मार्केट के बीच केवल पतनी सी सड़क है और सड़क के किनारे फुटपाथ पर भी दुकाने हैं। रविवार को इस क्षेत्र में वाहनों का गुजरना दूभर हो जाता है। कभी कभी तो यहां के दूकानदारों को पार्किग में खड़े अपने वाहन निकालना हो तो काफी मुश्किल हो जाता है। यही नहीं कभी-कभी तो वाहन निकालने में काफी समय निकल जाता है।कुछ लोगों का कहना है कि जगतफार्म मेें जाम की समस्या का एक कारण वाहनों का बेतरतीब ढंग से खड़ा होना भी है। कुछ लोगों ने इस बारे मे बताया कि रविवार को जगत फार्म में लगभग 500 वाहन आते हैं लेकिन पार्किंग को सुव्यवस्थित करने वालों के अभाव में जाम की स्थिति बन जाती है जबकि नेहरू प्लेस में इससे कम जगह में 500 वाहन कैसे खड़े हो जाते हैं किसी को पता भी नही चल पाता है। ऐसी ही व्यवस्था जगतफार्म में भी बनानी चाहिए। आवश्यकता पडऩे पर पुलिस से सहायता की मांग की जानी चाहिए।

भाजपा का युवा कार्यकर्ता मिशन 2017 के लिए है तैयार : जिंदल

ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष रवि जिंदल ने नोएडा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी श्रीमती विमला बाथम की ऐतिहासिक विजय पर हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि प्रदेश में जनकल्याण के लिए भाजयुमो कार्यकर्ता सड़क पर उतरने से परहेज नहीं करेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की अलोकप्रिय नीतियों के खिलाफ भाजयुमो कार्यकर्ता अपना संघर्ष जारी रखेगा। श्री जिंदल ने कहा कि नोएडा विधानसभा सीट पर भाजपा की ऐतिहासिक जीत प्रदेश सरकार की जनता के बीच अलोकप्रियता का जीता-जागता सबूत है। उन्होंने कहा कि भाजपा को मिली इस जीत से यहां का कार्यकर्ता उत्साहित है और वह 2017 में प्रदेश में भाजपा को सत्तासीन कराने के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा कि यहां का कार्यकर्ता मिशन यूपी के लिए हर तरह से तैयार है और वह अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा।उन्होंने बताया कि नोएडा विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं की एकजुट मेहनत को श्रेय जाता है।
 चुनाव के दौरान नोएडा,गेटर नोएडा, गाजियाबाद,बुलंदशहर सहित आसपास के क्षेत्रों के पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमकर पसीना बहाया और उसका नतीजा आज सबके सामने है।
बधाई देने वालों में भाजयुमो के वरिष्ठ मंत्री कपिल गुर्जर, सुमित पंडित,विक्रम शर्मा, अमित कुमार,विजय कसाना,विजय भाटी,सुमित शर्मा, वेद प्रकाश शर्मा, पं. अमन कौशिक, आनंद भाटी, सत्यपाल शर्मा प्रमुख हैं।

नोएडा में भाजपा की जीत से कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर

ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान नोएडा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी श्रीमती विमला बाथम की रिकार्ड जीत से गौतमबुद्धनगर में भाजपा कार्यकर्ताओं और भाजयुमों कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है और सभी कार्यकर्ताओं ने श्रीमती बाथम को रिकार्ड जीत पर अपनी ओर से हार्दिक बधाई दी है।
भारतीय जनता पार्टी के जिला मीडिया प्रभारी पं. कर्मवीर आर्य ने बताया कि नोएडा सीट पर भाजपा प्रत्याशी की रिकार्ड मतों से जीत से जनपद के भाजपा कार्यकर्ताओं में हर्ष की लहर है और उनमें 2017 के चुनाव के लिए भारी उत्साह है। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर भाजपा के जिला अध्यक्ष हरीश ठाकुर ने श्रीमती बाथम को विजय की हार्दिक बधाई दी है। इसके अलावा नवनिर्वाचित विधायक को बधाई देने वालों में कार्यकारिणी के सदस्य व प्रधानाचार्य तेजपाल सिंह नागर,जिला महामंत्री लक्ष्मण सिंघल, ओमवीर बैसला, मूल चंद आर्य, पं. विनोद तेलवाले, मूलचंद शर्मा आदि प्रमुख पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल हैं।
भाजपा

Monday, 15 September 2014

Bhagvad-Gita: Solution of Life's critical problems

Bhagavad-gita originally appears as an episode in the Mahabharata,the epic Sanskrit history of the ancient world. The Mahabharata tells of events leading up to the present Age of Kali. It was at the beginning of this age, some fifty centuries ago, that Lord Krishna spoke Bhagavad- gita to his friend and devotee Arjuna.
Their discourse-one of the greatest philosophical and religious dialogues known to man-took place just before the onset of war, a great fratricidal conflict between the hundred sons of Dhritrashtra and on the  opposing side their cousins the Pandavas, or sons of Pandu.
Dhritrashtra and Pandu were brothers born in Kuru Dynasty, descending from King Bharat, a former ruler of the earth, from whom name Mahabharata derives. Because Dhritrashtra, the elder brother, was born blind, the throne that otherwise would have been his was passed down to younger brother,Pandu. When Pandu died at an early age, his five children -Yudhisthira, Bhima. Arjuna, Nakula and Sahadeve- came under the care of Dhritrashtra,who in effect became, for time being, the king. Thus the sons of Dhritrashtra and those of Pandu grew up in the same  royal household. Both were trained in the millitary art by the expert teacher Guru Drona and counseled by the revered "grandfather" of clan Bhisma.
Yet the sons of Dhritrashtra especially the eldest, Duryodhana, hated and envied the Pandavas. And the blind and weak minded Dhritrashtra wanted his own sons, not those of Pandu,to inherit the kingdom.Thus Duryodhana, with Dhritrashtra's consent,plotted to kill the young sons of Pandu, and it was only by the carefully protection of their uncle Vidur and their cousin Lord Krishna that the Pandavas escaped the many attempts against their lives. Now, Lord Krishna is not an ordinary man but the Supreme Godhead himself, who had descended tot earth and was playing the role of a prince in contemporary dynasty. In this role He was also the nephew of Pandu's wife Kunti or Pratha the mother of the Pandavas. So both as a relative and as the eternal upholder of religion, Krishna favored the righteous sons of Pandu and proteceted them.Ultimately, However, the clever Duryodhana challanged the Pandavas to gambling match. In the course of that fateful tournament, Duryodhana and his brothers took possesion of  Draupadi the  chaste and devoted with of Pandavas,and insultingly tried to strip her naked before entire assembly of princes and kings. Krishna's divine intervention saved her, but gambleing, which was rigged,cheated the Pandavas of their kingdom and forced them into thirteen years exile.
Upon returning from exile, the Pandavas rightfully requested their kingdom from Duryodhana, who bluntly refused to yield it. Dutybond as princes to serve in public administration, the five Pandavas reduced their request to mere five villages. But Duryodhana arrogantly replied that he wouldn't spare them enough land into which to drive a pin. Throughout all this, the Pandavas had been consistently tolerant and forebearing.But now war seemed inevitable.Noneheless , as the princes of the world divided, some siding with the sons of  Dhritrashtra, others with the Pandavas, Krishna himself took the role of messenger for the sons of Pandu and went to the court of Dhritrashtra to plead for peace. When his pleas were refused,war was now certain. The Pandavas men of the highest moral stature, recognized Krishna to be the Supreme Personality of Godhead, whereas the impious sons of Dhritrashtra did not. Yet Krishna offered to enter the war according to desire of the antagonists. As God, He would not personally fight;but whoever so desired might avail himself of Krishna's army and the other side could have Krishna Himself , as an advisor and helper. Duryodhana, the political genius, snatched at Krishna's afmed forces,while the Pandavas were equally eager to have Krishna Himself.
In this way, Krishna became the charioteer of Arjuna,taking it upon Himself to drive the fabled bowman's chariot. This brings us to the point at which Bhagavad-gita begins, two armies arrayed, ready for combat, and Dhritrashtra anxiously inquiring of his secretary Sanjay,What did they do?
At this time Arjuna is not ready for war, then Lord Krishna given spritually speech about of duty. Presenttime this speech also fit for every life. Now starting ....
Contd. be next issue

Sunday, 14 September 2014

मतदान संपन्न होते ही लगने लगीं चुनाव परिणाम पर अटकलें

नोएडा विधानसभा उपचुनाव
 ग्रेटर नोएडा के पार्टी कार्यकर्ताओं ने मास्टर तेजपाल सिंह नागर के नेतृत्व में प्रचार में जमकर पसीना बहाया
ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। गौतमबुद्धनगर की नोएडा विधानसभा सीट का उपचुनाव संपन्न हो गया है। सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के भाग्य ईवीएम में लॉक हो गए हैं। मतदान समाप्त हो जाने के बाद डाले गए वोटों के प्रतिशत के अंतर को लेकर चुनाव परिणाम के बारे में अटकलें लगनीं शुरू हो गईं है। चुनाव प्रचार में पसीना बहाने वाले राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने शनिवार की शाम को राहत की सांस ली। अब सभी की निगाहें 16 सितंबर पर टिकीं हैं, जब परिणाम घोषित होगा। चुनाव परिणाम की अटकलों को लेकर सपा और भाजपा के कैम्पों में अधिक चर्चाएं हैं। सभी यह कह रहें हैं कि देखिए किस करवट ऊंट बैठेगा।
गौरतलब है कि नोएडा के विधायक डॉ. महेश शर्मा के सांसद बन जाने से रिक्त हो रही सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। इस सीट को इसीलिए भाजपा की प्रतिष्ठा से जोड़ा जा रहा है। दूसरी ओर लोकसभा चुनाव में शिकस्त के बाद समाजवादी पार्टी अपनी प्रदेश की अखिलेश यादव की सरकार की नीतियों को लेकर मैदान में है। इसके अलावा इस सीट के निर्णय पर जातीय समीकरण बहुंत अधिक महत्व रखते हैं। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने स्वयं इस सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रखा है। इस चुनाव में बसपा के मैदान से दूर रहने के कारण बसपा के वोट बैंक के समक्ष दुविधा का प्रश्न बना हुआ है। हालांकि पार्टी ने अपने समर्थकों से निर्दलीयों को समर्थन देने का संकेेत दिया है। इसके बावजूद इस वोट बैंक पर सपा और भाजपा की नजर बनी हुई है।
पार्टी के जिला मीडिया प्रभारी कर्मवीर आर्य ने बताया कि भाजपा ने अपनी पूरी शक्ति के साथ इस चुनाव में प्रचार किया। चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद भी भाजपा कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रचार कार्य में जुटे हुए हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं में ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के सक्रिय और प्रभावी पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी शामिल है जो पार्टी प्रत्याशी श्रीमती विमला बाथम को जिताने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।
 प्रचार कार्य में लगे भाजपा के वरिष्ठ नेता  और वैदपुरा इंटर कालेज के प्रधानाचार्य मास्टर तेजपाल सिंह नागर ने बताया कि वह अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ नोएडा विधानसभा के क्षेत्रों में अपनी पार्टी प्रत्याशी श्रीमती विमला बाथम के पक्ष में सघन प्रचार अभियान में सक्रिय रहे। उन्होंने बताया कि पिछले एक सप्ताह के दौरान नगला,ककराला, फेस टू, हलदौनी और जलपुरा, बरौला, छलेरा, नया गांव, गेझा, भंगेल, सलारपुर, गढ़ बहलोलपुर, बसई, अगाहपुर, सहित अनेक क्षेत्रों में नुक्कड़ सभाएं की और मतदाताओं से घर-घर सम्पर्क किया।
उन्होंने बताया कि इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के सौ दिन की उपलब्धियों और भाजपा की नीतियों से आम मतदाताओं को रूबरू कराया। उन्होंने बताया कि विधानसभा -:पेज वन का शेष
चुनाव क्षेत्र में मतदाताओं के पार्टी के समर्थित रुख से कार्यकर्ताओं में उत्साह है।  पार्टी के जिला महामंत्री लक्ष्मण सिंघल ने बताया के पिछले एक सप्ताह के दौरान ग्रेटर नोएडा से चुनाव प्रचार करने गए पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक-एक दिन में कई क्षेत्रों में प्रचार अभियान चला कर लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपलब्धियों से अवगत कराया और पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में मत और समर्थन दोनों मांगा।  नोएडा विधानसभा के अनेक क्षेत्रों में प्रचार करने गए ग्रेटर नोएडा के पार्टी कार्यकर्ताओं में मास्टर तेजपाल सिंह नागर, लक्ष्मण सिंघल, पं. कर्मवीर आर्य, ओमवीर बैसला, पं. मूलचंद शर्मा,जीतेन्द्र अग्रवाल, रजत शर्मा, पंडित सत्यपाल शर्मा (बीडीसी)आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।

सूरजपुर में भव्य रामलीला 23 सितंबर से

श्री आदर्श रामलीला कमेटी सूरजपुर की बैठक में लिया महत्वपूर्ण फैसला
भव्य आयोजन के लिएकमेटी के पदाधिकारी जी जान से जुटे
ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। श्री आदर्श रामलीला कमेटी सूरजपुर (रजि .) गौतमबुद्धनगर के तत्वावधान में सूरजपुर में पुलिस चौकी के नजदीक वाले मैदान में आगामी 23 सितम्बर से 04 अक्टूबर 2014 तक भव्य रामलीला का आयोजन किया जाएगा।
कमेटी के महामंत्री श्री जयदेव शर्मा ने बताया कि श्री आदर्श रामलीला कमेटी सूरजपुर (रजि) के अध्यक्ष श्री बाबूराम जिंदल की अध्यक्षता में हाल ही में कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. ईश्वर देवधर के कार्यालय में कमेटी की कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी राम लीला के आयोजन का निर्णय लिया गया।
श्री शर्मा ने बताया कि आगामी 23 सितम्बर को रामलीला का श्रीगणेश पूजन के साथ शुभारंभ किया जाएगा और चार अक्टूबर को रावण वध के साथ विजयदशमी पर्व मनाया जाएगा। इस अवसर पर रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले आकर्षक आतिशबाजी के साथ दहन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि रामलीला के आयोजन स्थल पर मनोरंजन के लिए  तरह-तरह के झूले और अनेक खाने-पीने और अन्य वस्तुओं के स्टाल लगाए जाएंगे। श्री शर्मा के अनुसार रामलीला का भव्य मंचन सतीश व्यास के नेतृत्व में वृंदावन के सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा किया जाएगा।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कमेटी के अध्यक्ष श्री बाबू राम जिंदल ने कहा कि रामलीला के आयोजन से जनमानस में अपने संस्कार याद रहते हैं और वह उन्हीं का अनुकरण करने का प्रयास करता है, यह प्रयास समाज सुधार के लिए बहुत ही प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र का वर्णन होने से सूरजपुर में धार्मिक और समाज में एकजुटता का माहौल उत्पन्न होता है।
संरक्षक श्रीचंद भाटी ने कहा कि आधुनिकता के दौर में अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिए रामलीला जैसे कार्यक्रमों को आयोजन होते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में चारित्रिक पतन की घटनाओं को देखते हुए यह परम आवश्यक हो गया है कि समाज सुधार के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदशों का अधिक से अधिक प्रसार हो।
कमेटी के संरक्षक डॉ. धनीराम देवधर ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के लिए रामलीला का आयोजन तो परम आवश्यक है। साथ ही ऐसे ही समाज सुधारक कार्यक्रमों का सार्वजनिक रूप से आयोजित किया जाना जरूरी है तभी देश की सामाजिक और चारित्रिक स्थिति में अमूलचूल सुधार होगा। कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. ईश्वर देवधर ने कहा कि रामलीला का आयोजन होना सूरजपुरवासियों के लिए एक अच्छा अवसर है और आशा है कि यहां के अधिक से अधिक लोग धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेकर इसका धर्मलाभ उठाएंगे।
कमेटी के उपााध्यक्ष विजय पाल भाटी ने कहा कि रामलीला जैसे धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होते ही रहना चाहिए, इससे समाज में निस्वार्थ सेवा, त्याग के साथ आदर्श प्रस्तुत करने का संदेश जाता है। जनमानस में अच्छे विचार पनपने से समाज स्वत: प्रगति करता है।
उपाध्यक्ष भोपाल भाटी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में अच्छे संस्कार प्रस्तुत करने के लिए रामलीला का मंचन आवश्यक है क्योंकि श्रीरामचरित मानस एक पवित्र गं्रथ है, इस पर आधारित रामलीला समाज को एकसूत्र में जोड़ती है। कमेटी के महामंत्री पंडित जयदेव शर्मा -:पेज वन का शेष
ने कहा कि रामलीला सभी धर्मों एवं मजहबों से परे हैं। रामलीला हमारे समाज में चरित्र निर्माण के लिए महान संदेश देती है। कोषाध्यक्ष योगेश अग्रवाल का कहना है कि रामलीला के आयोजन में सभी व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त रहेंगीं। रामलीला के मंचन के दौरान सूरजपुरवासियों के लिए सभी सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा। कमेटी के मीडिया प्रभारी पं. सत्यपाल शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सूरजपुर ग्राम में रामलीला के आयोजन में समस्थ धर्म, जाति के लोगों का सहयोग मिलता है, यह अत्यंन्त खुशी की बात है। उन्होंने सूरजपुरवासियों का आवाहन करते हुए कहा कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होकर श्रीराम के चरित्र का अवलोकन करें। बैठक में कमेटी के अध्यक्ष बाबू राम जिंदल के अलावा संरक्षक डॉ. धनीराम देवधर, श्रीचंद भाटी,वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. ईश्वर देवधर, उपाध्यक्ष भोपाल भाटी, उपाध्यक्षविजयपाल भाटी, कोषाध्यक्ष योगेश अग्रवाल, मीडिया प्रभारी पं. मूलचंद शर्मा, पं. सत्यपाल शर्मा (बीडीसी), कानूनी सलाहकार सुनील शर्मा, प्रचार मंत्री विनोद पंडित, राजकुमार पम्मी, पवन जिंदल, रामवतार गर्ग, देवेन्द्र, लाला बुद्ध प्रकाश, भूदेव शर्मा आदि उपस्थित रहे।
सूरजपुर में इस बार पुलिस चौकी के बगल वाले मैदान में रामलीला क्यों
ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। सूरजपुर में इस बार रामलीला का आयोजन प्राचाीन बराही मंदिर के प्रांगण की जगह पुलिस चौकी के बराबर वाले मैदान में किया जा रहा है। प्राचीन वराही मंदिर के प्रांगण में जाने के रास्ते की दुर्दशा को देखते हुए श्री आदर्श रामलीला कमेटी सूरजपुर रजि.की बैठक में यह निर्णय जनता की होने वाली असुविधा से बचाने के लिए लिया गया है। पुलिस चौकी के बराबर वाले मैदान का क्षेत्र मेन रोड से लगा हुआ है और यहां जनता को अधिक सुविधा होगी। इसलिए कमेटी के पदाधिकारियों ने सूरजपुरवासियों के अलावा आस-पास के क्षेत्र के लोगों से अधिक से अधिक संख्या में रामलीला के मंचन का अवलोकन करने का आग्रह किया है

स्वास्थ्य शिविर में 421 लोगों ने कराई जांच

रोटरी क्लब ग्रीन ग्रेटर नोएडा ने सूरजपुर मे लगाया स्वास्थ्य जांच शिविर
ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। रोटरी क्लब आफ ग्रीन गे्रटर नोएडा द्वारा गत दिवस सूरजपुर के आर्य समाज मंदिर में निशुल्क स्वास्थ्य सेवा शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में 421 लोगों ने अपने स्वास्थ्य की जांच करवाकर लाभ उठाया।
सितंबर माह के लीडर रो. एमपी सिंह ने बताया कि इस शिविर में नवीन हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा दांत,नाक,कान,गला व सामान्य रोगों की जांच की गई। इसमें सामान्य रोग के 112 लोग, दांतों के 109, व ईएनटी के 68 मरीजों की निशुल्क जांच की गई।
रो. राकेश सिंघल ने बताया कि नेत्र रोगों के लिए डा. अकबर नेत्र चिकित्सालय के सौजन्य से आंखों की निशुल्क जांच की गई। इसमें 209 मरीजों क जांच की गई व क्ल्ब की ओर से दवाइयों का भी वितरण किया गया।
क्लब के कोषाध्यक्ष रो. केके शर्मा ने बताया कि सूरजपुर में सबसे ज्यादा मरीज आंखों के मिले । इनमें से बहुत से मरीज मोतियाबिंद की बीमारी से गसित थे। उन्होंने बताया कि क्लब द्वारा फरवरी माह में आंखों का कैम्प लगवाया जाएगा। इस कैंप में जरूरतमंद लोगों की आंखों के आपरेशन भी क्लब द्वारा कराए जाएंगे।
सूरजपुर के समाजसेवी पं. मूलचंद शर्मा ने बताया कि इस शिविर का शुभारंभ पूजन-हवन के साथ विधिवत आरंभ हुआ। पं. जनमेजय शास्त्री ने विधि-विधान से मंत्रोच्चार के साथ पूजन-हवन संपन्न करवा कर क्लब द्वारा किए जाने वाले कार्यों की सफलता के लिए प्रार्थना करवाई।
इस अवसर पर क्लब के अध्यक्ष सौरभ बंसल, के साथ क्ल्ब के सदस्यों विनोद कसाना, मुकुल गोयल, कपिल सिंघल,गुरुचरन सिंह, रविन्द्र भाटी, अमित राठी, पवन अग्रवाल, हरीश जिंदल, एमएल गुप्ता, ब्रजमोहन गोयल, हरवीर मावी, विजेन्द्र भाटी, प्रवीण गर्ग, राम दयाल अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, अमित गोयल,पं. शिव कुमार आर्य, विनय गुप्ता, भोपाल भाटी, महेश शर्मा, संजीव गर्ग, नरेन्द्र यादव, योगेश भाटी, जसमीत सिंह, रविन्द्र सिंह, लवनीत सिंह व अन्य लोगो ने सहयोग किया।

इंडीविजुअल कैसे इनकम टैक्स में अपना रेजीडेंशियल स्टेटस जानें

इंडीविजुअल कैसे इनकम टैक्स में अपना रेजीडेंशियल स्टेटस जानें
इनकम टैक्स में सर्वप्रथम करदाता को अपना रेजीडेंशियल स्टेटस जानना चाहिए।
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 6 में इंडिविजुअल को तीन कैटेगरी में विभाजित किया गया है
(1). रेजीडेंट (आर)
(2). नाट ऑर्डिनरी रेजीडेंट (एन ओ आर)
(3). नान-रेजीडेंट (एन आर)
रेजीडेंट :
यदि कोई व्यक्ति गत वर्ष में 182 दिन या उससे अधिक भारत में रहा हो अथवा गत वर्ष में 60 दिन तथा उससे पूर्व के चार वर्षों में 365 दिन या उससे अधिक भारत में किसी भी स्थान पर रहा हो। वह व्यक्ति रेजीडेंट कहलाता है।
नाट आर्डिनरी रेजीडेंट:
यदि व्यक्ति रेजीडेंट की दो शर्तें (182 दिन से अधिक , 60 दिन गत वर्ष, उससे पूर्व 4 वर्षों में 365 दिन) में से कोई एक पूरी करे तथा (1). गत वर्ष से पूर्व के 10 वर्षों में से 2 वर्ष तथा
(2). गत वर्ष से पूर्व के 7 वर्षों में से 729 दिन से अधिक भारत में किसी भी स्थान रहा है तो वह व्यक्ति नाट आर्डिनरी रेजीडेंट  कहलाता है। उपरोक्त में से कोई भी एक पूरी शर्त करे अथवा दोनों।
नान रेजीडेंट
वह व्यक्ति जो भारत में 182 दिन तथा गत वर्ष में 60 दिन व उससे पूर्व के चार वर्षों में 365 दिन या उससे अधिक दिन भारत में किसी भी स्थान पर नहीं रहा हो। वह मूलत: 182 दिन से कम दिन भारत में रहा हो। अत: वह नान रेजीडेंट कहलाता है।
यदि कोई विदेशी व्यक्ति भारत में 182 दिन तक या उससे अधिक रहता है तो वह भारत में इनकम टैक्स के लिए उत्तरदायी है।
शर्त: इंडियन ओरिजन: इंडिविजुअल के माता-पिता या दादा-दादी (पैरेंटस या ग्रांड पैरेंटस ) अविभाजित भारत में जन्में हों।
Advise of Consultant Atul Sharma, ICA

खतरनाक बीमारी है हाइपरटेंशन या ब्लड प्रेशर


ग्रेटर नोएडा। यह बहुत ही खतरनाक बीमारी है। ओर इससे होने वाली बीमारियां इस प्रकार हैं: इसकी वजह से दिल की बीमारी जैसे कि कारोनरी हर्ट डिजीज, कन्जेस्टिव हर्ट फैल्यूरए इसचीमिक और हीरेजिक स्ट्रेक किडनी फेल्यूर और पेरी फरेव, आरटीरियल बीमारियां हैं।
शुरुआती दौर में इसमें कोई खास बीमारी के लक्षण नहीं दिखते हैं और बाद में इसमें सर दर्द होने लगता है। यह सरदर्द सुबह के समय पाया जाता है ओर सर के पीछे हिस्स में ज्यादा तकलीफ होती है। साथ ही इसमें घबड़ाहट, चक्कर आना, दिल धड़कना, कमजोरी लगना, और साथ में सेक्सुअल वीकनेस आ जाती है।
जब मरीज डॉक्टर के पास आता है तो वह घबड़ाया हुआ होता है क्येंकि उसका दिल तेजी से धड़कता है। इसके बाद उसको 5-10 मिनट के लिए अच्छे कमरे में चुपचाप आराम करने को कहते हेँ जिसें उसको थोड़ी तबियत अच्छी हो जाती है औ उसके बाद उसका ब्लड प्रेसर देखते हेँ।
 सिस्टोलिक हाइपर टेंशन
यह बीमारी दुनिया भर में पाई जाती है। ओर इससे मरने वालों की संख्या करीब छह प्रतिशत है। सिस्टोविक  ब्लडप्रेसर मनुष्यों में ज्यादा होता है औरतों के मुकाबले। ओर 60 साल और उसके ऊपर की आयु में सिस्टोविक ब्लड प्रेसर औरतों को ज्यादा होता है, मनुष्यों के मुकाबले। युुवाओं और मनुष्यों में 55 साल तक डाइस्टोविक प्रेशर बढ़ता है और इसके बादयह कम होने लगता है। सिस्टोविक और डायस्टोविक ब्लड प्रेसर में 40 का अंतर होता है। जैसे कि ऊपर वाला अगर 120 है तो नीचे वाला 80 होना चाहिए। इसके बढऩे के कई कारण है।  जैसे कि ज्यादा शरीर का वजन होना। अधिकतर यह लोग नाारमल वजन से करीब 20 प्रतिशत ज्यादा वजन के होते हैं।
साथ में नमक ज्यादा खाने से भी ब्लड प्रेसर बढ़ जाता है। साथ में कैल्शियम और पौटेशियम कम लेने से भी ब्लड प्रेसर बढ़ जाता है। इसके अलावा शराब,दिमागी स्ट्रेस और कम घूमना-फिरना भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है। परिवार में अगर ब्लड पे्रसर है तो 55 साल के बाद इनमेें से 3.8 प्रतिशत लोगों को जल्दी ब्लड पे्रसर हो जाता है।
इस बीमारी का पता लगाने केलिए प्रापर हिस्ट्री बहुत जरूरी है। पारिवारिह हिस्ट्री जिससे कि परिवार में और किसी को तकलीफ है या दिल की बीमारी है।
साथ में खाना-पीना,क्या फैटीज चीजें या नमक ज्यादा लेते हें।यदि वजन बढ़ रहा है तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। साथ में पेशाब में तकलीफ य गुर्दे की बीमारी है । साथ में दिल की घबड़ाहट, चक्कर आना, नींद बार-बार उचटना,दिन में सुस्ती बनी रहना। कभी-ेकभी इसमें अचानक अन्धापन होजाता है। छाती में दर्द, हर्ट फेल्यूर और सेक्सुअल इच्छा कम हो जाती है।
ब्लड प्रेसर इसके होने से एथेरोक्वोरासिस होती है जिससे कि हर्ट फैल्यूर दिल की बीमारियां, धमनियों की बीमारी हो जाती है। इस बीमारी की वजह से दिल की बीमारियां ज्यादा होती है और इसकी वजह से सबसे ज्यादा दिल की बीमारियां होती है। इसक वजह से लेफ्ट वेन्ट्रिकल बढ जाता है। आक्री कार्डियक हर्ट फेल्यूर होता है।
हाइपरटैंशन की वजह से ब्रेन इनफारकशन होता हे ओर इसी के साथर शरीर में लकवा हो जाता है यह दोनो हाथों पैरों में हो सकता है याफिर आधे हिस्से में होता है।
प्राइमरी किडनी की बीमारियां ब्लड प्रेसर की वजह से होती है
इलाज: यदि ज्यादा वजन है तो उसकों कम करना, घी और चर्बी वाली चीजों को न लें, नमक कम लें, साथ में सुबह-शाम टहलना, समय पर सोना, इन सबको करने से ब्लड प्रेसरमें बहुत असर पड़ता है। यदि आराम न मिले तो फिर  डॉक्टर की सलाह ले लें।
डॉ. बीएन सचान
बीएससी एमबीबीएस
एक्स पीएमएस
रोशन हास्पिटल, ग्रेटर नोएडा

आपके साप्ताहिक सितारे

दिनांक 14 सितंबर से 20सितंबर तक
 भारतवर्ष में अधिकतर लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं का आवाहन करते हैं और उनकी प्रिय वस्तुओं को दान कर उन्हें प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके अलवा गंगा स्नान एवं जल तर्पण करके भी लोग अपने पितरों को प्रसन्न करते हैं। ऐसा करने से लोग समृद्धिशाली बनते हैं। ऐसी स्थिति में यदि अपने भविष्य की स्थितियों को जानकर कोई कदम उठाएंगे तो वह आपके जीवन में चार चांद लग जाएंगे। इसी मान्यता के तहत हम आको अगले सप्ताह के आपके ग्रह चाल के हाल बता रहे हैं। 

मेष: दैनिक कार्यभार की चिंता बढ़ सकती है। उच्चाधिकारी से सावधान रहना होगा। नई योजना में ऊर्जा व पूंजी का निवेश हो सकता है। स्वास्थ्य की चिंता बढ़ सकती है। अपनी समस्याओं का हल स्वयं ढूंढें। शुभ रंग- लाल। उपाय: जलता दीपक जल में प्रवाहित करें।
वृष: किसी परिचित से मनमुटाव की स्थिति आ सकती है। देव-दर्शन का योग है। मेहनत के चलते सेहत का ख्याल रखें। यह सप्ताह आपके लिए सामान्य फलदायी है। वाहन चलाते समय सावधानी बरतें। शुभ रंग-सिल्वर। उपाय: सोमवार को दूध दान करें।
मिथुन:नये मेहमान के आगमन पर प्रसन्नता बढ़ेगी। चालू योजनाएं कठिनाई से पूर्ण होंगी। शत्रुओं से सचेत रहें। साझेदारों से मनमुटाव हो सकता है। मित्रों से सहयोग मिलेगा। शुभ रंग-ब्ल्यू। उपाय: शनिदेव के सामने तेल का दीपक जलावें।
कर्क :दिनचर्या अव्यवस्थित हो सकती है। अचानक धन लाभ का संयोग बन रहा है। पुराने विवाद का पटाक्षेप होगा। बड़े अधिकारियों से सहयोग मिलेगा। देव दर्शन से लाभ होगा। शुभ रंग-स्कारलेट। उपाय: मंगलवार को गुड़ का सेवन करें।
सिंह: विवादास्पद प्रकरण समाप्त हो सकता है। ईष्र्यालु साथियों से सावधान रहें। ग्रह चाल का प्रभाव मध्यम रहेगा। जमा खाता बढ़ेगा। सांसारिक सुख साधन उपलब्ध होंगे। शुभ रंग-नीला। उपाय: तुलसी पत्र एवं कालीमिर्च का सेवन करें।
कन्या: गृह प्रपंच से अन्तर्मन क्षुब्ध रह सकता है। पुराने रोगों से छुटकारा मिलेगा। सुख सामग्री प्रचुरता से मिलेगी। भगवत भक्ति के मार्ग प्रशस्त होंगे। अपने धैर्य को कम न होने दें। शुभ रंग-पीला। उपाय: सुर्यदेव की आराधना करें।
तुला: कुछ समय बेमतलब की समस्याओं में बीतेगा। गुप्त षडय़ंत्रकारी सक्रिय हो सकते हैं, सचेत रहें। शीघ्रता में कोई बड़ा निर्णय न लें। सेहत का ध्यान अवश्य रखें। प्रेम प्रसंग के चक्कर में न पड़ें। शुभ रंग-लाल। उपाय: श्रीगणेश जी को लाल पुष्प की माला पहनाएं।
वृश्चिक: ग्रह चाल भाग्य विकास में बाधक है। संयोग-वियोग क्षोभ का कारण बन सकता है। उच्चाधिकारी की घनिष्टता का लाभ उठाएं। आलस्य का त्याग करें। दिनचर्या को सुव्यवस्थित रखें। शुभ रंग-हरा। उपाय: कनेर का पुष्प गुरु प्रतिमा पर चढ़ाएं।
धनु:नवीन कार्य की योजना बन सकती है। दोस्तों से मतभेद चल सकता है। इस सप्ताह लाभ खर्च बराबर रहने की उम्म्ीद है। अपनी महत्वपूर्ण योजना को समय से पूर्व सार्वजनिक न करें। सामाजिक मान प्रतिष्ठा के प्रति सजग रहें। शुभ रंग-लाल- उपाय: गुलाब के फूल भगवान को अर्पित करें।
मकर:आशानुसार सप्ताह श्रेष्ठ रहेगा। गृहस्थी की समस्याओं का निवारण सूझबूझ से करें। विलासिता की वस्तुओं पर अपव्यय न करें। किसी बड़े समारोह में हिस्सा ले सकते हैं। जीवन साथ्ी की भावनाओं का आदर करें। शुभ रंग- सफेद। उपाय: गुरुवार को केसर का तिलक करें।
कुंभ: चल-अचल संपत्ति के प्रति सचेत रहें। करीबी रिश्तेदारों से भी बच के रहें। व्यावसायिक निर्णय लेने में सावधानी बरतें। पारिवारिक जीवन पर ध्यान दें। अपनी महत्वाकांक्षाओं को अधिक महत्व न दें। शुभ रंग-लाल। उपाय:मंगलवार को श्रीहनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
मीन:आर्थिक मामलों में सतर्क रहें। यात्रा करते समय अनजान व्यक्ति पर विश्वास न करें। विरोधियों के समक्ष अपनी कमजोरी को प्रकट न करें। वर्तमान में परिश्रम का फल भविष्य में अवश्य मिलेगा। आर्थिक तंगी एवं मध्यम स्वास्थ्य का भी योग है। शुभ रंग-बैँगनी। उपाय: विटामिन ई युक्त भोजन लें।
डॉ. सिद्धनाथ तिवारी
आयुर्वेदज्ञ एवं ज्योतिषज्ञ
मोबाइल :नं. 9213382493

पितृपक्ष: इस तरह पाएं पूर्वजों का आशीर्वाद

हिंदू धर्म को मानने वाले श्राद्धपक्ष में पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए तर्पण व उपाय करते हैं। वर्तमान समय में जीवन भागदौड़ से भरा है। इसलिए कई लोगों के लिए यह संभव नहीं हो पाता कि वे पितरों के लिए तर्पण आदि कर पाएं। ऐसे में हमारे शास्त्रों में कुछ छोटे.छोटे उपाय बताए गए हैं। ये उपाय ऐसे हैंए जो किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में शनि, राहुए सूर्य और गुरु ग्रहों की युति और उनके साथ अन्य ग्रहों के बुरे प्रभावों से बने पितृदोष को भी दूर करते हैं।
ये उपाय सुखीए सफल और वैभवशाली जीवन की राह आसान बनाने वाले माने गए हैं।
जानिए ये खास उपाय : श्राद्ध पक्ष में गरीब बच्चों को सफेद मिठाई का दान करें।
-देवता और पितरों की पूजा स्थान पर जल से भरा कलश रखकर सुबह तुलसी या हरे पेड़ों में चढ़ाएं।
-भोजन से पहले तेल लगी दो रोटी गाय को खिलाएं।
-चिडिय़ा या दूसरे पक्षियों के खाने.पीने के लिए अन्न के दानें और पानी रखें।
-पिता, गुरु व उम्र में बड़े लोगों का अपमान न करें। उनकी खुशी के लिए हरसंभव कोशिश करें।
-सफेद कपड़ों व सफेद रूमाल का दान करने से भी पितृ दोष दूर होता है।
-अनाज और फलों का दान करने से भी पितृ देवता खुश होते हैं।
-हनुमानजी के मंदिर में नियमित रूप से घी का दीपक जलाएं।
 -शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध अर्पित करें। उसके बाद 5 लीटर दूध गरीब बच्चों में बांटे। यह उपाय पूरे 16 दिन करें। जिन लोगों को भी पितृ दोष है उन्हें इस उपाय को करने से बेहतर परिणाम मिलेंगे।
-हर शनिवार को पीपल या वट की जड़ों में दूध चढाएं।
 -रोज तैयार भोजन में से तीन भाग गाय, कुत्ते और कौए के लिए निकालें और उन्हें खिलाएं।
 -किसी तीर्थ पर जाएं तो पितरों के लिए तीन बार अंजलि में जल से तर्पण करना न भूलें।
-रोज माता-पिता और गुरु के चरण छूकर आशीर्वाद लेने से पितरों की प्रसन्नता मिलती है।
-जिस भी व्यक्ति की पुण्यतिथि है उसकी पसंद का पकवान बनाकर गरीबों को दान करें।
खतर

Sunday, 7 September 2014

आपके साप्ताहिक सितारे

दिनांक 8 सितंबर से 14 सितंबर तक
आज का युग अर्थ युग है और हर एक व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की समस्याओं से ग्रस्त है। इस आधुनिक जीवनशैली में इंसान अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए ईश्वरीय विज्ञान का सहारा लेना चाहता है। ऐसे व्यक्तियों की हम थोड़ी सी मदद करने का प्रयास कर रहे हैं । अगले सप्ताह उनके साथ क्या होने की संभावना है और होने वाली प्रमुख समस्याओं और उनसे बचाव के उपाय बता रहे हैं। यह सब ज्योतिष विज्ञान और नक्षत्रीय चाल पर आधारित फलादेश है।

मेष: क्रोध से बचें। अपनी योजनाओं को गुप्त रखें। जीवन साथी की भावनाओं का आदर करें। वाहन खरीदने की योजना बन सकती है। प्रतियोगिता में विजयी होंगे। शुभ रंग-क्रीम। उपाय: गुरुवार को चने की दाल दान करें।
वृष: लंबी दूरी की यात्रा हो सकती है। सेहत का ध्यान रखना होगा। शुभ समाचार मिल सकता है। सामाजिक, धार्मिक कार्यो में हिस्सा लेने का अवसर मिल सकता है। आयात-निर्यात फायदेमंद हो सकता है। शुभ रंग-ब्ल्यू। सावधानी:
मिथुन:स्वाथ्य के प्रति सचेत रहें। पारिवारिक कहासुनी संभव हो सकती है। यह सप्ताह आपके लिए सामान्य फलदायक है। पुराने रोग,ऋण से मुक्ति मिल सकती है। अचानक शुभ समाचार भी मिल सकता है। शुभ रंग-हरा। उपाय: रविवार को गरीबों को भोजन दें।बुधवार को उधार न दें।
कर्क :व्यक्तिगत समस्याओं को स्वयं सुलझावें। माता-पिता की सेहत की चिंता हो सकती है। धार्मिक यात्रा का विचार हो सकता है। धन-ऐश्वर्य की वृद्धि से शत्रुओं को ईष्र्या हो सकती है। शुभ रंग-अम्बर। उपाय: सोमवार को सफेद कपड़े पहनें।
सिंह: आर्थिक स्थिति में सुधार के योग प्रबल हैं। बच्चों की शिक्षा की चिंता हो सकती है। मधुरता के चलते कटुता का अनुभर हो सकता है। पुराने मित्र से अचानक भेंट हो सकती है। भूुमि,भवन और वाहन के लेन-देन में फायदा हो सकता है। शुभ रंग नारंगी। उपाय:शुक्रवार को चीनी दान दें।
कन्या: क्रिया कलापों में अभिरुचि कम रहेगी। परिवार में मांगलिक कार्यक्रम के योग हैं। सेहत पर मौसम का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। संदिग्ध व्यक्ति से मित्रता न करें। प्रेम प्रसंग का चक्कर भी चल सकता है। शुभ रंग-गुलाबी।उपाय: गुरुवार को केला दान करें।
तुला: स्वाथ्य से संबंधित परेशानियां बढ़ सकतीं हैं। भाई-बहन की ओर से सहयोगात्मक व्यवहार बढ़ सकता है। व्यक्तित्व में निखार आएगा। आय - व्यय का संतुलन ठीक रहेगा। शुभ रंग - पीला। उपाय: शनिवार को तेल दान करें।
वृश्चिक: महत्वपूर्ण कार्यों को दूसरे पर न छोड़ें। पड़ोसियों से मत
भेद उभर सकते हैं। किसी खास उपलब्धि से मन प्रसन्न हो सकता है। मन की नवीन योजनाएं साकार हो सकती हैं। उच्चाधिकारी से वाद-विवाद हो सकता है। शुभ रंग-ब्ल्यू। उपाय: बुधवार को मूंग की दाल दान करें।
धनु:मनोरंजन के साधनों के प्रति रुझान बढ़ेगा। लंबी दूरी की यात्रा भी हो सकती है। विरोधियों से सावधान रहना होगा। इस सप्ताह में जनसंपर्क बढ़ सकता है। किसी अनजान व्यक्त् िसे फायदा भी हो सकता है। शुभ रंग - लाल। उपाय: मंगल को सात्विक भोजन करें।
मकर:यह सप्ताह सुखदायक होगा। विरोधी पक्ष से सावधान रहना होगा। धर्म और अध्यात्म का मार्ग सदबुद्धि देगा। निम्रस्तरीय संपर्क से लाभ भी संभव है। नाम और दाम दोनो ंमें लाभ मिल सकता है। शुभ रंग-स्कारलेट। उपाय: शुक्रवार को चावल दान करें।
कुंभ: संपत्ति के प्रति सावधानी बरतनी होगी। वाणी पर संयम रखना होगा। ग्रह चाल अनुकूल रहेगी। आमोद-प्रमोद में समय व्यतीत होगा। दूरदराज की यात्रा का संयोग बन सकता है। शुभ रंग - ब्ल्यू। उपाय: रविवार को सूय नमस्कार करें।
मीन:स्वास्थ्य संबंधी परेशाली आ सकती है। लोगों के बहकावें से बचें। रोग-चिंता व परेशानी आ सकती है। प्रियजन मिलन से खुशी हो सकती है। आर्थिक तंगी भी आ सकती है। कोई नई योजना भी बन सकती है। शुभ रंग- लाल। उपाय: सोमवार को शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं।
डॉ. सिद्धनाथ तिवारी
आयुर्वेदज्ञ एवं ज्योतिषज्ञ
मोबाइल :नं. 9213382493 

शीश झुका कर लिया आशीर्र्वाद

ग्रेटर नोएडा(डीएलई)। आईटीएस डेंटल कॉलेज में शिक्षक दिवस के अवसर पर संस्थान के सभी छात्र-छात्राओं ने अपने शिक्षकों के सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। सभा के मुख्य अतिथि सेंट स्टीफन हॉस्पिटल, नई दिल्ली के चिकित्सा अधीक्षक आमोद कुमार ने छात्रों को उनके उज्जवल भविष्य हेतु आर्शीवाद देते हुए कहा कि कोई भी शिष्य जब अपने गुरू के पास जाता है तो बिल्कुल कच्चे घड़े की तरह होता है, उसे उस विषय मे कोई ज्ञान नही होता है जिनकी शिक्षा लेने वह गुरू के पास जाता है। एक अच्छा शिक्षक उसे धीरे-धीरे सभी चीजों के से अवगत कराते हुए उसे पूर्ण बनाता है। बिना अच्छे गुरू के कभी कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल नही हो सकता है। संस्थान के निदेशक कर्नल डॉ अनमोल एसण् काल्हा ने छात्र-छात्राओं को गुरू की महत्ता समझाते हुए कहा कि गुरू का किसी भी छात्र के जीवन में सबसे अधिक महत्व होता है। किसी भी छात्र का सर्वागीण विकास गुरू के बिना संभव नही है। संस्थान के प्रधानाचार्य डॉ पुनीत आहुजा ने छात्र- छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए आशीर्वाद देते हुए कहा कि आज दौर में हो सकता है कि इंटरनेट, टेक्नोलोजी, पुस्तकों और अन्य साधनो से आपको किसी विषय विशेष में जानकारी हासिल हो जाए लेकिन बिना सच्चे गुरू के आप उसका सही उपयोग नही कर सकते। अच्छे शिक्षक को परिभाषित करते हुए डॉ आहुजा ने छात्रों को बताया कि अच्छा शिक्षक वही होता है जो छात्र-छात्राओं के शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी सिखाए। संस्थान के छात्र-छात्राओं द्वारा अपने गुरूओ के सम्मान में कविता, नुक्कड़ नाटक तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। इस अवसर पर सभी छात्र.छात्राओं ने अपने सभी गुरूओ को नमन करते हुए उनका आशीर्र्वावाद लिया तथा उनके द्वारा सिखाए गए राह पर चलने की शपथ ली।

आईटीएस में माता की चौकी का भव्य आयोजन



ग्रेटर नोएडा(डीएलई)। आईटीएस इन्जीनियरिंग कॉलिज, ग्रेटर नोएडा में शनिवार को आईटीएस  के 9वें सत्र के शुभारम्भ के उपलक्ष में एक भव्य माता की चौकी का आयोजन किया गया। यह माता की चौकी संस्था द्वारा आयोजित की जाने वाली 9वीं चौकी है। इस अवसर पर आईटीएस  के विद्यार्थी माता सरस्वती की पूजा-अर्चना करके अपने ज्ञान को बढ़ाने एवं अपना भविष्य उज्जवल करने का आशीर्वाद लेते है। विद्यार्थियों के माता-पिता एवं अभिभावकगण  भी माँ को नमस्कार करके अपने एवं अपने सन्तान की सद्बुद्धि एवं उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करते हैं। आईटीएस  द एजुकेशन ग्रुप के प्रत्येक परिसर में अलग-अलग दिवस पर 'माता की चौकीÓ के आयोजन की परम्परा 1995 से चली आ रही है व इसका निर्वाहन इंजीनियरिंग कॉलिज में 2005 से किया जा रहा है। इस अवसर पर माँ दुर्गा के साथ-साथ गणेश जी, शिवजी, कृष्णजी, भगवान राम एवं हनुमान जी की अद्भुत एवं मनमोहक झाकियॉ प्रदर्शित की गयी। एक बृहद आकार के पंडाल में भगवान की सभी मूर्तियों की स्थापना की गयी थी। चौकी का शुभारम्भ आईटीएस  द एजुकेशन ग्रुप के चेयरमैन डा. आरपी चड्ढा, वाइस चेयरमैन श्री अर्पित चड्ढा, सेकेट्री श्री बीके अरोरा, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री सुरेन्द्र सूद, निदेशक डा. विनीत कंसल के द्वारा माता के पूजन एवं आराधना से हुआ। पूजा-अर्चना में आईटीएस के डीन प्रो. संजय यादव, रजिस्ट्रार गगनदीप अरोरा व सभी विभागों के विभागाध्यक्ष ने भी भाग लिया। इस अवसर पर पूरा आईटीएस, ग्रेटर नोएडा परिसर भजन एवं जय माता दी के नारो से गूँज उठा। आईटीएस  की परम्परा है कि प्रत्येक शैक्षणिक सत्र के आरंभ में माता का आशीर्वाद लेने के लिए माता की चौकी का आयोजन किया जाता है।  इस अवसर पर मध्य भोज का भी आयोजन हुआ। मध्य भोज में लगभग तीन हजार लोगों ने भोजन ग्रहण किया। माता की चौकी में सभी आईटीएस के विद्यार्थी, नवागन्तुक विद्यार्थियों के माता-पिता एवं ग्रेटर नोएडा के गणमान्य व्यक्ति सपरिवार आमंत्रित किए गए थे। ग्रेटर नोएडा एवं आस-पास के गणमान्य व्यक्तियों ने भी माता की चौकी में पूजा-अर्चना की एवं मध्य भोज में भी भाग लिया। विद्यार्थियों ने पूरे उत्साह के साथ माता की चौकी में भाग लिया एवं अपने माता-पिता एवं अभिभावकों को सभी प्राध्यापकों एवं प्रबन्ध तंत्र के लोगों से मिलवाया। बीटेक के विद्यार्थियों के ग्रुप ने बताया कि हम लोग माता की चौकी का प्रति वर्ष इंतजार करते हैं क्योंकि हमे इस अवसर पर बहुत सारे लोगो से मिलने का अवसर मिलता है एव ंहमे काफी आनंद का अनुभव होता है। ज्ञात हो कि आईटीएस , ग्रेटर नोएडा में बीटेक, एमटेक, एमबीए एवं एमसीए पाठ्यक्रम मे लगभग 2500 विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। पूर्व वर्ष की भॉति इस वर्ष भी प्रत्येक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए सीटो से अधिक विद्यार्थियो ने आवेदन किया था। एमबीए पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों की भीड़ रही। बीटेक में भी भारी संख्या में सर्वोत्तम पाए गए विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। आईटीएस द एजुकेशन ग्रुप अपनी उच्चकोटि की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। गु्रप के विभिन्न  पाठ्यक्रमों मे पूरे देश से विद्यार्थी आते हैं। आईटीएस  के बीटेक व एमबीए पाठ्यक्रमों के सभी विद्यार्थी उद्योग जगत में अच्छे वेतन के साथ कार्य प्रारम्भ करते हैं।
विद्यार्थियों एवं अभिभावको एवं ग्रेटर नोएडा के विशिष्ठ व्यक्तियों की दर्शन के लिए लम्बी कतार से पूजा मंडप खचाखच भरा हुआ था। महिलाओं एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग कतारों में लाग माता के दर्शन के लिए उमड  पडे थे। माता के आगोश में पहुॅचकर तथा अपना मस्तक झुकाकर आशीर्वाद लेकर पुजारी  द्वारा तिलक लगवाकर लोग अपने को अभिभूत महसूस कर रहे थे। बीच-बीच में जय माता दी के नारों से मंडप के साथ-साथ पूरा आईटीएस  परिसर गुँजायमान हो रहा था। विद्यार्थियों के अलग-अलग समूह जय माता दी के गानों एवं कीर्तन की धुन पर नृत्य करके आह्लादित हो रहा था। विद्यार्थियों के अभिभावकों से पूछने पर उन्होंने बताया कि इस तरह का पूजामय माहौल उन्होंने अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा था। सभी विद्यार्थी एवं अभिभावक भोज के पहले एवं भोज के दौरान एक दूसरे से मिलकर प्रसन्नचित हो रहे थे। ्रचौकी में आए हुए आईटीएस  के प्राचीन छात्रों के समूह ने बताया कि यह परम्परा आईटीएस  के प्रबन्धतंत्र के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रारम्भ की गयी थी। आज आईटीएस  का प्रत्येक विद्यार्थी माता की चौकी में भाग लेने के लिए तत्पर रहता है तथा इस शुभ दिन का इंतजार भी करता है। क्योंकि माँ की पूजा अर्चना के साथ-साथ विद्यार्थियों को अपने वरिष्ठों एवं कनिष्ठों से मिलने का अवसर मिलता है। अपने पुराने दिन को याद करके पूर्व विद्यार्थियों ने बताया कि अपने समय की माता की चौकी को याद करके हम आज भी प्रसन्नचित एवं आह्लादित हो जाते हैं। इच्छा होती है कि हमारे पुराने दिन वापस आ जाए और हम माता  की चौकी में अपने मित्रों के साथ नाचगान करें।
प्राध्यापकों ने बताया कि आईटीएस  के एक-एक विद्यार्थी के मन में माता की चौकी के प्रति उत्साह रहता है। विद्यार्थी पूछते रहते हैं कि इस वर्ष की चौकी का आयोजन किस तिथि को किया जा रहा है। विद्यार्थी पूजा-अर्चना, नाचगान एवं नाना प्रकार के व्यंजन का आनन्द उठाते हैं।

हेल्थ : खतरनाक है इबोला वायरस

कहां से आया और कैसे फैला, विशेषज्ञ भी नहीं बच सके इसकी मार से 
ग्र्रेटर नोएडा (डीएलई)।आजकल सुर्खियों मे आया इबोला वा्रयरस दक्षिण अफ्रीका से आने वालों के साथ भारत में आ रहा है।
यह वायरस बहुत ही खतरनाक है और इससे बहुत तेज बुखार होता हे और यह जानलेवा होता है। इस बीमार के होने से अचानक सरदर्द, शरीर में दर्द और बुखार हो जाता है। इसके साथ ही बीमारी के दौरान शरीर में दाने पडऩे शुरू हो जाते हैं। जो कभी भी वहां से खून निकलने लगता है और मरीज (ह्यद्धशद्म)शाक में चला जाता है।
यह बीमारी एक मरीज से शुरू होती है और चारों तरफ फैल जाती है। अधिकतर इस बीमारी के चपेट में वह लोग आते हैं जो रोगग्रस्त लोगों के आस-पास रहते हैँ।
इबोला वायरस की चार जातियां पाईं जातीं हैं। उनके नाम इस प्रकार है:- (1) जैके, (2) सूडान, (3) कोट डी इवायर और चौथी रेस्टान है। रेस्टान वायरस की बीमानी फिलीपीन्स से दूसरे देशों में फैली है।
इस बीमारी का सबसे पहले पता 1967 में जर्मनी में उस समय पता पलगा जब कुछ बन्दर (ब्ल्यू मंकी) यूगांडा से जर्मनी रिर्स के लिए लाए गए थे। इस कार्य में 25 संबंधित विशेषज्ञ अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनमें से सात लोगों की मृत्यु हो गई थी। यह कार्य करने वाले उनके बड़ी नजदीक रहते थे। जो बचे थे उनें एक पत्नी इस बीमारी से ग्रसित हो गई थी। जांच करने पर पता चला कि आदमी के वीर्य में यह वायरस मिला था।
फिर 1999 में कांगों में सोने की खान में काम करने वालों के मारबर्ग वायरस का पता लगा था और यह बहुत ही खतरनाक था। साथ के लोगों को सफाई करने को कहा गया। यह भी इबोला जाति का वायरस है। फिर मारबर्ग वायरस से 2004-2005 में 258 केस अंगोला में मिले जो कि इबोला वायरस से मिलते जुलते थे। इससे करीब 90 प्रतिशत लोग मर गए थे। इसके बाद 1976 में 550 केस जायरे और सूडान में इबोला वायरस के मिले। यह बीमारी आदमी से आदमी को मिली थी क्योंकि वहां पर गंदी सिरिंज से इंजेक्षन दिया गया और सफाई नहीं रखी गई।
कांगो में 317 केस मिले जिनमें से 88 प्रतिशत लोग इसी इबोला वायरस से मर गए थे। यह वाकया 1995 का है। यहां पर यह पाया गया कि उनमें सफाई नहीं अपनाई गई और खाने-पीने में भी सावधानी नही बरती गई। एक साथ पानी पीना और खाना बीमारी फैलने का बहुत बड़ा कारण बना। फिर अंतरराष्ट्रीय सहायता से उन्होंने वहां अस्पताल बंद करवाए। नांक से फैलने वाली यह बीमारी बंद हो गई। फिर गाम्बिया में यह बीमारी 1994-2003 के बीच घने जंगलों में मिली। 1996 में एक डाक्टर दक्षिण अफ्रीका और एक नर्स इबोला वायरस से बचाने के लिए अच्छी इन्सेन्टिव केयर के बाद भी नहीं बचाए जा सके।उनमें भी यह वायरस मिला। वर्ष 2000-2001 में सूडान इबोला वायरस ने 224 लोगों की यूगांडा में जान ले ली। 1989 में रेस्टन इबोला वायरस की रिसर्च के लिए कुछ बंदर फिलीपींस से अमेरिका लाए गए थे उनमें से यह बीमारी मिली थी। बाद में इन बंदरों को मारा गया। इबोला वायरस चमगादड़ में रहता है। उनसे यह बीमारी मनुष्यों में फैलती है। इबोला वायरस से ग्रस्त रोगी के पसीने और उसके साथ पानी पीने से फैलती है। इनका इनक्यूवेशन समय 3-16 दिनों के बीच होता है। इसमें मनुष्य को बुखार, सरदर्द, शरीर दर्द, जी मिचलाना, और उलटी होती है। बुखार के साथ-साथ दस्त भी आने लगते हैँ।
छाती में भी दर्द होने लगता है और खांसी भी परेशान करने लगती है। इसके अलावा अंग्रेजों की खाल में से ऊपर दाने दिखाई देने लगते हैं। इन दानों से खून निकलने लगता है। किसी-किसी को बहुत ज्यादा खून की उलटी होने लगती है। साथ ही चेहरे और गर्दन पर सूजन आ जाती है। लीवर बढ़ जाता है और गले मेें खरास हो जाती है। इसके बचाव के लिए अभी जो वैक्सीन बनीं वह मनुष्यों पर कारगर नहीं हो पाई है। उपचार से बेहतर होगा कि जहां तक हो सके इस बीमारी से खुद को बचाएं।
डॉ. बी.एन. सचान
बीएससी. एमबीबीएस. एक्स पीएमस
रोशन हास्पिटल, ग्रेटर नोएडा।

तपेदिक एक राष्ट्रीय आपदा है : डॉ. हर्षवर्धन

 ईमेल संग्रह से लड़ी जाएगी बीमारी से जंग
नई दिल्ली(डीएलई)। सरकार और देश के सभी डॉक्टरों के बीच कनेक्टिविटी कायम करने के लिए एक ईमेल संग्रह तैयार करने की योजना बनाई गई है। इसका उद्देश्य संसाधनों को एकत्र करना है, ताकि बीमारियों के बोझ को कम किया जा सके। सरकारी डॉक्टरों के साथ-साथ प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉण् हर्षवर्धन ने शनिवार को यहां प्रथम राष्ट्रीय तपेदिक दवा प्रतिरोधक सर्वेक्षण का शुभारंभ किए जाने के मौके पर इस आशय की घोषणा करते हुए कहाए ईमेल संग्रह बनाने से खासकर तपेदिक के खिलाफ राष्ट्रीय जंग लडऩे में मदद मिलेगीए जिसके बारे में सूचना देना आवश्यक है। इससे सभी स्वास्थ्य अधिकारियों,सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं हेल्थ केयर प्रदान करने वालोंए जन स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं और हेल्थ केयर प्रोफेशनलों को तत्काल संबंधित सूचनाएं भेजी जा सकेंगी।डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि ष्इस ईमेल संग्रह का इस्तेमाल सभी डॉक्टरों को नए चिकित्सा ज्ञान और आईसीएमआर तथा अन्य संगठनों के अनुसंधानों से अवगत कराने में किया जा सकता है। तपेदिक रोगियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों को अगर इलाज के कारगर तरीकों से अवगत करा दिया जाए तो इससे संबंधित मरीज लाभान्वित हो सकते हैं। मंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन  और यूएसएआईडी के सहयोग से यह सर्वेक्षण कराया जाएगा, जिसमें अब तक के सबसे ज्यादा सैंपल 5214 होंगे। इसमें 24 राज्यों की 120 टीबी यूनिटों को कवर किया जाएगा। जिन रोगियों के बीच सर्वेक्षण कराया जाएगा उनमें पहली बार इसकी गिरफ्त में आने वाले लोगों के साथ.साथ दोबारा इलाज कराने वाले रोगी भी शामिल होंगे। 13 तपेदिक रोधी दवाओं के विरुद्ध उनके प्रतिरोध स्तर का आकलन किया जाएगा। डॉ हर्षवर्धन ने तपेदिक पर मंत्रालय के मीडिया अभियान को फिर से लांच किया।
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि ज्यादातर लोग तपेदिक के बजाय कैंसर एवं एड्स बीमारियों को लेकर अधिक जागरूक हैं। इस मौके पर भारत में डब्ल्यूएचओ की कंट्री प्रतिनिधि डॉण् नाता मेनाब्डे, डब्ल्यूएचओ के तपेदिक कार्यक्रम के डॉ. मातेओ जिग्नॉल, यूएसएआईडी की कार्यालय प्रमुख डा ् नैंसी गॉडफ्रे, स्वास्थ्य सचिव श्री लव वर्माए स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सी के मिश्रा, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ जगदीश प्रसाद, संयुक्त सचिव अंशु प्रकाश, केंद्रीय तपेदिक डिवीजन के डीडीजी डॉ् आर एस गुप्ता, केंद्रीय तपेदिक डिवीजन के अतिरिक्त डीडीजी डॉ के एस सचदेव एवं मंत्रालय तथा भागीदार एजेंसियों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। 

अब गांव-गांव में जन-जन तक पहुंचना चाहते हैं मोदी

शिक्षक दिवस पर देश के किशोंरों से रूबरू होने के बाद अब रेडियो पर जनता के सामने हाजिर होंगे पीएम
नई दिल्ली (डीएलई)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अब देश के दूर-दराज में रहने वाले हरेक व्यक्ति से रूबरू होना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अब रेडियो के माध्यम से बातचीतक करने की योजना बनाई है। इसके लिए उन्होंने देश की जनता से ही राय मांगी है। शिक्षक दिवस पर देश के करोड़ों छात्रों को सीधे संबोधित करने के बाद मोदी अब रेडियो जैसे गांवों में सुलभ  साधन के माध्यम से जनता से संवाद स्थापित करने जा रहे हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द ही प्रधानमंत्री एक निश्चित अंतराल पर देश भर की जनता के साथ रेडियो पर लाइव बातचीत करते सुने जाएंगे।  हाल ही में इस बारे में केंद्र सरकार की वेबसाइट मॉय गॉव पर जनता से सुझाव मांगे हैं।
 प्रधानमंत्री ने रेडियो पर संदेश के लिए लोगों से सुझाव मांगे हैं। लोग मॉयगोव वेबसाइट पर अपने विचार भेज सकते हैं। रेडियो पर इस संवाद प्रक्रिया को शुरू करने से पहले मोदी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जनता उनसे किन मुद्दों पर, कितनी देर और कितने अंतराल पर बात करना चाहती है। अभी तक जनता की तरफ से जो सुझाव आए हैंए उसके मुताबिक ज्यादातर लोग हर तीन महीने पर मोदी के साथ रेडियो पर संवाद स्थापित करना चाहते हैं। अवधि तय करने के लिए अभी और प्रतिक्रियाओं का इंतजार किया जा रहा है। एक महीने से लेकर तीन महीने के बीच मोदी और जनता के बीच रेडियो पर संवाद हो सकता है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद रेडियो पर मोदी का यह पहला संदेश होगा। वैसे प्रधानमंत्री ने पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर स्कूली छात्र.छात्राओं को संबोधित किया था, जिसे देशभर में देखा गया। इससे पहले वह 15 अगस्त के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से भी देश को संबोधित कर चुके हैं। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि प्रधानमंत्री का संदेश रेडियो पर कब प्रसारित किया जाएगा। लेकिन इस कार्यक्रम का विषय काफी विस्तृत होगा। इसमें ताजा तरीन किसी अहम मुद्दे से लेकर राष्ट्र के समक्ष चुनौतियों या किसी अन्य लोक महत्व के मुद्दे को शामिल किया जा सकता है।
कार्यक्रम की रूपरेखा पर भी अभी फैसला नहीं किया गया है। लेकिन यह पक्का है कि यह राष्ट्र के नाम प्रसारण नहीं होगाए बल्कि जनता और प्रधानमंत्री के बीच एक खुली चर्चा होगी।

Sunday, 31 August 2014

"सितारे २०१४" का फाइनल राउंड संपन्न : अक्टूबर में होगा ग्रैंड फिनाले

ग्रेटर नोएडा :  बीते ३ महीने से नृत्य,  संगीत व तबला वादन प्रतियोगिता "सितारे २०१४"  का फाइनल राउंड संपन्न हो गया। जिसमे विभिन्न  श्रेणियों में १३० बच्चों ने अपने कला का लोहा मनवाते हुए  बेहतरीन प्रस्तुति दी।  गौरतलब है की बागेश्री म्यूजिक इंस्टीट्यूट द्वारा मई  २०१४ से बच्चों के टैलेंट को बढ़ावा देने के उउद्देश्य  से टैलेंट हंट शो "सितारे २०१४" की शुरुआत की गयी थी।  वाईएमसीए में दो दिवसीय फाइनल राउंड आयोजित किया गया।  बागेश्री के अधयक्ष प्रभाकर देशमुख ने बताया विभिन्न श्रेणियाँ जिसमे शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, क्लासिकल व नान क्लासिकल डांस एवं तबला वादन प्रतियोगिता शामिल था इसमें पूरे उत्तर भारत से सेमीफाइनल में चयनित १३० बच्चों ने हिस्सा लिया।  सभी ने बेहतरीन प्रस्तुति देकर निर्णायक मंडल समेत दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर दिया।  पुणे से  आये प्रतियोगी तुकाराम जाधव ने मत्तत्त ताल पर  बेहतरीन तबला वादन कर जजों के साथ के साथ श्रोताओं की खूब तालियां बटोरीं।  शास्त्रीय गायन में छोटे उस्ताद कैटगरी में फिजा अरित्रो व वेदिका  देशमुख  ने विभिन्न रागों पर प्रस्तुति देकर दर्शकों को झुमाया।  तेजस्वनी, मेघा चटोपाध्याय व अरनवी ने  कत्थक कर समां बाँध दिया। सभी प्रतियोगी दिल्ली एनसीआर, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व पश्चिमी उत्तरप्रदेश से शामिल हुए।  बागेश्री की निदेशिका सरिता देशमुख ने बताया अक्टूबर २०१४  में "सितारे २०१४" का ग्रैंड फिनाले होगा जिसमे फाइनल राउंड के विजेताओं की घोषणा की जाएगी।  ग्रैंड फिनाले में ५०० से ज्यादा बच्चे स्टेज पर प्रस्तुति देंगे। फाइनल राउंड के निर्णायक मंडल में पद्मश्री राम सुतार, पंडित दीपक चटर्जी, पंडित उदय, पंडित निर्मल डे, पंडित अशोक मोइत्रा आदि    शामिल थे।